RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 2)
अर्ज किया है
"अब हो गयी थी चोदने की आदत मेरे लण्ड को अइसी
की जनाब आआह सुनते तो भी गर्म होने लगते है"
तो अइसी हालत में मुझे दूसरी चुत का बंदोबस्त करना था।सुबह के नजारे से कांता चाची ठीक थी।पर उसकी हमेशा घरवालों को जरूरत रहेगी।नौकरानी जो ठहरी।रात को वो पति का बिस्तर गर्म करेगी।और बाकी घरवालो में किसी भी औरत के बारे में मैं सोचने से भी डर रहा था।
मेरा अभी कमरा अपनी तरह से सेट हो गया था।मैं रूम में बैठ कर बहोत बोर हो गया।जब मैं बाहर निकला तो छोटी मामी मा और सिद्धि भाभी दरवाजे पे खड़े थे(क्योकि रवि भैया टूर पे जा रहे थे।)
मैं वहां से टेरेस पर आ गया।वहां कसरत(GYM)का समान था।पर जहाँतक मालूम मुझे यहां कोई फिट नही था। मैने मन ही मन सोचा फिट होने के लिए लाये रहेंगे और हंस दिया।पर मुझे फिटनेस का बहोत शौक था।NCC के वक्त से मुझे इसकी बहोत चाहत थी।
मैंने टेबल पर बैठे डंबल्स उठाके कसरत चालू की।मुझे टी शर्ट में Uncomfortable सा लगने लगा। मैने टी शर्ट उतार कर अपना काम चालू रखा।तभी पीछे से कुछ लोग आने की आहट हुए।छोटी मामी,दीदी,और भाभी थी।मुझे तीनो घूर के देखने लगी
दीदी:क्या बात है,बड़ी बॉडी शोड़ी बना रहे हो,पहले से ही फिट हो और कितना करोगे वीरू।
उनकी मुह से वीरू सुनके मुझे थोड़ा अपना पन फील हुआ
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(संजना दी: 24 साल की एक ग्रेजुएट लड़की।उम्र के हिसाब से मोटी थी।बड़े घर के लोग फिटनेस पे तभी ध्यान देंगे जब जान पे आए।अभी मोटी है तो सब जगह मोटापन होगा।मोटेपन की वजह से गिने चुने फ्रेंड थे वो भी पढ़ाई के बाद जबसे घर पे है तबसे भाभी ही उसकी फ्रेंड)
भाभी:जाने दे संजू।देवर जी का मन होगा,और फिट होने से कुछ नही होता मेंटेन भी रखना पड़ता है तभी तो कमाल का शरीर मिलता है।एकदम मजबूत,दमदार।
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(सिद्धि भाभी:27 से 28 साल की पतली सी लड़की,बड़े घर की थी।शरीर कसा हुआ नही था पर मुफट थी।चुचो में उभार नही था।ना गांड बड़ी थी।पर बहोत गोरी थी)
भाभी की बात छोटी मामी को चुभी,उसे अच्छा नही लगा की अपनी बहु के पराये मर्द के लिए अइसे विचार है ।उन्होंने सीधे सीधे कहा नही पर फटकारा जरूर मुझे।
छोटी मामी(छो मामी):अरे बेटा कल ही आये हो पहले तौर तरीके सिख लो।अइसे किसी के चीजो को बिना पूछे नही इस्तेमाल करते।समझदार लगते हो।सही कहा न!!?
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(छो मामी: 35 से 40 साल की कसी औरत।मेरे से हाइट काम थी करीब 4'5 पर ग़ुस्सेवाली थी।चुचे भी भरे थे और गांड भी।थोड़ी सावली थी।पर बहोत नक्शेदार शक्ल।वो भी बड़े घर से अति थी।और खास बात की मा से उसकी बनती नही थी।)
मैंने भी ज्यादा बात न बढ़ाते हुए उनसे माफी मांगली उस बात के लिए।
"माफ करना मामी जी,बस बोर हो गया तो सोचा कसरत कर लू,माफ करना"
मैं वह से अपने कमरे में चला गया।
पीछे:
संजू दीदी: क्या चाची आप भी नया है,ज्यादा नही जानता यह की लोग शहर को,थोड़ी देर बैठ जाता तो क्या हो जाता वैसे भी भैया ने कसरत करना छोड़ दिया अभी सामान अइसे ही पड़ा है।"
छो मामी:ठीक है ठीक है,मुझे लगा मैने बोल दिया अभी तुम मुझे मत सिखाओ मुझे क्या करना है।चलो सिद्धि।
छोटी मामी अपनी बहु सिद्धि भाभी को लेके नीचे आई उनके पीछे दीदी भी आ गयी।
पर संजू दी नीचे आते ही मेरे कमरे में आ गयी।
संजू दी: वीरू तू ज्यादा दिल पे मत ले वो है ही अइसी
मैं:नही दी कोई बात नही उनकी भी बात सही थी
संजू थोड़ी मजाकिया खुले विचारों की थी।मेरे हाथ में मोबाइल था।चाचा ने तोफा दिया था,क्योकि मैं अभी शहर में रहने वाला था,नई जगह थी,उसका उपयोग होगा इसलिए।
संजू:क्या कर रहे हो वैसे।गर्लफ्रेंड से बाते हा!!??!!
मैंने नार्मल में जवाब दिया: नही दी अइसे बातों में मुझे ज्यादा रस नही।और गांव में अइसे बाते नही होती।आपके शहर में होता रहेगा।
संजू:तुम्हारा क्या मतलब है।मेरा बॉयफ्रेंड?!? मुझे देख रहे हो? कोई पसंद करेगा अइसे लगता है तुझे।
मैं पोसिटिव में बोला:क्यो नही मोटा होना इतनी भी बड़ी बात नही।कोई न कोई पसंद कर ही लेगा।
संजू को नीचे से मा बुलाती है।
संजू: चलो बुआ बुला रही है मैं तुम्हे बाद में मिलती हु।
और संजू वहां से चली गयी।
मुझे चाची की बहुत याद आ रही थी।तो मैने उनको कॉल किया।
चाची:हेलो कौन?
(मेरा नम्बर सेव नही था)
मैं:पहचान कौन?
चाची:अरे मेरा लला आ गयी चाची की याद तेरे को।
मैं: नही चाची,मुझे मुनिया की याद आ रही थी।
चाची:अच्छा जी अइसी बात है।पर मेरी मुनिया को लुल्ली की याद नही आ रही(चाची हस दी)
मैं:चाची अभी लुल्ली नही,लण्ड हो गया है।
चाची:अरे दैया तुझे किसने बताया की तेरा लुल्ला लण्ड हो गया है।
मैं:वो तुम्हारी किताब से सब सिख लिया हु।पर अभी क्या फायदा कुछ होने वाला है नही।उसे शांत करने वाला कोई है नहीं।
चाची:हा न मेरे लाल मेरा भी वही हाल है।जल्दी से आ जाना।अम्मा को तेरी याद अति है बहोत।
तभी मुझे मा खाने के लिए बुला लेती है।मैं चाची को वैसे बोल दिया।
चाची:अच्छा ठीक है।खयाल रखना।और अइसे ही कॉल करते रहो।
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