RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 3)
कांता का अचानक से मायके जाना और उसी दिन इन तीनो रंडियों का बाहर काम के लिए जाना किधर न किफ़हर मेरे दिल को खटक रहा था।कांता ने अइसे कुछ मुझे बताया भी नही था।कुछ तो खिचड़ी पक रही है।अभी इसका पता कांता के पास ही होगा।
सुबह कांता अपने समय पर मेरे कमरे में दाखिल हुई।मैं बाथरूम से नहा कर बाहर आ रहा था।
मैं:अरे कांता आ गयी,कल कहा थी?दिखी नही।
कांता:बाबूजी मायके चली गयी थी कुछ काम था।
मैं:क्या काम आया जो मुझे बिना कुछ बताए जाना पड़ा वो भी एक ही रात में।
कांता:यहाँ से जाने के बाद ही कॉल आया तो चली गयी सुबह।
मुझे अभी साफ साफ मालूम हो रहा था की दाल में काला नही पूरी दाल काली है।नही नही पूरी दाल जल चुकी है।अब डर ये था की इस रंडी ने मेरे बारे में मुह न खोल दिया हो।पर मैंने अपना डर चेहरे पे नही दिखाया।कांता का मायका जिस गांव में था वहां पे नेटवर्क नही है और STD से कॉल करते है लोग।और इतनी रात कोई STD थोड़ी खुला रखेगा।मैंने कांता को बड़ी गौर से निहारा तो उसकी आंखे भिनभिना रही थी।उसकी आंखे ये बया कर रही थी की " मैं झूठ बोल रही हु"।
मेरे अंदर थोड़ा डर से था उसका परिवर्तन गुस्से में हो गया।
मैं उसके पास गया और उसका मुह दबोचा और गुस्से में उसके मुह में थूक दिया।
मैं:ये रंडिया तू मेरे थूक के बराबर है।मेरे से शान पन्ति नही करने का।बोल किधर गांड मरवाने गयी थी।
कांता:बाबू दर्द हो रहा है छोड़ो आआह
मैं:ये सिर्फ ट्रेलर है।अगर तू बिना समय गवाए बकना चालू नही की तो ये दर्द गांड में भी हो सकता है।
कांता:ठीक है बताती हु बताती आआह हु आए।
(मैंने उसको सीधा किया।और वो मुह को सहलाते हुए।दर्द में बोलने लगी)
कांता:मैं दीदी और दोनो मेहसाब मेरे भाई से मिलने गए थे।
मैं:क्यो??!!?!!
कांता:उनको शक हो गया की अचानक से मेरा भाई गायब हुआ तो उनको शक हो गया की जो फ़ोटो है वो उसने खिंचवाए जिससे वो उनको ब्लैकमेल कर सके।
मैं:तो भाई मिला??!!
कांता:नही!!वो कब का शहर छोड़ चुका है।मैंने उनको बताया पर वो मानने को तैयार नही।
मैं:ठीक है,पर फिरसे अइसी बाते छुपाने की कोशिश की तो तुम्हे ही महँगा पड़ेगा।
कांता:माफ करना मैं डर गयी थीकी आप चिल्लाओगे।
मैं:फिर अभी क्या आरती उतारी क्या?उस दिन तुहि बोली की मुझपे भरोसा क्यो नही?इसका जवाब तूने खुद ही दे दिया।तू भूल मत मेरी नजर सब पर है।
कांता का मुह अभी सहम सा गया।उसको अपनी गलती समझ आ गयी।
दोपहर को मैं खाना खाने के बाद सोया हुआ था।तभी कुछ आवाजे आने लगी,बाहर देखा तो नाना और मामा आ गए थे।मुझे नाना ने ऊपर देखा और नीचे बुलाया।
नाना:क्यो वीरू कैसा है?कैसा लग रहा है यहाँ?
मैं:बहोत ही मजा आ रहा है नाना।एकदम बढ़िया।
(नाना ने बड़ी मामी को पुकारा।)
नाना:बड़ी बहु आज रात को काम के सिलसिले में पार्टी रखी है।ज्यादा नही कुछ 5 6 मेहमान आएंगे।पर सारे बहोत महत्वपूर्ण है तो कोई चूक नही होनी चाहिए उनके खातिरदारी में।
बड़ी मामी:जी पिताजी जैसा आप कहे।
(इतना बोल के नाना वह से अपने कमरे में चले गए।छोटी मामा भी मामी के साथ रूम में निकल लिए।बड़े मामा ने फिरसे बड़ी मामी को टोकते हुए बोला)
बड़े मामा:सुना न पिता जी ने क्या कहाँ।कोई गलती नही।पहले ही बता दे रहा हु।करोड़ो का व्यवहार है।
बड़ी मामी सर नीचे कर सिर्फ मुंडी हिलाई।और किचन में चली गयी।
बड़े मामा:क्यो विराज आगे क्या करने वाले हो।कुछ सोचा की नही।
(मैं तो चौक सा गया।जबसे हम मिले है मामा ने पहली बार बात की वो भी हस्ते हुए।मैं तो अंदर से खुश हुआ।)
मै:कुछ ठीक से सोचा नही है बड़े मामा पर पहले ग्रेजुएशन पूरा करने का सोच रहा हु।
बड़े मामा:अच्छी बात है।पढ़ो और आगे बढ़ो आराम में कुछ नही रखा है।
मैन हस्ते हुए हामी भर दी।वो अपने कमरे में निकल लिए।
(मैं मनमें-बात सही है आपकी मामा पर कभी कभी आराम के नाम पर घरवालों को भी समय देना चाहिए।अगर आप अयसेही व्यस्त रहोगे तो मामी रंडियाबाजी ही करेगी।उनकी जितनी गलती है उतनी आपकी भी है।)
मैं वह से ऊपर चढ़ रहा था सीडीओ से तो सामने छोटी मामी खड़ी थी।
छोटी मामी:सबको अपने वश में कर रहे हो।जायदाद हड़पने का इरादा लगता है तेरा।पर ये जान लो ये शिला अभी जिंदा है।
मैं:आपकी जायदाद आपको मुबारक।अइसे चीजो से वीरू कोई मतलब नही रखता।और रही बात आपकी खड़े लोगो को झुकाना और तबियत से ठुकाणा अपनी पुरानी आदत है।बच्चा समझ कर हल्के में न लो।अपना भी तगड़ा है।
(मेरी डबल मिनिग बाते सुनके वो भिचक गयी।वो आगे कुछ बोले बिना चली गयी।)
शाम को पार्टी चालू हो गयी।हॉल के बीचो बीच दारू ,चिकन और अइसे ही चीजो की मेज लगीं थी।औरते एक साइड और मर्द एक बाजू में अपनी बातों में मशगूल थे।
मा भी बड़े मजे से पार्टी एन्जॉय कर रही थी।मुझे देख के मुझे भी नीचे बुलाया।और सबसे पहचान करवाई।मा सबको पहचानती थी।पर मैं उन लोगो में खुदको "Uncomfortable" सा महसूस कर रहा था।तो वहां से बाहर गार्डन में आ गया।वहाँ पे संजू और भाभी बैठी हुई थी।
संजू:अरे वीरू आजा आजा तुभी खेल हमारे साथ।
मैं उनके पास चला गया।देखा तो सामने एक दारु की खाली बोतल थी।
मैं:दीदी आप भी !!?!!
(दोनो मेरे सवाल से एकदूसरे को चौक के देखने लगी फिर मेरी नजर को ताड कर देखा तो उनकी नजर बोतल पर गयी।उनको परिस्थिति का अहसास हुआ और दोनो एकसाथ हस्ते हुए"नही बाबा" बोली।)
भाभी:अरे देवर जी ये खाली बोतल खेलने के लिए लाये है।आप बैठो नीचे।
(हम बंगले से काफी दूर और निचले हिस्से में थे जहा से हम बंगले को देख सकते थे पर बंगले से कोई हमे नही देख सकता था।)
मैं:ये कौनसा खेल है?
संजू:मैं तुम्हे समजाती हु-इसे ट्रुथ और डेयर कहते है।बोतल का मुह वाला साइड आया तो उसे बाकी के लोग ट्रुथ या डेयर पूछते है।अगर उसने ट्रुथ बोला तो उसे सच बोलना होता है और डेयर बोला तो जो हम बोलेंगे वो करना होता है।पर हमारा अलग है यहां तुम्हे दोनो करना पड़ेगा।
मैं:बड़ा मजेदार खेल है।चलो खेलते है।
बोतल घूमी।भाभी के पास आया।
मैंने सवाल किया: सच बताओ मेरे साथ चुदने के लिए तुम्हे इच्छा हुई थी या कोई और कारण है?
भाभी ने संजू के पास देखा।संजू बताने से मना कर रही थी।
मैं:भाभी रूल रूल है झूट नही बोलना।
सिद्धि भाभी:सॉरी संजू!!!वो क्या है देवर जी।उस दिन मैं संजू के साथ यही गेम खेल रही थी।तो संजू ने आपसे चुदने का डेयर दिया था।इसलिए
मैं:अच्छा अइसी बात है।मतलब ये रोज का खेल है तो।
(दोनो एकदूसरे को देख हसने लगे)
संजू:अभी मेरी बारी।भाभी तैयार हो डेयर के लिए।
सिद्धि भाभी:जी मैडम जी।बोलो।
संजू:मेरी गांड चाटनी है आपको।
सिद्धि भाभी:ठीक है
संजू अपना पैजामा पेंटी के साथ नीचे खिसक कर घोड़ी की तरह तैयार होकर गांड भाभी की तरह मोड़ देती है। भाभी उसकी चूतड़ को फैला कर अपनी जीभ घुसा दी।उनके गांड चाटने के बाद संजू ने अपना पूरा पैजामा उतार दिया।
अगला टर्न मेरे पास आया।
संजू:वीरू पहिली चुदाई किसके साथ की तूने?
मैं थोडक़ झिझक से गया ।पर पूरी हिम्मत जुटा के बोला:चाची के साथ।
सिद्धि भाभी:कौन??
मैं:मेरे बड़े चाचा की बीवी,जिसके साथ मैं रहता था।
संजू:क्या सच में?
सिद्धि भाभी:ये तो बहोत कमाल की बात सुनी आज हमने।
मैं:उसमे कमाल क्या,तुम औरत हो वैसे वो भी है ।उनकी भी जरूरत हो सकती है चुदाई।
दोनो ने"हम्म"किया।
सिद्धि भाभी:अभी तुम मेरी गांड को चाटो।
सिद्धि भाभी मेरे सामने नीचे से साड़ी उठा के घोड़ी बन गयी।उनका काले गहरे रंग का गांड का छेद बडा सुहाना लग रहा था।मैंने उनके गांड के छेद पर जीभ लगाई तो ओ सिहर गयी।मैं जीभ से गांड को चाटने लगा।वो भी आगे पीछे होकर मजे ले रही थी।
नेक्स्ट टाइम फिरसे मेरे पास आया।
संजू:इस घरमे तेरा लण्ड लेने वाली पहिली मैं हु न?
मैं:नही।
दोनो चौक गए।
दोनो एक ही स्वर में "फिर कौन?"
मैं:कांता चाची!!!
सिद्धि भाभी:ये कांता तो बहोत शातिर निकली।पहले ही हाथ साफ कर गयी।चल संजू अभी तेरा नेकलेस मेरा।
संजू:हा हा ठीक है दे दूंगी।
मैं:रुको रुको ये मसला क्या है मुझे बताओ तो सही।
सिद्धि भाभी:मैं बता देती हु।संजू ने मुझसे शर्त लगाई थी की तू पहली बार जिसको चोदा वो खुशकिस्मत संजू है।और मैं बोली जिस तरह देवर जी चोदते है वैसे तो वो पक्के खिलाड़ी लगते है।उन्होंने किसी न किसी को तो हमसे पहले मजे दिए ही होंगे।
मैं हसने लगा:अच्छा अइसी बात है।ठीक है ठीक है।
संजू:अगर कांता इस खेल में शामिल है तो मेरी भी एक इच्छा है।
मैं और भाभी संजू को आश्चर्य से देखने लगे।
मैं:अभी क्या बाकी रह गया।
संजू:हमने सिंगल और थ्रीसम कर लिया।मुझे अभी फोरसम करना है।
सिद्धि भाभी:संजू अभी पोर्न देखना कम कर,सेहत के लिए ठीक नही।
"और इसकी दिमाग के लिए भी"मैंने भी बीच में टोंट दे डाला।
भाभी इस बात पे हसने लगी।संजू तिलमिला गयी।
संजू:तुम लोग चुप रहो कुछ नही होता।तू सिर्फ बता तू करेगा या नही।
मैं:मैं तुम्हे बता दूंगा ।
तभी भाभी को मेरी मा बुला लेती है।हम भी उनके साथ ही चले जाते है।
महमान आज हमारे ही घर रहने वाले थे।मर्दो की रातभर मीटिंग होने वाली थी।उनकी पत्निया रूम में सोने गयी थी।उनके छोटे बच्चो को रवि भैया और सिद्धि भाभी के रूम में सुलाया।सिद्धि भाभी और संजू संजू के कमरे में।छोटी मामी और मा के कमरे में दो लोग।अभी बचे थे मैं बड़ी मामी और दो और औरते उनको बड़े मामी के कमरे में सुलाया।
मैं अभी भी बाहर ही टहल रहा था।मीटिंग टेरेस पे थी।सभी मामा नाना वगेरा उधर ही थे।मुझे नाना ने नीचे टहलते देखा तो सोने को कहा।
मैं अंदर गया तो रास्ते में कान्ता मिल गयी।
कांता:क्यो बाबू जी आज तो मजे है।
मैं:किस बात के?
कांता:आज आपके कमरे में कोई और भी सोएगा।
मैं:कौन?तुम?क्यो पति ने घर से निकाल दिया क्या।
कांता:अरे नही,बड़ी मेमसाब
मुझे 40 वोल्टेज का झटका लगा:क्या?क्यो पर?
कांता:अरे वो महमान आये है उनको औऱ उनके बच्चो के लिए सब कमरे भर गए।लास्ट में जो औरते बची थी दोनो को बड़ी मेमसाब का कमरा पसंद आया।तो वो उधर सो गयी।अभी सिर्फ तुम्हारा और नाना जी का कमरा है।अभी किसी की हिम्मत नही की नाना जी के कमरे में जाए।तो वो तुम्हारे कमरे में सोएगी।मजे करना
मैं:कैसे मजे!!मुझसे न हों पायेगा उनके साथ चुदाई करना।तू बोली सही है पर अगर वो गुस्सा हो गयी और चिल्ला दी तो।
कांता:अरे कुछ नही होगा।बस AC को 16 पर रख देना।बड़े साब और मेमसाब को 20 के नीचे की ठंड नही जमती।
मैं:मैं कोशिश करता हु।पर डर तो लग रहा है बहुत।
मुझे बड़ी मामी पुकारती है।
कांता:जाओ जाओ कुछ नही होगा,जाओ
और वो वहा से निकल गयी अपने घर।
मैं अपने कमरे में चला गया।उधर बड़ी मामी अपना बिस्तर सेट कर रही थी।
ब ममी:देख विराज आज घर में ज्यादा महमान है तो मैं तुम्हारे साथ सोऊंगी।
"मैं तेरे साथ सोऊंगी "ये मेरे मन को छू गया।मैं उनको देखते ही रह गया।
वो समझ गयी की ओ क्या बोल गयी है।पर उन्होंने बिना किसी रिएक्शन के फिरसे पूछा:तुम्हे कोई एतराज?!?!
मैं:नही मामी कोई बात नही एक ही रात की बात है।
मैं बाथ रूम गया।बाहर आया।तो मामी चद्दर बेड पर सो गयी थी।मैं बाहर के उलझन में पड़ गया।क्योकि मुझे ज्यादा कपड़ो में सोने की आदत नही थी।
मुझे उलझन में देख बड़ी मामी बोली:क्या हुआ कुछ परेशानी है क्या।
मैं:वो मामी मुझे इतने कपड़ो में सोने की आदत नही है।
मामी मुस्कराते हुए:अरे फिर निकाल दे,मुझे कोई आपत्ति नही है,जैसे तू रोज सोता है सो सकता है।
मैन शोर्ट और त शर्ट निकाला।और मामी के साइड में सो गया।रात गए आदत से मेरा लण्ड तन गया।और मामी मेरे से पीठ करके सोई थी।मेरा बेड इतना बड़ा नही था।पीठ के बल सोया था पर लन्ड तन जाने की वजह से मुझे बहुत अजीब से लगने लगा।मैं मामी के पीठ को पीठ लगाए सोया पर नींद में मेरा बैलेंस गिरने लगा।अभी तो मेरी नींद ही उड़ गयी।
"लण्ड खड़ा था,मसला बहोत बड़ा था,
अभी क्या करू,वीरू उसी उलझन पे पड़ा था।"
मैं हिम्मत जुटा के उनके साइड मुह करके सोया।और मेरे विचार अनुरूप मेरा लण्ड उनके गांड को छूने लगा।मैं अपने लण्ड को बहोत जोर लगा के साइड में सेट करने लगा।पर वो फिरसे खड़ा हो रहा था।तभी मामी हिली।16 के टेम्परेचर में मामी तो सो गयी पर अभी मुझे पसीने छूटने लगे।आखिरकार कैसे वैसे मेरा लण्ड थोड़ा साइड हुआ।
मैं डर की वजह से थोड़ा थक गया था।
जैसे ही मेरी नींद लगने वाली थी ,मुझे मामी के हाथ का स्पर्श हुआ।ओ मेरे सेट किये हुए खड़े लंड को फिरसे अपनी गांड की छेद में डाल रही थी।और गांड हिला रही थी।मेरा लण्ड उससे और गर्म हो रहा था।वो जोर जोर से घिस रही थी।मैं सोचा अभी खुद ही चाहती है तो मुझे डर कैसा।
मैंने पैर से उनका पल्लू ऊपर खींचा।अंदर पेंटी नही थी।मैं तो चौक ही गया।मतलब 16 का टेम्प्रेचर वगेरा ,मामी का यहां सोने आना सब प्लान था,और जहाँतक मुझे लगा इसमे कान्ता का हाथ है।क्योकि 16 की ठंड से चुत हो या लण्ड गर्म हो जाते है रोमांच से और दूसरी शक करने की बात ये की कान्ता के हिसाब से मामी अभी तक ठंड से कंप नही रही थी।
पर मुझे उससे क्या।बोला जाए तो ये प्लान मेरा और मामी को मिलन कराने हेतु था।तो मैंने भी बिना देर गवाए ।मामी का पल्लू कमर तक ऊपर खींचा हलाकी मामी ने भी उसके लिए साथ दिया।
मैंने उनके चुत में उंगली डाली और अंदर बाहर किया जिससे मुझे छेद का अंदाजा हुआ।मामी की मुह से "आआह आआह"निकल रहा था।मैंने थोड़ा टेढ़ा होकर लण्ड चुत में घिसाने की कोशिश की पर मुझे कम जगह की वजह से बेलेंस नही हो रहा था।तो मामी थोड़ा टेढ़ी हो गयी।
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अभी लंड तो चुत पर सेट हो गया।मैंने आहिस्ता आहिस्ता धक्के देना चालू किया।
"आआह उम्म आआह आआह उमामा"
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मैंने उनके ब्लाउज को निकाला और चुचो को मसलने लगा।उनके निप्पल्स खींचने लगा।
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"आआह वीरू धीमे से आआह दर्द हो रहा हैआआह"
मैने चुत में लंड के धक्कों का स्पीड बढा दिया।
"आआह वीरू धीरे आआह आआह उम्म आआह सीईई आठ उम्म वीरू आराम से आआह"
उनकी चिल्लाहट से लग रहा है की ये खानदानी रंडी नही है।बस आग बुझती है।
मैं उनको बड़े मजे से चोद रहा था।मुझे लगा की मेरा झड़ने वाला है मैंने लण्ड बाहर निकाला और बेड पे ही झड़ गया।मेरा लण्ड बाहर निकलते ही मामी मेरी तरफ घूमी औऱ मुझे अपनी बाहों में कस ली।मेरा लण्ड उनकी चुत को घिस रहा था।मैं उनके ऊपर चढ़ गया।और उनके ओंठो को के पास ओंठ लेके गया।उन्होंने मुह हटा दिया।
बड़ी मामी:वीरू नही मुझे अजीब सा लग रहा है।मत करो।
पर मैं सुनने वाला कहा था।मुझे तो औरतो के ओंठो को चूसना उतना ही पसंद था जितना उनकी चुत।
मैने उनका मुह अपनी तरफ किया।उनके लब्ज कांप रहे थे।उनकी गर्म सांसे मुझे और गर्म कर रही थी।मैंने उनके लब्जो को चूमा।फिर उसपे जीभ घूमाने लगा।क्या स्वाद था।उनके चुचे भी मेरे हाथ में थे।ज्यादा बड़े नही थे पर बहोत मस्त थे।मैंने अभी उनके ओंठो को अपने ओंठो के कब्जे में किया और चुसने लगा।उन्होंने भी मुझे साथ देते हुए।कस के पकड़ा।मैने उनकी जीभ अपने मुह में लेके चुसनी चालू की।
फिर नीचे सरका उनके चुचो को चाटने लगा।उनके निप्पल्स पे जीभ घूम रही थी।निप्पल्स को बीच में ओंठो से खींच के चुसने में बहोत मजा आ रहा था।जब एक चूचा मुह में चूस रहा था।तो दूसरा चुचे को मसल रहा था।मामी आंनद से सिसक रही थी।
मैं और नीचे सरका तो गर्मी और बढ़ गयी ।उनकी गीली चुत आग झोंक रही थी।मैंने उनके चुत के लब्जो को सरकाया और उंगली से चुत को चोदने लगा।
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वो"उम्म अहह आआह सीईई वीरू जरा संभल के आआह आआह"
मैंने चुत के बाहर से जीभ घूमाना चालू किया।जैसे ही चुत फैल गयी मैंने जीभ चुत के छेद में डाल दिया और घूमने लगा।मामी पूरी गर्मा गयी थी।वो गांड हिला रही थी।उनके शरीर में पूरी खुजली सी उठी हो वैसे तिलमिलरहि थी।मैंने उनके चुत के लब्जो को चुसने लगा।उनका वो खट्टा मीठा स्वाद मुझे बहोत पसन्द आ रहा था।
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अभी मेरा लण्ड पूरा तन गया था।मैंने लण्ड को सेट किया चुत के छेद पर और अंदर धक्का लगा दिया।
"आआह हाय दैया मर गयी भगवान उफ आआह उम्म अम्मा ओ फक आआह उम्म"
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मैं थोड़ी देर रुका।उनकी चिल्लाहट थोड़ी ज्यादा हो रही थी तो मैंने उनके ओंठो को अपने ओंठो दे लॉक किया।उन्होंने कशमकश में मुझे बहोत कस के जखड लिया।
अभी मैंने पूरे जोरो शोरो से धक्के जड़ना चालू किया।ओ बस मेरे ओंठ चूसे जा रही थी।बीच बीच में उनकी सिकरिया छोड़ रही थी।
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"आआह और अंदर आ फक मि उम्म आआह वीरू और चोद जो ओओओ ररररर आया सीआह आआह"
मामी अभी झड़ गयी थी।पर मैं उनको चोदता रहा।ओ वैसे ही मुझे कस के पकड़े धक्के खाती रही।जब मैं झड़ने आया तो मैंने उनको छोड़ने बोला।
ब मामी:नही मेरे अंदर ही छोड़ दे मुझे बहुत अच्छा लगता है कोई लण्ड का रस छोड़ दे मेरे चुत में तो।
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मैंने पूरा रस अंदर झड दिया।और साइड हो गया।मामी मेरे से लपक के सो गयी।
ब मामी: वीरू कहा था इतने दिन,तेरे लण्ड ने बहोत सुख दिया मुझे,मन करता है दिन रात चुत में तेरे लण्ड से कुटाई करती रही।
मैं उनके चुचे सहलाते हुए:अभी आ गया हु न अभी जब चाहो आके चुदवा लेना।
मामी ने मेरे ओंठ पे चुम्मी देदी।
मैं:बहोत स्वादिष्ट है।और एक मिलेगा।
ब मामी मुस्करा के फिरसे एक ओंठ पे चुम्मा देदी।पर इस बार ओ वैसे हो ओंठ चिपकाए रखी।
बड़ी मामी:और चाहिए।
मैं:हा ,पर मेरे लण्ड पे।
बड़ी मामी:अच्छा जी ठीक है।
बड़ी मामी ने पूरा कपड़ा निकाला।और मेरे लण्ड के पास गयी।मेरे लण्ड को चद्दर से पोंछा और मुह में लेके चुसने लगी।
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लण्ड भी उनके मुह के चुसाई से खुश होकर सलामी देते हुए तन गया।मामी खड़े लण्ड को चूमने लगी।
ब मामी:और कहा चूमना है।
मैं:अभी चूमना बस हो गया उसे शांत कराओ।मैं चुम्मे से खुश हो जाऊंगा पर उसे चुत चाहिए।
मामी हस दी और ऊपर चढ़ के लण्ड पे फट से बैठ गयी।पर झट से बैठने से लण्ड सनक से अंदर घिस गया
"आहुच आआह अम्मा आआह सीईई"उसकी सिस्की निकली।
लंड को अपने अंदर घुमा रही थी। ओ ऊपर नीचे हो रही थी।
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मैं:क्यो मामी मजा आ रहा है।
ब मामी: बहोत आआह मजा आ रहा है।उम्म आआह"
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आआह और अंदर आ फक मि उम्म आआह वीरू और चोद जो ओओओ ररररर आया सीआह आआह"
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मैन उनके सर को नीचे कर के एक ओंठ पर चुम्मी लेली।और नीचे से जोर जोर से गांड उठा के उनको चोदने लगा।
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अभी ओ रोमांचित हुई।धक्के की वजह से बैलेंस न बिगड़े इसलिए मुझे कस के बाहों में जखड लिया।हम दोनो का काम रस एकसाथ बह गया।
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मामी बाजू होकर सो गयी।मैं उनको चिपक कर आंखे बन्द कर लिया।अभी दोनो थक चुके थे तो नींद भी फट से आ गयी।
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