RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 8)
◆पार्ट 2-पिताजी का हत्यारा◆
कैसे वैसे मै बंगले पर पहोच गया।सब तरफ सन्नाटा लग रहा था।मुझे नाना जी की चिंता सता रही थी।मैं बंगले में सीधा नाना जी के कमरे में घुस गया।नाना जी बेड के नीचे गिरे हुए थे।कमरे को देख लग रहा था की कुछ तो हुआ था यहाँ।मुझे देख नाना के जान में जान आ गयी।
नाना:वीरु वीरू तू आ गया आ आ गया।
मै:नानाजी आप शांत हो जाओ ,आपको दमा है,मै हु आप बस शांत हो जाओ।
मैंने नाना को बेड पे सुलाया।और डॉक्टर को फोन कर बुलाया।
मै:नाना क्या हुआ था यह पे,किसने किया।
नाना:मुझे नही मालूम ,में सोया था और अचानक मेरे मुह पे किसीने तकिया दबाया।मैं कैसे वैसे बच गया पर बेड से नीचे गिरा और बेहोश हो गया।
मै मन में-अच्छा इसलिए हमलावर को लगा की नाना मर गए है और वो यहां से निकल गया।
कान्ता पोलिस को लेके आई थी।
पोलिस:क्या हुआ?
मै:किसीने हमला किया नाना जी पे,इससे पहले 2 बार मेरे पे हुआ है।
पोलिस:किसी पर शक है आपको।
मै:सर व्यापार जायदादों वाला परिवार है,यहां शक हर एक पर है मुझे।
पोलिस:ठीक है,हम थोड़ा देख लेते है तहकीकात कर ते है।कुछ होगा तो आपसे मदद ले लेंगे।
मै:जी आपको कोई भी मदद लगे बुला लेना।
पोलिस सबूत ढूंढने लगी जिससे कुछ हाथ लग जाए।मैं बाहर हॉल के सोफे पे बैठा था।कुछ देर में सारे घरवाले भी आ गये।
मुझे देख बड़ी मामी और संजू के होश के ठिकाने नही रहे।मा तो दरवाजे पे हो बैठ गयी।संजू आके मेरे गलेसे लिपट गयी।
मै:अरे हा हा शांत हो जाओ,कुछ नही हुआ मुझे।
संजू मुझे मारने लगी।
मै: अरे मार क्यो रही हो,अरे क्या हुआ।
संजू:ये कोई तरीका है मजाक करने का,जान निकल गयी थी हम लोगो की।अभी मै सच में मार डालूंगी।
दरवाजे बैठी मा एकदम से मेरे पास आई मुझे पूरी तरह निहारा और रोते हुए गले लगाई।
मा:लल्ला तू आ गया,तेरे मा को इतनी बड़ी सजा देगा उसकी गलती के लिए।फिरसे अइसा नही करना।तेरे पापा का भी अयसेही हादसा हुआ था,अभी तुम भी अयसेही मुझे छोड़के मत जाना।
मैं:नही मा,अभी हु न मै,मत रो।
बड़ी मामी के आंखों से बून्द भी नही आ रहा था।एकदम से सन्न हो गयी थी।मै उनको जैसे ही गले लगाया।
बड़ी मामी:वीरु तुम कहा चले गए थे,मुझे लगा अभी हमारी मुलाकात नही होगी।आआ आआ"
मै मामी को कस के गले लगाया था।
पोलिस:यहाँ पर बहोत लोगो के फिंगर प्रिंट्स है ,पता लगाना थोड़ा मुश्किल है।पर ये स्कार्फ़ मिला है।
सब लोग उस स्कार्फ़ को देखने लगे।
बड़ी मामी:जहा तक मै जानती हु पिताजी स्कार्फ़ नही पहनते है।
कान्ता:जरूर ये उसी हमलावर का होगा।क्योकि हमारे घर में कोई स्कार्फ़ नही पहनता।
पोलिस चली गयी।बड़ी मामी और मा नानाजी को डॉक्टर के पास लेके गए।साथ में रवि और सिद्धि भी चली गयी।
मेरी नजर छोटी मामी और मामा को ढूंढ रही थी।मैं बाहर आया तो छोटी मामी किसीको फोन लगा रही थी।मै चुपचाप उनके पास गया।थोड़ी दूरी से उनको सुनने लगा।पर बात कुछ अलग ही थी।मामी जिसको कॉल लगा रही थी ओ उठा नही रहा था।मै उनके पास गया।
मै:क्यो मामी जी,किसको इतनी बेकरारी में संपर्क किया जा रहा है।
छोटी मामी:अरे वीरू तुम!!!!हमे लगा।
मै:आपको लगा की मै तो मर गया और अभी नाना को भी खत्म कर देते है।
छोटी मामी:वीरु बकवास मत कर,ये बात सही है की मुझे तुम पसंद नही और जायदाद भी चाहिए पर मै इतनी गिरी नही की तुमको मारू।उससे मुझे क्या मिलेगा।
मै मन में-अरे ये बात भी सही है,(मामी से)फिर ये फोन।
छो मामी:तुम्हारे मामा को लगा रही हु।उठा ही नही रहे है।
छोटी मामी वह से निकल गयी मामा को फोन कराते कराते।मै घर में घुसने ही वाला था की।कान्ता ने मुझे रोक लिया
कान्ता:छो बाबु मेरे ये नही है कही पर भी।
मै थोड़ा जागरूक हुआ,ये भी है दोनो मामा चाचा चाची अम्मा और शिवकरण सब गायब है।
मैंने कान्ता को कहा: शिवकरण को कॉल करो और पूछो कहा पे है,पर फोन स्पीकर रखना मुझे भी बात सुननी है।
शिवकरण:हेलो बोल कान्ता
कान्ता:कहा हो??
शिवकरण:क्यो क्या हुआ?
कान्ता:क्यो आपको कुछ नही मालूम,बड़े साब पर हमला हुआ घर पर।
शिवकरण थोड़ा समय लेने के बाद :क्या !!!!?क्या बात कर रही है?
कान्ता:हा सही में,आप कहा हो?
तभी शिवकरण को कोई पुकारता है।शिवकरण जल्दी में कॉल को काट देता है।
कान्ता:अरे बाबूजी इन्होंने तो काट दिया।अभी काल भी नही लग रहा।
मै:जरूरत नही,जो हमे चाहिए था मिल गया।
मैंने रवि भैया के रूम से उनके गाड़ी की चाबी ली और निकल गया।कान्ता को घर में रुकने बोला।
मैंने मेरे ऊपर गाड़ी चलाने वाले की पूछताछ की तभी उसके मुताबिक उसको जिसने पैसे दिए उसका नाम नही जानता था ओ,और काफी उम्र वाला आदमी था।पर अभी पता लगाना था की वो स्कार्फ़ पहनता था क्या ,या उसका स्कार्फ़ से कुछ काम हो सकता है।
रास्ते में उस आदमी के घर रुक कर मै उससे पूछताछ की।तो उसके मुताबिक वो स्कार्फ़ नही पहनता था।मतलब ये मुझपे हमला करने वाला और नाना पे हमला करने वाले दो अलग इंसान है।
मुझे तभी मा के मुह से निकली बात याद आ गयी।मैंने उस सुपारी किलर से पूछ लिया की एक दो महीने पहले कोई अइसा ही कांड उसने किया है क्या।तो उसने नही बोला।इसका मतलब पिताजी से भी इसका कोई रिश्ता नही था।
मै गाड़ी लेके सीधा हॉस्पिटल गया।मा को कॉल लगाके बाहर बुलाया।
मा:क्या बात है लल्ला ,अइसे बाहर क्यो बुलाया।
मैं:मा पिताजी ने हादसे से पहले कभी भी किसी बात का जिक्र किया या आपके या पिताजी में कुछ अइसी और बात है जो मुझे अभी तक मालूम नही।
मा मेरे सवालों से सहम सी गयी।क्या बोले क्या न बोले सोचने लगी।
मै:देखो मा,आज कल मै आज नानाजी अगला नंबर आपका भी हो सकता है।
मा :वो तुम्हारे पिताजी और चाचा ने मिलके तेरे जरिए पिताजी से पैसे लेने चाहे।तुम 12 वी खत्म करने वाले थे और तुम्हारा 18 साल पूरा भी हो गया था।तो ओ मेरे हिस्से की जायदाद की बात करके पिताजी के यहां से लौट रहे थे तभी ये हादसा हुआ।
मै:पापा के मौत की खबर पहले किसको मिली।
मा:तुम्हारे चाचा को।ओ ही उनको हॉस्पिटल लेके गए और बाद में घर लेके आये(मा रोने लगि।)
मै (मा को संभालते हुए):अच्छा मा अभी रो मत,नाना जी का ध्यान रखो मै आता हु।
मै वहां से निकला और पापा के हादसे का जिन पोलिस स्टेशन पर चला गया।वह से मैंने हादसे के सबूत मांगे।उसमे भी वही स्कार्फ़ था थोड़ा जला हुआ।
मतलब पिताजी की मौत हादसा नही थी,वो खुन था।उस दिन पिताजी के साथ कोई और भी था।पिताजी वो और नानाजी के बीच में कुछ बाते हुई जिसके बाद पहले पिताजी को मार दिया गया फिर नानाजी को भी मारने की कोशिश की गयी।
मतलब ये शुरू ही हमारे आफिस से हुआ था।मैं वहां से आफिस चला गया।शाम हो गयी थी।आफिस भी बंद था।मैं सिक्युरिटी के पास गया।उसे पापा के मौत के सुबह वाली सीसीटीवी देखी।मेरे अनुमान अनुसार तीन लोग थे।पर तीसरा जो पिताजी के साथ गाड़ी में आ रहा था।उसका चेहरा दिख नही रहा था।और उसने स्कार्फ़ भी पहना था।वही था जो एविडेन्स में जला हुआ था।
मै इन सब पे विचार कर ही रहा था की।मुझे पोलिस स्टेशन से कॉल आया।
पोलिस:हेलो इंसपेक्टर *** बोल रहा हु।
मै:जी सर बोलिये,कुछ पता चला।
इंसपेक्टर:फिंगर प्रिंट घर के सामानों पर है वो भी घरवालों के तो उनके ऊपर शक करना और ढूंढना थोड़ा कठिन है पर...!!!
मै:पर!!!!पर क्या साब!!!
इंसपेक्टर:जो स्कार्फ़ मिला है उसके ऊपर"###" (कंपनी का नाम) लोगो है।क्या आपके यहां कोई पहचानता है इस लोगो को या किसी आदमी को जो ये पहनता हो।
मै:क्यो कोई खास है कारण है क्या!??
इस्पेक्टर:वैसे ही समझो,सिर्फ यही चीज है जिसपे आपके नानाजी के उंगलियो के निशान है।
मैं:नही अभी तो मालूम नही ,कुछ पता चल जाएगा तो बता दूंगा।
सीसी टीवी के हिसाब उनके हाथ में एक फ़ाइल थी।वो सीसी टीवी में जहा उन्होंने रखा था वह पे नही था।मैंने सीसीटीवी को आगे बढ़ाया तो नानाजी अपने ड्रोवेर में रख रहे थे।मेरे पैर सीधा नानाजी के कमरे की ओर बढ़ गए।फ़ाइल अभीतक वही थी मतलब बड़े मामा ने अभीतक नाना के प्रायवेट ड्रोवेर को हाथ नही लगाया था।मैन पूरी फाइल पढ़ ली उसमे 2 लोगो के नाम थे।मैंने फ़ाइल लिया और इंस्पेक्टर को कॉल किया।करीब आधे घंटे में पोलिस की गाड़ी मेरे आफिस आई।मैंने सारी कहानी उनको बता दी,और हम उन गद्दार हमलावरो को गिरफ्तार करने निकल गए।
हमारी अपेक्षा अनुसार वो वही थे जहा का मुझे अनुमान था बस 1 कम थे।एक पिताजी जो इस दुनिया में नही रहे।
पोलिस पहले अंदर घुसी
इंस्पेक्टर:मिस्टर शाम सिंह (बड़े चाचा)आपको विजय सिंह(पिता जी) के खून और शामलदास जी(नानाजी) के ऊपर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है।
चाची:साब आप क्या कह रहे हो ,मेरे पति अइसा नही कर सकते।आपको कुछ गलतफहमी हो गयी है।
मुझे बहोत अजीब फील हो रहा था तब भी मैं अंदर गया।मुझे देख चाची मेरे पास आयी।
चाची:अच्छा हो गया वीरु तू आ गया।देख ये लोग क्या कह रहे है।इनको बतव.....!!
मै:चाची ये लोग सही कह रहे है।
चाची गुस्सा गयी:क्या बकवास कर रहे हो।
अम्मा:तुम्हे शर्म नही आती अपने चाचा को पुलिस के हवाले करते हुए।
मै:मुझे कोई मजा नही आ रहा इन्होंने करतुते ही अइसी की है और उसके सबूत भी पुलिस के पास है।
चाची:कैसे सबूत और कैसी करतूत,साफ साफ बता।
मैं:सुनो तो अभी।
"चाची आपको मालूम है या नही मालूम नही पर मै चाचा के पहले बीवी का बेटा हु।आपके पास से दहेज मिलेगा इसकी वजह से चाचा ने मुझे अपने भाई को गोद दिया,क्योकि मा को पुत्रप्राप्ति नही हो सकती थी।पिताजी को मालूम था की नाना उनकी जायदाद अपने पोते या पोती को देंगे उनको या मा को नही,और मा को संतान नही हुई तो इनको जायदाद नही मिलेगी।इसलिए उन्होंने भी मुझे गोद लिया।10 वी में जब मेरे 18 साल पूरे हुए(कुछ साल पढ़ाई छूटी थी इसलिए )तब पिताजी नाना से मिले उन्होंने मेरे जायदाद की मांग की वैसे दस्तावेज भी बना लिए ।उसमे मेरे वारिसदार ये दोनो थे,मेरे मरने के बाद जायदाद इन दोनो को मिलने वाली थी।लौटते वक्त चाचा ने पिताजी को दारू पिलाई,कर ब्रेक फेल किया।काम के बहाने बीच रास्ते में उतर गए।नशे की वजह से गाड़ी का हादसा हुआ और पिताजी की मौत हो गयी।पर चाचा जो स्कार्फ़ गले में अटकाते थे,जो उनके ही कम्पनी का था वो उतरते वक्त गले से दरवाजे में अटका।और पुलिस को तहकीकात में मिला।लोगो जल गया तो उसका पता उस समय नही लगा।जिस वक्त नाना जी घर आये और मा को लेके गए।तबसे रोज चाचा नाना को जाके उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को कहते।इसलिए वो ज्यादातर बाहर रहते थे घर से।
जिसदिन जायदाद का बटवारा हुआ उस दिन चाचा को मालूम पड़ा की जो कागजाद उन्होंने दिए है उसके हिसाब से नाना ने बटवारा नही किया।उसमें तो मा का भी नाम नही था।चाचा को गुस्सा आया।पर उनके पास सही समय नही था।जिसदिन मेरे मौत कि बात सुनी।वो नाना को और एक मौका देन चाहते थे की कैसे वैसे जो भी जायदाद मेरे नाम हुई वो उनके नाम करदे।पर नाना नही माने तो उन्होंने उनको भी मारने की कोशिश की पर भगवान की दया से वो बच गए।पर एक स्कार्फ जीसमे इनके लगे उंगलियो के निशान,और नाना के नाखून में फसे स्कार्फ जो हतपाई पे नाना ने खींच लिया था ।
सबूत तो यही है।एक ही बनावट के दो स्कार्फ़ एक उंगलियो के निशान के साथ और एक जल गया हुआ,अभी पोलिस ने कॉल रिकॉर्ड भी निकाले।और भी वारदात पे मीले सबूत चाचा को कही न कहि अपराधी साबित करते है।अभी इनको वारण्ट पे लेके जा रहे है।पूछताछ में ये खुदको साबित नही कर पाए तो,सजा हो सकती है।"
चाची:अइसा मत कहो वीरू ,कैसे भी हो चाचा है तेरे,इनको बचा ले ,मैं माफी मांगती हु इनकी तरफ से।
मैं:चाची माफी मत मांगो,पोलिस के पास सबूत है,वॉरंट निकला है,आपके लिये मै बाहर से वकील दे सकता हु।इससे ज्यादा उम्मीद मत करो।
पुलिस चाचा को गिरफ्तार कर लेती है।चाची मुझसे लिपटी रो रही थी।इतना सबूत मैंने खुद आगे आके जमा किया,उनके पति को मेरे वजह से ये देखना पड़ रहा है ये बात दबा के रखी।कुछ भी हो वो मेरे पिता थे इसलिए वकील का बंदोबस्त किया,पर सबूत होने से उनको 14 साल की जेल हो गयी।
नाना अभी ठीक थे पर व्हीलचेयर पे ही रहते थे।चाची और अम्मा को हर महीने पैसे भेजने का प्रबंध किया।मेरे 12 वी का रिजल्ट आया।पास तो होना ही था।और कॉलेज में एडमिशन भी कराया।एक तरफ अपना कंपनी का काम भी संभाल रहा था।बड़े मामा मुझसे खुश थे पर छोटी मामी और मामा का तो बेड़ा गर्क था।
अभी मेरे मन में सवाल ये था की मेरे ऊपर हमला किसने किया?मैंने उस आदमी को पुलिस से मिलवाया।गरीब ट्रक वाला था तो उसको माफी का साक्षीदार बना के कम सजा दिलवाई।मुझे खोज मास्टर माइंड की थी।उस मास्टर माइंड का स्केच तो पोलिस ने बनवाया था पर किसीको पहचान में नही आया।ये तो मालूम पड़ा की छो मामा मामी मास्टरमाइंड नही है।मतलब वो भी किसीके प्यादे है।और कही चाचा भी प्यादा था।ये अभी बड़ी पहेली बन गयी थी।मुझे अभी ध्यान रखना था।कोई अइसा है जो बहोत सालो से हमारे परिवार में खेल खेल रहा है।
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