RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
ज्योति उसी तरह बंटी के सीने से लगी हुई ही बोली "थैंक्स मेरी प्यारी बहना।" बंटी भी तुरंत बोला "थैंक्स मेरी प्यारी साली।" बंटी से तो पूनम को और ज्यादा नफरत हो रही थी। कल तक उसने ज्योति के साथ जो किया, वो उनका अपना व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आज जिस तरह से उसने पूनम के साथ किया और फिर अभी जिस तरह वो ज्योति के साथ है, पूनम को उस पे बहुत गुस्सा आ रहा था। अगर वो लोग पकड़े गए तो उसका कुछ नहीं होना था लेकिन ज्योति की जिंदगी बर्बाद हो जानी थी।
पूनम दरवाजे पे हड़बड़ी में खड़ी थी की कहीं अगर कोई इधर आ गया तो वो क्या जवाब देगी। 2 मिनट के बाद वो अन्दर पलट कर देखी तो अन्दर का नज़ारा तो और बदला हुआ था। उसे लग रहा था की दोनों गले मिले हुए होंगे और अब अलग होने का सोच रहे होंगे, लेकिन यहाँ तो सीन ही दूसरा चल रहा था। ज्योति की चोली का बटन सामने से खुला था और ब्रा ऊपर उठा हुआ था और बंटी झुक कर उसकी खुली हुई चुचियों को चूस रहा था। ज्योति भी जैसे पूरी बेशर्म थी और उसने इस बात का भी लिहाज नहीं रखा था की उसकी बहन सामने ही खड़ी है।
पूनम ही शर्मा कर वापस से बाहर की तरफ घूम गयी और पुरे गुस्से में बोली “पुरे ही पागल हो क्या तुमलोग। बंद करो ये सब। कोई आ जायेगा तब समझ में आएगा। दीदी तुम्हे भी दिमाग और समझ नहीं है क्या? पागल हो गयी हो क्या इसके चक्कर में।” ज्योति बंटी का सर पकड़ कर अपने चुच्ची से हटाते हुए बोली “छोड़ो बंटी, पूनम सही कह रही है। कोई आ जायेगा अब।” बंटी जैसा लड़का हाथ आई दुल्हन को छोड़ने वाला नहीं चोदने वाला था। उसने चुच्ची से तो मुँह हटा लिया लेकिन उसे अपने हाथों से मसलता हुआ बोला “कोई नहीं आएगा जान, और पूनम तो खड़ी है ही बाहर। फिर तुम कभी भी मुझे ऐसे नहीं मिलोगी। इस तरह दुल्हन बनी हुई, शादी से ठीक पहले। इसके बाद अगर कभी मिलोगी भी तो किसी और की पत्नी बनकर, लेकिन अभी तुम सिर्फ मेरी हो। अभी मत रोको मुझे।” बोलकर वो फिर से निप्पल को मुँह में भरकर चूसने लगा। ज्योति उसे क्या बोलती। निप्पल बंटी के मुँह में जाते ही उसके विरोध करने की क्षमता ख़त्म हो गयी थी।
पूनम का गुस्सा अब और बढ़ गया की वो दोनों फिर से अभी वो करने वाले हैं जो पिछली दो रातों से कर रहे हैं। वो गुस्से में बोली “तो करो जो करना है तुमलोगों को। मैं चली।” पूनम आगे बढ़ने लगी तो ज्योति हड़बड़ी में उसकी तरफ आगे बढ़ी और दौड़ कर उसका हाथ पकड़ ली। ज्योति की चूचियां बाहर ही थी और वो इसी तरह कमरे से बाहर हो गयी थी। वो दुल्हन जिसकी अभी कुछ देर बाद शादी होने वाली थी, वो अपने यार के लिए अधनंगी ही कमरे से बाहर आ गयी थी। अपनी हालत याद आते ही वो एक हाथ से अपनी ब्रा को नीचे करने की कोशिश की लेकिन फिर भी उसकी चूचियां बाहर ही रही। ज्योति एक ही हाथ से ब्लाउज को पकड़ने की कोशिश की और चूची को ढकने की कोशिश करती हुई बोली “प्लीज़ पूनम, मत जा। बस थोड़ी देर रुक जा। मेरी खातिर। प्लीज़।”
पूनम गुस्से में पीछे पलटी और ज्योति की हालत देखकर उसका गुस्सा और बढ़ गया। बोली “उसे तो कोई मतलब नहीं है दी, लेकिन तुम तो सोचो की अगर किसी को पता चल गया तो बदनामी तुम्हारी होगी। उसका क्या है, आज तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा है, कल किसी और के साथ करेगा। मुझे तो परेशान कर ही रखा है। तुम्हारा क्या होगा वो तो सोचो।” ज्योति अब तक अपनी चुचियों को ढक चुकी थी और बोली “कुछ नहीं होगा। मैं करवाना चाहती हूँ इससे। सच कह रहा है बंटी, मैं इसे इस तरह कभी नहीं मिलूँगी। तू बस रुक जा थोड़ी देर। प्लीज़ मेरी बहन।”
पूनम को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बहन इस कदर पागल है बंटी के पीछे। बोली "दीदी.... तुम किसी की दुल्हन हो अभी! बाहर बारात खड़ी है तुम्हारी! कुछ ही देर में तुम्हारी शादी होने वाली है! तुम समझ रही हो की तुम क्या बोल रही हो।" ज्योति पूनम का हाथ छोड़ दी और दोनों हाथ जोड़ कर प्रणाम करती हुई बोली "प्लीज़ पुन्नु, प्लीज़ मेरी बहना, मान ले मेरी बात। बस थोड़ी देर के लिए हमारी मदद कर दे।"
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