RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
दूसरे दिन मैं सात बजे अपना सामान लेकर बाहर आया तो देखा एक बैग और भी है और सायरा के पापा ऑटो लेकर आ चुके थे। उधर सायरा भी नारी सुलभ परिधान में तैयार होकर आ चुकी थी और अपने मां-बाप से विदाई लेकर मेरे साथ हो ली।
हमने अपने शहर के लिये बस पकड़ी। हम दोनों के बीच इस बीच कोई बातचीत नहीं हुयी।
बस चल चुकी थी और हम दोनों के हाथ आपस में टकरा रहे थे। कई किलोमीटर तक हम लोग बिना बातचीत के यात्रा करते रहे। लेकिन मेरे शब्दों को सायरा ने पकड़ा या नहीं … यह मुझे जानना था.
इसलिये मैंने सायरा का हाथ लिया और उसको सहलाते हुए पूछा- सायरा थैंक्स, तुम्हारे इस अहसान का बदला नहीं चुका पाऊंगा। लेकिन एक बात जाननी है मुझे कि जो कुछ मैंने कहा, उसका आशय ही समझ कर मेरे साथ आयी हो ना?
मेरी पुत्रवधू में मेरी तरफ देखा और कहा- कहते हैं ना कि आदमी हो या औरत … अपना भाग्य खुद बनाती है. और आज मैं भी अपना भाग्य खुद बनाने आपके साथ चल रही हूं. या फिर मैं अपने मां-बाप पर दुबारा वो बोझ नहीं डालना चाहती।
“नहीं सायरा, अगर ऐसी बात हो तो तुम मेरे बेटे से तलाक ले सकती हो और तुम अपने माँ-बाप पर बोझा भी नहीं डालोगी, मैं तुम्हारा पूरा खर्च उठाऊंगा।”
“तब फिर आपने ऐसा क्या पाप कर दिया कि आप हर जगह पैसा भी खर्च करें और हाथ भी आपका खाली रहे और बदनामी भी आपको ही मिले?”
“तो फिर मैं समझूँ कि तुम्हारे मन में किसी प्रकार का बोझ नहीं है?”
उसने मेरी तरफ देखा, फिर बस में चारों ओर देखा और मेरे हाथ को चूमते हुए बोली- पापा, यह सबूत है कि मुझे कोई अफसोस नहीं है।
तब मैंने भी सायरा के हाथ को चूमते हुए कहा- सायरा, समाज के सामने हमारे रिश्ते जो भी हों लेकिन आज से हम एक-दूसरे के दिल में रहेंगे, बस तुम्हें धैर्य रखना होगा. क्योंकि मैं चाहता हूं कि जैसा तुमने अपनी सुहागरात के सपना देखा होगा, उससे ज्यादा सुखद तुम्हारी सुहागरात हो।
फिर पूरे रास्ते हम दोनों के हाथ एक-दूसरे से अलग नहीं हुए।
हम दोनों घर पहुंचे, दरवाजा सोनू ने खोला। मेरे साथ सायरा को देखकर बहुत खुश हुआ। खुशी में उसने सायरा को कसकर अपनी बांहों में भर लिया। थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे से चिपके रहे और फिर सायरा अलग होते हुए मेरे सीने से चिपक गयी।
सायरा के देखा-देखी सोनू भी मेरे सीने से चिपक गया।
मेरा एक हाथ सोनू के सिर को सहला रहा था जबकि दूसरा हाथ सायरा के पीठ से लेकर चूतड़ तक सहला रहा था।
थोड़ी देर तक हम लोग बातें करते रहे। फिर सोनू को होटल से खाना लाने के लिये भेज दिया।
सोनू के जाते ही मैंने सायरा को पैसे निकाल कर देते हुए कहा- तुम अपने हिसाब से अपनी सुहागरात की तैयारी करो, जिस रात को मौका मिलेगा, उस रात तुम्हारे जीवन का सबसे सुखद दिन होगा।
धीरे-धीरे सायरा को आये 15-20 दिन बीत गये लेकिन कोई मौका हाथ नहीं लग रहा था। बस रोज सुबह शाम सायरा की नजरें मुझसे सवाल करती रहती थी।
इस बीच हनीमून के बहाने सायरा और सोनू घूमने भी चले गये।
लेकिन शाम को फोन पर नमस्ते पापा की एक धीमी आवाज मेरे दिल में नश्तर की तरह चुभती थी। इस बीच मैंने न तो सायरा को छुआ और न ही सायरा ने मुझे छूने की कोशिश की.
इस तरह से दिन बीत रहे थे कि तभी एक दिन सोनू ने आकर बताया कि उसे उसके बॉस के साथ दूसरे दिन सुबह जाना है और दूसरी रात को वो वापिस आयेगा।
मेरे मन को सोनू की इस बात से बहुत खुशी मिली।
मैंने सायरा की तरफ देखा तो वो अपनी नजरें नीचे की हुयी अपने पैरों के नाखून से जैसे जमीन को खोद रही थी।
दूसरे दिन सोनू करीब 10 बजे घर से निकला. उसके जाते ही सायरा मुझसे चिपक गयी और बोली- पापा, आज की रात के लिये मैं न जाने कितनी रातों से बैचेनी से इंतजार कर रही थी।
“जाओ सायरा, तुम अपनी तैयारी करो और मैं अपना बेडरूम सजवाता हूं।”
फिर मैंने सायरा से उसके पैन्टी और ब्रा की साईज पूछी। सायरा ने बड़े ही सहजता से कहा- 80 साइज की ब्रा है और 85 साईज की पैन्टी है।
मैं घर के बाहर आ गया और सायरा को गिफ्ट करने के लिये एक सुन्दर सोने का हार खरीदा, उसके साईज की पैन्टी-ब्रा लिया और साथ ही ढेर सारे फूल लेकर मैं घर पहुंचा।
ब्रा, पैन्टी और फूल मैंने सायरा को दे दिया। फूल देखकर सायरा बहुत खुश हुयी।
फिर मैंने सायरा को ब्यूटी-पार्लर जाने के लिये कहा।
बाहर जाते हुए सायरा बोली- पापा, आज आपको एक दुल्हन ही मिलेगी!
“और तुम्हें एक दूल्हा, जो तुम्हें आज रात एक कली से फूल और एक लड़की से औरत बनायेगा।”
सायरा मेरी बात को सुनकर शर्माते हुए नजरें झुका कर बाहर निकल गयी।
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