Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
06-18-2020, 12:27 PM,
#5
RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
इधर मैंने अपने बिस्तर पर सफेद चादर बिछाया और उस पर तीन चार प्रकार के फूल से ढक दिया। दो-तीन घंटे के बाद सायरा वापिस ब्यूटी पार्लर से आयी, उसके चेहरे पर चमक थी। अभी शाम को सात बजे थे। हम दोनों के मन में ही जिस्मानी मिलन की एक उत्सुकता थी।
इसलिये हम दोनों ने खाना खाया और खाना खाने के बाद मैंने सायरा से कहा कि वह दुल्हन की पोशाक पहनकर मेरे कमरे में मेरा इंतजार करे।

करीब साढ़े आठ बजे के बाद मैं वापिस आया और शेरवानी पहनकर मैंने भी एक दूल्हे के गेटअप लिया. और अपने कमरे के दरवाजे को हल्के से खोलते हुए अन्दर आया.

दरवाजा बन्द करके अपने पलंग की ओर देखा, सायरा दुल्हन के वेश में अपने को सिकोड़ कर बैठी हुयी थी। कमरे की खुशबू आज ठीक वैसी ही थी जैसे मेरी सुहागरात के समय की थी।

मैं पलंग पर सायरा के पास बैठ गया और उसके हाथों पर अपने हाथ रख दिये। सायरा के लिये शायद इस तरह से मेरा उसके हाथ को छूने का पहला मौका था इसलिये उसने अपने आपको और समेट लिया।

एक बार फिर मैंने उसके हाथ को पकड़ा एक बार वो फिर पीछे हुयी। मैंने उसका घूंघट उठाते हुए उसकी ठुड्डी को उठाया, पलकें अभी भी सायरा ने झुका रखी थी।
मैंने सायरा से कहा- सायरा तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।

मेरा इतना बोलना था कि सायरा की नजरें मेरी तरफ उठी.
ठीक उसी समय मैंने सायरा को उस सोने के हार का सेट देते हुए कहा- इस खूबसूरत दुल्हन का गिफ्ट।
अब सायरा की नजर उस हार पर ही थी.
मैंने पूछा- कैसा लगा?
बोली- बहुत खूबसूरत।

इसके बाद मैं सायरा के सीने पर अपने सिर टिका कर उसके दिल की धड़कन सुनने लगा. उसका दिल बहुत ही तेज धड़क रहा था और सांसें भी काफी तेज चल रही थी।

उसके बाद मैंने उसके सर से पल्लू हटाते हुए उसकी नथ उतारी और धीरे-धीरे उसके बदन से सारे गहने उतार कर किनारे रखकर सायरा को अपनी बाहों में भर लिया. सायरा ने भी मुझे कस कर अपनी बांहों से जकड़ लिया।

मैंने सायरा से पूछा- सायरा, तुम तैयार हो?
“हूम्म!” मेरी पुत्रवधू ने एक संक्षिप्त उत्तर दिया।

मैंने धीरे-धीरे सायरा को बिस्तर पर लेटाया और उसके सीने से साड़ी हटाते हुए उसके सीने को चूमते हुए पेटीकोट में फंसी साड़ी को हटाया और पेटीकोट का नाड़ा खोलकर अपना हाथ उसके अन्दर डालते हुए उसकी चूत पर फिराने लगा.

सायरा की चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसके कान को दांतों के बीच फंसाते हुए कहा- सायरा तुमने तो पानी छोड़ दिया।
सायरा बोली- आज सुबह से केवल आपके बारे में सोच रही थी। मैं कितना बर्दाश्त करती, जैसे ही आपने मुझे छुआ, मैं गीली हो गयी। प्लीज आप ऐसा करते रहिये, आपका इस तरह सहलाना मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है.

इतना कहकर सायरा ने अपने पैरों को सिकोड़ते हुए अपनी टांगों के बीच थोड़ा गैप बना दिया।

सायरा की चूत गीली हुयी तो क्या हुआ, मेरे हाथ अभी भी उसके अनारदाने को मसल रहे थे और उंगली को अन्दर डालने का प्रयास कर रहे थे।

फिर मैंने उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके खरबूजे को बारी-बारी मैं अपने मुंह में लेता और मसलता। फिर मैंने सायरा के ब्लाउज और ब्रा को उसके जिस्म से अलग किया और उसके छोटे-छोटे दानो पर अपनी जीभ चलाते हुए उसके खरबूजे को मसलता था और बीच-बीच में दानों को काट लेता था। वो सीईईई करके रह जाती थी। मैं उसकी नाभि उसके पेट पर जीभ फिराता।

मैं अभी भी यही कर रहा था कि सायरा बोली- पापा, चुनचुनाहट हो रही है, प्लीज कुछ करिये ना!
बस इतना कहना था कि मैंने सबसे पहले अपने आपको नंगा किया और फिर अपनी बहू सायरा के बचे-खुचे कपड़े हटाकर उसको नंगी किया और उसकी टांगों के बीच आकर बैठ गया।

बहू की चूत काफी चिकनी थी लेकिन मैं इस समय सायरा से कुछ पूछना नहीं चाहता था। बस मैंने इतना किया कि दो तकिये लिये और सायरा की कमर के नीचे लगा कर उसकी कमर को अपनी कमर की ऊंचाई तक उठाया और उसके चूत के मुहाने को लंड से सहलाते हुए कहा- सायरा, आज थोड़ा तुम्हें दर्द, जलन होगा, तैयार हो ना?
“पापा, आप करो, जो भी होगा, मैं बर्दाश्त करूँगी।” मेरी बहू ने कहा.

बस इतना ही कहना था, मैं सायरा के ऊपर झुका, अपने लंड को पकड़कर सायरा की चूत में ताकत के साथ अन्दर डालने लगा.
जैसे-जैसे सायरा की चूत मेरे लंड को अन्दर लेने के लिये जगह बना रही थी, वैसे-वैसे सायरा का चिल्लाना शुरू हो चुका था। वो मुझे नोच खसोट रही थी और मुझे धक्का देकर अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी, पर मैं उसकी सभी बातों को अनसुना करते हुए लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर डालता ही जा रहा था।

तभी सायरा की रूंधी हुयी आवाज आयी- पापा, रहने दो, बहुत दर्द हो रहा है। मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं, मैं मर जाऊंगी, प्लीज छोड़ दो-प्लीज छोड़ दो।
लेकिन मैंने उसकी किसी बातों पर ध्यान नहीं दिया और लंड को पूरा चूत के अन्दर डाल दिया।
उसकी सील टूट चुकी थी क्योंकि मेरा लंड चिपचिपाने लगा था।

फिर मैंने रूक कर उसके आंसू को, उसके होंठों को, उसकी छोटे-छोटे निप्पल पर बारी-बारी जीभ चलाता।
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RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान - by desiaks - 06-18-2020, 12:27 PM

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