RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
पैट हैमिल्टन के रात दस बजे वाले शो को देखकर रेनाल्ड्स ने उठकर टी.वी. बन्द किया और कुर्सी में ढेर की भाँति बैठी एमीलिया की ओर देखा।
हैमिल्टन ने अपने टी.वी. प्रोग्राम में लू बून के कत्ल की डिटेल भी दी थी।
“इसमें कोई शक नहीं कि वो सनकी कातिल अभी भी यहीं इसी शहर में है”—रेनाल्ड्स ने कहा—“और उसके यूँ खुलेआम, आजाद रहते इस शहर में कोई भी, कहीं भी सेफ नहीं है। समझ नहीं आता कि यहाँ का पुलिस डिपार्टमेन्ट कर क्या रहा है?”
“मुझे नहीं लगता कि क्रिसपिन….”—एमीलिया पागलों की तरह चिल्लाई—“वो ऐसा कर ही नहीं सकता।”
“मेरा ख्याल है कि आपको थोड़ी ब्रान्डी लेनी चाहिए।”
“ठीक है....ले आओ”—एमीलिया ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।
रेनाल्ड्स लड़खड़ाता हुआ लिकर कैबिनेट के पास पहुँचा तो उसे खिड़की से अपनी रॉल्स रॉयल चलाकर जाता हुआ क्रिसपिन दिखाई दे गया।
क्रिसपिन उस वक्त कैन्ड्रिक आर्ट गैलरी जाने के लिए निकला था।
“वो जा रहा है मैडम।”—रेनाल्ड्स ने एमीलिया को बताया।
“जाओ”—एमीलिया बोली—“ऊपर उसके स्टूडियो में जाकर देखो।”
“जी मैडम।”—रेनाल्ड्स ने कहा लेकिन फिर सीढ़ियों के रास्ते ऊपर स्टूडियो में जाने से पहले उसने अपने कमरे में जाकर स्कॉच का एक तीन गुना पैग खींचा, फिर वहीं कहीं से एक तार का टुकड़ा बरामद किया और ऊपर जाती सीढ़ियों के निचले सिरे पर बने दरवाजे के पास पहुँचा। अगले कुछ पलों की कारीगरी के बाद उसने दरवाजे का ताला खोल लिया और ऊपर जाती सीढ़ियाँ चढ़ गया।
एमीलिया वहीं बैठी इंतजार करती रही। उसे यकीन था कि क्रिसपिन ने ही उस दूसरी हत्या को भी अंजाम दिया है लेकिन फिर भी बुझे मन से वह खुद को बहलाने की कोशिश करती रही कि शायद ऐसा न हो। शायद क्रिसपिन का उस दूसरी हत्या से कोई संबंध न हो। एमीलिया—जिसे हमेशा समाज में अपने रुतबे, अपने सम्मान की फिक्र लगी रहती थी—आज यह सोचकर हलकान हो रही थी कि अगर लोगों को यह पता चल गया कि उसका बेटा वहशी कातिल है तो कौन उससे बोलना पसंद करेगा? आज शाम उसे उस पार्टी में इनवाईट किया गया था जिसे स्पेनिश बे होटल में फ्रांसिसी राजदूत के सम्मान में आयोजित किया जा रहा था लेकिन अगर किसी तरह यह बात फैल जाती कि वो एक दुर्दान्त हत्यारे, एक मैनियाक वहशी कातिल की माँ थी तो कौन उसे डिनर पर बुलाता। आज वो शहर के बेहद प्रतिष्ठित लोगों की फेहरिस्त में अपना नाम दर्ज कराती थी लेकिन क्या आगे भी यही हालात रहने वाले थे?
क्या उसे अपना ऐसा रुतबा खोना नहीं पड़ेगा?
इन्हीं ख्यालों में डूबी एमीलिया को आगे अपनी प्रतिष्ठा, अपना रुतबा, अपना रसूख और यहाँ तक कि अपनी पूरी जिन्दगी खत्म होती दिख रही थी।
तभी रेनाल्ड्स वापस लौटा।
एमीलिया ने उसकी ओर देखा तो पाया कि उसका चेहरा कागज की तरह सफेद पड़ा था और चेहरे पर पसीना चुहचुहा आया था।
“क्या बात है?”—घबराई एमीलिया ने पूछा।
“वह एक आदमी का सिर पेंट कर रहा है”—रेनाल्ड्स ने निगाहें नीचे कर फुसफुसाते हुए कहा—“कटा हुआ खून में डूबा सिर।”
एमीलिया को तेज झटका लगा।
अब शक की कोई गुजाईंश नहीं थी। उसकी इकलौती औलाद ही शहर में हुए दूसरे कत्ल के पीछे थी। उसका बेटा बिलाशक उस दूसरे कत्ल का भी जिम्मेदार था।
रुतबा!
रसूख!
सब खतरे में था।
एमीलिया निढाल-सी हो गई और उसने अपनी आँखें मूंद लीं।
“ब्रान्डी।”—उसने रेनाल्ड्स से कहा।
सहमति में सिर हिलाता रेनाल्ड्स लिकर कैबिनेट तक पहुँचा और ड्रिंक बनाने लगा लेकिन वो खुद इतनी बुरी तरह डरा हुआ था कि ड्रिंक बनाते वक्त उसके कांपते हाथ से गिलास छूटकर नीचे जा गिरा।
“रेनाल्ड्स!”—एमीलिया चीखी।
“यस मैडम।”—रेनाल्ड्स ने एक दूसरे गिलास में ड्रिंक तैयार किया और एमीलिया के पास पहुँचा।
एमीलिया ने हाथ आगे बढ़ाकर गिलास थामा और एक ही झटके में उसे गटक लिया।
“मैडम….”—रेनाल्ड्स ने कुछ कहना चाहा।
“मुझसे बात मत करो….बस इतना याद रखो कि हम कुछ नहीं जानते। जाओ अपना काम करो।”
“मैडम—वह आगे फिर किसी और का कत्ल भी कर सकता है।”
“इन लोगों की परवाह किसे है।”—एमीलिया चीखी—“एक वेश्या थी। दूसरा हिप्पी था।”
“लेकिन मैडम....।”
“हम कुछ नहीं जानते”—एमीलिया फिर चीखी—“क्या तुम अब अपनी उम्र के इस मोड़ पर अपनी नौकरी से हाथ धोना चाहते हो? मुझे घर से बाहर फिंकवा देना चाहते हो? हमें इस बखेड़े से कोई मतलब नहीं….हम कुछ नहीं जानते।”
अपनी बेरोजगारी के खतरे से रेनाल्ड्स घबरा गया। इस उम्र में उसे दूसरी नौकरी कहीं हासिल नहीं होनी थी।
और ऊपर से उसे स्कॉच पीने—बेशुमार स्कॉच पीने—की बुरी आदत भी थी।
“मैडम”—उसने हिचकिचाते हुए कहा—“वो अब कंट्रोल से बाहर, और हद से ज्यादा खतरनाक हो चुका है। हो सकता है कि अपने पागलपन के किसी दौरे में वो आप पर भी हमला कर दे।”
रेनाल्ड्स ने बड़ी चालाकी से अपनी बात कही थी। उसने ये नहीं कहा था कि क्रिसपिन खुद उस पर हमला कर सकता है।
“क्या बकवास है।”—एमीलिया बोली—“मैं उसकी माँ हूँ। खामाखा बको मत और जाकर अपना काम देखो। हम कुछ नहीं जानते।”
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