RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
चाची के प्रेग्नेंसी का पहिला महीना था।जबसे ये खबर चाचा को लगी तबसे चाचा का रोज घर आना जाना चल रहा था।कई बार तो वो घर पे ही रुक जाता एक दो दिन के लिए।चाचा कम पढ़ा लिखा था।तो डॉक्टर वैगरा उसको समझ नही आता था।जब भी डॉक्टर आते मैं ही देखता था।बच्चा होने के खयाल से ही चाचा उछल रहा था।उसकी खुशी देख मैं भी बहोत खुश था।बचपन से जिसने मुझे अपने बेटे जैसा संभाला,जिसने बहुत कुछ किया मेरे लिए उसके लिए कुछ कर सका उसका आनंद था मेरे मन को।
चाची की प्रेग्नेंसी की बात सुन के उनकी सहेलियां घर के पड़ोसी सब अभिनदंन करने लगे।घर में लोगो की चलचलाहट बढ़ रही थी।तो दिन में मैं चाची के पास और अम्मा दोनो से दूर रहता था।क्योकि दिनभर के मेहमानों की बहोत तादात थी।
चाची दाँट से अम्मा भी मुझे कुछ करने नही देती थी। एग्जाम खत्म होने को था 4 दिन बाद आखरी विषय का एग्जाम था।विषय भी बहोत बडा नही था तो पढ़ाई भी ज्यादा नही थी।चाचा भी घर में था आज।पढ़ाई से फुर्सत मिलती तो दिनभर सिर्फ चाचा के साथ ही रहता था।पहिले दो दिन अयसेही निकल गए।
तीसरे दिन दोपहर खाना होने के बाद चाचा ने मुझे उपर से नीचे बुलाया।
चाचा: वीरू मैंने पहाड़ी वाली देवी से मन्नत मांगी थी तो चाची को वहाँ लेके जाना है।शाम तक आ जाएंगे।
मैंने कहा:ठीक है चाचा,आराम से जाना,खयाल रखना।
चाची भी पीछे पीछे निकलते हुए धीमे से बोली
"मैं नही हु इसका मतलब मजे नही करना,पढ़ाई पे ध्यान दो,शर्मिला ने तेरी जिम्मेदारी मुझपर छोड़ी थी,और मैं उसमे असफल नही होना चाहती।अभी चलती हु,पर ध्यान रखना सिर्फ पढ़ाई।एग्जाम होने तक और कुछ नही"
पीछे अम्मा खड़ी थी उनको भी"माँ तुम भी समझ गयी न।दूसरे की अमानत है।कुछ हो गया तो तुम जिम्मेदार।"
चाचा:अरि वो बहोत दूर जाना है,घर की बातें आने के बाद कर लेना ।
चाचा चाची निकल जाते है।उनके जाने तक मैं दरवाजे पर खड़ा था।जब मैं अंदर गया रो अम्मा बर्तन साफ कर रही थी बाथरूम में।मुझे शैतानी सूझी और मैं उनके पास गया।वो नीचे छोटे टेबल पे बैठ कर बर्तन साफ कर रही थी।मैं उनके सामने जाके लण्ड निकाल के सहलाने लगा।पर अम्मा इगनोर कर रही थी।काफी देर सहलाने के बाद लण्ड तन गया।पर अम्मा ने कुछ रिएक्ट नही किया।
मैं लण्ड लेके उनके पीछे गया और थोड़ा घुटना मोड़ के लण्ड को उनके पीठ पर घिसाने की कोशिश की पर वो और नीचे झुकी जिससे मैं घिस न पाउ।
अम्मा:देख लल्ला अगर तुम्हारी चाची को मालूम पड़ गया तो एकबार तुझे छोड़ देगी पर मेरी खैर नही।तू परेशान मत के।जा पढ़ाई कर।
मैं:पर अम्मा?!!!!?
अम्मा:मैंने कहा ना जा पढ़ाई कर।जा..।
मैं मायूस होकर वहां से चला गया।पर लण्ड को शांत करना था।तो चाची के अलमारी से चुदाई कहानिया वाली किताब ली और ऊपर चला गया।कहानी और फ़ोटो को देख मैंने हिलाया और लण्ड को शांत कराया।फिर किताब पलँग के निचे रखके सो गया।
करीब 4 बजे मुझे अम्मा ने जगाया और चाय दिया।मैंने खिसक के चाय का कप लिया।और चाय पीने लगा।उन्होंने सर पे हाथ सहलाना चालू किया प्यार से तो मैं वहां से उठकर खिड़की के पास गया।अम्मा मेरे इग्नोरेंस से चौक सी गयी।वो कुछ बोल पाती उससे पहले मैंने उनके हाथ में कप थमाया।
उनको कहा:जरा बाहर घूम के आता हु बहोत बोअरिंग फील हो रहा है।
अम्मा कुछ बोली नही सिर्फ देखती रही।
शाम को जब घर आया तो चाचा चाची आ गए थे।उन्होंने जो प्रशाद लाया वो हमने खा लिया।हम अभी बातचीत में लगे थे।जब भी अम्मा मुझसे आये मुझसे जुड़े किसी बात को छेड़ती तो मैं या तो टोक देता याफिर वो बात को किस और बात में मोड़ देता।चाची को लगता की मैं अम्मा की खिंचाई कर रहा हु पर अम्मा को उस बात से बहोत परेशानी हो रही थी।वो मायूस चेहरा करके मेरे पास देखती थी।मुझे गुस्सा तो बहुत आया था पर उनकी मायूस चेहरे से पिघल न जाऊ इसलिए उनकी तरफ नजर भी नही की मैंने।
रात को आज जल्दी खाना खा लिया था।क्योकि चाचा चाची दोनो थके थे।अम्मा किचन का काम खत्म कर रही थी।मैं उपर जाके अपनी जगह सो गया।मुझे मालूम था।आज चाचा है तो वो यही आएगी सोने।पर मैं बहोत सख्त होने की कोशिश में था।
करीब एक घंटा गुजरा।तबतक मुझे नींद आ चुकी थी।अम्मा मेरे बाजू में आके सो गयी।ऊपरी पलंग बहोत बड़ा था करीब 3 लोग सो सकते थे।उनके आहट से मैं जग गया।पर उनको लग रहा था की मैं अब भी सोया हु।
कुछ वक्त निकल जाने के बाद मैं उठा और बाथरूम जाकर आया।और सो गया।नींद आने ही वाली थी की तभी पीछे से मेरे लण्ड पे हाथ का स्पर्श हुआ।
मैं:अम्मा सोने दो मुझे,हटो।
अम्मा: अरे मेरा लल्ला अभी भी गुस्सा है अपनी अम्मा से।
मैं:मैं बोला तुम सो जाओ नही तो चाची डाँटेगी,सही बोला न।
अम्मा हस पड़ी:अच्छा मेरी बात मेरे पे पलटी दे रहे हो।
अम्मा ने मेरे ऊपर की चद्दर हटा दी ।और मेरे सामने ही कपड़े उतारने लगी।मुझे उन्हें देखने की बहोत इच्छा हो रही थी पर गुस्से वाला नाटक मुझे रोक रहा था।
अभी अम्मा पूरी नंगी थी।मैं बनियान और अंडरवेयर मे था।
वो मेरे पीछे आके चिपक के सो गयी।उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया।मैने छूटने की नाकाम कोशिश की।पर मेरे अंदर का काम देव उनके स्पर्श से उत्तेजित हो गया था।
उन्होंने मेरी अंडरवेअर खिसका दी और पैरों से भी नीचे खिसका दी।अभी मेरा लण्ड पूरा आझाद था।अम्मा के हाथ के स्पर्श से लण्ड झूम उठा था।
मैं उनकी तरफ घुमा।धीमे रोशनी में आज मुझे अम्मा एक जवान अप्सरा लग रही थी,लगता है कामुकता की नजर से मैं उनको देख रहा था।आगे क्या करू ये सोचने से पहलेही अम्मा ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।उनके चुचे मेरे छाती पर दब गए थे।मेरा लण्ड उनके झांटेदार नही बिना झांट वाले रासीलि चुत पर घिस रहा था।उनकी कटी हुई झांटे मेरे लण्ड को चुभ रही थी।बड़ा मजा आ रहा था।हमारी गरम सांसे एक दूसरे को और कामुक बना रही थी।
उन्होंने मेरे ओंठो को अपने ओंठो से मिलाया और चूसने लगी। उनके ओंठो में चाची से भी ज्यादा मिठास थी।ओ बीच में मेरे जीभ को भी मुह में लेके चूसती थी।मैंने उनके चुचो को भी अपने पंजो की जखड में ले लिया।उनके निप्पल्स कड़क बन गए थे।
हमारा रसपान खत्म होते ही मैंने चुचो को बारी बारी चूसना चालू किया।उनके निप्पल्स बड़े मादक थे ।उनके निप्पल्स को चूसने में और ही मजा था।थोड़ा नीचे उनकी मुनिया थी जिसकी आज साफ सफाई हुई थी।गीली होने से और ही चमक रही थी।कामोत्तेजना से उनकी चुत की लब्ज थिरक रहे थे ।चूत रस की सुगन्ध बहोत ही अछि थी।मैंने जीभ उनकी गीली चुत में घुसाई वैसे ही उन्होंने मेरा सर अम्मा ने चुत पर दबाया और उनके मुह से सुखद सिसकारी निकल गयी।उनके चुत में जीभ घूम रही थी।उनकी रासीलि चुत का खट्टा मीठा स्वाद बहोत आनंद दे रहा था।
अम्मा:लल्ला चल बहोत हो गया मेरे झड़ने से पहले चुत के होल में तेरा लन्ड घुसा और चोद दे तेरी अम्मा को।जल्दी कर।अभी आग सहन नही होती।
मैंने अपने लण्ड को हिलाया।चुत पे थूक डालके चुत के दाने को सहलाया।और लन्ड छेद पे टीका के अंदर घुसेड़ा और आगे पीछे होने लगा। नीचे झुक कर उनके चुचे चाट रहा था।जब मुझे लगा की लण्ड सही से घुसा और सेट हो गया तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।अम्मा के मुह से सिसकारी निकल रही थी पर उनकी इच्छा चिल्लाने की हो रही थी पर उससे गड़बड़ होगी इसलिए वो खुदको संभाल रही थी।उनकी कशमकश देख मैंने उनके ओंठो को मेरे ओंठो के कब्जे में कर दिया।
चुत के लगने वाले धक्कों से चुत से पच पच की आवाजे आ रही थी मैं बड़े जोर से धक्के लगाए जा रहा था।पक्छ पच्छ की आवाजे भी बढ़ने लगी और अम्मा का शरीर ढीला पड़ गया।
पर मेरा लण्ड अभी भी कामुकता की आग में था।अम्मा ने मेरी परेशानी को समझा और मुझे उपर बुला के लण्ड को मुह में लिया।और मेरी गांड को पकड़ के आगे पीछे करने लगी।इस नए प्रयोग से मैं भी उत्साहित था।मुझे भी मजा आ रहा था।पूरा लण्ड अम्मा के मुह में आगे पीछे हो रहा था।जैसे ही मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हु मैन मुह चुदने का स्पीड बढ़ा दिया।मेरा सारा माल मुह में छोड़ दिया।उन्होंने भी उसे मजे से गटका,फिर पूरा लन्ड को चूस चाट के साफ किया ।मैंने अंडरवेअर पहना और सो गया।
दुसरे दिन पुरा पढाई मे निकाल दिया।अगले दिन एग्जाम का आखरी दिन था।पेपर भी अच्छा निकल गया।शाम को घर आया तो चाचा कही बाहर जा रहे थे।मुझे देख उन्होंने मुझे पास बुलाया।
चाचा:अरे वीरू कैसा गया एग्जाम?
मैं: बहोत बढ़िया।
चाचा:फिर कल तो तू जाएगा यहासे,बस चाचा को भूल न जाना।
मैं:नही चाचा अइसे क्यो बोल रहे हो,जिंदगीभर के लिए जा रहा हु,बीच बीच में आता रहूंगा।
चाचा:चलो ठीक है।अभी मेरा कुछ काम है पड़ोस की गांव में।कल सुबह तक तैयार रहना,हम निकल जाएंगे तुम्हारे नाना के यह पे।ठीक है?
मैं:अच्छा ठीक है,जैसा आप कहे।
चाचा निकल जाने के बाद मैं चाची को पुकारने लगा,क्योकि भूख बहुत लगी थी।पर चाची का कुछ आवाज नही आ रहा था।मैंने अम्मा को भी पुकारा,उनका भी कोई ठिकाना नही था।
मैं किचन में घुस गया तो देखा की मा बेटी की जोड़ी किचन में बैठी है।
मैं:क्या चाची आप दोनो यहां हो फिर भी आवाज नही दे रही हो।
तभी दोनो जो मेरे तरफ पीठ करके खड़ी थी।मेरे सामने मूड गयी।दोनो के आंखों से आँसू निकल रहे थे।
मैं:क्या आप दोनो भी गंगा जमुना बहा रहे हो।क्या हुआ?
तो चाची ने मुझे अपने पास बुलाया और अपने बाहों में भर लिया।उनके आंसू और शरीर की गर्मी मुझे बेचैन कर रही थी।
मैं:अच्छा,कल मैं जा रहा हु इसलिए रो रही हो...क्या आप भी हमेशा के लिए थोड़ी जा रहा हु,जो अइसे रो रही हो।
चाची:तुम्हे बोलने में क्या जाता है,तुम्हारी बचपन से आदत हो गयी है।अभी घर सुना सुना रह जाएगा।
मैं:अरे मेरा छोटा भाई उस सुनसुनाहट को भर देगा।तुम रो मत।
मैंने उनकी आंखे पोंछी।अम्मा को भी शांत कराया।
मैं:क्या बनाया खाने में बहोत भूख लगी है।
मैंने घर में मिठाई लायी थी वो खाई और ऊपर जाके अपना सारा समान लगा दिया।शाम को मा का कॉल आया।उनसे ही बात करते करते समय निकल गया।
शाम को खाना खाने जब नीचे आया तो घर के सारे दरवाजे खिड़कियां बंद थी।हॉल में भी धीमी रोशनी वाला दिया चालू था।किचन में भी कोई नही था।और बेडरूम में पूरा अंधेरा।मुझे बहुत अजीब फील हुआ।किचन में तो वो लोग नही थे।मैं सोचने लगा खाने से पहले ये सो गए क्या!!या बाहर गए है!?!
मैं उत्सुकता में बेडरूम की लाइट ऑन कर दी।अंदर देखा तो अम्मा चाची की चुत चाट रही थी।लाइट ऑन होते ही दोनो सोधी हो गयी।उनके हिसाब से उनको लगा की चाचा न आये हो।पर मुझे खड़ा देख उनके जान में जान आ गई।
मैं भी उनके खेल में शामिल हुआ।चाची की चुत अम्मा चाट रही थी और अम्मा की चुत मैं और मेरा लण्ड चाची के मुह में था।बड़ा ही आनंद था उस चुसमचूस में।
आज चाची को चोद तो नही सकता था पर चुत चूसना और लण्ड को चुसवा सकता था।
हम तीनो झड़ गए थे।चाची ने मेरे लटके लण्ड को फिरसे मुह में लिया और चूसने लगी।सासों की गर्माहट मुझे साफ महसूस हो रही थी मेरे लण्ड पे।जैसे ही मेरा लण्ड खड़ा हुआ।अम्मा घोड़ी बन गयी।और चाची ने मेरा लंड उनके चुत पे लगा दिया।मैं पीछे से धक्का देना शुरू किया।चाची ने मेरे ओंठो पे कब्जा कर लिया।मैंने उनके चुचे मसलना चालू किया।अम्मा की उम्र हो गयी थी तो वो ज्यादा देर टिक नही पाती थी तो वो जल्दी ही झड़ गयी।
पर अभी मेरा लन्ड को शांत करना बाकी था तो चाची ने मेरा लण्ड चूसना चालू किया।मैं भी थोड़ी देर में झड़ गया।
हमने खाना खा लिया।अम्मा ने सारा काम निपटा लिया।तबतक मैं और चाची बेडरूम में थे।चाची मेरे बहो में थी।हम दोनो एक दूसरे को लिपटे हुए थे।
चाची:वीरू तू अभी मुझे छोड़ के जाएगा।
मैं:क्या चाची फिरसे चालू हो गयी तुम।तुमने मा को क्यो भेज दिया फिर।नही तो मैं यही रह जाता।
चाची:अरे वो चाचा ने किया ,मेरा मन नही था।
अम्मा भी मेरे पास आके नंगी होकर बैठ जाती है।
अम्मा मेरे लण्ड को सहलाते हुए:मुझे इसकी बहोत याद आएगी।बहोत मजा दिया इसने मुझे कम दिनों में।
मैंने भी उनकी चुत में उंगली घुसा के बोला: इसको भी तो भूल न पाऊंगा
तभी मेरा लन्ड खड़े होने लगता है।
मैं:देख मेरा लण्ड भी उससे सहमत है।
और इस बात पर हम हस दिए।
चाची ने नीचे जाके मेरे लण्ड के टोपे(सुपडे) को जीभ से चाटना चालू किया।मुझे शरीर में सिहरन सी हो रही थी।अम्मा ने झट से मेरे ओंठ चुम लिए।उन्होंने ओंठो को चूसना चालू किया।चाची पूरा लन्ड चूस रही थी।अब लण्ड भी लोहा बन गया था।
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