RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
बंटी भी हँसता हुआ कमरे से बाहर निकल गया। पूनम की जान में जान आयी। थोड़ी देर बाद वो ज्योति को बोली भी की "ये क्या कर रही थी?" तो ज्योति उसे मुँह के इशारे से समझा दी की "कुछ नहीं होता, किसी को समझ में नहीं आया होगा।"
अब आखिरी रस्म होने वाली थी और उसके बाद बिदाई होती। ज्योति, उसका पति और ज्योति के घर की महिलाएं एक कमरे में कोने में थी और वहीँ पे कोई रस्म हो रहा था। पूनम अपनी लहँगा चोली वाली ड्रेस बदल चुकी थी और अभी वो एक स्कर्ट और टॉप में थी। स्कर्ट छोटी तो नहीं थी लेकिन घुटने से कुछ ऊपर ही थी और टॉप भी इतना ही बड़ा था कि पूनम उसे नीचे खिंच कर रखती थी तो स्कर्ट तक आता था और फिर जैसे ही थोड़ी देर कुछ और करती, टॉप ऊपर होकर पेट और कमर दिखाने लगता था। लहँगा चोली में पूनम का पूरा पेट और कमर दिख रहा था, तब उसे शर्म नहीं आ रही थी, लेकिन अभी टॉप के ऊपर होने से उसे शर्म आने लगती थी और लोगों की नज़र भी उसी गैप में अटक जाती थी।
रस्म कमरे के कोने में हो रहा था और वहाँ कई सारे लोग खड़े थे। बंटी पूनम के बगल में ही आकर खड़ा हो गया था और उसके बदन से सटा हुआ था। उसका हाथ धीरे धीरे पूनम के बदन को छू रहा था। पूनम भी बिना किसी हिचकिचाहट के बंटी के बदन से सटी हुई थी और उसकी चुच्ची भी बंटी के बाँह में सट रही थी। दोनों भीड़ में एक दूसरे से सटे हुए ऐसे अंजान बनकर खड़े थे जैसे उन्हें ध्यान ही नहीं हो। अचानक से लाइट कट गया था और कमरे में अँधेरा हो गया। वीडियो रिकॉर्डिंग वाला लाइट भी बंद हो गया था। शोर होने लगा की पूनम को अपनी टाँगों पे कुछ रेंगता हुआ महसूस हुआ। वो हड़बड़ा गयी लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसे पता था कि ये हाथ किसका होगा। वैसे भी कमरे में बंटी और वीडियो वाले के अलावा और कोई मर्द नहीं था और वीडियो वाला पूनम से दूर खड़ा था।
वो हाथ अब पूनम की जाँघों पर रेंगता हुआ ऊपर आ रहा था। पूनम हाथ को रोकने की कोशिश की, लेकिन बंटी ने उस हाथ को पकड़ लिया और दूसरा हाथ सामने लाता हुआ पूनम की चुच्ची को जोर से मसला। पूनम अभी कुछ देर पहले ही इसी लड़के से चुद चुकी थी तो उसे कोई समस्या नहीं थी अपनी चुच्ची मसलवाने में, लेकिन उसे डर लग रहा था कि कहीं अचानक से लाइट आ गयी और किसी ने देख लिया तो क्या होगा। पूनम चुच्ची से बंटी का हाथ पकड़ कर रोकी और हटाने का इशारा की तो बंटी ने चुच्ची पर से तो हाथ हटा लिया लेकिन स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर जोर से उसकी गांड को मसला। पूनम का हाथ अपने आप बंटी के हाथ के ऊपर था, लेकिन वो उसे रोक नहीं पा रही थी और वो ज्यादा हिल भी नहीं सकती थी।
लोग शोर कर रहे थे तो बंटी ने पॉकेट से अपना मोबाइल निकाला और उसका टॉर्च जलाया जिससे कमरे में हल्की सी रौशनी हो गयी। अब वो नीचे बैठ गया और जो रस्म हो रहा था वहाँ लाइट दिखाने लगा। अब पूनम स्कर्ट पहने बंटी के बगल में खड़ी थी और उसके सामने जो लोग खड़े थे, उस वजह से वो अँधेरे में थी। इससे अच्छा मौका क्या मिलता बंटी को। वो एक हाथ से मोबाइल से रौशनी ऐसे दिखा रहा था कि उसका दूसरा हाथ और पूनम की माँसल जाँघ अँधेरे में रहे। उसने अपने दूसरे हाथ को फिर से पूनम की जाँघ पर पहुँचा दिया और सहलाने लगा।
कुछ देर पहले ये नंगा बदन उसके सामने था जिसे उसने पुरे मज़े से चोदा था, लेकिन पूनम ऐसी माल नहीं थी जिसे एक बार चोदकर किसी का मन भर जाता। बंटी चुत में ऊँगली डालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब पूनम दूसरी पैंटी पहन चुकी थी। एक हाथ से पैंटी किनारे करके चुत में ऊँगली डालना आसान नहीं थी। बंटी पैंटी नीचे खिंचने लगा तो पूनम उसका हाथ रोक ली। बंटी को तो लगा की पैंटी नीचे खिंच कर उतार दे और ये पैंटी भी अपने पास रख ले, लेकिन फिर उसे भी ये सही नहीं लगा तो वो जाँघ गांड को धीरे धीरे सहलाता रहा। पूनम की चुत गीली हो गयी थी। इतने लोगों के बीच में वो खड़ी होकर बंटी को अपने बदन से खेलने दे रही थी।
लाइट आ गयी और उन दोनों के खेल में खलल पड़ गया। बंटी ने हाथ हटा लिया और खड़ा हो गया। अब वो फिर से पूनम के बदन में सट कर खड़ा था और उसकी गांड को स्कर्ट के ऊपर से सहला रहा था। पूनम को बुरा लगने लगा की कहीं किसी ने देख लिया तो झमेला हो जायेगा। उसे बंटी पे गुस्सा भी आ रहा था कि जब वो उससे चुदवा चुकी है तो वो फिर सबके सामने ऐसा क्यों कर रहा है। पूनम वहाँ से हट गयी और कमरे से बाहर निकल गयी। लेकिन इतनी ही देर में उसकी चुत पूरी गीली हो गयी थी। वो बाथरूम गयी तो उसे अपनी पैंटी पर अपने चुत के रस का दाग दिखा।
थोड़ी देर बाद बिदाई की रस्म होने लगी और जो ज्योति रात में अपने यार का वीर्य अपनी चुत में भरकर जयमाला की थी, और उसी चुदी हुई गीली चुत के साथ अपने पति के साथ चली गयी। दिन के 8 बज गए थे और सबकी आँखों में नींद सवार था। सबकोई अपना सामान समेटने लगा और कई सारे मेहमान तो यहीं से वापस अपने घर चले गए। माहौल गमगीन था। पूनम भी सब कुछ समेटने में अपनी माँ और मौसी की मदद कर रही थी। बंटी भी घर के पुरुषों की मदद कर रहा था और सबको नाश्ता उसी ने करवाया था। होटल शाम तक खाली करना था तो कोई हड़बड़ी नहीं थी। हर कोई खाली हो गया था, फिर भी व्यस्त था। बहुत कम लोग बचे थे अब होटल में और काम अभी भी ज्यादा था।
11 बजे तक सारा कुछ समेट लेने के बाद सब थोड़े रिलैक्स हो गए थे। बंटी हमेशा इसी ताक में था कि कब वो पूनम के करीब आये और उसके मखमली बदन से खेल पाए, लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था। वो पूनम के जाने से पहले उसे कई बार चोद लेना चाहता था। अच्छे से उसके चिकने बदन का लुत्फ़ ले लेना चाहता था। वो मौका ढूंढ रहा था कि कब स्कर्ट के अंदर मौजूद चुत को फिर से अपना लण्ड खिला पाए, कब उस मुलायम चुच्ची को आज़ाद कर मसल पाए और चूस पाए।
फिर से जब पूनम स्टोर रूम से कुछ लाने के लिए गयी तो बंटी को मौका मिल गया। फिर से पूनम के आसपास कोई नहीं था और वो अभी स्टोर का लॉक खोल ही रही थी की बंटी ने उसे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया। बंटी का एक हाथ पूनम के टॉप पर चुच्ची पर, दूसरा हाथ उसकी स्कर्ट पर चुत पर और होठ उसके गर्दन पर था। पूनम जल्दी से स्टोर को खोली और अंदर हो गयी की कहीं कोई देख न ले।
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