RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
11 बजे तक सारा कुछ समेट लेने के बाद सब थोड़े रिलैक्स हो गए थे। बंटी हमेशा इसी ताक में था कि कब वो पूनम के करीब आये और उसके मखमली बदन से खेल पाए, लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था। वो पूनम के जाने से पहले उसे कई बार चोद लेना चाहता था। अच्छे से उसके चिकने बदन का लुत्फ़ ले लेना चाहता था। वो मौका ढूंढ रहा था कि कब स्कर्ट के अंदर मौजूद चुत को फिर से अपना लण्ड खिला पाए, कब उस मुलायम चुच्ची को आज़ाद कर मसल पाए और चूस पाए।
फिर से जब पूनम स्टोर रूम से कुछ लाने के लिए गयी तो बंटी को मौका मिल गया। फिर से पूनम के आसपास कोई नहीं था और वो अभी स्टोर का लॉक खोल ही रही थी की बंटी ने उसे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया। बंटी का एक हाथ पूनम के टॉप पर चुच्ची पर, दूसरा हाथ उसकी स्कर्ट पर चुत पर और होठ उसके गर्दन पर था। पूनम जल्दी से स्टोर को खोली और अंदर हो गयी की कहीं कोई देख न ले।
अंदर होते ही बंटी ने गेट सटा दिया और पूनम को सामने से गले लगा लिया। पूनम भी भला उसे क्या मना करती। उसके मना करने से तो वो मानने वाला था नहीं। "क्यों ऐसे करते हो?" बोलती हुई वो बस खड़ी रही। बंटी उसे अपने बदन से चिपकाये हुए उसके होठ चूसने लगा तो पूनम भी उसका साथ देने लगी। पल भर में ही बंटी का एक हाथ टॉप उठा कर पूनम की नंगी पीठ सहला रहा था तो दूसरा हाथ पूनम की स्कर्ट उठा कर उसकी पैंटी के अंदर गांड सहला रहा था। बंटी ने पूनम को थोड़ा तिरछा किया और अब उसका हाथ सामने से पैंटी के अंदर था और वो पूनम की चिकनी चुत को सहला रहा था। बंटी को पूरा अनुभव था कि कैसे कम वक़्त में लड़की का ज्यादा से ज्यादा मज़ा लिया जाता है। बंटी का पीछे वाला हाथ भी पीछे से स्कर्ट को ऊपर करता हुआ पैंटी पर था और पूनम की पैंटी अपनी जगह से नीचे हो चुकी थी और ये सब बहुत जल्दी हुआ था।
पूनम उसे मना नहीं कर रही थी, लेकिन उसे बहुत डर लग रहा था। पुनम बंटी को खुद से हटाने के लिये सोची ही की तब तक में बंटी की एक ऊँगली सरसराती हुई पूनम की गीली चुत के अंदर पहुँच गयी और पूनम के मुँह से सिसकारी फुट पड़ी। पूनम का बदन बंटी के हाथ पर झूल गया था और बंटी पूनम की चुच्ची पर सर रखे उसकी चुत में जल्दी जल्दी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा। पूनम होश खोने लगी थी। वो किसी तरह खुद को सम्हाली की वो स्टोर रूम में है और यहाँ कभी भी कोई भी आ सकता है। उसकी पैंटी घुटने तक पहुँच गयी थी और
पूनम बंटी का हाथ रोकती हुई बोली "आह... मम्मम.... छोडो, क्या कर रहे हो, कोई आ जायेगा।" बंटी उसी तरह चुत में ऊँगली करता हुआ बोला "चलो न छत पर।" पूनम बंटी का हाथ रोकी और दूर होकर अपनी पैंटी ऊपर करती हुई बोली "पागल हो क्या। अभी दिन है। वैसे भी जो हो गया सो हो गया। अब कुछ नहीं होगा।" बंटी फिर पूनम के करीब आया और उसके हाथ को पैंटी ऊपर करने से रोकता हुआ बोला "छत पे नहीं जान, छत पर एक इकलौता कमरा है, वहाँ। वहाँ कोई नहीं आएगा।"
पूनम के चुत में पानी आ गया बंटी के साथ कमरे में जाने के नाम पर, लेकिन उसे डर लग रहा था। बोली "नहीं, अब और नहीं।" बंटी उसके टॉप को ऊपर उठा कर ब्रा से चुच्ची बाहर निकाल कर निप्पल चुस्ता हुआ बोला "ऐसे मत करो जान, आज ही भर तो मौका है, फिर तो तुम चली ही जाओगी।" फिर से बंटी का हाथ पूनम की चुत पर पहुँच गया था। पूनम कमजोर पड़ गयी थी। वो बंटी को रोक ही नहीं पा रही थी। वो बोली "ठीक है, अभी तो जाने दो।" बंटी खुश हो गया। चुत को जोर से मसलकर वो पैंटी को और नीचे करता हुआ बोला "थैंक्स जान, आ जाओ जल्दी से।" पूनम "आह" करती हुई जल्दी से अपनी पैंटी पकड़ी और उसे ऊपर करने लगी। बंटी पूनम से अलग हो गया और बोला "पैंटी उतार दो।" पूनम बोली "पागल हो। स्कर्ट है। अब जाओ यहाँ से।"
बंटी वहाँ से चला गया और पूनम अपने कपड़े ठीक करती हुई सोचती रही की वो अब क्या करे। उसका मन इधर उधर डोल रहा था। वो सबके साथ काम करती रही और बात भी करती रही। उसे बहुत जोरों की नींद आ रही थी, लेकिन किसी न किसी काम की वजह से वो सो नहीं पा रही थी। सभी लोग रात भर जगे हुए थे और पूनम तो रात में मोटे मूसल लण्ड से चुदी भी थी और अभी फिर से चुदवाने के लिए उसकी चुत पे चींटियाँ रेंग रही थी। 2- 4 लोग इधर उधर सोने लगे थे तो पूनम भी सोचने लगी की क्या करे।
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