FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
06-13-2020, 01:09 PM,
#50
RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
विमल और नसीम के रोंगटे खड़े हो गए।
हंसती हुई भी वह बार-बार कह रही थी कि 'मैं मरने वाली हूं' और यही कहते-कहते अचानक उसके जिस्म को एक तीव्र झटका लगा।
और फिर।
सब कुछ शांत।
मुंह से झाग उगलती हुई वह फटी-फटी आंखों से कमरे की छत को घूरती रह गई। इस दहशत से ग्रस्त कि वह मरने वाली है, अपने जीवन के अंतिम क्षण से विनीता शायद पागल हो गई थी। जहर और दहशत ने मिलकर उसके प्राण हर लिए थे।
नसीम और विमल अभी तक हतप्रभ खड़े थे।
किंकर्त्तव्यविमूढ़।
विनीता की मौत के भयानक मंजर ने उन्हें इस कदर अपने शिकंजे में कस लिया था कि उन्हें स्वयं यह अहसास नहीं हो रहा था कि उनका अपना भी इस दुनिया में कोई अस्तित्व है या नहीं।
फर्श पर पड़ी लाश उनकी टांगें कंपकंपाए दे रही थी।
¶¶
काफी देर बाद, बचपन से आज तक की सारी शक्ति समेटकर विमल ने कहा— "ये क्या हो गया नसीम, हमारे देखते-ही-देखते क्या हो गया ये?"
"सारे पासे उलट गए हैं।" नसीम बड़बड़ाई।
"किसने किया है यह, विनीता का हत्यारा कौन हो सकता है?"
"श.....शायद मिक्की, सुरेश बना मिक्की।"
"म.....मगर—?"
"मेरे ख्याल से उसने ताड़ लिया होगा कि विनीता ने रहटू और उसकी बातें सुन ली हैं, इसका मर्डर कर देने के अलावा उसके पास कोई चारा न रहा होगा।"
"क्या वह यह भी जान गया होगा कि विनीता हमसे मिली हुई थी?"
"न.....नहीं, इस बारे में उसे कोई इल्म नहीं हुआ होगा, क्योंकि ऐसी कोई बात ही कहीं नहीं हुई—इसके मर्डर की जरूरत तो मिक्की को इसलिए पड़ी होगी क्योंकि यह उसका भेद जान गई थी, जाहिर है कि अपना भेद जानने वाले को वह जीवित नहीं छोड़ सकता था।"
"म.....मगर सुईं इसे कार में चुभोई गई और कार को यह कोठे की तरफ लाई है, वह अभी भी नीचे खड़ी होगी, अगर वह कार के साथ यहां तक आया हो तो?"
नसीम अवाक् रह गई।
फिर एकाएक वह फोन पर झपटी।
सुरेश की कोठी का नम्बर डायल किया, मुश्किल से एक बार बैल बजने के बाद रिसीवर उठा लिया गया। दूसरी तरफ से सुरेश की आवाज उभरी—"हैलो, सुरेश हियर।"
"मैं बोल रही हूं, सुरेश।" नसीम ने संतुलित स्वर में कहा।
"ओह, हां, बोलो।"
"तुम्हारे आस-पास कहीं विनीता या काशीराम तो नहीं हैं?"
"नहीं।"
"अच्छी तरह चैक करके बताओ, मुमकिन है कि उनमें से कोई तुम्हारे पास हो।"
"नहीं हो सकते, काशीराम शॉपिंग के लिए बाजार गया है और विनीता कुछ देर पहले जल्दी-जल्दी तैयार होकर जाने अपनी गाड़ी में कहां गई है?"
"जल्दी-जल्दी तैयार होकर!"
"हां, काशीराम ने बताया कि वह बहुत जल्दी में थी, खैर.....छोड़ो उसे—ये बताओ कि फोन तुमने कैसे किया—क्या इंस्पेक्टर फिर आया था?"
"नहीं।"
"फिर?"
"मनू और इला ने कल शाम को तुमसे बुद्धा गार्डन में मिलने के लिए कहा है।"
"अब क्या परेशानी है उन्हें?"
"मैं समझ न सकी, पूछा भी, मगर कहते हैं कि बुद्धा गार्डन में ही बात होगी—तुम्हारे साथ उन्होंने मुझे भी बुलाया है।"
"क्या वे फिर कोई नई मांग रखने वाले हैं?"
"कह नहीं सकती।"
"कल मेरे पास टाइम नहीं है, एक बेहद जरूरी काम है मुझे।"
"ल.....लेकिन वहां जाना पड़ेगा सुरेश—मनू और इला ने धमकी दी है कि यदि हम उनसे मिलने नहीं पहुंचे तो वे.....।"
"इंस्पेक्टर म्हात्रे को सबकुछ बता देंगे, यही ना?"
"हां।"
"अब सचमुच इनका कोई इलाज सोचना पड़ेगा, नसीम, ये उतने ही सिर पर चढ़ रहे हैं जितनी इनकी मांगें मानी जा रही हैं—आज पैसा लेते हैं, कल फिर धमकी देने लगते हैं—ऐसी स्थिति में इन्हें कब तक बर्दाश्त किया जा सकता है?"
"बात तो ठीक है किन्तु मजबूरी है सुरेश, हमारी उंगली दबा हुई है।"
सुरेश की आवाज में उधर से मिक्की ने गुर्राकर कहा— "ठीक है, ये उंगली हमें निकालनी पड़ेगी—शायद मैं कल ही सबकुछ ठीक कर
दूं।"
"तो कल शाम ठीक छः बजे बुद्धा गार्डन के मुख्य गेट पर मिलो।"
“ ओ. के.।”
नसीम ने रिसीवर रख दिया।
अभी तक हक्का-बक्का विमल उसे फोन पर बात करते देख रहा था। नसीम के मुंह से निकलने वाली एक-एक बात उसने बहुत ध्यानपूर्वक सुनी थी। उसकी तरफ पलटती हुई नसीम ने कहा— "विनीता का हत्यारा मिक्की नहीं है।”
"क्या मतलब?" वह उछल पड़ा।
"विनीता को सुईं चलती कार में चुभी, जाहिर है कि सुईं चुभाने वाला उस वक्त कार में रहा होगा और यदि कार में था तो कोठे के नीचे पहुंचने से पहले वह कार से निकल नहीं सका होगा, क्योंकि विनीता ने कार बीच में कहीं नहीं रोकी और यहां से सुरेश इतनी जल्दी अपनी कोठी पर नहीं पहुंच सकता।"
"मुमकिन है कि यह काम उसने रहटू से कराया हो?"
"तुम भूल गए कि फोन पर रहटू और मिक्की की बात सुनते ही विनीता गाड़ी लेकर यहां के लिए दौड़ पड़ी—रहटू फोन पर मिक्की से कुछ दूर तो रहा ही होगा—मेरे ख्याल से इतना समय बीच में नहीं था कि रहटू गाड़ी में पहुंच सके—सिचुएशन से जाहिर है कि हत्यारा विनीता से पहले ही गाड़ी में छुपा हुआ था।"
नसीम के वजनदार तर्कों के सामने विमल चुप रह गया।
नसीम कहती चली गई—"जो बातें अभी-अभी मिक्की ने फोन पर की हैं, उनसे भी यह ध्वनित होता है कि हत्या से सम्बन्ध तो दूर की बात, अभी तक उसे इल्म भी नहीं है कि विनीता मर चुकी है।"
"ऐसा क्या कहा उसने?"
"मनू और इला के मसले पर बात करते वक्त उसने छुपे शब्दों में कल बुद्धा गार्डन में मेरे होने वाले अंत की धमकी दी है—अगर उसे यह इल्म होता कि विनीता ने रहटू से उसकी बातें सुनी हैं या विनीता का हमसे कोई सम्बन्ध है तो छुपे शब्दों में यह धमकी कदापि न दी होती—यह धमकी उसने ऐसे शब्दों में दी है कि यदि हम हकीकत न जानते तो मैं ताड़ नहीं सकती थी कि वह धमकी है कि हम हकीकत नहीं जानते, सो समझ में तो मेरी कुछ आएगा नहीं।"
"तुम भूल रही हो नसीम कि वह जबरदस्त अभिनेता है, विनीता के बताने से पहले हमें अहसास तक न हो सका कि वह सुरेश नहीं मिक्की है—मुमकिन है कि इस मामले में भी वह अपने सफल अभिनेता होने का परिचय दे रहा हो।"
"अभिनय अलग होता है और किसी बात के जवाब में कही गई स्वाभाविक बात अलग—मैं फोन पर बात करने के बाद गारन्टी से कह सकती हूं कि सुरेश न तो विनीता का हत्यारा है और न ही विनीता के मरने की फिलहाल उसे खबर है।"
"फिर विनीता का हत्यारा कौन है?"
"ये जरूर सोचने वाली बात है, सोचने के लिए हमारे पास और भी बहुत कुछ है—बल्कि अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि हमें जो कुछ करना है, बहुत तेजी से करना है—अगर ढीले पड़े तो मुमकिन है कि सारी डोरियां हमारे हाथ से निकल जाएं, मगर अब सबसे पहले विनीता की लाश और नीचे खड़ी उसकी गाड़ी के बारे में सोचना जरूरी है।"
"म.....मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है नसीम।"
"खुद को होश में रखो विमल, यदि इस वक्त हमने दिमाग से काम नहीं लिया तो हालात ऐसे बन जाएंगे कि फिर जिन्दगी-भर दिमाग से काम लेने के बावजूद हम अपने चारों ओर फैले निराशा के जाल को नहीं काट सकेंगे।"
"मैं समझा नहीं।"
"कोठे पर इस वक्त हमारे अलावा सिर्फ वह साजिन्दा है जो विनीता के आगमन की खबर लाया था, उसने विनीता की चींखें सुनी थीं और अपने पैरों से विनीता को यहां से निकलते न देखेगा तो जाने क्या—क्या ऊट-पटांग सोचने लगेगा, अतः उसे किसी काम के बहाने कहीं दूर भेजती हूं।"
"ठीक है।"
नसीम तेजी से दरवाजे की तरफ बढ़ी। सांकल खोलकर बाहर निकलते वक्त उसने किवाड़ ढुलका दिये थे।
विमल की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
अपना सिर पकड़कर वह पलंग पर बैठ गया और नेत्र मूंद कर हवा में तैरते मस्तिष्क को सही स्थान पर फिट करने की चेष्टा करने लगा।
तब तक वह अपने प्रयास में काफी सफल हो चुका था जब तक कि नसीम बानो वापस कमरे में आई। आते ही उसने कहा— "मैंने उसे ऐसे काम से भेज दिया है कि एक घण्टे से पहले नहीं लौटेगा, उसके वापस आने पर कह दूंगी कि तुम दोनों चले गए, मगर उससे पहले लाश और कार को किसी उचित स्थान पर ठिकाने लगाना है।"
"दिन-दहाड़े भला हम लाश को कहां ले जा सकते हैं?"
"ये भी सही है, मगर रात शुरू होने पर तो यहां दिन से भी ज्यादा चहल-पहल शुरू हो जाती है—और तीन बजे के बाद ही कहीं सन्नाटा होता है।"
"लाश बाहर निकालने के लिए वही टाइम उचित रहेगा।"
"म.....मगर तब तक क्या लाश यहीं रहेगी?"
"मजबूरी है।"
नसीम बानो ने एक पल कुछ सोचा, मुद्रा से जाहिर था कि लाश के यहां रहने पर वह चिंतित है, मगर विवशता थी, बोली—"ठीक है, तुम कार को कहीं ठिकाने लगाकर आओ—तब तक मैं लाश को इस सेफ के अन्दर ठूंसती हूं।"
विमल ने गाड़ी की चाबी उठा ली।
¶¶
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RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन - by desiaks - 06-13-2020, 01:09 PM

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