Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
06-18-2020, 12:27 PM,
#7
RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
शरीर में थोड़ी ताकत आने के बाद मैंने सायरा को एक बार फिर से अपनी बांहों में कसकर जकड़ लिया, ताकि मुझे उसके गर्म जिस्म से गर्मी मिल सके। थोड़ी देर तक वो मुझसे चिपकी रही, लेकिन फिर वो कसमसाने लगी और अपने आपको मुझसे छुड़ाने की कोशिश करती रही.

लेकिन वो जितना मुझसे अपने को छुड़ाती, उतना ही मैं सायरा को जकड़ लेता।
मेरी बहू कसमसाते हुए बोली- पापा जी, प्लीज अब छोड़ दीजिए ना!
“क्या हुआ? पसंद नहीं आ रहा है क्या?”
“नहीं यह बात नहीं है, लेकिन …”
“लेकिन क्या?”
“जी पेशाब आ रही है।”

बस इतना सुनना था कि मैंने सायरा को और जकड़ लिया।
“पापा, प्लीज छोड़ दीजिए … नहीं तो बिस्तर पर ही निकल जायेगी।”

मैंने सायरा को छोड़ दिया, वो चादर से अपने नंगे जिस्म को ढकने लगी, मैंने तुरन्त चादर पकड़ ली और बोला- इसे क्यों ओढ़ रही हो?
वो अपने पैरों को चिपका कर उछलते हुए बोली- शर्म आ रही है।
“अब क्या शर्माना … अब हम तुम पति-पत्नी भी हैं. और तुमको पेशाब करने जाना है तो नंगी ही जाओ!” कहकर मैंने चादर खींच ली।

वो चादर छोड़ कर लंगड़ाती हुए बाथरूम की तरफ भागी। भागते समय सायरा के कूल्हे ऊपर नीचे हो रहे थे।

काफी देर बाद सायरा पेशाब करके बाहर आयी तो मैंने पूछा- अन्दर देर क्यों लगा दी?
तो वो बोली- पापा, पेशाब करते समय मुझे जलन महसूस हुयी तो मैंने देखा तो पेशाब के साथ-साथ हल्का-हल्का खून भी आ रहा था.
वो अपनी ताजी चुदी चूत की तरफ इशारा करते हुए बोली- मैं बस इसे साफ कर रही थी।

अपनी बात खत्म करने के बाद सायरा मेरे पास आकर मेरे सीने में मुक्के बरसाते हुए बोली- पापा, आप बड़े वो हैं।
मैंने उसके हाथ पकड़कर चिपका लिया और बोला- अगर मैं बड़ा वो नहीं होता तो तुमको मजा नहीं आता।

मेरी बात सुनकर वो चुप हो गयी और फिर बोली- पापा, अन्दर अब भी बड़ी जलन हो रही है।
मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था, मैंने क्रीम लाकर रखी हुई थी, उसे निकाली और उंगली में लेकर सायरा की चूत के अन्दर अच्छे से लगा दिया।

यह सब करने के बाद मैंने सायरा से पूछा- कैसा लगा बेटी?
“पापा बहुत अच्छा लगा, मैं जिस उम्मीद से आपके साथ आयी थी, वो पूरी हुयी। और आपने तो कमाल ही कर दिया. मैं आपको बताऊं … मेरा पानी दो बार निकल चुका था लेकिन आप तो मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे।”
“चलो अच्छा है. अब हमारी सुहागरात हो चुकी है, इसलिये आज के बाद जब भी तुम चाहोगी, मैं तुम्हें सुख दे दिया करूँगा।”
“थैक्यूं पापा।”

“अब ये बताओ कि सुहागरात के समय सोनू ने क्या किया था?”
“कुछ नहीं, कमरे में आने के तुरन्त बाद उसने जल्दी-जल्दी मेरे और अपने कपड़े उतारे और मुझे यहां वहां चूमने चाटने लगा, इससे पहले मैं कुछ समझ पाती, मुझे अपने नीचे कुछ गीला लगा, मेरा ध्यान जब तक वहां से हटता, तब तक सोनू बगल में लेटकर सो चुका था, मैं अपनी उंगलियों के बीच सोनू के पानी को मल रही थी और सोते हुए सोनू को देख रही थी, पूरी रात मेरी रोते रोते बीती।

“चलो कोई बात नहीं, आज भी तुम्हारी पूरी रात रोते रोते ही बीतेगी लेकिन तुम्हें उसका सुखद एहसास होगा।”

“अच्छा जरा नीचे उतरकर कमरे की पूरी लाईट जला कर मेरे पास आओ।”
मेरी बहू लाईट जलाकर मेरे पास आयी, हम दोनों की नजर खून से सनी हुई चादर पर पड़ी तो सायरा ने शर्माकर अपनी नजरें झुका ली।
मैं उसके पास खड़ा होकर उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला- चादर पर यह खून बता रहा है कि तुम्हारी सील टूट गयी है।

तभी सायरा मेरे लंड की तरफ उंगली से इशारा करते हुए बोली- पापा जी, मेरा खून इस पर भी लग गया है।
“कोई बात नहीं।” कहकर मैं बाथरूम में घुसा और अपने लंड को साफ किया.

इधर सायरा ने भी पलंग का चादर बदल कर, उस चादर को लाकर बाल्टी में डालकर उसे गीला कर दिया।

उसके बाद मैं और सायरा वापिस पलंग पर आकर बैठ गये।

थोड़ी देर बाद मैंने सायरा को बिस्तर पर ही खड़े होने के लिये कहा. मेरी बात को मानते हुए सायरा बिस्तर पर खड़ी हो गयी। सायरा का जिस्म दूध जैसा था। जांघ के पास एक तिल था।

मैं सायरा को लगातार घूरे जा रहा था, मुझे इस तरह घूरते देखकर बोली- पापा, आप मुझे इस तरह क्यों देख रहे है?
“कुछ खास नहीं, तुम्हारे दूध जैसे उजले जिस्म को देख रहा हूं। ऊपर वाले ने तुम्हारे जिस्म को बहुत ही फुरसत से ढाला है।”
“नहीं पापा, अभी अभी आपकी वजह से मेरा जिस्म खूबसूरत हुआ है, नहीं तो मुझे मेरा यह जिस्म बोझ ही लग रहा था।” सायरा के चेहरे पर सकून के साथ-साथ एक अलग सी खुशी थी।

एक बार फिर मैंने सायरा के हाथों को पकड़कर और उसकी नाभि के पास एक हल्का सा चुंबन दिया और बोला- मुझे माफ करना सायरा जो मेरे वजह से तुम्हें सोनू जैसा पति मिला।
“आप जैसा ससुर भी तो मिला जिसने मेरे सभी दुखों को एक बार में ही दूर कर दिया।” इतना कहते ही सायरा मेरी गोदी में बैठ गयी और एक बार फिर मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी चूत पर चलने लगे.
मैं बार-बार उसकी गर्दन को चूमता और कानों के चबा लेता या फिर जीभ से गीली करता।
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RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान - by desiaks - 06-18-2020, 12:27 PM

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