RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 4)
दूसरे सुबह मैं कांता की राह देखने लगा क्योकि मुझे मेरे लण्ड को शांत करने वाली वही एक औरत पूरे घर में दिख रही थी।कल रात जो संजू दीदी के साथ मेरी कहानी घटी वो भी मुझे परेशान कर रही थी।की संजू दीदी अयसेही किसी अजनबी के साथ अपने नंगे फ़ोटो शेयर कर देगी।पढ़ी लिखी समझदार है वो।मैंने तय किया की उसे इस बारे में समझाना पड़ेगा।आखिरकार परिवार के मान सन्मान की बात है।
वही सोच रहा था तभी कांता चाची की आहट सुनाई दी।पर वे भौचक्के में तब पड़ा जब मुझे रात वाली कंगन की आवाज आने लगी।मैं पूरा तैयार था।अपने तने लन्ड को थोड़ा बाहर रख कर सोने का नाटक कर रहा था।आज तो ये चुत की चिड़िया मुझे चाहिए थी।
कांता जैसे ही मेरे पास साफ सफाई करने आई।उसने मेरे लन्ड को देख लिया।मैं मन ही मन में खुश हुआ की योजना काम कर गयी,अभी उसका आगे का रिएक्शन मेरे योजना का अगला पड़ाव तय करने वाला था।और मेरी सोच अनुसार और उसने अपनी आदत से मजबूर मेरे लण्ड को गौर से निहारना चालू किया।
उसके चेहरे के नक्से बदल रहे थे।वो घुटनो पे बैठी थी।उसने अचानक से अपना हाथ साड़ी के ऊपर से ही चुत पर दबाया।उसकी हरकते मुझे और उत्तेजित बना रही थी।मेरा लण्ड भी झटके खा रहा था।उसने नीचे से हाथ डाल चुत मसलना चालू किया।
मैने सोचा की यही सही समय है की उसे रंगे हाथ पकड़ू और अपनी योजना पूरी कर लू।पर नियति को वो मंजूर नही था।किसी की आहट सुनाई दी और कांता सीधी होकर अपने काम में लग गयी।मा मेरे कमरे में आ रही थी।उसने मुझे उठाया।मैं बाथरूम में गया।जबतक मैं बाहर आता कांता वहां से जा चुकी थी।मुझे मा पर बहुत गुस्सा आया।
नाश्ता होने के बाद मैं थोड़ा इधर उधर टहला और कमरे में आ गया। मैं चाची की कहानियों की किताब पढ़ रहा था।
मेरे रूम के दरवाजे पर क्नॉक हुआ।
"मैं आ जाऊ अंदर"
मैं:अरे दीदी आ जाओ।
मैंने बोला सही पर मैंने हड़बड़ाहट में किताब तकिए के नीचे डाल दी।पर उसका आधा पार्ट बाहर था।मेरा लण्ड तन गया था।तो मैं जाके फ्रेश होकर आया।बाहर आया तो संजू दी वही किताब पढ़ रही थी।मेरी तो हवाइयां निकल गयी।अभी तो मेरे लग गये।
मैंने दौड़ते हुए उनके हाथ से किताब खींची।
संजू दी:वीरू ये क्या हरकते कर रहा है तू?!?
मुझे घबराहट में नही पता चल रहा था की क्या बोलू?
संजू दी:घर में मालूम पड़ जाएगा तो पिट जाएगा।अइसी हरकत करते हुए शर्म नही आयी।तुम्हे अच्छा लड़का समझ रही थी।कुछ संस्कार नही किये लगता है।
अभी संजू दी अपनी मर्यादा पार कर रही थी।बड़ी है इसलिए लिहाज रख रहा था।पर अभी बात हद से बढ़ गयी तो मुझे रहा न गया।मैंने झट से मोबाइल निकाला और कल के चैटिंग के स्क्रीनशॉट दिखा दिए।
संजू दी के पैर के नीचे की जमीन खिसक गयी।वो बोलते है हकलाने लगी।AC में उसको पसिना आने लगा।वो उठी और वहां से निकल गई।मैंने भी राहत की सांस ली।फिरसे कोई न देख ले इसलिए किताब अछि जगह छुपा ली।
दोपहर खाना खाने के वक्त मैं ही अकेला मर्द था घर में बाकी कंपनी में रहते थे।घर में अभी बाकी औरते थी।वैसे भी मैं सबसे कम ही घुल मिल के रहता था तो दोपहर के खाने के बाद मैं टेरेस पे गया।वहाँ पर से पीछे के बाजू जो गार्डन में घर था उसको देखने लगा।मुझे वहां कांता का पति दिखाई दिया।जो अभी अभी घर जा रहा था।इसके दो मतलब थे ये कांता का घर है और कल मुझे हिलाते देखने वाली कांता ही थी।दूसरा की नाना मामा घर आ गए है।
आज सारे मर्द समय के पहले घर आ गए थे।मैं भी नीचे गया तो देखा की किसी बात की तैयारी चालू थी।बाद में मालूम पड़ा की नाना और छोटे मामा किसी काम से बाहर जा रहे है।सब लोग उनकी तैयारी में लगे थे।मैं भी ओ जाने तक बाहर ही खड़ा रहा।वो जाने के बाद मैं फिरसे ऊपर गया।और कसरत में मन जुटा लिया।
रात को खाना खाने के बाद सारे लोग अपने अपने रूम में चले गए।मैं भी अपने कमरे में था।दिनभर बैठ बैठ के मुझे बोर लगने लगा था।कुछ काम नही किसीसे बातचीत नही।दिनभर वो किताब पढ़के लण्ड भी बेहाल था।
चाची अम्मा की चुदाई का अयसे चस्का था उसको की हर दिन कोई भी औरत देख ले खड़ा हो जाता।अभी तो हवस मेरे अधीन हो चुकी थी।सुबह कुछ हो जाता तो मा ने टांग अड़ाई।
मैंने कांता के घर पर जाने का सोचा क्योकि आज उसका पति भी नही था।मैं नीचे आया गार्डन में घूमने के बहाने कांता के घर को टटोलने लगा।और जैसा मैंने सोचा था उससे बहोत आगे का देखने को मिला।
मेरी खड़ूस छोटी मामी और कांता दोनो मिलके एक लडके के चुदवा रही थी।
मामी उस लड़के के ऊपर बैठ के गांड हिला हिला के चुद रही थी और कांता अपने चुचे उससे चुसवा रही थी।
कांता के चुचे और उसकी कठोर निप्पल बड़े हॉट लग रहे थे।मामी के भी चुचो का आकर बडा था और गोल भी।उनका चुदाई का खेल देख कर मेरे लण्ड में भी अकड़न आने लगी।पर उस समय लण्ड को खुश करना उतना महत्वपूर्ण नही था।वो समय था एक हथियार जमा करने का जिससे खड़ूस की गांड में उंगली कर सकू।वहां गया था आज के लन्ड के बंदोबस्त के लिए पर यहाँ तो खजाना मिला था।मैंने उनके रासलीला के कुछ तस्वीरे और फ़िल्म बना ली।और रूम में वापस आके गैलरी से उनके खेल खत्म होने की राह देखी।
मैं उनकी राह देख रहा था तभी मेरा दरवाजा खुला।मैने पीछे मुड़ के देखा तो संजू दी थी,वो भी नाइटी में।आज दिनभर मैंने और उन्होंने बात करनी तो दूर की बात है नजर भी नही मिलाई थी।
संजू दी अंदर आयी और बेड पे चुप चाप बैठ गयी।मैं थोड़ा चौक सा गया।मैं उनके सामने आके खड़ा हुआ।
मैं:"क्या हुआ दी?कोई तकलीफ?इतनी रात गए यहाँ?
संजू:वो वीरू वो....
तभी मेरे मोबाइल में मेसेज आया।
मैं:अरे दी मेसेज किया था?माफ करना चार्ज नही था तो इंटरनेट बंद किया था।पर मेसेज क्यो किया।सामने से बोल देती।क्या बात है
संजू:मुझे डर लग रहा था और शर्म भी आ रही थी की कैसे तुमसे कहु।
(मैं अइसे बोल रहा था जैसे मैं सब भूल गया हु।)
मैं:कौनसी बात?यार दी साफ साफ बोलो यार ये सस्पेंस वैगरा नही सहा जाता मुझसे,कमजोर दिल का आदमी हु।
संजू:तुझे सच में नही पता?
मैं:क्या बोलो तो।
संजू:जो कल रात हुआ ,जो सुबह दिखाया।
मैं:अरे वो,उसका क्या?
संजू:तू किसको बताएगा नही न?बता देगा तो मा तो मार ही डालेगी और नाना घर से बेघर कर देंगे।
(मैं थोड़ा कठोर बनके)
मैं:देखो दीदी,इस उम्र में ये बाते होती है पर इसका मतलब ये नही की अपनी प्रायवेट बाते दुनिया में फैला दे।कुछ प्रॉब्लम हो तो घर वालों से भी बातचीत हो सकती है जिससे मामला बढ़ न जाए।
संजू:मुझे इसका कुछ मालूम नही था।मेरी एक दोस्त है वो भी करती थी।तब मैंने देखा था।
मैं:आज तक कितने लोगो से बाते की है?
संजू:एक तुम और एक लड़की थी।
(लड़की का नाम सुनके थोड़ी राहत मिली)
मैं:कुछ नाम जानती हो।
संजू:मैंने पूछा नही पर प्रोफाइल पर "Angel Priya"लिखा था।
(अभी मेरा सिर चकरा गया।मैं गांव से था पर कॉलेज में इन एंजेल प्रिया के चक्कर से वाकिफ था।पर सच्चाई बताकर दीदी को परेशानी में नही डालना चाहता था।)
मैं:आपका मोबाइल दो।
बिना किसी नोकझोक उन्होंने अपना मोबाइल दिया।ओ अभी उस बच्चे के जैसी थी जो फेल होने के बाद या किसी बड़ी शरारत के बाद मा बाप के सामने होता है।
मैंने चेक किया तो सच में उन्होंने सिर्फ हम दोनो से ही बात की थी।चैटिंग में पहले उसने फोटो शेयर किये थे।कल जो बाते ये मुझसे कह रही थी करवा रही थी वो सब इस "Angel priya " की सिखाई थी।
फ़ोटो देख अयसे तो नही लगा की ये लड़का है क्योकि काफी फोटो शेयर हुई थी और सब में कुछ फर्क नही था।मतलब वो लड़की है ये 80% कन्फर्म था।20%इसलिए नही क्योंकि मैंने भी फेक अकाउंट ही इस्तेमाल किया था।
मैंने सारे फ़ोटो बड़े ध्यान से देखा तो मुझे कुछ शक से हुआ की मैने कही तो देखा है इनको।
"कुछ तो गड़बड़ है वीरू"
तो मैने मेरे मोबाइल पर खींची फ़ोटो देखी तो मेरा शक यकीन में बदल गया।वो छोटी मामी ही थी।पर वो अइसा क्यो कर रही थी अगर उसे चुदने मिल रहा था तो।मैंने सोचा उस बंदे के बारे में पता करू ।तो संजू को वो लड़के की फोटो दिखाई जो मामी को चोद रहा था।
संजू ने उसको देखा:"अरे ये तो कांता का भाई है।तुझे कहा मिला इसका फ़ोटो।
मैं:उससे तुम्हे क्या मतलब।बस और क्या मालूम है इसके बारे में।
संजू मेरे आवाज की टोन से सहम गयी:कुछ नही कुछ घरदार नही है।पहले इधर ही काम करता था।पर आलसी था तो नाना ने निकाल दिया।अभी बाहर गांव रहता है।जब भी छुट्टी मिलती है 2,3 दिन अपनी बहन के पास आता है।पर तुम्हे फ़ोटो??
मैं:वो गेट से बाहर जाते हुए देखा शक हुआ तो फ़ोटो लेली।(मैंने झूट बोल दिया)
संजू:अरे नही वो आज वापस जाने वाला था।कांता ने मा से पैसे भी ले लिए थे उसके तनखा के उसको देने के लिए।
मैं मन में(अच्छा तो कलसे उन चुड़ासी रंडिया औरतो को मैं ले सकता हु।पर आज का क्या?तभी मेरा ध्यान दी पर गया।)
मैं:कुछ नही ।सब ठीक है फिलहाल पर आगे से किसीसे बात नही करना अइसे।ठीक है?
संजू:हा ठीक है!!पर तूझसे एक बात करनी थी।
मैं:अब क्या हुआ?
संजू:वो कल......!..
मैं:हा भाई कल की बात किसी को नही बोलूंगा।
संजू:अरे नही सुन तो.कल जो तूने तेरा फ़ोटो भेजा उसको मैं देख सकती हु।
मैं:अरे दीदी ये क्या बात कर रहे हो।किसीने देखा तो मसला बढ़ जाएगा।तुम्हे कुछ देखना है तो पोर्न साइट पे देखो।
संजू:अरे यार अभी तक उसपे ही देखा है।असली में नही देखा। तुम भाई हो और भरोसेमंद हो।प्लीज मेरे लिए एकबार।
(मेरे मन में लड्डू फुट रहे थे।मैं काटा डालने से पहले ही मछली तड़पती हुई मछवारे के जाल में आ गयी।मैंने दरवाजा बंद किया।)
और अंडरविअर सहित शोर्ट निकाल दी।
मेरा लण्ड लटक रहा था।मैं दीदी के पास खड़ा हो गया।दीदी पास से उसको घूरने लगी।उनकी गर्म सासों की वजह से मेरे लण्ड ने हरकते चालू कर दी
संजू:क्या मैं इसको छू सकती हु वीरू?
मैं:हा दी आपकी ही अमानत है।पर सच में कभी आपने लण्ड नही देखा।
संजू:सिर्फ पोर्न में।नाना के डर से बॉयफ्रेंड के चक्कर में फसी ही नही।
मैं:फिर कल जो सब मुझसे करवा रही थी ओ?
संजू:वो तो उस प्रिया ने सिखाया था।मुझे कुछ नही मालूम पोर्न में देखा पर अभी तक रियल में न कुछ देखा न किया।
मैं:तो मैं सब सीखा दूंगा।आपको चलेगा न?
संजू:वीरू तू ही तो है अभी मेरा भरोसेमंद कोई है भी नही।बस किसी को बता न देना।
मैं:तुम चिंता मत करो।
(हम बाटे जरूर कर रहे थे पर लण्ड दीदी के हाथ में था और वो सहला भी रही थी।लन्ड पूरा तन के चौड़ा हो गया था।)
मैं:कल तो सिर्फ चैट में चुसाई की आज रियल में करे।
संजू थोड़ी सोच में पड़ी।वो शर्मा भी रही थी।
मैं:देखो दी अइसे नखरे करने है तो कोई जरूरत नही है।और मैं वहां से हटने लगा।उसने मुझे पकड़ा।
संजू:अच्छा अच्छा ठीक है ठीक है।
उसने आंखे बंद कर ली और लण्ड मुह में ले लिया।"आआह"क्या परमसुख था वो।लेमन की गोली चूसते है वैसे चूसने लगी।तो मैन खुद ही आगे पीछे होना शुरू किया।कुछ देर अइसे ही चलता रहा।मैंने उनकी पूरी नाइटी उतरवा दी।और खुद भी नंगा हो गया।अब वो मेरे बेड पे लेटी थी।मैंने उनके ओंठो के पास ओंठ लेके गया।तो उन्होंने मुह फिर दिया।
संजू:नही वीरू किस नही करना।मुझे अजीब लगता है।
तो मैंने उनके पूरे शरीर पर जीभ घूमना चालू किया।उनके चुचो को चूसने लगा।दबाने लगा।निप्पल्स नोचने लगा।
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"आआह उहहह आउच्च"उनके मुह से सिसकी निकल गयी।
मैं पूरे शरीर को चूमते हुए नीचे तक आ गया।जैसे ही मैंने चुत पर जीभ लगाई ।उसने मेरा सिर पकड़ लिया।
संजू:रुको वीरू रुक जाओ,मुझे बहुत अजीब से फील हो रहा है।आआह आआह उम्मम।
मैं:दी पहली बार का नशा है कुछ नही होगा।
मैंने उनकी आगे की बात न सुनते हुए।चुत में जीभ दाल दी और घूमने लगा।चुत के लब्ज मुह में खींच के चूसने लगा।वो जोर से सिसकने लगी।पर आवाज इतनी बड़ी भी नही थी।
संजू:वीरू मेरे चुत में जलन सी हो रही है।कुछ करो प्लीज्।आआह आआह सीईई आआह"
संजू दी वरजिन थी।घर में सन्नाटा नही था पर आवाज बाहर जा सकती थी।और जलती चुत वाली लड़की को अगले समय तक रुककर रखना मूर्खता थी।इसलिए जो वैसलीन था मेरे पास वो लाया और उसकी चुत में और मेरे लन्ड में भी रगड़ा।मन में बहोत घबराहट सी थी।आवाज से कोई आया तो कयामत थी।
मैंने अपने लण्ड को जैसे ही टिकाया उसने मुझे रोका।
मैं बहुत गुस्सा हो गया।क्योकि बहोत हिम्मत जुटा कर ये काम कर रहा था इतनी टेंशन में।
संजू:अरे क्या कर रहा है।कॉन्डोम तो लगा।उतना तुझे भी पता है और मुझे भी।
मैं:कहा है?मेरे पास तो नही है?
संजू ने साइड की नाइटी के जेबसे कॉन्डम निकाला।अभी वो कहा से मिला उसमे मुझे कोई इंटरेस्ट नही था।मैंने उसको मेरे लन्ड पे सेट किया।उसपे वैसलीन रगड़ी और चुत पे लगा के धक्का दिया।
वरजिन चुत थी तो फिसल गया।फिरसे ट्राय किया।दो बार वैसे ही हुआ।इसलिए मैने उंगली डाली और आगे पीछे की।उसकी सिसकारी लण्ड को और बेचैन कर रही थी।मैंने उंगलियोंसे थोड़ा फैला के सुपड़े को अंदर घुसाया।भगवान का नाम लिया।और नीचे झुक कर उसको बिना पूंछे ओंठ से ओंठ मिला लिया।उसके हाथ को दबा के एक जोर का झटका मारा।उसकी सिसकी निकली।पर चींख दब गयी।उसने मेरे ओंठ चबा लिए।नीचे का ओंठ फट गया।पर मैंने धीरे धीरे आगे पीछे होना चालू रखा।
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उसकी आंखों से पानी निकल पड़ा।मैन अपने ओंठ आहिस्ता आहिस्ते निकाला।ओ रो रही थी।मैंने उसके ओंठ चूसना चालू रखा।नीचे से धक्के पे धक्का दे रहा था।नीचे चुचो को कस के मसल रहा था।करीब 20 मिनिट उसके चुत में लण्ड पेल रहा था।अभी ओ भी सेट हो गयी थी।
"आआह वीरू,फक मि,आआह उम्म फक फक फक,आआह उच्च,और जोर से,आआह आआह"
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मैं भी उत्तजित होकर चोदे जा रहा था।अभी"पकच्छ पच्छ की आवाजे आने लगी।मैं अभी उतना तो अनुभवी हो गया था की ये झड़ने वाली है।और उसी टाइम उसने मुझे कस के जखडा और चुत रस छोड़ दिया।मैंने उसको छोड़ा।बाथरूम में जाके।थोड़ी देर लण्ड हिलाया और खुद भी झड़ गया।उसके मुह में झड़ना पहली दफा थोड़ा सही नही लगा।मछली अभी फाँसी है क्यो गवाए।
कॉन्डोम को बाल्कनी के गमले में घुसाया।बाथरूम में खुदको साफ किया।नीचे किचन में गया।ठंडा पानी लाया।फ्रिज पर रखी बाम की बोतल भी ली।संजू दी को अपने बाथ रूम में लेके गया।चुत को साफ किया।उसके पूरे शरीर को साफ किया और फिरसे बैडरूम में आया।उसके चुत के बाजू में बाम लगाया।दोनो बेड पे पास में बैठे थे।
संजू ने मेरे हाथ में हाथ रखते हुए:थैंक यु वीरू।आज बहोत मजा आया।इतनी खुशी कभी नही मिली।
मैंने उसकी तरफ देखते हुए:कोई नही दी मेरा फर्ज था एक भाई और दोस्त के नाते।
संजू मुस्कराई और अचानक से एक लिप किस देके वहां से अपने कमरे में चली गयी।
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ओ थोड़ा लंगड़ा रही थी।पर उसका शरीर भी उतना भारी था तो उतना किसी को मालूम नही पड़ेगा अइसे मैंने खुद के ही मन में सोच लिया।अभी मुझे भी नींद आ रही थी।
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