RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
आतंकित खड़े केन ने, छुपकर वाच करते दोनों डिटेक्टिव और कोठी में दाखिल न होने की चेतावनी के बारे में सोचा, मगर पिस्तौल के सामने वह आदेश पालन के लिए विवश था। भारी कदमों से लाबी में दाखिल हो गया।
“समझदार आदमी हो।”—क्रिसपिन ने कहा—“अब दरवाजा बन्द करके कुंडी लगा दो।”
केन ने धड़कते दिल से बाहर नजर दौड़ाई मगर दोनों डिटेक्टिव में से कोई भी नजर नहीं पड़ा।
उसने दरवाजा बन्द कर दिया और फिर कांपते हाथ से ऊपर-नीचे की मोटी सिटकनियां भी चढ़ा दीं।
“अब सीढ़ियां चढ़ो।”—क्रिसपिन ने आदेश दिया।
कांपती टांगों को सहारा देने के लिए केन बेनिस्टर थामकर सीढ़ियां चढ़ गया।
क्रिसपिन पीछे था।
“दाईं ओर मुड़कर अन्दर चले जाओ।”
केन, क्रिसपिन के विलासपूर्ण लिविंग रूम में आ गया।
“बैठो।”—क्रिसपिन ने पिस्तौल से एक कुर्सी की ओर संकेत किया।
केन बैठ गया।
पसीने से तर अपने हाथ घुटनों पर रख लिए।
“पिस्तौल के लिए माफी चाहता हूं।”—क्रिसपिन डेस्क के सिरे से सटकर बोला—“दरअसल मुझे किडनेप किए जाने का डर रहता है, इसीलिए सावधानी बरतता हूं। तुम कौन हो?”
इस दौलतमंद शख्स की यह आशंका केन को ठीक ही लगी।
“मेरा नाम ब्रेन्डन है”—स्वर को सामान्य बनाए रखने का प्रयत्न करता हुआ वह बोला—“मैं पैराडाइज सिटी एश्योरेंस का रिप्रेजेन्टेटिव हूं। तुम्हारे पास यह सोचकर आया हूं कि शायद तुम अपनी पेंटिंग्स का बीमा करना चाहोगे। मेरा यकीन करो, मि. ग्रेग, मैं एकदम हानि रहित इन्सान हूं।”
“मेरी पेंटिंग्स का बीमा करने? तुम्हें कैसे पता चला कि मैं कलाकार हूं?”—क्रिसपिन ने उसे घूर कर पूछा—“क्या केनड्रिक ने बताया था?”
केन पुनः घबरा गया।
लेपस्कि ने उससे कहा कि ग्रेग के पेंटर होने की पुष्टि कर ले। क्रिसपिन के इन शब्दों ने, लेपस्कि द्वारा बताए गए हुलिए से हूबहू मिलते, इस आदमी के पागल हत्यारा होने की बात सत्य सिद्ध कर दी थी।
केन को अपने चेहरे से खून निचुड़ता महसूस हुआ।
उस पर नजरें जमाए क्रिसपिन ने पुनः पूछा—“क्या तुम्हें केनड्रिक ने बताया था?”
केनड्रिक से केन के व्यापारिक सम्बन्ध थे।
उसने केनड्रिक की कुछ कलाकृतियों का बीमा किया था।
“हां”—वह फंसी-सी आवाज में बोला—“केनड्रिक ने बताया था कि तुम्हारे पास बहूमूल्य पेंटिंग्स थीं।”
“पेंटिंग्स वाकई बेशकीमती हैं”—क्रिसपिन ने पिस्तौल जेब में रख ली—“माफ करना मि. ब्रेन्डन। मैं तुम्हारी तलाशी लेना चाहूंगा। आजकल अजनबी अतिथि खतरनाक हो सकते हैं।”
“आफकोर्स”—केन फिर राहत महसूस करने लगा—“मि. ग्रेग, तुम अपनी पेंटिंग्स का बीमा कराना चाहोगे?”
“क्या उनका मूल्यांकन किया जाएगा?”
“जरूरी नहीं है। तुम उनका मूल्य बता दो और हम उतना ही स्वीकार कर लेंगे।”
“शायद तुम मेरी कुछ पेंटिंग्स देखना चाहोगे?” क्रिसपिन ने कहा और उठकर खड़ा हो गया।
“मैं इस मामले में बिल्कुल अनाड़ी हूं।”—केन भी उठकर खड़ा हो गया—“मैं तुम्हारा और वक्त बरबाद नहीं करूंगा।”— अब वह इस कोठी से निकल जाना चाहता था—“तुम अपनी पेंटिंग्स की कोई अंदाजन कीमत मुझे बता दो। मैं प्रीमियम की कोटेशन भेज दूंगा।” वह दरवाजे की ओर बढ़ा।
“इसमें देर नहीं लगेगी”—क्रिसपिन बोला—“मैं एक खास किस्म की पेंटिंग बना रहा हूं और तुम्हें दिखाना चाहता हूं।” केन को घूरते समय उसकी उंगलियां सुलेमान पैन्डेन्ट को टटोलने लगी थीं। वह मुस्कराकर रह गया।
“मुझे किसी से मिलने जाना है”—केन निराश भाव से बोला—“मैं फिर कभी देख लूंगा, मि. ग्रेग। मैं कल आ जाऊंगा। फिलहाल तो तुम अपनी पेंटिंग्स की कीमत मुझे बता दो, मैं कोटेशन दे दूंगा।”
ज्योंहि केन ने दरवाजा खोला, क्रिसपिन की आंखों में अचानक ही वहशत भरी खौफनाक चमक दौड़ गई।
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