RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
"क्या तुमने देखा नहीं है—अब तक दो बार उनसे मिल चुके हो—शायद तुमने ध्यान नहीं दिया कि इला के गले में दोनों ही बार कैमरा था—कल रात बीस हजार की डिमांड करने जब वे मेरे पास कोठे पर आए, तब भी इला के गले में कैमरा था। मैंने उत्सुकतावश पूछ लिया कि आखिर वह हर वक्त गले में यह कैमरा क्यों लटकाए रहता है? "
"क्या जवाब दिया उसने?"
जवाब मनू ने दिया, बोला—हमारा पेशा चोर के ऊपर मोर बनना है, जाने कहां हमें कोई सफेदपोश सुरेश की तरह जुर्म करता नजर आ जाए—ऐसा दृश्य देखते ही इला उसे कैमरे में कैद कर लेता है—इससे सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि जुर्म के बाद सफेदपोश हमारा मेहनताना देने में आनकानी नहीं करता, पेट भरने के लिए सबूत तो चाहिए ही न?"
"ओह!" मिक्की ने सारे हालतों को समझने की चेष्टा करते हुए कहा— "इसका मतलब....हम सारी जिन्दगी उनसे ब्लैकमेल होते रहेंगे।"
"मजबूरी है।"
"मगर मैं यह सब सहन नहीं कर सकता।"
"आखिर किया क्या जा सकता है?"
"फिलहाल तो बीस हजार देने ही पड़ेंगे, मगर मैं जल्दी इनका कोई इलाज सोचूंगा, ज्यादा दिन तक उन्हें सहन नहीं किया जा सकता।"
"जाने ये यमदूत वहां कहां से टपक पड़े?" नसीम बड़बड़ाई—"सारा प्लान कितनी खूबसूरती से अमल हुआ था, हम दोनों के अलावा किसी तीसरे को भनक तक नहीं थी—पुलिस तक ने उसे दुर्घटना समझा, म्हात्रे को जाने क्या सूझी—और फिर दूसरी तरफ अगर ये यमदूत न होते तो म्हात्रे हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता था, हमने कोई सबूत छोड़ा ही नहीं था।"
"सबूत उसने ढूंढ लिया है।"
"क्या?"
"कील और हथौड़ी।"
"क.....क्या मतलब.....वे दोनों चीजें तो तुमने रेत में दबा दी थीं न?"
सुरेश बना रहने के लिए उसने जवाब दिया—"हां, मैंने सबकुछ योजना के अनुसार ही किया था।"
"फिर वे दोनों चीजें उसके हाथ कैसे लग गईं?"
"भगवान जाने.....मुझे सिर्फ इतना पता है कि उन पर फिंगर प्रिन्ट्स से मिलान करने के लिए वह मेरी उंगलियों के निशान ले गया है।"
"फ.....फिर?"
मुस्कराते हुए मिक्की ने कहा— "मगर उसकी तुम फिक्र मत करो, वे दोनों निशान एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होंगे।"
"ऐसा कैसे हो सकता है, जब दोनों निशान तुम्हारी उंगलियों के.....।"
नसीम की बात बीच में ही काटकर मिक्की ने कहा— "अपनी उंगलियों के निशान देने से पहले मैं एक ऐसी कारस्तानी कर चुका हूं कि वे कील और हथौड़ी वाले फिंगर प्रिन्ट्स से पूरी तरह भिन्न होंगे।"
"ऐसी क्या कारस्तानी की है?"
"गहराई को छोड़ो, मतलब की बात ये है कि फिंगर प्रिन्ट्स का मिलान करने के बाद मनू और इला का इलाज सोचेंगे।"
"जैसा तुम ठीक समझो।" इस विषय को यहीं बंद करके नसीम ने कहा— "अब अगर कुछ पर्सनल बातें हो जाएं तो शायद बेहतर होगा।"
"पर्सनल बातें?"
"हां, मेरे और तुम्हारे बीच पांच लाख तय हुए थे—दो किस्तों में चार तुम दे चुके हो, रही तीसरी किस्त यानी एक लाख रुपये—मेरे ख्याल से अब उसका निपटारा भी तुम्हें कर देना चाहिए।"
मिक्की ने बहुत सम्भलकर कहा— "कर दूंगा, जल्दी क्या है?"
"ये बात गलत है सुरेश।" नसीम के लहजे में थोड़ी नागवारी उत्पन्न हो गई—"तुमने दो किस्तों में मेरा पूरा पेमेण्ट कर देने का वायदा किया था, फिर न जाने क्या सोचकर एक लाख रुपये रोक लिए, मैं साफ-साफ सुनना चाहती हूं कि मेरा एक लाख तुम कब दोगे?"
"मनू और इला नाम के रोड़ों से फारिग होने के बाद।"
"ये कोई बात नहीं हुई, तुम बिजनेसमैन हो—सौदा बिल्कुल फेयर होना चाहिए.....सारे अभियान में मैंने पूरी ईमानदारी से तुम्हारा साथ दिया—ये जानते-बूझते कि नाव में छेद है, जानकीनाथ के साथ उस पर सफर करना आसान नहीं था—तैरना जानने के बावजूद मेरी जान भी जा सकती थी।"
"इस काम के मैंने तुम्हें पूरे पांच लाख.....।"
"चार लाख.....पांच तब होंगे जब बाकी का एक लाख दे चुकोगे।"
"उसकी फिक्र मत करो।" मिक्की ने सवाल किया—"ये बताओ कि इंस्पेक्टर म्हात्रे तुमसे क्या बातें करके गया है?"
"हर मुलाकात पर वह मुझ पर यह स्वीकार करने के लिए दबाव डाल रहा है कि जानकीनाथ की मौत से पहले तुमसे मेरी मुलाकातें हुई हैं—योजना के अनुसार इस बात पर अड़ी हुई हूं कि ये झूठ है, मगर मैंने फोन पर भी कहा था सुरेश कि यदि वह इसी तरह मेरे पीछे पड़ा रहा तो मैं टूट जाऊंगी—डरती हूं कि कहीं हकीकत न उगल बैठूं?"
"उससे जितना नुकसान मुझे होगा, उतना ही तुम्हें भी।"
"म्हात्रे कई बार कह चुका है कि यदि मैं उसे हकीकत बता दूं तो वह केस में मुझे वादामाफ गवाह बना लेगा।"
"वह तुम्हें लुभा रहा है।" थोड़ा आतंकित होकर मिक्की ने कहा।
"मैं समझती हूं मगर क्या करूं.....वह ऐसी-ऐसी दलीलें पेश करता है कि दिमाग हिल जाता है, झूठ बोलने की हिम्मत नहीं होती।"
"कैसी दलीलें?"
"कभी कहता है कि उसके पास दूसरी वेश्याओं की गवाहियां है, कभी कहता हैं कि तेरह नवम्बर से पहले कोठों के आसपास जिन
पुलिस वालों की ड्यूटी थी, उनमें से कई ने तुम्हें वहां आते देखा है।"
"ओह, तो ये गवाहियां हैं उसके पास।" मिक्की के मस्तक पर चिन्ता की रेखाएं खिंच गई—"खैर, तुम्हें नर्वस होने की जरूरत नहीं है—उन गवाहियों से वह कुछ भी साबित नहीं कर सकता।"
"मैं जानती हूं, मगर फिर भी उसकी दलीलों से डर लगता है।"
"मेरे ख्याल से अब वह तुम्हारे पास नहीं आएगा।" कहते हुए मिक्की ने सौ-सौ के नोटों की दो गड्डियां निकालकर उसे पकड़ा दीं—“ वे दोनों भले ही चाहे जितनी सतर्कता बरतने के बाद यहां आए हों, मगर एक शख्सियत अब भी ऐसी थी, जिसने उनके नजदीक वाले थम्ब के पीछे छुपकर एक-एक बात सुनी थी। हालांकि उसकी आंखें पहले से ही लाल थीं, मगर बातें सुनने के बाद तो दहकते शोलों में तब्दील होती चली गईं।
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