FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
06-13-2020, 01:08 PM,
#47
RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
थोड़ा हिचकिचाते हुए विमल ने कहा— "कहीं रहटू भी मनू और इला की तरह तुम्हारे दिमाग की कल्पनाओं से उपजा कैरेक्टर तो नहीं है?"
"ओह!"
"स.....सॉरी.....बुरा न मानना, अगर तुमने हमें आतंकित करने के लिए उसी तरह रहटू का आविष्कार किया है जिस तरह सुरेश के लिए मनू और इला का रखा है तो प्लीज.....हमें इस चक्कर में मत फांसो, उलझनें पहले ही और वास्तविक कम नहीं हैं, जो काल्पनिक की जरूरत पड़े।"
नसीम मुस्कराई, बोली— "नए कैरेक्टर की मौजूदगी में तुम्हारी यह शंका अप्रत्याशित नहीं है इसलिए बुरा नहीं मानूंगी—मैं पहले ही मनू और इला का नाम लेकर तुम्हें धोखा देती रही हूं—मगर रहटू काल्पनिक नहीं है, तुम मालूम कर सकते हो कि इस नाम का एक गुण्डा मिक्की का दोस्त है और आजकल वह सुरेश के विरुद्ध इंतकाम की आग में सुलग रहा है।"
"मुमकिन है कि रहटू नाम की शख्सियत वास्तव में हो—मगर यह सब काल्पनिक हो सकता है।"
"इसका सबूत तो मैं सिर्फ यही दे सकती हूं कि जब वह मुझसे अगली मुलाकात करने आए तो तुम भी मौजूद रहो।"
"म.....मैं भला उसके सामने कैसे आ सकता हूं?"
"यह सोचना तुम्हारा काम है।"
अचानक विनीता पुनः बीच में टपकी—"जब वह आए तो तुम रहटू की नजरों से छुपकर उस मीटिंग में मौजूद रह सकते हो विमल।"
"करेक्ट।" विमल ने कहा— "यह ठीक रहेगा।"
नसीम ने कंधे उचका कर कहा— "मुझे कोई आपत्ति नहीं है।"
"मनू और इला के काल्पनिक होने से मेरे दिमाग में एक पॉइंट आ रहा है।" विमल के मस्तिष्क पर ऐसे बल पड़ गए थे, जैसे किसी पॉइंट पर बहुत बारीकी से सोच रहा हो, बोला— "बस अड्डे पर तुमने सुरेश से यह भी तो कहा था न कि तुम दो बार मनू और इला से मिल चुके हो?"
"हां.....और उसने इस सफेद झूठ को भी स्वीकार कर लिया था।"
"रहटू जानता है कि मनू और इला काल्पनिक हैं।"
"बेशक।"
"तो क्या उस वक्त रहटू ने यह नहीं सोचा होगा कि जब मनू और इला कहीं हैं ही नहीं तो सुरेश स्वीकार कैसे कर रहा है कि वह उनसे मिल चुका है?"
"म.....मार्वलस।" नसीम के मुंह से निकला—"निश्चय ही यह एक बहुत दिलचस्प पॉइंट है, तुमने खूब सोचा विमल—यह बात रहटू के दिमाग में आनी स्वाभाविक है, मगर फिर भी, वह मुझसे यह कहने की हिम्मत कर सका कि मनू और इला काल्पनिक हैं, इस बारे में रहटू ने मुझसे कुछ पूछा भी नहीं—इस पर हमें सोचना पड़ेगा विमल, क्या पेंच है ये?"
"मुझे तो एक बात नजर आती है।"
"क्या?"
"उसने बस अड्डे पर तुम्हारे और सुरेश के बीच होने वाली बातें नहीं सुनीं, बल्कि इस सारी कहानी की जानकारी का स्रोत कोई और है, यदि उसने बस अड्डे पर बातें सुनी होतीं तो उक्त बात उसके जेहन में जरूर अटकती और वह तुमसे जिक्र करता।"
"तुम्हारी दलील में दम है।"
"इसका मतलब ये है हमें उस सही स्रोत का पता लगाना होगा जिससे रहटू को जानकारी मिली क्योंकि अंधेरे में रहने की वजह से हम कोई ऐसी पटकी खा सकते हैं जिसके बाद उठकर खड़े भी न हो सकें।"
"मैं तुमसे शत-प्रतिशत सहमत हूं।"
¶¶
"मेरे दांए-बांए से निकल जाने की नसीम बानो ने पुरजोर कोशिश की, मगर मैं भी पक्का था।" रहटू ने एक-एक शब्द का लुत्फ लेते हुए मिक्की को बताया—"मैंने उसे चारों ओर से इस तरह घेरा कि अन्त में वह धराशायी हो गई, घुटने टेककर मेरे सम्मुख उसे सबकुछ स्वीकार करना पड़ा।"
"डर यह है कि कहीं किसी दिन वह इंस्पेक्टर म्हात्रे के घेरे में फंसकर भी इस तरह घुटने न टेक दे, उस हालत में मुझे जानकीनाथ की हत्या के जुर्म की सजा भुगतने से भगवान भी नहीं बचा सकेगा—बचने का केवल एक ही रास्ता बाकी बचेगा, यह कि मैं अपना राज खोल दूं.....पुलिस को बता दूं कि मैं सुरेश हूं ही नहीं, मिक्की हूं।"
"उस हालत में सुरेश की हत्या के जुर्म में भी वही सजा मिलेगी जो सुरेश बने रहकर जानकीनाथ की हत्या के जुर्म में मिल सकती है।"
"यही तो मुसीबत है, मेरे तो एक तरफ खाई, दूसरी तरफ कुआं—चाहे जिस तरफ बढूं.....रास्ता मौत तक ही जाता है।"
"और ये खाई और कुंआ अपने दोनों तरफ भी तुमने खुद खोदा है।"
"जाने-अनजाने मुजरिम से हमेशा ऐसा ही होता है।"
"फिर भी, तू फिक्र मत कर मिक्की—दांए-बांए कुआं भले ही सही, मगर तेरे आगे-पीछे मैं हूं—तेरा यार इन सारी मुसीबतों से तुझे निकालकर साफ ले जाएगा।"
"तू करेगा क्या?"
"जरा कल्पना कर, सोच कि नसीम बानो नाम की कोई शख्सियत इस दुनिया में नहीं है, उस हालत में म्हात्रे तुझ तक किस तरह पहुंच सकता है?"
मिक्की की आंखें गोल हो गईं, बोला— "क्या तू नसीम बानो के कत्ल की बात सोच रहा है?"
"क्यों, जब तू सुरेश का कत्ल कर सकता है तो क्या मैं एक औरत का भी कत्ल नहीं कर सकता—औरत भी निहायत घटिया किस्म की?"
"म.....मगर.....।"
"अगर-मगर कुछ नहीं मिक्की, तू उसमें टांग नहीं अड़ाएगा। जो मैं कहना चाहता हूं, सिर्फ उन्हीं सवालों का जवाब देगा—सोचकर बता कि नसीम न रहे तो क्या तू फिर भी जानकीनाथ की हत्या के जुर्म में पकड़ा जाने वाला है?"
"शायद नहीं।"
"तेरे वाक्य में ये 'शायद' क्यों है, इसे हटा।"
"अभी मैं पूरी तरह इस बारे में कुछ सोच नहीं पाया हूं।"
"तो इतनी जल्दी जवाब किस चोटी वाले ने मांगा था—बहुत टाइम है—पहले अच्छी तरह सोच ले—जवाब उसके बाद देना।"
"एक बीड़ी दे।"
"बीड़ी?"
"हां।"
"तेरी जेब में तो सोने का केस है, उसमें ट्रिपल फाइव की सिगरेट—।"
"हुंह।" मिक्की ने ऐसा मुंह बनाया जैसे हलक में कुनैन की गोली फंस गई हो, बोला— "दुनिया-भर से ज्यादा रद्दी इस सिगरेट को पीते-पीते मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है, बीड़ी दे, यार—अपुन तो उसी के गुलाम हैं।"
रहटू ने उसे बीड़ी का बण्डल देते हुए कहा— "सुरेश के पास इस सिगरेट को देखकर तो तेरी जीभ बहुत ललचाती थी?"
"ऐसी तो बहुत-सी बातें थीं और उनकी वजह से ही मैं उसके नसीब से बहुत रश्क करता था, परन्तु अब लगता है कि मेरा नसीब उससे कई गुना ज्यादा अच्छा था, शायद इसीलिए बुजुर्गों ने कहावत बनाई है कि दूर के ढोल हमेशा सुहाने लगते हैं।"
रहटू ने कहा— "जैसे इस वक्त मुझे लग रहे हैं।"
"क्या मतलब?"
"मैं ट्रिपल फाइव पीना चाहता हूं।" हंसते हुए रहटू ने कहा।
अनायास की मिक्की ठहाका लगाकर हंस पड़ा, जेब से सोने का केस निकालकर उसने रहटू को दिया और फिर सोने के जिस लाइटर से उसने अपनी बीड़ी सुलगाई, उसी से रहटू की सिगरेट भी।
रहटू ट्रिपल फाइव के धुएं का आनंद लेने में जुट गया और मिक्की इस बात पर गौर करने में कि नसीम बानो का अंत उसे जानकीनाथ के हत्यारे के रूप में बचा सकता है या नहीं और बचा सकता है तो किस हद तक?
काफी देर तक सोचते रहने और हर पहलू पर अच्छी तरह गौर करने के बाद वह बोला— "सोचा तो तूने ठीक है रहटू मगर.....।" मगर.....मेरी नजर में म्हात्रे के मुझ तक पहुंचने के केवल तीन रास्ते हैं—पहला, कील और हथौड़ी, जो फिंगर प्रिंन्ट्स का मिलान न होने की वजह से स्वतः बेकार हो चुके हैं—दूसरा, नाव की तली में छेद करता मेरा फोटो, जो नसीम के पास है—तीसरा, नसीम की गवाही।"
"नसीम खत्म तो उसकी गवाही भी खत्म।"
"मगर ऐसा करने से पहले तुझे उस फोटो की समस्त कॉपियां ही नहीं, बल्कि निगेटिव भी अपने कब्जे में करने होंगे, नसीम की मौत के बाद अगर उनमें कोई पुलिस के हाथ लग गया तो कत्ल बेकार हो जाएगा।"
"बस।"
"इसके अलावा भी नसीम के पास ऐसा कोई सबूत हो सकता है, जो उसके बाद पुलिस को बता दे कि हत्यारा सुरेश है—तुम्हें बड़ी बारीकी के साथ ऐसे हर सबूत को अपने कब्जे में लेने के बाद नसीम का कत्ल करना होगा।"
"समझ लो हो गया, फिर—?"
"फिर से मतलब?"
"क्या उसके बाद भी तेरे फंसने की कोई सम्भावना बाकी रह जाएगी?"
"नहीं—मुख्य मुद्दा नसीम ही है क्योंकि अब तक जो सामने आया है, उसके मुताबिक सुरेश ने नसीम के साथ मिलकर जानकीनाथ की
हत्या की और इस जुर्म में इनका राजदार कोई तीसरा नहीं था—सो, यदि नसीम के साथ उसके पास मौजूद सारे सबूत भी नष्ट हो जाएं तो किसी तरह साबित नहीं हो सकेगा कि सुरेश यानी मैंने किसी षड्यन्त्र के तहत जानकीनाथ की हत्या की थी।"
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RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन - by desiaks - 06-13-2020, 01:08 PM

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