RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
रात में ज्योति की रिसेप्शन पार्टी में पूनम ज्योति को रात के बारे में बताई तो ज्योति बहुत ही खुश हुई थी और वो भी बंटी की तारीफ की थी। बंटी के प्यार की भी और उसकी चुदाई की भी। पूनम उससे सुहागरात के बारे में पूछी तो ज्योति बोली की "असली सुहागरात तो तू बनायीं है।" पूनम शर्मा गयी थी की उधर ज्योति अपने पति के साथ चुद रही होगी और उसी वक़्त मैं उसके यार के साथ चुदवा रही थी। रिसेप्शन की रात घर लौटने में ही काफी देर हो गयी थी और जैसा की उम्मीद था,दोनों को मौका नहीं मिला था। वैसे पूनम तो फिर से चुदवाने के लिए तैयार ही थी। वो एक बार और बंटी के लण्ड का हमला अपनी चुत पर झेलने के लिए तैयार थी, लेकिन आज की रात उसकी चुत को प्यासी ही सोना था।
सोचती हुई पूनम अभी खड़ी होकर आईने में अपनी चूत देखने लगी। उसकी चूत अभी भी चुदी हुई लग रही थी। चुत बंटी के लण्ड के सदमे से उबरी नहीं थी। शायद अब उसकी चुत ऐसी ही रहने वाली थी हमेशा। पूनम को बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था और उसकी चुत तड़प रही थी। उसका मन हुआ की बंटी को कॉल करे, लेकिन वो नहीं की कि फिर उसे बंटी और गुड्डू दोनों से रात में बात करना पड़ेगा। वो अपनी चूत को सहलाती हुई बंटी से हुई अपनी चुदाई याद करके और गुड्डू से होने वाली चुदाई सोंचते हुए सो गयी। वो अपनी चुत से पानी नहीं निकाली की अब कल गुड्डू ही उसकी चुत में झरना खोदेगा।
फिर से पूनम का रोज का दिनचर्या शुरू हो गया। पूनम अपनी चूत को आज फिर से हेयर रिमुभर लगा कर साफ़ कर ली और फेसिअल क्रीम लगा कर चमका ली। वो पूरी तरह तैयार थी गुड्डू से मिलने के लिए और उसके अड्डे पर जाने के लिए। पूनम अपने चूत में एक और, या कहिये की दो और लंड लेने के लिए पूरी तैयार थी। उसकी चुत गीली ही थी गुड्डू के लण्ड के स्वागत के लिए। पूनम उसी स्कर्ट टॉप को पहनी जिसे वो शादी वाली सुबह पहनी थी और जिसमे बंटी ने दिन में नींद में उसे चोदा था। वो एक बार सोची की आज भी पैंटी नहीं पहनूँ, लेकिन फिर वो पहन ली। वो घर से शर्माती हुई निकली की आज फिर वो चुदवाने के लिए जा रही है जैसे रात में बंटी के पास गयी थी, लेकिन उसे रोड पर दोनों में से कोई भी नहीं दिखा। पूनम उदास हो गयी। उसे अपनी पूरी तैयारी पानी में बहती दिखाई दी।
वो रास्ते भर गुड्डू को फ़ोन लगाती रही, लेकिन गुड्डू का फ़ोन लग ही नहीं रहा था। पूनम ऑफिस नहीं जाना चाहती थी। वो आज गुड्डू के अड्डे पर जाना चाहती थी, अपनी चुदाई करवाना चाहती थी। लेकिन जब गुड्डू का फ़ोन नहीं ही लगा तो उसे बेमन से ऑफिस जाना पड़ा। दिन भर भी गुड्डू का फ़ोन नहीं लगा और शाम में वापस लौटते वक़्त भी उसे दोनों में से कोई नहीं दिखा। पूनम का मन बैचैन हो रहा था। उसकी चुत लण्ड के लिए तड़प रही थी। उसका मन हुआ की जहाँ दोनो खड़े रहते हैं, उस दुकान में जाकर उनके बारे में पूछे या विक्की का नंबर मांग ले, लेकिन वो इतना हिम्मत कर नहीं पायी। वो उदास मन से घर वापस आ गयी।
आज रात में पूनम फिर से नंगी होकर सो रही थी। उसके पास न तो पिक्स थे और न ही कहानियाँ थी। जाने से पहले वो सब फाड़ कर फ्लश में बहा चुकी थी। उसकी चुत गीली ही थी और उसे बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। मजबूर होकर वो बंटी को कॉल लगायी, लेकिन हाय रे फूटी किस्मत, बंटी का फ़ोन भी नहीं लगा। पूनम उसी तरह अपनी चूत रगड़ते हुए आज भी बिना पानी निकाले सो गयी। अब चुत में ऊँगली करने में उसे मज़ा नहीं आ रहा था। उसे लण्ड चाहिए था, वो भी मोटा, मूसल लण्ड। उसे समझ में आ गया की वक़्त उसके हिसाब से नहीं चलता। कभी यही गुड्डू और बंटी उसके लिए कितना तड़प रहे थे और वो उनसे दूर रहती थी, और आज जब वो नंगी होकर अपनी चूत सहलाते हुए उनका इंतज़ार कर रही है, तो वो लोग कहाँ है, पता भी नहीं।
अगले दिन पूनम का गुड्डू से बात हुआ तो पता चला की वो दोनों कहीं बाहर आये हुए हैं और अभी उन्हें आने में 12-15 दिन और लगेंगे। पूनम उदास हो गयी। उसे 15 दिन तक अब बिना चुदे रहना था, अपनी चूत को तड़पाना था। जब वो चुदवाने से दूर भाग रही थी तो लोग लण्ड हाथ में लिए उसे चोदने के चक्कर में थे, और अब जब वो चुदवाना चाहती है तो लोग दूर हैं। पूनम सोचने लगी की पता होता तो वहीँ मौसी के यहाँ ही रह जाती, वहां बंटी से तो रोज चुदवाती। उसे छत पर बंटी के साथ बिताए पल याद आने लगे की वहीँ रुक जाती कुछ दिन और तो रोज रात उसी तरह की गुजरती।
पूनम गुड्डू का इंतज़ार करने लगी। वो बंटी को कॉल नहीं की। उसने बंटी को ज्योति के लिए ही छोड़ दिया। वो मान ली की बंटी के साथ जितना होना था वो करवा ली और अब अगर कभी किस्मत ने चाहा तभी वो उससे मिलेगी। हाँ, ये जरूर तय रहा की जब भी मिलेगी और चुदवाने का मौका रहा तो वो जरूर चुदवायेगी। उसके लण्ड के लिए पूनम की चुत हमेशा खुली रहेगी।
10 दिन बीत गए थे और पूनम वापस से पहले वाली पूनम बनने लगी थी। उसे लगने लगा था की वो बेकार में ऐसा की और उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। ये सब गन्दी बात है, लड़कों का क्या है, उन्हें और चाहिए ही क्या। चाहे जैसे मिल जाए। इसीलिए तो लड़के पटाते हैं लड़कियों को, और बंटी गुड्डू जैसे लोग थोड़े और ज्यादा आगे हैं तो जो मिल जाए उसे पटाते हैं और उसके साथ मज़ा करते हैं। तभी तो तीनों इतनी लड़कियों औरतों को चोद चुके हैं। उसे लगने लगा की उसे इस सबसे दूर रहना चाहिए।
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