RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
कुछ ही देर के बाद सायरा ने अपनी कमर उठानी शुरू की और अपनी कमर को हिला-डुला कर लंड को सेट करते हुए बोली- पापा, एक बार फिर चुनचुनाहट हो रही है।
अब तक सायरा दो-तीन बार अपनी कमर उचका चुकी थी।
मैं उसकी इच्छा को देखते हुए मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा। अब उसकी चूत की सिकुड़न कम होने लगी और फैलाव आने लगा। जैसे-जैसे उसकी चूत में संकुचन में कमी और फैलाव में अधिकता होती जा रही थी, मेरी स्पीड भी बढ़ती जा रही थी।
उसके बाद रफ्तार ने जोर पकड़ा और सायरा की आवाज आने लगी- हाँ पापाजी, बहुत अच्छा लग रहा है, बस ऐसे ही कीजिए।
मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी। लंड और चूत के मिलन के थप-थप की आवाजों के गवाह मेरा कमरा बना जा रहा था।
सोनू के मम्मी के जाने के कई साल बाद चूत चोदने को मिल रही थी, वो भी सोनू की नाकामी की वजह से!
लेकिन अब मैं थकने लगा था और सांस भी फूलने लगी थी इसलिये मैंने सायरा के ऊपर अपना वजन डाला और उसके खरबूजों को बारी-बारी चूसता, उसके होंठों को चूसता, उसके कान काटता, सायरा भी मेरा साथ दे रही थी।
जब मैं अपने स्टेमिना पर काबू पा लेता तो फिर धकापेल शुरू हो जाता।
इस बीच दो बार मेरा लंड अच्छे से गीला हो चुका था, पर पता नहीं क्या बात थी कि लंड मुझसे धक्के पर धक्के लगवाये जा रहा था। जब-जब लगा कि अब मेरा माल निकलने वाला है, तब-तब लंड मुझे धोखा दे जाता, मुझे और कसरत करनी पड़ जाती।
खैर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती … मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मुझे पता नहीं लगा कि कितना वीर्य निकला … लेकिन हुआ मजे का था। कई सालों से टट्टों में कैद था।
मैं हाँफते काँपते अपनी बहू सायरा के नंगे बदन के ऊपर गिर गया और जब तक मेरे महाराज उस छेद से बाहर नहीं निकले, मैं तब तक सायरा के ऊपर ही रहा.
फिर मैं उसके बगल में आकर लेट गया।
|