RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
डोरबैल की तेज चीख सुनकर केन जागा।
जागा तो जागकर उठ बैठा।
उसे सिर में हथौड़े से बजते महसूस हुए तो उसने दोनों हाथों से अपना सिर थाम लिया।
डोरबैल दोबारा चीखी।
केन ने अपने ऊपर से चादर हटाई और पूर्ववत सिर थामे पलंग से नीचे उतर आया।
डोरबैल लगातार मुतवातर चीखे जा रही थी।
“अब इस वक्त कौन आ मरा?”—केन ने अपना ड्रेसिंग गाऊन पहनते हुए सोचा—“पता नहीं कितने बजे हैं?”
उसने बड़ी मुश्किल से—जबरन—अपनी आँखें खोलीं और पलंग के सिरहाने रखी घड़ी पर निगाह डाली।
सवा आठ बज रहे थे।
“हे भगवान ये तो सुबह हो गई।”—उसने सोचा और गौर किया सुबह की हल्की धूप भीतर कमरे तक आ पहुँची थी।
डोरबैल—जो एक पल के लिए शान्त हुई थी—फिर चीखी।
“ये क्या मुसीबत है।”—पलंग पर पड़ी कॉरेन ने पूछा।
केन ने तत्काल उसकी दिशा में देखा।
पलंग पर लेटी कॉरेन अपनी आँखें मिचमिचा रही थी।
केन घबरा गया।
बाहर कोई था जो लगातार—बिना रुके—डोरबैल बजा रहा था और भीतर कॉरेन पिछली सारी रात बिताकर अभी भी वहीं उसके साथ, उसके बिस्तर पर मौजूद थी। पिछली रात का हरेक दृश्य उसकी आँखों के आगे आ गया।
“बाहर दरवाजे पर कोई है।”—उसने धीमे स्वर में कहा—“तुम फौरन कहीं छुप जाओ।”
“ओ—डरपोक केनी।”—कॉरेन ने पलंग से नीचे उतरते हुए फब्ती कसी।
केन ने उसके इस तंज को अनदेखा किया और बाहर जाकर दरवाजा खोला।
बाहर—जैकोबी के साथ लेपस्कि मौजूद था।
केन ने उन्हें घूरा।
यकायक उसके सिर में बज रहे हथौड़ों की गति तेज हो गई।
“क्या हुआ?”—उसने नाराज होते हुए पूछा।
“माफ करना मिस्टर बैन्डन।”—लेपस्कि ने उसकी हालत का अंदाजा लगाते हुए कहा—“हम दरअसल उन गोल्फ बटनों के बारे में कुछ और पूछताछ करना चाहते हैं।”
“ओह,”—केन ने कहा—“वैसे मैं खुद तुम्हें फोन करने वाला था।”
“अच्छा—क्या हुआ?”—लेपस्कि ने हैरान होते हुए पूछा।
“मैंने पिछली शाम घर आकर जब फुर्सत से चैक किया तो बटन मिल गए थे।”
“बटन मिल गए!”—लेपस्कि और अधिक हैरान हो उठा—“क्या हम उन्हें देख सकते हैं?”
“भीतर आओ।”—केन ने पलभर के लिए भीतर मौजूद कॉरेन के बारे में सोचा और फिर दरवाजे के सामने से हट गया।
दोनों पुलिसिए भीतर आ गए तो केन ने पीछे दरवाजा बन्द किया और उन्हें लिविंग रूम में ले जाकर वहीं मौजूद सोफे पर बैठने का इशारा कर भीतर बैडरूम में चला गया। लेपस्कि ने फुर्ती से उठकर भीतर बैडरूम में निगाह डाली। बैडरूम खाली था लेकिन बैड की हालत बता रही थी कि पिछली रात उस पर बकायदा दो आदमजातों के बीच बड़ी गंभीर—बड़ी गंभीर और खूब लम्बी चली—कुश्ती खेली गई थी।
केन के बाहर लौट आने से पहले ही लेपस्कि दोबारा अपनी जगह पर आ बैठा।
केन बैडरूम से लौटा तो उसके हाथ में बटन मौजूद थे।
“ये लो।”—उसने लेपस्कि से कहा—“और भगवान के लिए अब मेरा पीछा छोड़ो।”
लेपस्कि ने बटनों को लेकर गिना—बटन पूरे थे।
“मिस्टर ब्रैन्डन।”—उसने कहा—“एक छोटी सी तकलीफ आपको और देनी पड़ेगी।”
“कहो।”—केन ने लम्बी सांस खींचते हुए कहा—“अब वो भी कहो।”
“दरअसल आप जानते हैं कि ये यहाँ हमारे शहर में हुए एक हौलनाक कत्ल का बेहद गंभीर मामला है और ऐसे में हमारा पूरा पुलिस महकमा—अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ—इस कत्ल की गुत्थी को सुलझाने में लगा है। अपनी ओर से हम हर वो मुमकिन कोशिश कर रहे हैं कि जिससे उस वहशी कातिल को पकड़ा जा सके।”
“मैं जानता हूँ लेकिन इस बात को दोहराने की वजह?”
“मिस्टर ब्रैडन”—लेपस्कि ने कहा—“कत्ल के केस में अक्सर तहकीकात करते-करते कभी-कभी कई अजीब और नामालूम बातें सामने आ जाती हैं। ये बटन जो अपने आप में बेहद अनोखे और गैरमामूली समझे जा रहे हैं—इस कत्ल के केस को सुलझाने में बड़े मददगार साबित हो सकते हैं सो मैं इन्हें—इन डुप्लिकेट बटनों को—और आपकी जैकेट को अपने साथ ले जाना चाहता हूँ।”
“लेकिन....”—केन हिचकिचाया।
“आप चिंता न करें—मैं इन्हें जल्द ही वापिस कर दूँगा।”—लेपस्कि ने बेहद सधे स्वर में कहा।
केन उस घाघ पुलिसिए को खूब पहचानता था।
उसका यूँ जैकेट और बटन माँगना उसके लिए फिर कोई मुसीबत खड़ी कर सकते थे।
“ओह—मिस्टर ब्रैन्डन”—लेपस्कि ने जोर डाला—“मैं एक जिम्मेदार पुलिस वाले की हैसियत से आपसे इल्तजा करता हूँ कि आप हमारा सहयोग करें।”
कोई और चारा नहीं था।
वो पुलिसिया मानने वाला नहीं था।
“ठीक है।”—केन ने ताव खाते हुए कहा और भीतर से जैकट लाकर उन्हें सौंपते हुए बोला—“ले जाओ—वैसे भी मैं खुद अब इस मनहूस जैकेट को दोबारा देखना नहीं चाहता सो....”—वो लगभग चीखा—“अपना काम खत्म करके इसे वापिस मुझे लौटाने के बजाए कहीं भी फेंक देना।”
“ओह नो—मैं इसे जल्द ही लौटा दूँगा।”—लेपस्कि ने उठते हुए कहा।
जैकोबी ने अपने साथी को फॉलो किया।
दोनों बाहर निकल आए तो केन ने पीछे से भड़ाक से दरवाजा बन्द करके लॉक कर लिया।
केन उन पुलिसियों से बेहद नाराज था लेकिन जानता था कि उसकी नाराजगी के प्रदर्शन ने अगर उन पुलिसियों को नाराज किया तो उसकी खैर नहीं थी।
वैसे ही वो दोनों उसके पीछे पड़े हुए थे।
बड़बड़ाता केन वापिस बैडरूम में पहुँचा तो पाया कि कॉरेन—जो उन पुलिसियों के उस अचानक पड़े फेरे में वहीं बैडरूम के अटैच्ड बाथरूम में जा छुपी थी—अब बाहर निकल आई थी और खुशकिस्मती से अपने पूरे कपड़े पहने हुए थी।
इस वक्त वो वहाँ बैडरूम में लगे एक शीशे के आगे खड़ी हुई—बेट्टी की कंघी से अपने बाल संवार रही थी।
कॉरेन के हाथ में अपनी बीवी की कंघी देखकर केन और चिढ़ गया लेकिन बोला कुछ नहीं।
“गए तुम्हारे दोस्त।”—कॉरेन ने पूछा—“हो गई उन मरदूदों को तसल्ली!”
“हाँ वो चले गए।”—केन ने संक्षिप्त-सा जवाब दिया और अपनी पिछली रात के लिए सफाई देने की गर्ज से कहा—“वो....कल रात मैं नशे में था और शायद इसीलिए अपनी सुध-बुध खो बैठा।”
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