RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
मारे गुस्से के उसका चेहरा तमतमा रहा था।
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एक झटके के साथ टैक्सी रुक गई।
मिक्की चौंका, तंद्रा भंग हो चुकी थी।
यह वह टैक्सी थी जिसे उसने बस अड्डे से कनॉटप्लेस तक के लिए लिया था, उसने पूछा—"क्या बात है ड्राइवर, रुक क्यों गए?"
जवाब में हल्की-सी 'कट' की आवाज के साथ अन्दर की लाइट ऑन हो गई और ऐसा होते ही मिक्की बुरी तरह उछल पड़ा।
मुंह से बरबस ही निकला—''त.....तुम?"
"हां.....मैं।" ड्राइवर की सीट पर बैठे रहटू ने एक-एक शब्द को बुरी तरह चबाते हुए कहा— "शुक्र है कि तुमने मुझे पहचान तो लिया, मगर यकीन मानो, मैं तुम्हारी लाश की शक्ल इस कदर बिगाड़ दूंगा कि तुम्हारी बीवी भी उसे पहचानने से इन्कार कर देगी।"
मिक्की के रोंगटे खड़े हो गए।
काटो तो खून नहीं।
रहटू की अंगारे-सी आंखें देखकर मिक्की के जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई—उसके तमतमाते चेहरे पर हिंसक भाव इस कदर खतरनाक थे कि मिक्की को अपनी रीढ़ की हड्डी में मौत की सिहरन दौड़ती महसूस हुई।
हक्का-बक्का रह गया वह।
मुंह से निकला—"त.....तुम यह क्या कह रहे हो, रहटू?"
"तुझे ही तलाश कर रहा था कुत्ते—रहटू तुझे पाताल में भी नहीं छोड़ेगा—तू मेरे यार का हत्यारा है, अलका की मौत का जिम्मेदार भी तू ही है, मगर मैं अलका की तरह बेवकूफ नहीं जो मिक्की की मौत का बदला लिए बगैर मर जाऊं—मैं तेरे टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा—तू मेरे उस दोस्त का हत्यारा है हरामजादे, जिसने एक बार मुझे मौत के मुंह से बचाया था।"
मिक्की के दिलो-दिमाग में सनसनी दौड़ गई।
वह पलभर में रहटू के खतरनाक इरादों को भांप गया। समझ गया कि वह उसे सुरेश ही समझ रहा है। मिक्की का हत्यारा सुरेश। निश्चय ही बदले की आग में सुलगता रहटू उसके टुकड़े-टुकड़े कर देने वाला है।
रहटू के सामने से भाग जाने के अलावा मिक्की को कुछ न सूझा। बड़ी तेजी से उसने दरवाजा खोला और बाहर जम्प लगा दी—जख्मी होने के बावजूद वह सिर पर पैर रखकर भागा। पीछे से रहटू की दहाड़ सुनाई दी—"भागता किधर है सूअर के बच्चे, आज तू मेरे हाथों से नहीं बच सकता।"
मिक्की रुका नहीं।
मगर—।
अत्यन्त नाटे कद के रहटू ने जब उसके पीछे जम्प लगाई तो मिक्की की दौड़ फीकी पड़ गई—उस वक्त रहटू केवल दो कदम पीछे था जब नाटा जिस्म किसी गेंद के समान हवा में उछला।
उसके दोनों बूट मिक्की की पीठ पर पड़े।
एक चीख के साथ मिक्की मुंह के बल सड़क पर गिरा।
अभी वह उठने का प्रयत्न कर ही रहा था कि उसके नजदीक पहुंचकर रहटू के बाल पकड़े, गुर्राया—"तुझे मेरे दोस्त के खून की एक-एक बूंद का हिसाब देना होगा। कुत्ते, भागता कहां है—उस वक्त पुलिस से खुद कह रहा था कि मैं मिक्की की मौत का जिम्मेदार हूं, मुझे सजा दो—वह ड्रामा था, जानता था कि पुलिस तेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती—तुझे मैं सजा दूंगा।"
दर्द से बिलबिलाते मिक्की ने प्रतिरोध किया।
रहटू से टक्कर लेने की कोशिश भी की, मगर व्यर्थ।
पहली बात तो वे है कि मारा-मारी में वह रहटू जितना दक्ष नहीं था और उस पर इस वक्त जख्मी भी था—सो रहटू उस पर बीस नहीं बल्कि इक्कीस पड़ा।
मिक्की के हलक से चीखें निकलने लगीं।
मौका मिलते ही वह चीखने लगता था—"रुको......रुको रहटू, मेरी बात तो सुनो, मैंने कुछ नहीं किया है।"
मगर—।
रहटू सुने तो तब जब होश में हो।
उस पर तो जुनून सवार था।
वह मिक्की पर लात, घूंसे और टक्करों की बरसात करता रहा, जब तक कि पिटता-पिटता बेहोश न हो गया।
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