RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 6)
मा ने बोला वो सच हो सकता है उसके हिसाब से क्योकि ये बात भी नही मान सकते थे की उसने बोला वो पूरा सच हो प्यादे को या तो सीधा चलना आता है और कोई आगे आये तो टेढ़ा।बहोत दिन से मा भी मेरे आड़े आते ही या तो बचने की कोशिश में थी या मुझे मारने की।उसको मालूम हो या न हो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष वो वजीर और रानी को सुरक्षा दे रही थी।उनके हवस का पूरी तरह फायदा उठाया गया था।मेरे हिसाब से यही बात होगी इसलिए छोटी मामी ने मा और बड़ी मामी को हवस की खेल में फसाया।हवस ये अइसा रोग है जिसके ज्यादा प्रभाव से उस व्यक्ति से कुछ भी कराया जा सकता है।और जायदाद,पैसा तो था ही उसमे तेल डालने के लिए।पर मा पर भरोसा नही कर सकते उसको मुझे भी प्यादे की तरह इस्तेमाल करना होगा।कान्ता गयी बड़ी मामी गयी,मा भी गयी अभी दिमाग लगाना होगा की उनका अगला प्यादा कोन हो सकता है।यहाँ किसिपे भरोसा नही रे बाबा।
आज ऑफिस में कॉन्फ्रेंस मीट थी।जो बात गेस्ट हाउस में हुई उसको दोहरा कर कानूनी तरीकेसे मै जायदाद का हकदार और वारिस बन चुका था।वैसे ही ऑफिस की रोजाना मीट भी हुई थी जिसमें सिर्फ मै बड़े मामा नाना जी और एकाउंट स्टाफ था।अभी तक का खर्च,कर्जा सब पर विचार विमश हुआ।स्टाफ ने जो कम्पनी से कर्जा लिया और मैनेजिंग स्टाफ ने कितना खर्चा किया उसकी लिस्ट मैंने लेली।टॉप लिस्ट मे छोटे मामा और शिवकरण था।मुझे मालूम था की दोनो को क्यो बिमारी है पैसे खर्च करणे की।छोटे मामा अय्याशी थे ।तो शिवकरण जुगारी नशेबाज,नाना के काफी इमानदार ड्रायव्हर का बेटा था इसलीये असे नौकरी मिली और अब तक टिकी भी।पर अभि नाना नाही थे।और उसको इतना पैसा कर्जा देना कम्पनी को नही जमने वाला था।
मै शिवकरण से मिलने जा रहा था तभी मक्खन फेक्ट्री में दौड़े जा रहा था।
मै:अरे मक्खन किधर दौड़े जा रहा है।इधर आ।
मक्खन:वो साब जी वो उधर जा रहा था वो...!!!!
मै:वो वो क्या कर रहा है,जब तक झापड़ नही खायेगा तब तक कुछ बकेगा नही न?
मक्खन:वो साब मीना को बुलाने जा रहा था।
मै:क्यो?
मक्खन:वो साब विवेक सर ने बुलाने को बोला।
मै:क्यो और कहा?
मक्खन ने गेस्ट रूम कि तरफ आंखे घुमाके इशारा किया।
मै सोचा ये सही वक्त है मामा को रंगे हाथ पकड़ने का।
मैं:ठीक है,पर मुझे उस रूम की दूसरी चाभी चाहिए।
मक्खन मेरी तरफ देखने लगा,हा में सर हिलाक़े चला गया।फिरसे ऊपर जाते वक्त उसने एक चाबी मेरे हाथो थाम दी।
वो गेस्ट रूम कि ओर गया और मै सिक्युरिटी।
मीना रूम में चली जाती है और दरवाजा बन्द करके मक्खन वही बाहर खड़ा रहता है।मैं सिक्युरिटी रूम में उनपे नजर रख रहा था।
रूम में चाचा लुंगी में दारू के पेग बना के खुर्ची पर बैठ कर ठूस रहा था।मीना उसकि बहोत पुरानी रंडिया थी उसको मालूम था की उसको क्या करना है।
मीना वहा पर जाके पूरी नंगी हो जाती है।चाचा के पास जाके लुंगी साइड कर के चाचा का लन्ड लेके हिलाने लगी।मुह में लेके चुसने लगी।थोड़ी देर बाद मामा लड़खड़ाते उठा।मीना को बेड पे फेंका।खुद भी पुरा नंगा हुआ और उसपे चढ़ गया।
बस यही चाहिये था,मुझे चाहिए उतना काम और सिन बन गया था।मैंने वीडियो रिकॉर्डिंग को मेरे मोबाइल में सेव किया और उस गेस्ट रूम की ओर निकला।मक्खन खड़ा था तो ढूंढने में ज्यादा समय नही लगा।
मैंने दरवाजा खोला और अंदर चला गया।अचानक हुए मेरी इंट्री से मामा और मीना बोखल्ला गए।मीना चद्दर से खुद को ढंक दी।मामा ने भी लुंगी पहन ली।
छो मामा:ये क्या बत्तमीजी है वीरू
मै:क्या बत्तमीजी,आपको अय्याशी बोलना था क्या।
छो मामा:उस बात से तुम्हे क्या मतलब,भूलो मत मै भी इस कम्पनी जायदाद का हिस्सेदार हु।मै जो चाहु वो कर सकता हु।तुम होते कोन हो टाँग अड़ानेवाले।
मै:मै कोन एक नादान सेवक कम्पनी का,मैनेजिंग डायरेक्टर(बड़े मामा) ने कुछ काम दिया उसका पालन कर रहा हु।
छो मामा:तो ठीक है ना करो जाओ।मेरे काम में टांग मत अडाओ।
मैं:ठीक है मेरे पास जो वीडियो है वो मैनेजमेंट को दिखाता हु और बोलता हु आजतक जो 60 लाख रुपया कस्टमर के खर्चे के नाम पर लिए जाते है उसकी असली कहानी।ठीक है आप अपना काम चालू रखो।
छोटा मामा थोड़ा परेशान हो जाता है।मै बाहर जाने ही वाला था उससे पहले ही ओ मुझे रोकता है।
छो मामा:वीरू रूक,बोल क्या चाहता है तू?बात बढ़ाने से कोई मतलब नही है।मामला सेटलमेंट से निपटा देते है।
मै:मै जो मांगूंगा वो आप दे नही पाएंगे,छोड़ो जाने दो।
छो मामा:देख ज्यादा बात मत घूम,मुझे मालूम था तुझे कुछ चाहिये इसलिए तू पहलेसे सबूत जमा कर रहा है,बोल क्या चाहिए।
मैं:इसलिए मुझे मारने के लिए मा के सहारे शिवा को भेज सही न।
छोटे मामा चौक गए:क्या क्या क्या बक रहे हो।
मै:वही जो सच्चाई है।और ये बहोत भारी पड़ेगा तुम लोगो पे।
छोटे मामा:देख तू ज्यादा बकबक मत कर तुझे क्या चाहिए वो बोल मुझे समय नही तुम्हारी बकबक सुनने के लिए।
मै:चलो आप रेडी है तो इस पेपर पे साइन कर दो।बिना पढ़े।क्योकि वैसे भी आपको वो बात माननी ही होगी।नही तो एक बटन दबाया वीडियो बड़े मामा के पास।फिर मैनेजमेंट से बर्खास्त और कम्पनी से भी निकाला मिल सकता है और अभी 60 लाख बाहर आये है आगे जाके और कुछ जांच हुई तो।
छोटे मामा:पर क्या लिखा है उसमे?
मै:कुछ नही बस आपके नाम पे गेस्ट हाउस की जो जमीन है वो मुझे चाहिए।
छोटे मामा को उस बात पे भरोसा भी हो गया और उसने फटाफट दस्तखत भी कर दिए।जैसे ही मेरे हाथ में उसने कागज थमाए ,मै उसको देख हसने लगा।
मै:आप सच में इतना बढ़े गधे हो मालूम नहीं,आज मुझे भरोसा हुआ की मामी के हाथ के कठपुतली हो,अगर वो न होती तो रास्ते पे पड़े होते।पर अभी जो तूने किया ओ भी आपको रास्ते पे ला सकता है।
छोटे मामा:अब ये क्या नया नाटक है।तुम्हे चाहिए वो तो दिया अभी तुम अपने बात से मुकर रहे हो।
मैं:मैं कोई हरिश्चंद्र नही हु,सालो मेरी जान लेने चले थे न अभी वही जान मेरे हाथ में है।
छोटे मामा:तुम जोभी है साफ साफ बोलो।
मै:आपने जिसमे दस्तखत किये उसमे आपके शेयर और सारी संपति पूरे होश में मुझे सौंप रहे हो अइसे लिखा है।
छोटे मामा की आधी नशा उतर गयी।मामी के कहने पर हाथ पैर हिलाने वाला,खुद हाथ पैर हिलाए तो डूबेगा ही न।
छोटे मामा:वीरू तुझे ये भारी पड़ेगा।चुपचाप वो कागज मुझे दो।
मै:आप कुछ नही कर सकते ,आफिस के सारे चेले मेरे अंडर काम करते है,तो अभी मुह बन्द,तुम्हारे सारे दाव मालूम हो गए मुझे।
तभी छोटे मामा को बड़े मामा का कॉल आता है,वो तैयार होकर निकल जाता है।उसके चेहरे पर परेशानी साफ थी।जिस बात के लिए इतने साल कांड किये वो सिर्फ ये झटके में हाथ से निकल गए।
मैं वहाँ बैठ कर उस बात पे ठहाके लगा के हस रहा था ।कैसा मामा है मेरा ,मुझे लगा यार बहोत खिचमीच होगी पर ये तो भड़वा निकला।सच बोलते है हवस पैसे को भी हावी है।डर डर में सब गवा बैठा साला मेरा भडवा मामा।
मीना अभी भी बेड पे थी।
मै:क्यो मैडम,आपको मैंने चेतावनी दी थी,आज से आपका बॉस मै हु,फिर भी अपनी चुत की खुजली मिटाने आ गयी।
मीना:वो साब विवेक सर ने बोला तो।
मै:अच्छा तो उसने बोला तो तू करेगी,मेरी बात नही मानेगी।तो ठीक है कल से काम पे नही आना।बहोत हो गया तेरा।
मीना(नंगी ही उठके मेरे पास आई):अइसा मत करो साब,अकेली कमाने वाली हु।बाल बच्चे है,पति बेड को चिपका है।सब रास्ते पे आ जायेगे अगर मेरी नौकरी गयी तो।
मै:तो क्या मेरा ऑफिस रंडिया खाना बनाएगी।और ऊपर से अपनी ही मनमानी।
मीना:साब कम पढ़ी हु,इसकेलिए चुत मारनी पड़ती है।बाकी अबसे जो आप बोलोगे।
बाहर मक्खन उसकी गांड निहार के अपना लन्ड सहला रहा था।
मै:ठीक है,इस मक्खन के लन्ड से चुद जा अभी।
मीना:क्या? पर!!!
मै:अभी पर वर नही उसके 1000 अलग से।
मीना बेड पे जाके चुपचाप लेट गयी।
मै:क्यो मक्खन चाचा तैयार हो न।
मक्खन(शर्माते):जी साब मेहरबानी आपकी,आपका हुकुम सर आँखोपर।
मक्खन ने अपनी पेंट निकाल दी।मीना अपनी टांगे फैला ली।मक्खन भूखे की तरह उसपे टूट गया।उसको चूमने लगा।पर मीना उसको साथ नही दे रही थी।हलाखी देंगी भी नही क्योकि मक्खन उम्रदराज था।और उसमे ओ तगड़ा दम नही था।पर नोकरी बचने के लिए मीना तैयार हो गयी।
मक्खन ने अपने लण्ड को मीना के चुत पे लगाया।और धक्के देना चालू किया।
मीना:आआह आआह उम्मुफ आआह
मक्खन ने 10 15 झटकों में ही अपना लण्ड झडा दिया।
मै:जाओ अभी आफिस के काम करो,कुछ होगा तो बुला लूंगा।
मीना वैसे ही पड़ी थी।(आपको लगेगा ये बलात्कार जैसा लग रहा है।पर वैसा है नही,वैसे तो वो रंडी बन गयी थी,उसके पैसे भी मिलने वाले थे और उसकी मर्जी थी।मजबूरी भी थी ओ अलग बात है।)
मीना उठी मेरे पास आयी:साब 1000 रुपया??!!
मै:अरे जल्दी क्या है।बैठ इधर।
मीना नीचे बैठी।
मै:अरे नीचे नही मेरे लण्ड पे(मैने पेंट की झिप खोलके लण्ड को आझाद किया।)
मीना उसपे चुत लगाके बैठ गयी।और आहिस्ता ऊपर नीचे होने लगी।
मै:कितना पगार मिलता है तुझे।
मीना:6000 साब।
मै : कल से 7000 मिल जाएगा,पर आजसे मेरे कहे बिना मुह नही मारना।बच्चो को सिख अच्छे से।और पति को अच्छे हॉस्पिटल में दाखिला करवा पैसे का मै देखता हु।
मीना खुश हो गयी:शुक्रिया साब,आप सच में अच्छे हो।आप जो मांगोगे कहोगे सब करने के लिए तैयार हु।
मै:तुम भावनाओ में मत बहो,मै अच्छा वैगरा कुछ नही,कैसा भी हो तुझे इस हालत में लाने वाले मेरे मामा है या फिर मैई हु तो उतनी जिम्मेदारी बनती है।
मीना:ये आपका बड़प्पन है साब पर मै सच बोल रही हु जो आप कहोगे वो मै आपके लिए करने को तैयार हु।
मैं:ठीक है कल घर पे ही रहना तेरे पति से मिलने आ जाऊँगा।चलो अभी मेरा झड़ने वाला है।
मीना:रुको साब अंदर ही झड़ने दो।कोई बात नही।
आखिर कर मेरे लण्ड ने मीना की चुत भर दी।मै बाथरूम जाके पेंट साफ कर ली।दोनो तैयार हुए।मीना अपने डेस्क पर चली गयी।मै सिक्युरिटी रूम में जाकर मेरी वाली वीडियो इरेज कर दी।आपके भाई को उतना ज्ञान तो है।
अभी बात शिवकरण की थी।मै पार्किंग में गया।वो वहाँ पर गाड़ी के पास खड़ा था।
शिवकरण:जी साब कहि जाना है।
मै:हा चलो जाना भी है और कुछ जरूरी बात भी करनी है।
गाड़ी में-
शिवकरण:क्या बात है बाबू जी।
मै:शिवकरण तेरे 1 लाख रुपये देने है कम्पनी लोन के।इतने पैसे का क्या करता है तू।
शिवकरण:वो बाबूजी बो वो...!
(शिवकरण की जुबान लड़खड़ा रही थी।)
मै:कारण छोड़ो पर अगर 1 लाख नही दिए तो नौकरी और जो घर दिया हुआ है उसे खो बैठेगा।तेरा बेटा है न दूसरे शहर जो पढ़ने गया है।उसे तो कम्पनी यहां से डायरेक्ट पैसा देती है तो तू इतना लोन का क्या किया।
शिवकरण को पासिना आ गया:नही साब अइसा मत करो।वो मै साब जुए में हार गया।
मै:पर उसका मतलब ये नही की तुम पैसे लुटाओ।उसे फिरसे कब दे रहे हो।
शिवकरण:साब रकम बहोत बड़ी है।जल्दी कैसे होगा।
मै:फिर नौकरी और घर भूल जाओ,अभी सब बड़े मामा के हाथ है,नाना होते तो मै संभाल लेता पर अभी तो!!!
शिवकरण:साब जो कहो कर लूंगा पर मेरी नौकरी और रहने का ठिकाना को मुझसे न छीनो।
मै:तुझे जुआ खेलने की आदत है न।चल तेरी बीवी को दाव पे लगा।मैं तेरी नौकरी बचाता हु।
शिवकरण चौक गया।उसने गाड़ी रोक दी।
शिवकरण:छोटे बाबू ये क्या बात कर रहे हो,ये कैसे मुमकिन है।
मै:अगर तुझे नौकरी और घर से बेदखल नही होना तो तुझे ये मुमकीन करना पड़ेगा।मंजूर है तो बोलो।उसके लिए 20000 अलग से दूंगा।
शिवकरण कुछ सोचा और गाड़ी चालू कर दी।
मै कान्ता को कॉल किया।और चौराहे पर बुलाया और घर में आफिस में बुलाया है करके बोलने बोला।जहा पर जाना था वो जगह शिवकरण को समझा दी।गाड़ी जैसे ही रुकी कान्ता गाड़ी में बैठ गयी।
कान्ता:क्या हुआ बाबू जी आपने अचानक से बुला लिया।
मैं:सब कुछ मालूम हो जाएगा।(शिवकरण से)तूम गाड़ी को मैंने कहा वैसे जगह लेके चलो।
कान्ता:क्या बात है कोई मुझे बताएगा।
मैंने अपने पैंट को अंडरवेअर के साथ पुरा नीचे तक खिसकाया और निकाल दिया।शिवकरण हो रहे वाकिये को नजरअंदाज कर रहा था।कान्ता तो एक नजर पति पे एक नजर मुझपर और एक नजर मेरे लन्ड पे परेशान चेहरे से घुमा रही थी।उसको सामने हो रही घटनाओं पे भरोसा नही हो रहा था।
मै:अरे अभी देख क्या रही है।लेले मुह में तेरे लिए ही है।
कान्ता अभी भी शिवकरण(उसका पति)के ओर देख रही थी,हलाखी वो पतिव्रता नही थी,पर इतनी भी बेशर्म नही थी की पति के सामने इतना खुल के कुछ भी कर ले।
मैं:अरे शिवकरण चाचा,तेरी जोरू तेरे से परमिशन मांग रही है।तू दे रहा है न।
शिवकरण:जैसा आप ठीक समझो बाबूजी,मुझे क्या दिक्कत होगी।
मै:देखा उसे भी कोई दिक्कत नही,अभी तू क्यो सोच रही है।
कान्ता नीचे झुक कर लण्ड मुह में ले लेती है।ओ मजे में नही बोल सकता पर बड़े स्वाद से लन्ड चुस रही थी।जो भी बोलो पति के सामने उसकी जोरू के साथ अय्याशी करने में,लण्ड चुसवाने में और चुत मारने में जो मजा है वो बहोत सुखदाई और बदन में रोमांच उठाने वाला होता है।इसका चस्का मुझे शारदा को चोदते वक्त हुआ जब उसको उसके पति और बेटे के सामने चोदा।
कान्ता के पल्लु को हटा के मै ब्लाउज पे ही चुचे मसलने लगा।
कान्ता दांत ओंठो को चबाते हुए सिस्कारिया दबा रही थी।
मैंने उसके ब्लाउज को और ब्रा को निकाल दिया।उसके निप्पल्स को नोच के मसलने लगा।वो अभी जोर से सिसकिया ले रही थी"आआह उम्मुच आआह आउच्च आ"
गाड़ी अभी एक गांव के और शहर से दूर एक नदी के किनारे रुकी।आसपास कोई भी नही था।रास्तेसे काफी अंदर थी करीब 1किमी।शिवकरण डिकी ओपन करने बोला और उसको अंदर बैठाय। मै कान्ता को लेके बाहर गया।
उसको पूरा नंगा करके डिकी के अंदरूनी जगह पर बैठाया और खड़ा रहके मेरा लन्ड उसके मुह में दिया।
मै:शिवकरण पानी लेके आओ।
शिवकरण पानी लेके आया।वो जैसे ही जा रहा था उसको रोका।
मैं:अरे तुझे जाने बोला।रुक।
मैंने उसको उसी अंदरूनी डिकी की जगह पर बैठने बोला कान्ता को घोड़ी बनाया।
मै:शिवकरण तेरा लण्ड निकाल,मुझे मालूम है वो भी उतावला वो गया है।
अभी कान्ता अपने पति का मुह में लण्ड लेके चूस रही थी।मै उसके पीछे से उसकी चुत में उंगली से चोदते हुए गांड चाट रहा था।
कान्ता अभी काफी गर्म हो चुकी थी उसने चुत से पानी छोड़ना चालू किया।मैंने भी मेरा लण्ड उसके चुत में लगाया और धक्का दिया।
कान्ता:आआह अम्मा आआह बाबू आहिस्ता आआह उम्म।
मै उसे जोर जोर के धक्के देके चोदने लगा।ओ सिस्कारते हुए शिवकरण(उसका पति)का लन्ड चूस रही थी।शिवकरण उसके चुचे मसल रहा था।काफी देर तक धक्कों की बारिश होती रही।
मै:शिवकरण मेरा अभी छूटेगा तेरे बीवी के अंदर ही छोड़ रहा हु।
शिवकरण:आआह जी साब कोई नही आप छोड़ दो,आपके वजह से नया अनुभव मिला अइसी चुदाई का।आआह अरे कान्ता और जोर से चुस।
शिवकरण ने अपने लण्ड को कान्ता के मुह से झड के खाली किया।मै भी उसके चुत में पूरा पानी छोड़ के झड गया।
शिवकरण उठ के नदी पर चला गया और खुदको साफ करने।
कान्ता:ये क्या चल रहा है?मुझे यकीन नही हो रहा।
मै:तेरे पति की करतुते है।कम्पनी का 1 लाख का कर्जा रुका के रखा है।अभी नोकरी और घर दोनो जाएगा।बड़े मामा थोड़ी उसको बख्शेंगे।
कान्ता:पर अभी कोई परेशानी नही न।उनके साथ मै भी बेघर हो जाऊंगी।प्लीज हमे नौकरी से न निकलवाना।
मै:नही मेरी जान तू तो मेरी पसंदीदा रंडी है।लण्ड को तेरे चुत की सख्त जरूरत है।
कान्ता ने मेरे ओंठो को चुम लिया:शुक्रिया बाबूजी।
शिवकरण आने के बाद हम घर को निकले।रास्ते में मै और कान्ता ओंठो का रस चूस रहे थे।
हम आधा रास्ता पार ही किया था की किसी बड़े गाड़ी ने हमारी गाड़ी को ठोका।गाड़ी में सेफ्टी अच्छी थी तो हम मेंसे शिवकरण को थोड़ी अंदरुनी चोट आयी हाथ पे बाकी मैई और कान्ता सेफ थे।आज नाना की अक्ल पर मुझे नाज हो रहा था जो उनकी इस सेफ्टी सेटिंग से मरते हुए बचे।गाड़ी पलटी थी।मैंने कान्ता को बाहर किया फिर खुद बाहर आके शिवकरण को निकालने की कोशिश की।
वो गाड़ी रुकी नही।आम तौर पर कोई तो रुक कर देख तो लेता है।शिवकरण काफी अटका था।तभी फिरसे वही गाड़ी तेज रफ्तार से अति हुई दिखी।मुझे उसके लक्षण ठीक नही लगे।मै अपनी ताकद लगा के शिवकरण को निकालने की कोशिश करने लगा।गाड़ी एक ट्रॉली थी।सामने पलटी गाड़ी देख कर भी उसका स्पीड कम नही हुआ,दिल में खतरे की घंटी बजी।जैसे ही उसने फिरसे टक्कर दी।भगवान की दया से उस टक्कर और मेरे जोर से शिवकरण बाहर आया और हम रास्ते के बाजू में पड़ गए।अभी शिवकरण को रास्ते के साइड वाला पत्थर लग गया।अभी उसके सर के पीछे से खून निकल रहा था।इसबार वो गाड़ी रुकी नही।
उसके कुछ मिनट बाद और एक टेम्पो आया।उसे रुका कर हम सीधा शहर के हॉस्पिटल में शिवकरण को भर्ती कराया।
मै इस सोच में था की वहाँ जाने का प्लान तो गाड़ी में बना।मेरे देखने तक तो शिवकरण ने किसीसे कॉल पे बात नही की।फिर ये हमला किसने और किसके जरिये कराया।बड़ी पहेली थी ये मेरे लिए।
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