RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
कॉरेन स्टर्नवुड ने आखिर अपना काम निपटा ही लिया। डाक दिनों दिन बढ़ती जा रही थी और बिजनेस तेजी से फैलने लगा था। केन की सहायता न होने की वजह से शनिवार दोपहर बाद का समय भी उसे रोजमर्रा की माथा-पच्ची में गुजारना पड़ा था।
उसने अपनी घड़ी पर नजर डाली—साढ़े छह बजे थे।
उसने सोचा कि उसका बाप अपने बूढ़े दोस्तों के साथ अपनी याट पर था। उसके बाप ने उसे भी वहां निमंत्रित किया था मगर उसने बता दिया था कि केन अपने बीमार ससुर को देखने गया था, इसलिए दफ्तर का सारा काम उसके ही जिम्मे था और इस वजह से उसे फुरसत नहीं मिल पाएगी।
इस बात से उसका बाप बहुत प्रभावित हुआ था।
अब काम खत्म करने के बाद उसने सिगरेट सुलगाई और बचे-खुचे वीकएण्ड के बारे में सोचने लगी।
वासना की भूख उसे बुरी तरह सता रही थी।
केन के बाद उसे पुरुष संसर्ग नहीं मिला था और अब वह किसी मर्द की जरूरत महसूस कर रही थी। उसे इस बात पर भी खीज आई कि जब तक उसका ड्राईविंग लायसेंस वापिस नहीं मिल जाता, वह कार नहीं चला सकती थी। उसने तय किया कि बाकी का सारा वीकएन्ड वह अपने केबिन में गुजारेगी, लेकिन पहले किसी साथी को ढूंढना था।
उसने अपने विभिन्न पुरुष मित्रों के बारे में सोचा, मगर दिक्कत थी कि वे सब पहले से ही बुक होंगे, क्योंकि उसका कोई भी पुरुष मित्र अपने वीकएन्ड को खाली नहीं रखता था।
काफी देर सोचने के बाद एक तरीका सूझा और उसे प्रयोग करने में बुराई भी नजर नहीं आई।
क्यों न किसी से लिफ्ट मांगी जाए?
मुमकिन था कि कोई बढ़िया नौजवान टकरा जाए। उसने यही करने का निश्चय किया।
आफिस लॉक करके सीव्यू एवेन्यू से होती हुई वह मयामी हाइवे पर आ गई और आम के पेड़ के साए में खड़ी होकर आती-जाती कारों को देखने लगी।
शनिवार की शाम यातायात की अधिकता के कारण कारें धीरे-धीरे गुजर रही थीं।
बहुत देर खड़ी रहने के बाद, ठीक उन क्षणों में जबकि उसका धैर्य टूटने लगा था, उसे एक रॉल्स आती दिखाई दी। इस समय ट्रेफिक जाम हो जाने के कारण रॉल्स ठीक उसके पास आकर रुकी।
उसने ड्राइवर का जायजा लिया, हल्के सुनहरी बाल, सुन्दर एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व।
वह बगैर हिचकिचाए कार की तरफ बढ़ी और ड्राईवर की ओर आमंत्रणपूर्वक मुस्करा दी।
“मेरे रास्ते की ओर जा रहे हो?” उसने पूछा।
क्रिसपिन ग्रेग ने गौर से उसे देखा और उसके मन में पहला ख्याल आया कि पेंटिंग के लिए वह बढ़िया सबजैक्ट थी। फिर उसने देखा कि लड़की की वासनामय आंखों में स्पष्ट आमंत्रण था। वह आगे झुका और कार की दूसरी ओर का दरवाजा खोल दिया।
“तुम्हारा रास्ता किधर है?” बराबर में आ बैठी कॉरेन से उसने पूछा।
“पैडलर्स क्रीक।” मुस्कराई—“कार लाजवाब है।”
“पैडलर्स क्रीक?” ट्रेफिक के साथ-साथ कार आगे बढ़ाता हुआ क्रिसपिन बोला—“वह तो हिप्पी कॉलोनी है।”
“हां।”
“लेकिन तुम तो हिप्पी नहीं हो?”
“कालोनी के पास ही मेरा केबिन है।”—वह हंसी और बोली—“मेरा नाम कॉरेन स्टर्नवुड है।”
“स्टर्नवुड!”—क्रिसपिन फौरन उसकी ओर पलट गया—“इंश्योरेन्स के धंधे वाला एक स्टर्नवुड तो मेरे पिता का भी दोस्त था।”
“मैं उसी की बेटी हूँ। तुम्हारे पिता? क्या नाम है तुम्हारा?”
“क्रिसपिन ग्रेग। साइरस ग्रेग मेरे पिता का नाम था। चन्द महीने पहले उनकी मृत्यु हो गई थी।”
“तुम उसके बेटे हो? मैं एक बार तुम्हारे पिता से मिली थी। बढ़िया आदमी था। बड़ी अजीब बात है।”
“हाँ”—क्रिसपिन ने स्टियरिंग से एक हाथ हटाकर गले में पड़ा सुलेमान पैन्डेंट टटोला। जब से उसने इसे पहना था, बार-बार इसे टटोलने की तीव्र इच्छा होती थी।
“यह ओरिजिनल है?” कॉरेन ने पैन्डेंट को देखते हुए पूछा—“क्या है यह?”
“ऐसे ही एक चीज हाथ आ गई थी।”—क्रिसपिन ने कहा—“मुझे चन्द मिनट का जरा सा काम है। तुम्हें जल्दी तो नहीं है?”
“नहीं”—कॉरेन हंसी—“इस वीकएन्ड में मैं बिल्कुल खाली हूं। कोई काम नहीं है।”
“हम दोनों एक ही जैसे हैं।”—क्रिसपिन बोला—“शायद दोनों मिलकर एक-दूसरे का खालीपन भर सकें।”
कॉरेन ने उसके इकहरे जिस्म, लम्बी टांगों, कलाकार जैसे हाथों और सुन्दर चेहरे पर नजरें घुमाईं, तो जांघों के बीच गर्म खून का तेज प्रवाह अनुभव किया। दिल-ही-दिल में बोली—“जरूर हम एक-दूसरे का खालीपन भर देंगे।”—और कहा—“वाकई मजा रहेगा।”
क्रिसपिन ने हाईवे से पैराडाइज एवेन्यु की ओर राल्स घुमा दी।
“मैं एक चीज देखना चाहता हूं। फिर जब तक कहोगी, साथ रहूंगा।”
इस समय शाम के सात बजकर दस मिनट हुए थे।
पैराडाइज एवेन्यु सुनसान था।
सभी लग्जरी शॉप बन्द हो चुकी थीं।
क्रिसपिन ने केनड्रिक की गैलरी के आगे राल्स रोक दी।
जब से उसने यह पेंटिंग दी थी, उसे इस विख्यात गैलरी में लगा देखने की उसकी प्रबल इच्छा थी। उसने सोचा क्या पेंटिंग सराही गई होगी?
हालांकि शनिवार दोपहर बाद का समय ठीक नहीं था, मगर वह देखना चाहता था कि केनड्रिक नाम के उस अजीब और बेहूदा आदमी ने उसकी पेंटिंग किस ढंग से डिस्प्ले की थी।
पेंटिंग चांदी की पेंट की हुई ईजल पर लगी थी जहाँ सूरज की सीधी किरणें उस पर पड़ रही थीं।
क्रिसपिन को अत्यधिक गर्व की अनुभूति हुई।
यह ओरिजिनल थी।
जानदार थी।
“इसके बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?” उसने पेंटिंग की ओर संकेत करके कॉरेन से पूछा।
कॉरेन ने विरक्तिपूर्वक पेंटिंग की ओर देखा फिर उस पर नजरें जमाकर क्षुब्ध भाव से पूछा—“उस चीज के बारे में?”
क्रिसपिन की मुस्कराहट स्थिर हो गई—“हां, वह जो पेंटिंग है।”
“मुझे माडर्न आर्ट की ज्यादा जानकारी नहीं है,”—कॉरेन ने अनिच्छापूर्वक कंधे झटकाए—“लेकिन मेरे पास चन्द बेहतरीन कलाकृतियां हैं। मेरे बाप के पास तो माडर्न आर्ट के महान् कलाकारों की ढेरों पेंटिंग्स हैं।”
क्रिसपिन की लम्बी कलात्मक उंगलियां स्टियरिंग व्हील पर कस गईं।
“विंडो में लगी पेंटिंग के बारे में तुम्हारी क्या राय है?” उसने पैने स्वर में पूछा।
“यह तो कोई मजाक लगता है....सप्ताहांत का मजाक”—कॉरेन ने जवाब दिया—“या तो इसे बनाने वाला या फिर केनड्रिक पागल है। मेरी नजरों में तो यह किसी बेहूदा बच्चे की बेहूदगी है। तुम ऐसा नहीं समझते क्या?”
“बेहूदा बच्चा?”
“हां”—कॉरेन हंसी—“या फिर कोई पागल आदमी रहा होगा।”
क्रिसपिन की उंगलियां अपने आप ही सुलेमान पैन्डेन्ट को सहलाने लगीं।
“मैं सोचता था कि यह ओरिजिनल थी।”
“क्या तुम सिर्फ यही देखना चाहते थे?” कॉरेन ने पूछा। वह इस आदमी के साथ केबिन में पहुंचने के लिए बेताब थी—“आओ चलें।”
क्रिसपिन हाइवे की ओर कार ड्राइव करने लगा।
“अगर तुम वाकई अच्छे किस्म की माडर्न आर्ट में रुचि रखते हो”—कॉरेन ने कहा—“इस जैसे कूड़े-कबाड़ में नहीं। तब तुम्हें केनड्रिक से मिलना चाहिए। वह पूरा जानकार है इन चीजों का।”
“कूड़ा-कबाड़?”—क्रिसपिन ने पूछा—“तुम वाकई ऐसा समझती हो?”
“तुम नहीं समझते क्या?”
क्रिसपिन के मन में भयानक प्रबल इच्छा उत्पन्न हुई कि कार रोक दे। माणिक पत्थर दबाकर इस लड़की को चाकू घोंप दे और फिर घोंपता ही चला जाए, लेकिन उसने खुद पर काबू पा लिया।
“तुम वीक-एण्ड के लिए बिल्कुल फ्री हो?”—उसने अप्रत्याशित रूप से नर्म स्वर में पूछा—“तुम्हारी राय में हमें क्या करना चाहिए?”
“मेरे केबिन में चलो।”—कॉरेन आमंत्रणपूर्वक मुस्कराई—“वहां मौज मस्ती करेंगे।”
तत्पश्चात दोनों मौन हो गए।
रॉल्स फिसलती रही।
“कार यहीं छोड़ दो।”—कॉरेन ने कहा—“थोड़ी देर पैदल चलना होगा।”
पास के पेड़ों के साये में क्रिसपिन ने कार रोक दी। कार से उतरकर दोनों कॉरेन के केबिन की ओर चल दिए।
क्रिसपिन ने अच्छी तरह जानने के बावजूद भी कहा— “इसी जगह के आसपास कहीं एक लड़की की हत्या हुई थी ना?”
“हां। बड़ा भयानक कांड था।”
सांझ का धुंधलका फैलने लगा था। नीचे झुके पेड़ों और घनी झाड़ियों के झुरमुट से घिरी पगडंडी पर लगभग अंधेरा-सा गहरा रहा था।
“इस रास्ते पर तुम्हें डर नहीं लगता है?”—क्रिसपिन ने उसके पास आकर पैन्डेंट टटोलते हुए पूछा।
“तुम जैसा जवां मर्द साथ हो तो डर कैसा?”
वे खुले स्थान में आ गए।
“वो देखो!”—कॉरेन ने इशारा किया—“वही मेरा केबिन है।”
क्रिसपिन ने एकांत केबिन की ओर देखा।
“बढ़िया जगह है। तुम यहां बिल्कुल अकेली रहती हो? ये हिप्पी तुम्हें परेशान नहीं करते?”
“वे मुझे नोचते हैं।”—कॉरेन ने केबिन का ताला खोला—“मैं उन्हें निचोड़ती हूं।”
दोनों केबिन में दाखिल हो गए। कॉरेन ने लाइट्स आन कर दीं और बड़ी खिड़की के पास जाकर पर्दे खींच दिए।
क्रिसपिन ने चारों ओर निगाहें घुमाईं और बोला—“वैरी नाइस।”
“आई लव इट।”—कॉरेन ने उसे गौर से देखा। दमदार आदमी है। उसने सोचा, फिर पूछ बैठी—“ड्रिंक लोगे?”
क्रिसपिन उसके पास आ गया। अपने हाथ धीरे से उसकी बांहों पर रखकर उसे इस प्रकार घुमा दिया कि कॉरेन की पीठ उसकी ओर हो गई। फिर उसकी उंगलियां हौले-हौले कॉरेन की रीढ़ की हड्डी पर फिसलने लगीं।
कॉरेन के शरीर में सिहरन सी हुई।
उसने अपने कंधे झुका दिए।
उसके समूचे जिस्म से एक तेज लहर गुजरने लगी।
“फिर करो।”—वह बोली—“तुम्हें कैसे पता चला मेरी पसन्द का?”
क्रिसपिन की उंगलियां पुनः उसकी गरदन के पृष्ठ भाग से रीढ़ की हड्डी के अन्तिम सिरे तक फिसलने लगीं।
“ओह मजा आ गया!”
क्रिसपिन ने धीरे से उसे पलंग की ओर धकेला।
“ठहरो।”—कॉरेन ने फटाफट अपने कपड़े उतार फेंके फिर पलंग पर औंधी लेट गई और हांफती हुई बोली—“करो ना। बार-बार करते रहो।”
क्रिसपिन पलंग पर उसके पास बैठ गया। बांये हाथ की एक उंगली को उसकी नंगी पीठ पर फिराने लगा और दांये हाथ से उसने सुलेमान पैन्डेंट गले से निकाल लिया। माणिक दबाते ही चाकू का फल बाहर उछल आया।
“और करो।”—वह कामुक स्वर में बोली—“करते रहो।”
कॉरेन को लगा कि उसकी रीढ़ की हड्डी पर कोई पंख फिसल रहा था। बेहद तेज चाकू की नोंक ने उसकी खाल हौले से पूरी लम्बाई में काट दी। खून छलक आया, लेकिन दर्द बिल्कुल नहीं हुआ।
उस पर कामोन्माद सवार था।
गरदन से रीढ़ की हड्डी के सिरे तक कटी लम्बाई को चाकू ने दुबारा और थोड़ा गहरा कर दिया।
इस बार और ज्यादा खून छलका।
“ओह!”—कामातिरेक के कारण पलंग पर हाथ पटकती हुई कॉरेन फंसी-सी आवाज में बोली—“….आह….फिर करो और करो....।”
अचानक क्रिसपिन की आंखें चमकने लगीं। होंठ गुर्राहट पूर्ण मुद्रा में खिंच गए। पीठ में कटी हुई लम्बाई की गरदन से नीचे तक चाकू द्वारा और भी गहरा कर दिया।
खून तेजी से निकलकर चादर को रंगने लगा।
कॉरेन तेज पीड़ा अनुभव करके सिहर गई। वह तुरन्त पीठ के बल पलटी।
क्रिसपिन के चेहरे पर नजर पड़ते ही आंखें आतंक से फट गईं।
वह किसी खौफनाक दरिन्दे का चेहरा था।
फिर उसने खून से सना चाकू देखा।
“क्या कर रहे हो?”—वह भयभीत स्वर में चिल्लाई—“मुझे क्या कर दिया है तुमने?”
सहसा चादर पर फैला खून देखकर उसका मुंह आतंकपूर्ण चीख की मुद्रा में खुल गया।
तभी क्रिसपिन ने चाकू का भरपूर वार कर दिया।
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