Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
06-18-2020, 12:27 PM,
#13
RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
मैंने थोड़ा मुंह बनाते हुए कहा- सायरा, बेटा तुमने मुझे ध्यान से नहीं देखा, मैंने कमर के नीचे से तौलिये को लपेटा है।
“ओह सॉरी पापा!” कहते हुए घूम गयी और तौलिये को उसने कमर पर लपेट लिया और मेरी तरफ घुमते हुए बोली- पापा, अब ठीक है।
“हाँ मेरी बेटी! अब बराबर वाली बात लग रही है!”

मेरा ध्यान इस समय उसकी गोल-गोल चूची पर था जो बड़ी आकर्षक लग रही थी, खासतौर से मटर के दाने जैसे दो तने हुए निप्पल, जिसको देखकर मेरी जीभ लपलपाने लगी। मैंने अपनी दोनों बांहों को फैलाकर उसे मेरी बांहों में समा जाने के लिये आमंत्रण दिया।

मेरे इशारे को समझते हुए वो मेरी बांहों की कैद में आ गयी और अपने दोनों पैरों को फैलाते हुए बैठने लगी.
“अहं अहं … अभी मत बैठो, ऐसे ही खड़ी रहो!” कहते हुए मैंने उसके तौलिये के अन्दर हाथ डाला और चूत के अन्दर उंगली डाल दी।
मेरी बहू की चूत गीली हो चुकी थी।

मैंने अपनी उंगली बाहर निकाली और सायरा को दिखाते हुए कहा- तुमने तो काफी पानी छोड़ दिया।
“धत्त!” शर्माते हुए वो बोली।

मैंने इस बीच दो-तीन बार उसकी चूत के पानी से अपने लंड की मालिश की और फिर सायरा को बैठने के लिये बोला।

सायरा जब बैठने को हुई तो एक हाथ से उसकी कमर को पकड़कर अपनी तरफ हल्का सा खींचा, इस तरह सायरा के बैठते ही मेरा लंड उसकी गीली चूत के अन्दर चला गया।
थोड़ा बनावटी गुस्से के साथ बोली- पापा, आपने मजा खराब कर दिया।
“क्या हुआ मेरी प्यारी सायरा?”
“पापा, आप तो सीधे ही शुरू हो गये।”

मैंने अपने हाथ को बाहर किया और हाथ को देखते हुए सायरा से कहा- अपने ससुर पर भरोसा रखो, जब मजा न मिले तो कहना!
कहते हुए उसके पानी से गीले हो चुके अपनी उंगलियों को सूंघने लगा और फिर सायरा को दिखाते हुए उन उंगलियों को चाट कर साफ कर दिया।
फिर सायरा की कमर को पकड़ते हुए कहा- आओ, जीभ लड़ायें!

कह कर मैंने अपनी जीभ बाहर की और सायरा ने भी अपनी जीभ बाहर की. दोनों एक-दूसरे की जीभ को चाटने की कोशिश कर रहे थे और बीच-बीच में मैं सायरा की जीभ को मुंह के अन्दर ले लेता तो सायरा मेरी जीभ को मुंह के अन्दर ले लेती।

पता नहीं कब जीभ लड़ाते-लड़ाते दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे, पता भी नहीं चला। दोनों एक दूसरे के अन्दर समा जाने की होड़ लगाने लगे।

मैं उसकी चूचियों को कस-कस कर मल रहा था. तो सायरा भी पीछे नहीं रहने वाली थी, वो भी मेरे निप्पल को मसल रही थी और इसी मदहोशी में सायरा मेरे निप्पल को दांतों से काटती तो कभी उसको पीने की कोशिश करती.

इस तरह करते-करते वो कब मेरे ऊपर से हट गयी और कब हम दोनों का तौलिया भी हमारे जिस्म से अलग हो चुका था, पता ही नहीं चला।
मजे की बात तो यह थी कि दोनों तौलिये भी एक दूसरे के ऊपर ही थे तो मेरी हल्की सी हँसी छूट गयी।

इस बीच सायरा मेरे लंड से खेलने लगी, कभी वो मेरे लंड को मुंह के अन्दर तक भर लेती, तो कभी सुपारे पर अपनी जीभ चलाती, तो मेरे अंडों को कस-कस कर मसल देती. मेरी जाँघों पर अपनी जीभ चलाती, वो इतनी मदहोश हो चुकी थी, कि उसे मालूम ही नहीं चल रहा था कि वो क्या कर रही है.

इसी मदहोशी के आलम में उसने मेरे अण्डों को गीला करते-करते उसने जीभ से मेरी गुदा (गांड) को गीला करना शुरू कर दिया. जब मुझे भी मेरी गांड में जीभ चलने अहसास हुआ तो मैं चिहुंका, मेरे चिहुंकने से मेरी नजरो से बचती हुई सायरा फिर से मेरे लंड और अण्डों के साथ खेलने लगी. नई उमर की लड़की थी, सब कुछ जानती थी, और शायद इस पल में वो कोई मुरव्वत नहीं बरतना चाहती थी।

मैंने भी उसकी उलझन न बढ़ाते हुए अपनी आँखें बन्द रखी और जो वो सुख मुझे इतने वर्षों के बाद दे रही थी, उसी अहसास में मैं डुबा हुआ था।

सायरा काफी देर तक मेरे जिस्म से खेलती रही और अब मेरी बारी थी. मैंने सायरा की बांहों को पकड़ते हुए उसे कुर्सी पर बैठाया, उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चूत के गुलाबी मुहाने पर अपनी जीभ चलाने लगा.
शायद काफी देर से वो इस बात को चाह रही थी कि मैं भी उसकी चूत चाटूं. जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत के मुहाने से टच हुई, उसके मुख से ‘शाआआअ’ की आवाज आयी और फिर जैसे-जैसे मैं उसकी चूत को चाटता, वैसे-वैसे वो लम्बी-लम्बी सांसें लेती।

मैं उसकी भगनासा को अपने दांतों से काटता, उसकी चूची को बारी-बारी से मसलता, वो आह-ओह करती जाती।

मैं धीरे-धीरे होश खोते हुए मदहोशी के आलम में जकड़े जा रहा था। मैं उसकी चूत के अन्दर फांकों के बीच अपनी जीभ घुसेड़ देता तो कभी उसकी फांकों पर अपने दांत कचकचा कर चला देता. या फिर अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर डाल कर चलाता और उसकी चूत का जो रस मेरी उंगली में लगता, उसको मैं कुल्फी समझ कर चाट जाता. उसके मजे को और बढ़ाते हुए बीच-बीच में उसकी गांड के मुहाने पर अपनी जीभ चला देता या फिर उसके भगान्कुर को अपने मुंह के अन्दर लेकर आईसक्रीम की तरह चूस रहा था.

सायरा ‘ओह पापाजी, ओह पापाजी’ कहती जाती।
मेरा लंड भी अब फड़फड़ाने लगा था.

मैं चूत चाटना छोड़ खड़ा हुआ और सायरा की टांगों को पकड़कर उसकी कमर को अपनी उंचाई तक लाया और लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल दिया. सायरा ने गिरने के डर के मारे कुर्सी पकड़ ली.

उसके बाद ससुर के लंड ने बहू की चूत के अन्दर अपना जलवा दिखाना शुरू किया। थप थप की आवाज और सायरा के उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज से कमरा गूंजने लगा।
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RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान - by desiaks - 06-18-2020, 12:27 PM

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