FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
06-13-2020, 01:06 PM,
#34
RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
"अच्छी तरह सोच लीजिए, मिस्टर सुरेश।"
"इसमें सोचना क्या है, सच्चाई यही है।"
म्हात्रे ने बंडल निकाला, एक बीड़ी सुलगाने के बाद बोला— "आपने यह नहीं पूछा कि इन्वेस्टिगेशन करता हुआ मैं कूदकर तुम तक कैसे पहुंच गया?"
"मुझे जानने की जरूरत नहीं है।"
"मगर मैं बताने में कोई कंजूसी नहीं करूंगा।” म्हात्रे ने कहना शुरू किया—"दरअसल ट्रैनिंग के दौरान हम पुलिस वालों को यह बात तोते की तरह रटाई जाती है कि कोई भी हत्या बेवजह नहीं होती और जानकीनाथ के मामले में नसीम पर शक होने के बावजूद मुझे 'वजह' नहीं मिल रही थी—यह बात मेरे भेजे में नहीं उतर पा रही थी कि जिस सेठ को अपना दीवाना बनाकर नसीम अच्छा-खासा नावां खींच रही थी, उसी का मर्डर क्यों करेगी—उसे मारने से भला नसीम का क्या फायदा हुआ—इसी सवाल का जवाब पाने हेतु इन्वेस्टिगेशन करते-करते वे लोग टकराए जो नाव डूबने से पहले तुम्हारी और नसीम की मुलाकातों के चश्मदीद गवाह हैं—बस, सारी गुत्थियां सुलझ गईं—सारी कहानी खुली किताब की तरह मेरे सामने थी।"
"यानी आप कूदकर इस नतीजे पर पहुंच गए कि दौलत के लिए मैंने बाबूजी की हत्या की है, नसीम उसमें मेरी मददगार है?"
"मुझे इस नतीजे तक पहुंचाने में आप दोनों का झूठ बहुत बड़ा सहायक है कि आप नाव डूबने से पहले आपस में कभी नहीं मिले—यदि आप मुजरिम न होते तो झूठ न बोल रहे होते।"
"तुम्हारे चश्मदीद गवाह भी तो झूठ बोल रहे हो सकते हैं?"
"वे झूठ नहीं बोल रहे, क्योंकि यह झूठ बोलने से उन्हें कोई लाभ होने वाला नहीं है, जबकि झूठ बोलने से तुम्हारी समझ में तुम्हें
लाभ होने वाला है।"
"क्या उनके पास कोई सबूत है कि वे सच बोल रहे हैं?"
"नहीं।"
"तब अदालत उनकी गवाही पर यकीन कैसे करेगी?"
"अदालत यकीन करे या न करे, मगर मैं जानता हूं कि वे सच्चे हैं।"
पहली बार मिक्की के होंठों पर मुस्कान उभरी, बोला— "मेरी सेहत पर कोई फर्क आपके जानने से नहीं, अदालत के मानने से पड़ सकता है।"
"जानता हूं।"
"तब तो आप यह भी जानते होंगे कि अदालत वैसी किसी कहानी पर यकीन नहीं करती जैसी आप अपने मन से गढ़कर मेरे पास चले आए हैं—अदालत सबूत मांगती है, अपनी कहानी को सही साबित करने अथवा मुझे बाबूजी का हत्यारा साबित करने के लिए आपके पास कोई सबूत नहीं हो सकता।"
"क्यों नहीं हो सकता?"
"क्योंकि आपकी कहानी मनगढ़न्त, कोरी कल्पना है—कल्पना के सबूत नहीं हुआ करते—बाबूजी की हत्या करना तो दूर, ऐसा नापाक विचार भी मेरे दिमाग में कभी नहीं आया—मैं स्वयं भी उनकी मौत को एक दुर्घटना ही मानता हूं और यदि वह मर्डर था तो मुझे यह पता लगाना पड़ेगा कि यह जलील हरकत किसकी थी, क्यों की गई—अगर किसी ने बाबूजी की हत्या की है तो सात समुन्दर पार भी मैं उसको छोडूंगा नहीं।"
"यह काम करने के लिए पुलिस काफी है।"
"क्या मतलब?"
"इसमें कोई शक नहीं कि नाव डूबना दुर्घटना नहीं थी, उसे डुबोया गया है।" कहने के बाद कुछ देर तक म्हात्रे चुप रहा। ध्यान से मिक्की को देखते रहने के बाद बोला— "एक पुलिस वाले की जिन्दगी में अपनी सर्विस के दौरान ऐसे मौके कई बार आते हैं जब वह किसी गुनाह के मुजरिम को अच्छी तरह पहचान ही नहीं रहा होता है—वह जानता है कि सामने खड़ा व्यक्ति मुजरिम है, वह हाथ नहीं डाल पाता...सिर्फ इसलिए क्योंकि वो जो कुछ जानता है उसे अदालत में साबित करने के लिए मुकम्मल सबूत उसके पास नहीं होते।"
"क्या आप मेरे बारे में बात कर रहे हैं?"
"बेशक।" म्हात्रे ने जरा भी कमजोर पड़े बगैर कहा— "जानता हूं कि जो कहानी मैंने आपको सुनाई है, वह हंड्रेड वन परसेण्ट सही है, अपने पिता के कातिल आप ही हैं—और फिर भी अगर आप मुझसे इतने अकड़कर बात कर रहे हैं तो महज इसलिए कि मेरे पास गवाह तो हैं, सबूत नहीं।"
"आपका दिमाग खराब हो गया है मिस्टर म्हात्रे।"
"यकीनन मेरा दिमाग खराब हो गया है।" आवेशवश म्हात्रे दांत भींचकर कह उठा—"शायद इसलिए क्योंकि मैं खुलेआम एक हत्यारे को कानून की, सबूत मांगने वाली कमजोरी का लाभ उठाते हुए देख रहा हूं।"
"जुबान को लगाम दो, इंस्पेक्टर।" इस बार मिक्की भड़क उठा—"अब यदि एक बार भी तुमने मुझे बाबूजी का हत्यारा कहा तो तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं होगा।"
"फिर भी आप मुझे उन पुलिस वालों में से न समझें, मिस्टर सुरेश, जो सबूत न मिलने पर मुजरिम को सारी जिन्दगी सड़कों पर दनदनाता देखते रहते हैं, निराश होकर जो हथियार डाल देते हैं।"
"तुम क्या करोगे?"
"मरते दम तक मैं आपके खिलाफ सबूत जुटाने की कोशिश करता रहूंगा।"
"तो कहीं और जाकर झक मारो।" यह महसूस करते ही मिक्की का हौसला बढ़ गया था कि म्हात्रे के पास कोई ठोस सबूत नहीं है— "यहां मेरा दिमाग चाटने तब आना जब कोई सबूत जुटाने में कामयाब हो जाओ।"
म्हात्रे ने उसे ऐसी नजरों से घूरा जैसे कच्चा चबा जाने का इरादा रखता हो, बोला— "यदि चाहूं तो शक की बिना पर मैं आपको इसी वक्त गिरफ्तार कर सकता हूं।"
मिक्की ने बिना डरे कहा— "तुम मुझे तीस मिनट से ज्यादा अपनी कस्टडी में नहीं रख सकोगे और उसके बाद नौकरी खो ही बैठोगे, साथ ही मेरी तरफ से दायर किया मानहानि का मुकदमा तुम्हारे बर्तन भी बिकवा देगा।"
"अगर मैं आपको गिरफ्तार नहीं कर रहा मिस्टर सुरेश तो यकीन मानिए, उसके पीछे मानहानि के मुकदमे का खौफ या नौकरी चले जाने का डर नहीं है।"
"ओह!"
"और यकीनन जब मैं आपको गिरफ्तार करूंगा तो उसके बाद सारी जिन्दगी आप जेल से बाहर की हवा में एक सांस तक नहीं ले सकेंगे।"
"तो जाओ, सबूत इकट्ठे करके मुझे गिरफ्तार करने आना।"
"दरअसल मैं यहां सबूत के लिए ही आया था।"
"यहां तुम्हें क्या सबूत मिलेगा?"
"आपकी उंगलियों के निशान।"
"न.....निशान.....क्या मतलब?"
"मैंने यह बात ऐसी किसी लैंग्वेज में नहीं की है जो आपकी समझ में न आती हो।" चहलकदमी के अन्दाज में म्हात्रे ने उसके बेड की परिक्रमा करते हुए कहा— "उंगलियों के निशान का मतलब होता है फिंगर-प्रिन्ट्स, मैं आपके फिंगर प्रिन्ट्स मांग रहा हूं—यदि आप सच्चे हैं, बेगुनाह हैं तो आपको कोई उज्र नहीं होना चाहिए।"
"यदि मैं फिंगर प्रिन्ट्स न दूं तो?"
"उस हालत में भी मैं आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकूंगा—अतः फिंगर प्रिन्ट्स के लिए न मैं आप पर दबाव डालने की स्थिति में हूं और न मजबूर करूंगा मगर.....।" कहकर म्हात्रे रुका, एक पल ठहरकर सीधा मिक्की की आंखों में झांकते हुए बोला— "मैं ये जरूर समझ जाऊंगा कि आपके मन में कहीं-न-कहीं चोर है, क्योंकि अपने फिंगर प्रिन्ट्स छुपाने की कोशिश सिर्फ मुजरिम ही करते हैं, वे नहीं जो बेदाग हों।"
"मेरी उंगलियों के निशान का तुम करोगे क्या?"
"बड़ी मुश्किल से मैंने लोहे की वह हथौड़ी और बताशे वाली कील बरामद की है, जिससे नाव की तली में छेद किए गए।" लगातार उसकी आंखों में झांक रहा म्हात्रे कहता चला गया—"उन पर मैंने उंगलियों के कुछ निशान उठाए हैं, आपकी उंगलियों के निशानों का मिलान उन्हीं से करना है।"
"तुम्हें शक है कि कील और हथौड़ी पर मेरी ही उंगलियों के निशान होंगे।"
"शक नहीं मिस्टर सुरेश, यकीन है।"
"अगर न हुए?"
"निशानों को मिलाने से पहले मैं कोई बहस नहीं करना चाहता—अगर आप निशान दे दें तो दूध-का-दूध और पानी-का-पानी हो जाएगा।"
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RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन - by desiaks - 06-13-2020, 01:06 PM

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