RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
स्कूल मीटिंग पूरी तरह फ्लॉप रही।
वहाँ हॉल में घुसते ही केन को अहसास हो गया था कि जिस जगह को उन्होंने पाँच सौ लोगों की हाजिरी के हिसाब से सोचकर सारे इंतजाम किए थे, वहाँ दरअसल चंद लोग ही मौजूद थे। कॉरेन और प्रिंसिपल हेनरी के चेहरों पर गहरी निराशा स्पष्ट थी। केन ने आँखों ही आँखों में—वहाँ हॉल में मौजूद लोगों को गिना तो पाया कि कुल पैंतीस लोग मौजूद थे। उस बेहद निराशाजनक हालात में भी उसने व्यवसायिक मुस्कुराहट के साथ उन सभी का वहाँ स्वागत किया और बड़ी कुशलता से अपना मंतव्य उन लोगों को समझाया। इस सारे काम में कोई दस मिनट लगे जिसके बाद सवाल-जवाबों का दौर चला। हालाँकि हालात कोई बहुत बढ़िया तो नहीं थे लेकिन उस छोटी सी भीड़ में मौजूद एक गोरे ट्रक ड्राईवर ने केन द्वारा पेश की गई योजना से इत्तेफाक जाहिर कर कान्ट्रेक्ट साईन कर दिए, साढ़े चार बजे तक वहाँ मौजूद अट्ठाईस दूसरे श्रोताओं ने भी केन की पॉलिसी को खरीद लिया। बाकी बचे छः लोगों ने आगे सोचकर जवाब देने की बात कही।
और इस तरह मीटिंग—पौने पाँच बजे समाप्त हो गई।
आखिरी श्रोता के जाने के बाद प्रिंसिपल केन के पास पहुँचा और कहने लगा—“मुझे बेहद अफसोस है कि तुम्हें यहाँ मौजूद लोगों की कम हाजिरी से निराश होना पड़ा लेकिन मेरा तजुर्बा कहता है कि तुम्हारा यह प्रोग्राम पूरी तरह नाकामयाब नहीं रहा है। दरअसल यहाँ के लोग इस तरह की मीटिंग वगैरह से जरा परहेज ही रखते हैं सो यहाँ हाजिरी कम रही लेकिन मेरा दावा है कि जिन भी लोगों ने आज यहाँ मीटिंग में हिस्सा लिया है वे सब तुम्हारे सैल्समैन बन जाएंगे और ऐसे में बहुत जल्द यहाँ शहर में लोग तुम्हें और तुम्हारे इंश्योरेन्स प्लान को जान जाऐंगे। बस तुम्हें थोड़ा सब्र रखना पड़ेगा....आगे तुम्हें इतना काम मिलेगा कि फुर्सत भी नहीं निकाल पाओगे।”
केन ने प्रिंसिपल को शुक्रिया कहा और विदा लेकर बाहर आ गया।
बाहर तेज धूप में कॉरेन के साथ चलते हुए केन ने उससे कहा—“वैसे मेरे ख्याल से तो सारा प्रोग्राम बैकफायर ही कर चुका है लेकिन फिर भी मुझे प्रिंसीपल की कही बात पर यकीन है।”
“मेरा भी यही ख्याल है।”
केन ने गौर से कॉरेन पर निगाह डाली। दोनों ने पहले ही तय कर लिया था कि दोनों बेहद साधारण लिबास में वहाँ उस मीटिंग में आऐंगे तो कॉरेन ने एक सादा सूती लिबास पहना हुआ था। उधर केन ने भी ग्रे रंग की जीन्स के साथ एक सिंपल टीशर्ट पहनी हुई थी जिस पर ऊपर से उसने एक हाल ही में खरीदी गई नीले रंग की जैकेट पहनी थी जिसके बटन गोल्फ की छोटी-छोटी गेंदों की तरह दिखते थे।
केन ने कॉरेन पर से निगाह हटाई।
कॉरेन उस साधारण लिबास में भी कहर ढा रही थी।
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पिछले पाँच दिन तेजी से गुजरे थे जिस दौरान कंपनी के सैल्स मैनेजर ने उनके ऑफिस में विजिट किया था। केन को उस विजिट में यह देखकर बड़ी तसल्ली हुई कि बावजूद इसके कि सैल्स मैनेजर ने कॉरेन की बड़ी खुशामद की थी, कॉरेन ने उसे फिर भी कोई भाव नहीं दिया था।
अगले कुछ दिनों तक केन ने अपने स्तर पर कंपनी की पॉलिसियों को बेचने की कोशिशें जारी रखीं। वो अक्सर सीव्यू रोड पर निकल जाते। जहाँ मौजूद दुकानों की लम्बी कतारों में मौजूद उनके मालिकों वगैरह को वह अपनी कंपनी की एक्सीडेन्ट व फायर पॉलिसी के बारे में जानकारी देता। हालांकि केन जानता था कि इनमें से अधिकतर दुकानदार पहले ही किसी दूसरी कंपनी से ऐसी ही कोई मिलती जुलती पॉलिसी ले चुके थे लेकिन फिर इन मुलाकातों का मकसद केवल पॉलिसी बेचना नहीं बल्कि इन लोगों से इस किस्म की मेल-मुलाकातों के बाद इनसे जान पहचान बढ़ाना भी था जोकि आगे चलकर उसके लिए कारआमद साबित होती। उनमें से अधिकतर लोगों ने केन का बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया और यकीन दिलाया कि अपनी मौजूदा पॉलिसी के पूरे हो जाने पर वो लोग आगे केन की कंपनी पैरेडाईज इंश्योरेंस कारपोरेशन से ही बीमा पॉलिसी लेंगे।
इधर इन दिनों चूँकि कॉरेन भी अपने ऑफिशियल कामों में बिजी बनी रही थी, उससे भी कम ही मुलाकात हो पाई थी। कॉरेन से बनी यह दूरी उसे राहत तो देती थी लेकिन फिर भी उसे लेकर अपने मन मस्तिष्क में उमड़ रहे उत्तेजित ख्यालों को वह दबा नहीं पाता था।
खासतौर से रातों को....।
जब शुक्रवार शाम को ऑफिस अपनी हफ्तावार छुट्टी के लिए बंद हुआ था तो अगला दिन केन ने अपने घर के लॉन की देखभाल में गुजारा। शाम को वह बेट्टी के साथ घूमने निकला और फिल्म देखकर बढ़िया रेस्ट्रां में जायकेदार सी-फूड का डिनर करके लौटा। लेकिन इस पूरे वक्त वह कॉरेन के ख्यालों में ही खोया रहा। हर वक्त उसे यही ख्याल आता कि वह क्या कर रही होगी। कॉरेन ने उसे बताया था कि शनिवार दोपहर वह अपने पिता की यॉट पर जाने वाली थी जहाँ उसका वीकऐन्ड गुजारने का प्लान था।
रविवार को बेट्टी सुबह सवेरे फोर्ट लाडरडेल के लिए निकल गई। उसे विदा करते वक्त केन ने उसे आश्वासन दिलाया कि वह खुद भी वहाँ जल्द-से-जल्द पहुँचने की कोशिश करेगा।
और अब जब उसकी मीटिंग पौने पाँच बजे ही खत्म हो गई तो उसे बड़ी निराशा हुई। अगर वह चाहता तो अब से अगले केवल एक घण्टे में वह अपनी साली के घर, कोर्ट लाडरडेल, पहुँच सकता था लेकिन फिर इसका मतलब था कि उसे अपनी बेहूदा साली और उसके महाबोर पति के साथ आधी रात तक रहना पड़ेगा।
तभी कॉरेन—जो उसके साथ मीटिंग से लौट रही थी, ने पूछा—“तुम हाऊसहोल्ड के मामूली काम कर लेते हो न?”
“हाँ-हाँ”—केन ने उसकी ओर हैरानी से देखते हुए पूछा—“लेकिन तुम यह क्यों पूछ रही हो?”
“यूँ ही....”—वह बोला—“मेरा मतलब है कि तुम्हें फौरन तो किसी से मिलने नहीं जाना? तुम्हारे पास एक डेढ़ घण्टे का टाईम है क्या?”
केन की धड़कनें बढ़ गईं।
“वैल....”—केन ने कहा—“जाना तो मुझे है लेकिन फिर कोई खास जल्दी नहीं है। मैं आठ बजे तक फ्री हूँ और तुम्हारे पास अगर ऐसा कोई काम है जो तब तक खत्म किया जा सकता हो तो तुम मुझे बता सकती हो।”
“मैं दरअसल अपने बीच केबिन (सागर तट के पास बना केबिन) में जा रही हूँ जहाँ अल्मारी में कुछ ठोक-पीट का छोटा-मोटा सा काम है। क्या तुम उसे दुरुस्त कर सकते हो?”
“हाँ-हाँ क्यों नहीं....लेकिन क्या तुम्हारी मिल्कियत में बीच केबिन भी है?”
“केवल वीक एन्ड्स पर इस्तेमाल के लिए है। मैं कल जब वहाँ गई थी तब पता चला कि वहाँ अलमारी में बने शेल्फ्स को थोड़ी ठोक-पीट की जरूरत थी।”
दोनों की निगाहें मिलीं।
केन हिचकिचाया।
उसके दिमाग में खतरे की लाल रोशनी चमकने लगी।
उसे लगा कि उसे कोई बहाना बनाकर इस काम से पल्ला झाड़ लेना चाहिए लेकिन ऐसे में यकायक उसे कुछ सूझा ही नहीं।
कॉरेन अपनी मनमोहक मुस्कान के साथ उसे देख रही थी और ऐसे में उसके आमंत्रण को अस्वीकार करना बेहद मुश्किल था।
बल्कि असंभव था। नामुमकिन था।
“वैल....”—कॉरेन ने कहा—“लगता है तुम घर जाना चाहते हो?”
“नहीं, ऐसा कुछ....”
“नहीं रहने दो, फिर कभी देखेंगे।”
आमंत्रण वापिस लिया जा रहा था।
फौरन फैसला करना था।
केन ने किया।
उसने तुरन्त फैसला किया और कहा—“अरे नहीं—मुझे तुम्हारी मदद करके खुशी होगी। मैं तो दरअसल ये सोच रहा था कि वहाँ टूल किट वगैरह है या मैं घर जाकर ले आऊँ?”
“मेरे पास सब कुछ है, तुम बस चले चलो।”
“ठीक है।”
“तुम पक्का चलना चाहते हो न?”
“हाँ-हाँ।”
“ठीक है फिर—आओ चलें।”
केन ने कॉरेन को अपनी कार में बैठाया और चल पड़ा।
“हमारी कंपनी ने हमारा नया ऑफिस खोलकर हमें यहाँ ट्रांसफर कर तो दिया है”—कॉरेन कहने लगी—“लेकिन सच कहूँ तो मुझे यह बेहूदा इलाका जरा भी नहीं भाया है। पिछले हफ्ते यहाँ की ट्रेफिक पुलिस ने तेज ड्राईविंग की तोहमत लगाकर मेरा तीन बार चालान काटा है। कमबख्तों ने तीसरी दफा तो मेरा ड्राईविंग लाईसैंस तक जब्त कर लिया था और इसी वजह से कल मुझे अपने केबिन टैक्सी करके जाना पड़ा था।”
“यहाँ की पुलिस वाकई बड़ी तेज है।”—केन ने पूछा—“वैसे बीच पर तुम्हारा केबिन किस ओर है?”
“पैडलर्स क्रीक....जानते हो न वह किधर पड़ेगा?”
“अच्छा वो....लेकिन वो तो हिप्पियों का इलाका है।”
“हाँ, मेरा अपना केबिन वहाँ से आधा किलोमीटर ही दूर है।”
“बढ़िया....।”
“जब भी मुझे बोरियत महसूस होती है मैं वहाँ उनके इलाके में घूमने निकल जाती हूँ। कभी-कभी वे भी मेरे यहाँ घूमने आ जाते हैं....।”—कॉरेन हँसी—“उनका साथ मजेदार होता है।”
“लेकिन उनका रहन-सहन तो निहायत ही बेहूदा होता है।”
“तुम्हें लगता होगा ऐसा....मुझे तो मजेदार लगता है।”
कार हाईवे पर दौड़ाते हुए केन के मन में बार-बार यही ख्याल आ रहा था कि उसे कॉरेन के साथ जाने के बजाए अपनी बीवी बेट्टी के पास सीधे फोर्ट लाडरडेल जाना चाहिए था लेकिन अब इसके लिए देर हो चुकी थी।
फिलहाल मौजूदा हालात में वो अब कॉरेन के साथ जाने से मुकर नहीं सकता था।
कार में उसके ठीक बगल में बैठी कॉरेन की मौजूदगी से वह पूरी तरह सजग था लेकिन फिर भी वह उससे बातचीत करने में सहज नहीं था। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था और ड्राईव करते कार का स्टियरिंग थामे हाथों में ढीलापन था।
दूसरी ओर कॉरेन पूरी तरह संतुष्ट थी। वह बड़ी लापरवाही से कुछ गुनगुना रही थी।
कार आगे बढ़ती रही।
कोई एक मील आगे पहुँचने पर कॉरेन ने उसे रास्ता दिखाते हुए कहा—“अगले मोड़ से बाईं ओर घूमना है।”
केन उसके बताए रास्ते पर कार चलाता हुआ समुद्र की ओर जाती एक तंग रेतीली सड़क पर आ गया।
सामने साईप्रस और नारियल के पेड़ नुमाया थे।
“बस-बस”—कॉरेन ने कहा—“यहीं रुकना है, आगे पैदल का रास्ता है।”
“ठीक है”—कहकर केन ने वहीं पेड़ों के साये में गाड़ी पार्क कर दी। कार से उतरकर कॉरेन रेतीली पगडंडी पर झुरमुट की ओर बढ़ने लगी तो केन की निगाहें उसके बदन के पिछले हिस्से पर पड़ीं। गोल सुडौल बदन के उत्तेजक उतार-चढ़ाव और ऊपर से कॉरेन के अलमस्त अंदाज में चलने के ढंग ने उसे तरंगित कर दिया। केन ने बामुश्किल अपनी निगाहों को परे किया। दूर कहीं से आती दबे शोर की आवाज और उसी में मिला हुआ गिटारों और ड्रम्स का मद्धम शोर उसके कानों में पड़ रहा था। यकीनन हिप्पी कॉलोनी कोई बहुत दूर नहीं थी।
केन ने गौर किया कि रेतीले सागर तट का वह भाग सुनसान था। पैरेडाईज सिटी के बाशिन्दे वहाँ पैडलर्स क्रीक से दूर ही रहा करते थे। अपने ख्यालों में मग्न केन की निगाहें दोबारा अपने आगे चल रही कॉरेन पर पड़ीं।
तुरन्त उसकी बेचैनी बढ़ गई।
क्या लड़की थी!
क्या कमाल की लड़की थी!
ऐसा कि उसकी वो चाल ही केन को अपनी बीवी से बेवफाई कर डालने के लिए उत्तेजित कर रही थी। उसकी सारी सतर्कता धरी रह गई थी। कॉरेन यकीनन उसके दिलो-दिमाग पर हाहाकारी तरीके से छाई हुई थी। बेट्टी से बेवफाई करने के ख्याल ने उसे थोड़ा बेचैन जरूर किया था लेकिन फिर उसने खुद को यह सोचकर तसल्ली दी कि ज्यादातर मर्द अपनी बीवियों के साथ ऐसी बेवफाइयाँ करते रहते हैं। उसने खुद को याद कराया कि वह आज भी—अभी भी अपनी बीवी बेट्टी को बेहद चाहता था और इस फानी दुनिया के रहते उसकी जिन्दगी में कोई और औरत बेट्टी की जगह नहीं ले सकती थी।
कोई भी नहीं।
लेकिन कॉरेन....!
केन के दिलो-दिमाग में फिर से तूफान उठ आया।
क्या वो ठीक कर रहा था?
बेट्टी उसकी इस बेवफाई के बारे में जानेगी तो कैसे रियेक्ट करेगी?
लेकिन—फिर बेट्टी को इस बारे में पता चलेगा ही क्यों?
नहीं—उसे कभी उसकी इस हरकत के बारे में पता नहीं चलेगा।
चल ही नहीं सकता था।
वो या कॉरेन उससे या किसी से भी इस बाबत कभी कुछ नहीं बताने वाले थे।
अपने इन्हीं ख्यालों में डूबता-उतराता केन आगे बढ़ता रहा—जहाँ अब वह झुरमुट से निकलकर खुले सागर तट पर आ पहुँचा।
सामने ही लकड़ी का बना एक छोटा केबिन मौजूद था।
“यह है”—कॉरेन बोली—“मेरा केबिन।”
कॉरेन ने आगे बढ़कर केबिन का दरवाजा अनलॉक किया तो केन उसके पीछे-पीछे चलता हुआ भीतर एक बड़े कमरे में आ गया।
पीछे कॉरेन ने मेन डोर बन्द कर लिया।
उसने ए.सी. ऑन किया और खिड़कियों के गिरे पर्दों को उठाने की कोई कोशिश नहीं की।
केन ने आस-पास निगाह डाली।
कमरा खूब बड़ा और आरामदायक था। बीच में सैन्टर टेबल, साथ में तीन लाऊजिंग चेयर्स, एक टी.वी. सैट, कॉकटेल कैबिनेट, इधर-उधर बिखरी कुछ कुर्सियाँ और दूर कोने में एक बड़े साईज का दीवान।
“बढ़िया जगह है”—केन ने कहा—“कौन-सी अलमारी ठीक करनी है?”
“ओह कम ऑन केन”—कॉरेन मुस्कुराई—“मेरी तरह अब तो तुम भी जानते हो कि यहाँ कोई अलमारी है ही नहीं। बात सीधी है—और वो ये कि हम दोनों एक दूसरे को चाहते हैं।”
केन उस बात में छुपे इशारे को बखूबी समझ रहा था। मर्दों में ऐसी किसी खूबसूरत लड़की के ऐसे किसी राजीनामे को समझने की खास काबिलियत होती है।
आगे लम्बा वक्त बाकी था।
शाम तो अभी शुरू हुई थी।
अगले कुछ घण्टे ऐसी सनसनीखेज रफ्तार से बीते कि गुजरते वक्त का अहसास भी न हुआ।
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