non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
06-11-2020, 05:07 PM,
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम से इतना इंतज़ार नहीं हो रहा था। उसे लग रहा था की जल्दी से अब ये लंड उसकी चूत में घुस कर तबाही मचा दे। “आह्ह... डालो न अन्दर....” बोलती हुई पूनम अपनी कमर को ऊपर की, लेकिन ये इतना मोटा लंड ऐसे अन्दर नहीं जानेवाला था।

बंटी ने भी अब देरी नहीं किया और पूनम के कंधे को पकड़ कर उसके ऊपर लेट गया और एक धक्का मारा। पूनम पूरी तैयार थी, लेकिन उसकी चूत लंड का धक्का बर्दाश्त नहीं कर पाई और पूनम दर्द से चीख उठी। बंटी ने बिना देरी किये फिर से धक्का मारा और लंड चूत के किले का दरवाजा तोड़ कर अन्दर घुस गया और सरकता हुआ अन्दर घाटी में उतरने लगा। लण्ड के अंदर आते ही पूनम को थोड़ी राहत मिली। अब पूनम के बदन की गर्मी और बढ़ गयी। वो अपने पैर को और फैला दी और बंटी को पकड़ कर उसे अपने अन्दर समाने लगी।

बंटी ने भी लंड को पूरा अन्दर उतार दिया और फिर फुल स्पीड में धक्के लगाने लगा। इस चूत को तो वो फाड़ देना चाहता था, लेकिन चूत और लंड की लड़ाई में अक्सर जीत चूत की ही होती है। हर धक्के के साथ पूनम "आह्ह उह्ह्ह..." करती हुई मचलने लगी और बंटी भी उसके मखमली बदन को अपनी बाहों में जकड कर मसलता हुआ चुदाई करने लगा। बंटी ने उसी तरह पूनम को ऊपर कर दिया और खुद नीचे हो गया। लण्ड अभी भी चुत के अंदर ही था और अब पूनम लंड पर सीधी होकर बैठ गयी और "आह्ह्ह उह्ह्ह्ह" करती हुई चुत को लण्ड पर रगड़ने लगी आउट फिर उठक बैठक करने लगी। बंटी का हाथ उसकी दोनों चुचियों पर था जिसे वो पूरी ताकत से मसल रहा था और पूनम को भी उतना ही मज़ा आ रहा था।

पूनम बंटी के ऊपर लेट गयी और बंटी उसकी चुच्ची को मुँह में भरकर चूसने लगा था और नीचे से धक्का लगाता हुआ उस कमसिन रांड की चुदाई कर रहा था। तुरंत ही पूनम की चूत ने फिर से कामरस बहा दिया और वो बंटी के बदन पर निढाल होकर लेट गयी। बंटी समझ गया कि क्या हुआ है और उसने तुरंत पूनम को उठाया और अपने लंड पे झुका दिया। पूनम भी लंड को चूसने लगी। अभी लंड में चुत का रस मिल जाने से उसका स्वाद और ज्यादा ही बढ़ गया था। पूनम लॉलीपॉप की तरह लंड को चूस कर साफ़ कर दी।

पूनम लेटने लगी तो बंटी ने उसे कुतिया बनाया और उसके पीछे से उसकी चूत में अपना टाइट लंड पेल दिया। आह्ह्ह.... करती हुई पूनम आगे बढ़ी, लेकिन बंटी उसकी कमर को जकड़े हुए था। लण्ड फिर पूरा अंदर उतर गया और बंटी पूनम की कमर को पकड़े उसे चोदता रहा। हर धक्के के साथ पूनम चुदाई का असली मज़ा पाती रही और फिर उसी तरह बंटी ने उस कुंवारी चूत में ही ढेर सारा वीर्य उड़ेल दिया.

गरमा गर्म ताज़े वीर्य की गर्मी चूत में महसूस करते ही पूनम भी फिर से झड़ गयी और दोनों निढाल होकर उसी बिस्तर पर गिर पड़े। बंटी सीधा लेटा हुआ था और पूनम पेट के बल लेटी हुई थी। पूनम बंटी की तरफ खिसकी और उसके बदन से चिपक कर गिले लंड को हाथ में पकड़ ली। लंड से अभी भी वीर्य टपक ही रहा था। पूनम की चूत से भी वीर्य रिस रहा था और बाहर चादर पर टपक रहा था। दोनों उसी तरह वीर्य टपकाए लेटे रहे। ऐसी ही चुदाई तो चाहिए थी पूनम को। फिर से वो हर तरह से चुदी थी, हर चीज़ की थी। और अभी तो उसकी चुत में वीर्य गिरा था और वो भी इतना की अभी तक उसकी चुत से टपक रहा था।

थोड़ी देर बाद बंटी उठा और अपने कपड़े पहनने लगा। पूनम का मन नहीं था की बंटी अभी जाये, लेकिन उसे भी पता था की उसे जाना ही होगा। पूनम भी मजबूरी में उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। उसे हर कपड़ा अपने बदन पर भारी लग रहा था। लेकिन उसे लगा की वो बहुत देर से यहाँ है और हो सकता है की लोग उसके बारे में पूछ रहे हों। जाते वक़्त बंटी ने पूनम को हल्का सा गाल पर चूमा और बोला “रात में छत पर आ जाना, जहाँ ज्योति आती थी।” जबतक पूनम कुछ जवाब देती, बंटी बाहर जा चूका था। थोड़ी देर बाद पूनम भी उस कमरे से बाहर आ गयी और अपनी माँ और मौसी के पास पहुँच गयी।

शाम होने से पहले ही वो लोग होटल छोड़कर घर आ गए थे। पूनम की ज्योति से बात हुई तो वो पूछी तो पूनम उसे दिन के बारे में बताई। ज्योति बोली “मुझे पता था की ऐसा ही होगा।” तो पूनम शर्माती हुई बोली की "नींद का फायदा उठाया वो।” ज्योति हंसती हुई बोली “मुझे पता है” तो दोनों बहने खिलखिला कर हंस पड़ी. पूनम उसे बंटी के रात के प्लान के बारे में भी बताई तो ज्योति उसे टिप्स भी दी की कैसे जाना है छत पर।

शाम में पूनम सबके बीच में बैठी हुई थी और बात कर रही थी तो उसके मोबाइल में गुड्डू को कॉल आया। वो छत पर जाकर गुड्डू से बात की। पूनम बहुत खुश थी बंटी से दो बार चुदवा कर और वो रात में भी बंटी से चुदवा ही लेना चाहती थी। अब उसके मन में कोई संदेह नहीं था। अब उसकी चुत खुली थी इन तीनो के लिए।

रात में पूनम ज्योति के कमरे में सो रही थी और उसके मन में बहुत डर था, लेकिन वो खुद को समझा ली की 'इसी छत पर इसी जगह पर ज्योति रोज चुदवाती थी और दो दिन तो मैं भी गयी हूँ छत पर।' करीब बारह बजे उसके मोबाइल में बंटी का फ़ोन आया और वो अपने डर के बारे में बंटी को बताई, लेकिन बंटी ने उसे समझा लिया और पूनम छत पर आ गयी।

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RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार - by hotaks - 06-11-2020, 05:07 PM

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