RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
एक बात भी तो ऐसी नहीं थी जो रहटू को पता न हो, मगर ये सब वे बातें थीं, जो पट्टी सुरेश को पढ़ाई जा रही थी—इस वास्तविकता की जानकारी रहटू को भी नहीं थी कि वास्तव में उसके साथी विनीता और विमल हैं, सुरेश नहीं।
मगर।
यह ख्याल नसीम बानो के होश उड़ाए दे रहा था कि इतनी सब जानकारियां थर्ड ग्रेड के बदमाश, इस रहटू को मिल कहां से और कैसे गईं? सो, अपनी इसी जिज्ञासा को शान्त करने के लिए उसने पूछा—"य.....सब तुम्हें किससे पता चला?"
बड़ी ही गहरी मुस्कराहट के साथ रहटू ने कहा— "मतलब ये कि तुम स्वीकार कर रही हो कि जो कुछ मैं कह रहा हूं, वह सच है?"
नसीम सोच में पड़ गई।
तुरन्त नतीजे पर न पहुंच सकी कि स्वीकार करे या नहीं और उसकी दुविधा भांपकर रहटू ने पुनः कहा— "मैं फिर कहूंगा जानेमन कि इंकार करने से समय बर्बाद करने के अलावा और कुछ नहीं होगा—मैं इतना सब और इतनी अच्छी तरह जानता हूं कि अन्ततः मेरे सामने तुम्हें घुटने टेकने ही पड़ेंगे—और फिर मैं कोई पुलिस वाला तो हूं नहीं, जो तुम्हारे 'हां' कहते ही हथकड़ियां डालकर घसीटता हुआ थाने ले जाऊंगा—मैं स्वयं भी एक मुजरिम हूं और यदि एक मुजरिम दूसरे को कुछ बता भी दे तो दूसरा मुजरिम अपनी भलाई के लिए उसे पचाना खूब जानता है।"
मजबूरी थी।
हथियार डाल देने में ही नसीम ने भलाई समझी। विवशता-भरी एक लम्बी—सांस लेने के बाद उसने कहा— "समझ लो कि मैं वह सब स्वीकार कर रही हूं, जो तुमने कहा।"
"गुड।" रहटू की आंखें चमक उठीं।
"अब यह बताओ कि तुम्हें ये सब जानकारियां कहां से मिलीं?"
पूरी योजना बनाकर आए रहटू ने बताया—"मिक्की की जलती चिता पर मैंने कसम खाई थी कि सुरेश से उसकी मौत का बदला हर हालत में लूंगा—तभी से मैं सुरेश के पीछे था, कल रात जब वह कोठी से निकला तो मैंने उसका पीछा किया और बस अड्डे पर एक थम्ब के पीछे छुपकर मैंने तुम्हारी एक-एक बात सुनी।"
"ओह!" नसीम के मुंह से निकला, फिर अचानक उसे कोई बात याद आई और उसने सवाल कर दिया—"क्या सुरेश की मर्सडीज के ब्रेक फेल करके और उसके बाद सफेद एम्बेसेडर से तुम्हीं ने उसके मर्डर की कोशिश की थी?"
"हां।" उस पर अपना प्रभाव जमाने के लिए रहटू ने झूठ बोला— "इतने इन्तजाम के बावजूद साला बच गया, मगर बचेगा कब तक.....मैं जब तक उस स्थान पर सुरेश के जिस्म के टुकड़े नहीं बिखेर दूंगा, जहां मिक्की की चिता जली थी—तब तक चैन से नहीं बैठूंगा।"
नसीम बानो चुप रही।
रहटू ने पुनः कहा— "कल बस अड्डे पर तुम लोगों की बातें सुनने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि सुरेश का मर्डर करने में तुम मेरी मदद कर सकती हो, खासतौर से उस स्थिति में जबकि मर्डर करने के बाद मैं पकड़ा भी नहीं जाना चाहता।"
"मगर मैं समझी नहीं कि तुम किस किस्म की मदद मांग रहे हो?"
"वैसी ही जैसी जानकीनाथ के मर्डर में सुरेश की की थी, जिस तरह तुम जानकीनाथ को कहीं भी ले जाने की सहूलियत की वजह से तेरह नवम्बर को बड़कल लेक ले गईं और उसी नाव में बैठीं जिसमें योजनानुसार सुरेश छेद कर चुका था, ठीक उसी तरह तुम्हारा पास यह सहूलियत है कि जहां चाहो सुरेश को ला सकती हो, बोलो.....तुम्हारे पास यह सहूलियत है न?"
नसीम को कहना पड़ा—"हां।"
"बस.....जब वह मेरी इच्छित जगह आ जाएगा तो मर्डर करने में क्या दिक्कत होगी?"
"अभी तुम कह रहे थे कि मर्डर करने के बाद पकड़े जाना नहीं चाहते।"
"करेक्ट?"
"कत्ल की कोई सॉलिड स्कीम सोची?"
"वह भी तुम ही सोचोगी।"
"म.....मैं?" वह हकला गई।
"क्यों.....क्या जानकीनाथ मर्डर की स्कीम तुम्हारे दिमाग की उपज नहीं थी?"
"बिल्कुल नहीं, स्कीम तो सुरेश की ही थी—मैंने तो सिर्फ उस पर अमल किया था।"
"फिर ठीक है।" रहटू ने कहा— "स्कीम बनाने का काम मेरा सही।"
"क्या अभी तक इस बारे में तुमने कुछ नहीं सोचा है?"
"मैं सीढ़ी-दर-सीढ़ी सोचना पसन्द करता हूं, जानेमन—यहां आने से पहले सिर्फ यह सोचता था कि तुम्हें मर्डर के लिए किस तरह तैयार
करना है—यह काम हो चुका है, अब एकाध दिन में मर्डर की स्कीम भी सोच लूंगा।"
"ठीक है।"
"ओ. के.।" कहकर रहटू खड़ा होता हुआ बोला— "अब स्कीम सोचने के बाद ही तुमसे मिलूंगा और याद रखना, सुरेश से तुम्हारा सौदा भले ही पांच लाख में हुआ हो, मगर मैं पांच टके भी देने वाला नहीं हूं।"
¶¶
विमल और विनीता के चेहरे ठीक उन गन्नों की तरह नजर आ रहे थे, जिन्हें कोल्हू के पाटों के बीच से इतनी बार गुजारा जा चुका हो कि एक बूंद भी रस न बचे।
उनके चेहरों का निरीक्षण करती हुई नसीम बानो ने अनुमान लगाया कि जब यही सब रहटू ने उससे कहा था, तब उसका अपना चेहरा भी कुछ ऐसा ही रहा होगा। कमरे में छाई खामोशी को खुद नसीम ने तोड़ा—"क्या सोचने लगे तुम लोग?"
"य.....ये बहुत गलत हो गया है।" विमल के मुंह से बोल फूटा।
"क्या गलत हो गया है?"
"रहटू को यह सब पता लगना।"
"अगर ध्यान से सोचोगे तो समझ में आएगा कि उतना गलत भी नहीं हुआ, जितना तुम लोगों को लग रहा है।"
"क्या मतलब?"
"वास्तविकता की रहटू को भनक तक नहीं है, अगर होती तो उसे पता होता कि मुझे पांच लाख देने और नाव की तली में छेद करने वाले तुम थे, सुरेश नहीं—उसे सिर्फ वह 'झूठ' पता है, जो पट्टी हम सुरेश को पढ़ा रहे हैं या सुरेश की स्वीकारोक्ति की गुत्थी सुलझ जाने के बाद पुलिस को बताने जा रहे हैं।"
"म...मगर फिर भी, रहटू जैसे थर्ड ग्रेड बदमाश को समय से पहले यह सब पता लग जाना ठीक नहीं है, वह कभी भी कोई ऐसा उल्टा-सीधा कदम उठा सकता है—जिससे हमारी सारी योजना मिट्टी में मिल जाए।"
"इसमे कोई शक नहीं, लेकिन थम्ब के पीछे छुपाकर जब उसने हमारी बातें सुन लीं तो किया क्या जा सकता है?" नसीम बानो ने कहा— "अब इसके अलावा कोई चारा भी नहीं कि हम उसे किसी तरह नियंत्रण में रखें।"
विमल चुप रह गया।
अपने मुंह से आवाज निकालने के लिए काफी देर से जोर लगा रही विनीता ने कहा— "तो तुमने सुरेश के मर्डर में उसकी मदद करना स्वीकार कर लिया?"
"यह वादा लिए बगैर वह मेरे पास से टलने वाला नहीं था, सो—जो वह चाहता था, उसके लिए तैयार होना पड़ा—अगर न होती तो वह किसी भी किस्म का कोई बखेड़ा खड़ा कर सकता था।"
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