FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
06-13-2020, 01:07 PM,
#38
RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
होश आने पर मिक्की ने खुद को एक कुर्सी पर बंधा पाया इस स्थान को भी वह अच्छी तरह पहचानता था।
रहटू का कमरा था वह।
सामने रहटू खड़ा था।
मिक्की का समूचा जिस्म ही नहीं बल्कि दिमाग की नसें तक बुरी तरह झनझना रही थीं—रहटू नाम की एक ऐसी मुसीबत अचानक ही उसके सिर पर आ पड़ी थी, जिसे वह लगभग भूल चुका था।
उसने कल्पना भी नहीं की थी कि सुरेश को मिक्की बनाकर मारने और स्वयं सुरेश बनने पर इस मुसीबत से भी उसे दो-चार होना पड़ेगा।
बुरी तरह बौखला गया था वह।
रहटू का प्यार ही इस वक्त उसके लिए सबसे खतरनाक था।
हकीकत वह रहटू को बता नहीं सकता था और लग रहा था कि रहटू यदि उसे सुरेश ही समझता रहा तो जाने उसकी क्या गत बनाए?
मिक्की की इच्छा दहाड़े मार-मारकर रोने की हुई।
जबकि—।
खूंखार नजरों से घूरता हुआ रहटू उसके अत्यन्त नजदीक आ गया। झपटकर दोनों हाथों से उसने मिक्की का गिरेबान पकड़ा और दांत पीसता हुआ गुर्राया—"कत्ल तो मैं तुझे वहां सड़क पर भी कर सकता था, मगर मुझे तेरी लाश के इतने टुकड़े करने हैं, जिन्हें कोई गिन भी न सके—यह काम सड़क पर नहीं हो सकता था, इसीलिए तुझे यहां लाने की जरूरत पड़ी।"
"म.....मगर रहटू भाई, मुझसे आखिर तुम्हारी दुश्मनी क्या है?"
"द.....दुश्मनी।" वह गर्जा—"दुश्मनी पूछता है हरामजादे, मेरे सबसे प्यारे दोस्त को मारने के बाद पूछता है कि दुश्मनी क्या है, मगर तू
क्या जाने कि दोस्ती क्या होती है—जब दौलतमन्द बनकर तू अपने भाई को पैसे-पैसे के लिए मोहताज कर सकता है तो दोस्ती की कीमत क्या समझेगा।"
"मिक्की की मौत का जितना दुख तुम्हें है, उतना ही मुझे भी है, मगर.....।"
"मगर—?"
"किसी की मौत के बाद उससे प्यार करने वाले दुखी होने से ज्यादा और कर भी क्या सकते हैं?"
"कातिल का कत्ल कर सकते हैं, उसकी खाल में भुस भर सकते हैं—इससे मरने वाले की आत्मा को शान्ति मिलेगी।"
"म.....मगर तुम मुझे मिक्की का हत्यारा क्यों समझते हो?"
"मिक्की ने अपनी डायरी में साफ-साफ लिखा है कि उसकी मौत के जिम्मेदार तुम हो—मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता कि यदि उस दिन तुमने उसे दस हजार रुपये दे दिए होते तो वह कभी आत्महत्या नहीं करता—सचमुच उसने सुधर जाने का निश्चय कर लिया था।"
"मुझे उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ था, लगा कि हमेशा की तरह वह मुझे आज भी बेवकूफ बना रहा है—अफसोस तब हुआ जब उसकी लाश देखी, ये सच है कि अपनी समझ में मैं उसे सुधारने का उपाय कर रहा था।"
"झूठ.....।" चीखने के साथ ही उसने एक घूंसा मिक्की के चेहरे पर जड़ दिया और गुर्राया—"मैं मिक्की की तरह सफेद झूठ में फंसकर तुझे बख्शने वाला नहीं हूं—मिक्की तो बेवकूफ था जो उसने तुझे जिन्दा छोड़कर खुद आत्महत्या कर ली—अरे, अगर उसे मरना ही था तो तुझे मारने के बाद मरता।"
"मुझे छोड़ दो रहटू, अपनी जान के बदले मैं तुम्हें वह सबकुछ देने के लिए तैयार हूं जो तुम चाहो.....मैं तुम्हें मालामाल कर सकता हूं।"
"हरामजादे!" रहटू के मुंह से लफ्जों की आग निकली, "अपनी जान की कीमत मुंहमांगी देने को तैयार है और मिक्की को दस हजार नहीं दिए गए—सच, तू कभी नहीं समझ सकता कि प्यार करने वाले बिका नहीं करते।"
"र.....रहटू।"
"खामोश!" रहटू दहाड़ा—"अब मैं तेरी नापाक जुबान से एक भी अल्फाज़ सहन नहीं कर सकता.....मरने के लिए तैयार हो जा।" कहने के साथ रहटू जेब से चाकू निकाला।
क्लिक—।
चमचमाता फल देखकर मिक्की के होश उड़ गए।
उसे लग रहा था कि कुछ ही देर बाद चाकू का चमकदार फल उसके खून से अपनी प्यास बुझा रहा होगा—मिक्की को अपनी अंतड़ियां कटती-सी महसूस हुईं, मुंह से बोल नहीं फूट रहा था।
रहटू का चाकू वाला हाथ ऊपर उठा।
उसके चेहरे पर मौजूद भावों ने मिक्की को बता दिया कि उसका कत्ल कर देने के लिए वह दृढ़-प्रतिज्ञ है—मिक्की को लगा कि हकीकत बताने के अलावा अब बचने का कोई रास्ता नहीं है। यदि उसने हकीकत नहीं बताई तो रहटू उसे मार डालेगा और यदि वह मर ही गया, तो अपना राज बनाए रखने का उसे लाभ ही क्या होगा, अतः बोला— "सुनो रहटू, ध्यान से सुनो—मैं सुरेश नहीं, मिक्की हूं, तुम्हारा दोस्त मिक्की।"
रहटू को एक झटका-सा लगा।
हाथ जहां-का-तहां रुक गया, बुरी तरह चौंका था वह, चेहरे पर से बड़ी तेजी के साथ भूकम्प के भाव गुजरे और फिर वह चीख पड़ा—"क्या बकवास कर रहा है हरामजादे, होश में तो है तू?"
"हां, रहटू, मैं ठीक कह रहा हूं।" मिक्की बड़ी तेजी से एक ही सांस में कहता चला गया—"मैं मिक्की हूं, मेरे कमरे से जो लाश बरामद हुई थी वह सुरेश की थी—मैंने स्वयं उसे मारकर ऐसा दर्शाया था जैसे मिक्की ने आत्महत्या कर ली हो—वास्तव में मैंने सुरेश बनकर सुरेश से अपना नसीब बदल लिया है।"
रहटू अवाक् रह गया।
हक्का-बक्का।
इसके बाद सच्चाई को साबित करने में मिक्की को देर न लगी—उस अविश्वसनीय सच्चाई को सुनकर मारे अचम्भे के रहटू का बुरा हाल हो गया, इस बात की तो उसने कल्पना भी नहीं की थी कि जिसे मिक्की का हत्यारा समझकर वह मारने पर आमादा है, वह मिक्की ही निकलेगा।
हैरतअंगेज अन्दाज़ में वह बड़बड़ाया—"त.....तू ठीक कह रहा है न—तू मिक्की ही है न—मेरा दोस्त—मेरा यार मिक्की?"
"हां रहटू, मैं वही हूं।"
"तो इस रूप में क्यों है?"
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RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन - by desiaks - 06-13-2020, 01:07 PM

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