RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
“हम्म”—लेपस्कि ने कुछ सोचते हुए कहा।
“वैल—ऑफिसर मुझे अब देर हो रही है, सो क्या ही बेहतर हो कि आप मुझे जरा जल्दी फारिग कर दें।”
“फारिग! जल्दी क्यों।”—लेपस्कि ने हैरानी से पूछा।
“….वो इसलिए मिस्टर ऑफिसर कि मेरे प्यारे जैमी को, जो पीछे घर पर अकेला है, अब पेशाब की हाजत लग रही होगी।”
“तो उसमें आपका क्या रोल है? वो अपना काम—ये काम— तो खुद ही करता होगा?”—लेपस्कि ने शैतानी भरे लहजे में पूछा।
“जी हाँ—वो अपने सारे काम खुद ही कर लेता है लेकिन मैं नहीं चाहती कि इस प्रक्रिया में वो पूरे घर में अपने हाजत के निशान छोड़ता फिरे….सो, यू नो वॉट आई मीन।”
“ओ—हाँ….हाँ”—लेपस्कि ने मुस्कुराकर कहा।
उसने चंद और सवाल किए जिसका नतीजा सिफर रहा। वो समझ गया कि उस लड़की के पास बताने के लिए कुछ और नहीं था।
“बहुत-बहुत शुक्रिया मिस डोरोलेस….पुलिस डिपार्टमेन्ट आपके इस सहयोग की भावना की कद्र करता है।”
“कोई बात नहीं, यह मेरा फर्ज था ऑफिसर।”—उसने मुस्कुराकर जवाब दिया।
“शुक्रिया”—लेपस्कि ने कहा और पूछा—“अब एक आखिरी सवाल के बाद आप फ्री हैं।”
“अब वो भी पूछ लीजिए।”
“मैं दरअसल जानना चाहता था कि अगर आप कभी उस आदमी से दोबारा मिलें तो क्या सिर्फ उसकी पीठ देखकर उसे पहचान सकेंगी।”
“वो कैसे भला?”
“उसकी चाल से, कद-काठी से।”
“जी हाँ”—डोरोलेस ने हिचकते हुए कहा—“ऐसे तो मैं उसे अभी भी पहचान सकती हूँ।”
“पीठ देखकर भी?”
“हाँ….पीठ देखकर भी।”
“उसकी चाल-ढाल से, उसकी कद-काठी से।”
“और उसके हाथ, उसकी पेन्टर जैसी उँगलियों से।”
“मेरा वही मतलब था।”
“जी मैं पहचान सकती हूँ।”
“चाहे फिर उसने….”—लेपस्कि ने सावधान स्वर में कहा— “….इस बार भले ही वो खास, न भुला सकने वाली, जैकेट भी न पहनी हो।”
डोरोलेस ने सहमति में सिर हिलाया।
“बहुत बढ़िया मिस डोरोलेस”—लेपस्कि ने उत्साहित स्वर में कहा—“और अब इस बारे में मेरी एक सलाह है जिसे आप गाँठ बाँध लें।”
“जी बोलिए।”—उसने सशंकित स्वर में कहा।
“मेरी इस मामले में आपको ये जाती राय है कि फिलहाल इस मसले पर आप थोड़ा सावधानी बरतें और किसी से, किसी से भी, इसका जिक्र करने से परहेज करें।”
“ऐसा भला क्यों ऑफिसर?”—उसने पूछा।
“ये सिर्फ एक सलाह है मिस डोरोलेस जिसको देने की वजह मेरी अपने पुलिस महकमें की सालों की सर्विस का तजुर्बा है। मैं जानता हूँ कि कभी-कभी मुँह से निकली बात दूर तलक निकल जाती है....और आगे इससे हालात बिगड़ सकते हैं।”
“हूँ”—उसने कुछ सोचते हुए कहा—“मैं आपकी बात समझती हूँ और इसका ध्यान रखूँगी।”
“शुक्रिया मैडम”—लेपस्कि अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ और उसकी ओर हाथ बढ़ाते हुए बोला—“मुझे खुशी है कि आपने यहाँ आकर शहर के पुलिस महकमे की मदद की।”
“थैंक यू ऑफिसर”—कहकर डोरोलेस भी उठ खड़ी हुई, अपने अंग-प्रत्यंग लचकाते हुए उठ खड़ी हुई—“और मुझे खुशी है कि मैं आपके किसी काम आ सकी।”
दोनों ने एक दूसरे से हाथ थामे दो-तीन बार ऊपर नीचे किए और फिर लड़की पलटकर, अपनी फेमस कैट वॉक स्टाईल में ठुमकती सी वहाँ दफ्तर से बाहर निकल गई।
“उसने अपना पता क्या बताया?”—उसके बाहर निकलते ही जैकोबी लपकता सा लेपस्कि के पास पहुँचा और पूछने लगा।
“दो सौ डॉलर….कम से कम दो सौ डॉलर।”—लेपस्कि ने जवाब दिया।
“ये उस लड़की का पता बताने की फीस है?”—जैकोबी ने हैरानी से पूछा।
“नहीं—ये उस लड़की की फीस है।”—लेपस्कि ने सपाट लहजे में कहा—“और पुलिस महकमे में नौकरी करते एक थर्ड ग्रेड डिटेक्टिव की माली हैसियत, ऐसी नहीं होती कि किसी चालू आईटम पर इतनी मोटी रकम खर्च कर सके। समझे मैक्स?”
“समझ गया।”—जैकोबी मुँह लटकाकर बोला।
“क्या समझे?”
“यही कि”—जैकोबी ने नजरें चुराते हुए कहा—“कि इतनी देर से आपने उससे कोई ढंग के सवाल पूछने की जगह उसके धंधे, उस धन्धे में उसकी खुद की प्राईस टैग के बारे में ज्यादा दिलचस्पी जाहिर की लगती है।”
“मैक्स”—लेपस्कि ने नकली नाराजगी जाहिर करते हुए कहा—“तुम लाजवाब हो।”
“थैंक यू”—जैकोबी ने सिर नवाते हुए कहा।
“लेकिन परफैक्ट नहीं….अभी थोड़ा और प्रैक्टिस करो, तो मुझे यकीन है तुम और बढ़िया कर सकते हो।”
लेपस्कि ने अपनी दाईं आँख दबाई, मेज पर से अपने नोट्स उठाए और अपने पीछे हक्के-बक्के जैकोबी को यूँ ही खड़ा छोड़कर बाहर निकल गया।
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