RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 4)
तीसरे दिन हमारी इंगेजमेंट हुई।सारे घर के ही लोग थे।उसमे मुझे कम्पनी पार्टनर संपतसिंह भी दिखे।बात अजीब नही थी।पर वो काफी घुल मिल गए थे जैसे वो रिश्तेदार हो।
मुझे कुछ शक सा हुआ।मैंने नाना जी से पूछ लिया।
नाना:अरे वो शिला के बड़े चाचा है।शादी होने तक यही रुकेंगे।
अच्छा तो ये छोटी मामी का चाचा है।इसका मतलब ये वो मास्टर माइंड हो सकता है।पर मुझे पूरा भरोसा नही था उस बात पे।जैसे ही एंगेजमेन्ट खत्म हुई छोटे मामा को लेकर संपत सिंह किधर तो चले गए।छोटी मामी उनके मा के साथ रूम में गयी।बड़ी मामी मा ,संजू,सिद्धि और बड़ी मामी के घरवाले संजू की अगली तैयारी रस्म में जुड़ गए।शादी ज्यादा शोर शराबा शानो शौकत में नही करनी थी ,क्योकि बड़े मामा को वैसा पसन्द नही था।बड़ी अजीब बात है,एकलौति बेटी की शादी अइसे कोई करता है भला।लगता है वो बेटी होने से ही खुश नही थे।नाना और बड़े मामा नाना के कमरे में बातचीत में लग गए।
मैं अपने कमरे में कपड़े उतारने गया।इतने भारी कपड़े पहनने की आदत नही थी मुझे तो मै अपने रोजाना कपड़े पहन लिया।तभी मुझे छोटे मामी ने अपने कमरे में बुलाया।
मैं अंदर गया।
छोटी मामी:वीरू मैंने तुम्हारी बाते मान ली थी अभी मेरे कागजाद दो।
मैं:कौनसे कागजाद??
मामी:देख अभी धोखाधड़ी मत कर,हममे एक डील हुई थी की तुम मेरे जायदाद के पेपर मुझे लौटा दोगे।
मैं:हा हुई थी।पर आपके पेपर्स की।और आपके नाम पे कोई जायदाद या कागजाद नही है।डील के पेपर पर भी वही लिखा था और अपने हस्ताक्षर भी दिए थे।
मामी गुस्से में मुझे थप्पड़ जड़ दी।मुझे भी गुस्सा आया।
मैं:बहोत घमंड है आपमे अभी देखता हु कैसे जायदाद मिलती हैं आपको।
मैं जाने के लिए घुमा तभी छोटी मा की मा सविता ने मुझे रुकाया।
सविता:रुको बेटा,मै माफी मांगती हु इसकी तरफ से,मेरी बात सुनो।
मैं:आप को उससे क्या?अभी थप्पड़ की सजा इनको मिलेगी जरूर।जायदाद का एक इंच भी नही दूंगा ।ये थप्पड़ बहोत भारी आपकी बेटिपर।
(मै वहाँ से निकलने लगा।उन्होंने मुझे हाथ पकड़ के रोका।)
सविता:सुनो बेटा नाराज क्यो होते हो।मसले का हल निकाल लेते है।तुम कहोगे वो करेंगे पर अभी जो तेरे पास दामादजी के जायदाद के कागज है उनको लौटना हिग।मंजूर!!!
मैं कुछ देर सोचा।मुझे लगा वैसे भी इनकी जायदाद का मुझे कुछ लेना है नही।मामाजी के कम्पनी कर्जे को जमा करदु तो वैसे भी उनके नाम की आधी जायदाद चली जाएगी।
मैं:ठीक है।ऊपर के टेरेस वाले कमरे में जाओ मै आया।
दोनो ने कुछ सोच कर वहाँ निकल गयी।मैं कुछ देर बाद वह पहुचा मेरे हाथ में बोतल थी।वही ट्रुथ और डेयर वाली।
सविता:ये क्या है?
मैं:ट्रुथ और डेयर।पर खेल थोड़ा अलग है।इसमे डेयर ही होगा।जिसके पास मुह गया उसको मैं डेयर दूंगा और उसे ओ करना पड़ेगा।
छोटी मामी मना करने ही वाली थी की सविता ने उसे रोका
सविता:ठीक है,चलो चालू करो।
ये हो क्या रहा था।ये सविता इतनी कॉन्फिडेंस से सब मंजूर कर रही है।कहि कुछ पक तो नही रहा यहा।वीरू बीटा चौकना रहना।अपने कम दुश्मन ज्यादा है यहाँ।दोनो को नीचे बिठाया और बोतल घूमी।
बारी छोटी मामी की।
मैं:एक कस के अपनी मा की गाल में लगाओ।
मामी:ये क्या बेहूदा पन है।मैई अइसा कुछ नही करूंगी।
मैं:करना तो पड़ेगा।रूल इस रूल।
सविता:शिला कोई बात नही।आज का दिन उसका है।
मामी ने कस के अपनी मा के कान के नीचे लगाई।
बोतल घुमा बारी सविता पे आई
मैं:आँटी सेम डेयर आपका।लगाओ कसके बेटी को
सविता ने भी कसके मामी को झांपड लगा दिया।
मैं:पता चला जब कान के नीचे पड़ती है तब कैसा लगता है।
अभी बोतल सविता के ही पास।
मैं:चलो आंटी ब्रा और पेंटी छोड़ के बाकी कपड़े उतारो।
मामी:वीरू अभी हद हो गयी।वो मा है मेरी।
मैं:मेरी मा को रंडी बनाने के वक्त मजा आया था न।वैसे भी तेरी मा भी उसी लेवल की है।क्यो आँटी जी।
सविता ने जैसे का वैसा कर दिया।अगली बारी मामी की।
मैं:चलो आप भी अपनी माताजी को कम्पनी दो।
दोनो औरते ब्रा पेंटी में मेरे सामने बैठी थी।अगली बोतल मामी को ही आयी।
मैं:अपने बचे कूचे कपड़े उतारो और पीठ के बल सो जाओ।
मैं शॉर्ट उतारा और नंगा होकर उनके पूरे शरीर पे मुत दिया।
अगली बारी सविता पे आयी।
मैं:आँटी अभी मामी का सारा बदन चाटके साफ करो।
अगली बार भी सविता आँटी के पास ही आया।
मै:आँटी अभी आप भी नंगी हो जाओ और बेटी के चुत को चुसो परपानी नही निकलन चाहिए।
सविता आँटी घोड़ी बन कर मामी की चुत चाटने लगी।
सविता की गांड बहोत बड़ी थी और गांड का छेद भी खुला हुआ था।ये तो गांड मरवा चुकी थी।मामी को चरम सिमा पे छोड़ वो बाजू हो गयी।मामी का पूरा शरीर हवस से लाल हो गया।
अगली डेयर मामी पे आयी।
मैं:मामी की अभी यहाँ कुछ होगा पर आपको पानी नही झड़ाना है।अगर झड गया तो आप खेल से बाहर होकर सजा मिलेगी और जायदाद जाएगी वो अलग।
ये बात सुन के सविता आँटी चौक गयी,ये हमला उनको उनके योजना से परे था।वो कुछ बोलना चाहती थी।पर उससे पहले मैंने उनके मुह में लन्ड ठूस दिया।और चोदने लगा।
कितने भी घमंड से भरी हो फिर भी इंसानी शरीर था।अपना धैर्य छोड़ दिया।मामी झड गयी।मैंने लन्ड बाहर निकाला और कपड़े पहन के जाने लगा।
जाते हुए:देखो आँटी एक मौका दिया था,आप खेल हार गयी।तो अभी जायदाद भूल जाओ।
दूसरे दिन औरतो के कुछ रस्म थे तो मैं घूम रहा था बाहर गार्डन में।तभी मक्खन का कॉल आया।
मैं:बोल मक्खन,क्या हुआ।
मक्खन:साब मुझे एक फाइल मिली है।आप कहो तो।
मैं:नही तुम यहाँ मत आओ,मैं आफिस आ जाता हु।
मैं किसी को बिना बताए निकल गया।आफिस में सब सुनसान था।अरे हा आज शनिवार था।मैं आफिस में गया।जैसे ही दरवाजा खोला तो सब बिखरा पड़ा था।मैं अपनी कुर्सी के पास गया तो मेरे पसीने छूटे। नीचे मक्खन गिरा पड़ा था।
मैं उसको उठाने लगा पर बहोत समय निकल गया था।उसने किसी फाइल का जिक्र किया था।मैं उस फाइल को ढूंढने लगा।पर अइसी कोई फाइल नही थी।केबिन का बिखरा समान देख लग रहा था की फाइल कोई लेके गया है।और उसी फाइल ने इसकी जान ली।
मैं मक्खन के कपड़े तलाशने लगा।और नसीब से एक पेनड्राइव उसके जेब में था।वो हाथ में लेके जैसे ही बाहर गया।किसीने गोली चला दी।बाल बाल बच गया।पार्किंग लॉट केबिन से काफी लम्बा था।पर कोई तरीका भी नही था तो मै भागा ।पार्किंग लॉट आने तक पैर के साइड से गोली छू कर निकल गयी थी।मैं कैसे वैसे गाड़ी में बैठा और वह से बाहर निकला।सीधा पोलिस स्टेशन।पोलिस वालो ने मेरे जख्म पर दवाई की।
इंस्पेक्टर:क्या हुआ था।कहा हुआ ये।
मैंने फोन से लेके अभीतक की सारी सच्चाई उनको बया की।उन्होंने एक टीम हमारे आफिस भेजी और मक्खन की लाश बरामद करके वहा से और सबूत की तलाशी ली।
इंस्पेक्टर:वो पेनड्राइव दो,हम देखते है कुछ मिलता है क्या।
मैंने इंस्पेक्टर को वो पेनड्राइव सौंप दी।इंस्पेक्टर ने उनके सहाय्यक को दी और पता करवाने बोला।
मैं घर आया।अभी भी मौहोल सही था।मै फुल पेंट पहनके था तो जख्म की पट्टी दिखाई नही दे रही थी।वो दिन निकल गया।
दूसरे दिन शाम को हल्दी थी और दूसरे दिन शादी।शादी गेस्ट हाउस पर थी।हल्दी की रस्म पूरी हुई।मै नहा के टेरेस पे था।वहाँ बड़ी मामी आयी।
ब मामी:क्यो बेटा अकेले अकेले,खुश नही हो शादी से तो पहले बतव।
मैं:नही मामी अइसी कोई बात नही।
ब मामी:फिर मामी क्यो बोल रहा है सासु मा बोल न
हम दोनो हस दिए।
बड़ी मामी:चल सुबह जल्दी उठना है।शादी है तेरी।ये अलग बात है की शानो शौकत में नहीं हुई ।खैर मेरे पोते के शादी में अपनी इच्छा पूरी कर लुंगी।
मुझे लेके ओ नीचे जाने लगी।तभी मुझे किसीका काल आया मैंने उनको आगे जाने को बोला।कॉल इंस्पेक्टर का था।
मै:जी सर बोलो,कुछ खबर मिली
इंस्पेक्टर:माफ करना इतनी रात गए कॉल किया।बात ये है की मक्खन को गोली मारने से पहले पीटा गया।उसके शरीर पे कुछ उंगलियो के निशान मिले।वो रिकॉर्ड में चेक किया तो कोई 'बलबीर सिंह' है।
मैं:अच्छा बलबीर!!!!
इंस्पेक्टर:आप जानते हो उसे??
मैं:जी वो मेकेनिक प्लम्बर है कम्पनी का।
इंस्पेक्टर:बड़ा बदमाश है,चोरी हाफ मर्डर के केस है।कैसे नोकरी पे रखा क्या मालूम आप लोगो ने।
मै:वो तो नाना जी के टाइम से है।पर वो छोड़ो उस पेनड्राइव का क्या हुआ।
इंस्पेक्टर:उसमे किसी फ़ाइल के पेपर के फोटोज है।आपके नाना के जायदाद के पेपर।आप देखना चाहते हो तो आपके यहाँ भेज देता हु।
मै:ठीक है मैं देखता हु।
इंस्पेक्टर ने मुझे व्हाट्सएप के जरिये वो फ़ोटो भेजे।वो पेपर अलग थे और मेरे हमले के बाद बने थे।मुझे अभी खतरे की घण्टी बजती दिखाई दी।मैंने कुछ सोचा औऱ इंस्पेक्टर को कॉल किया।अभी तो हम दोस्त बन गए थे।मैंने सारा प्लान उनको समझा दिया।कल कुछ जबरदस्त होने वाला था।मेरे शादी को मेरे बर्बादी की योजना बना रहा था कोई।
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