RE: Free Sex kahani आशा...(एक ड्रीमलेडी )
बाथरूम से निकल कर आईने के सामने फ़िर खड़ी हो गई | नहाने के बाद एक अलग ही ताज़गी फ़ील कर रही थी वह अब | दर्पण में चेहरा अब और भी खिला खिला सा लग रहा है | तीन-चार भीगे लट उसके चेहरे के किनारों पर बिख़र आए हैं; एकबार फ़िर उसे अपने आप पर बहुत प्यार आ गया | ख़ुद को किशोरावस्था को जस्ट पार करने वाली नवयौवना सी समझने लगी वह | और ऐसा ख्याल मन में आते ही एक हया की मुस्कान छा गई होंठों के दोनों किनारों पर ... और ऐसा होते ही मानो चार चाँद लग गए गोल गोरे मुखरे पर | और अधिक खिल सी गई ...
अभी अपनी ख़ूबसूरती में और भी डूबे रहने की तमन्ना थी उसे .. पर तभी एक ‘बीप’ की आवाज़ के साथ उसका फ़ोन घर्रा उठा.. हमेशा अपने फ़ोन को साउंड के साथ वाईब्रेट मोड पर रखती है आशा .. कारण शायद उसे भी नहीं पता | कोई मैसेज आया था शायद.. मैसेज आते ही उसका फ़ोन का लाइट जल उठता है | और अभी अभी ऐसा ही हुआ .. एक ही आवाज़ के साथ लाइट जल उठा | और इसलिए ऐसा होते ही आशा की नज़र फ़ोन पर पड़ी | चेहरे और बाँहों में लोशन लगाने के बाद इत्मीनान से ड्रेसिंग टेबल के पास से उठी और बिस्तर पर पड़े फ़ोन को उठा कर मैसेज चेक की |
मैसेज चेक करते ही उसका चेहरा छोटा हो गया... दिल बैठ सा गया.. | भूल कर भी भूल से जिसके बारे में नहीं सोचना चाहती थी उसी का मैसेज आया था |
--- ‘हाई स्वीटी, कैसी हो?’
--- ‘क्या कर रही हो.. आई होप मैंने तुम्हें डिस्टर्ब नहीं किया | क्या करूँ, दिल को तुम्हें याद करने से रोक तो नहीं सकता न!!’
--- ‘अच्छा, सुनो ना.. मैं क्या कह रहा था... आज तो तुम स्कूल आओगी नहीं... इसलिए तुम्हारा दीदार भी होगा नहीं .. एक काम करो, अपना एक अच्छा सा फ़ोटो भेजो ना...’
--- ‘हैल्लो.. आर यू देयर? यू गेटिंग माय मैसेजेज़ ?’
--- ‘प्लीज़ डोंट बी रुड.. सेंड अ पिक.. ऍम वेटिंग..|’
कुल पाँच मैसेज थे .. और ये मैसेजेज़ भेजने वाला था ‘मि० रणधीर सिन्हा’ | आशा के स्कूल का फाउंडर कम चेयरमैन | फ़िलहाल प्रिंसिपल की सीट के लिए उपयुक्त कैंडीडेट नहीं मिलने के कारण रणधीर ने ख़ुद ही काम चलाऊ टाइप प्रिंसिपल की जिम्मेदारियों को सम्भाल रखा था |
रणधीर कैसा पिक माँग रहा था यह अच्छे से समझ रही थी आशा | रणधीर या उसके जैसा इंसान आशा को बिल्कुल भी पसंद नहीं | यहाँ तक कि उसका नाम भी सुनना आशा को पसंद नहीं .. पर.. पर..
खैर,
एक छोटा टॉवल सिर पर बालों को समेट कर बाँधी.. ड्रेसिंग टेबल के दर्पण के सामने तिरछा खड़ी हुई .. कैमरा ऑन की.. २-३ पिक खींची और भेज दी |
अगले पाँच मिनट तक कोई मैसेज नहीं आया..
ये पिक्स रणधीर के लिए काफ़ी हैं सोच कर मोबाइल रख कर ड्रेस चेंज करने ही जा रही थी कि एक ‘बीप’ की आवाज़ फ़िर हुई.. आशा कोसते हुए फ़ोन उठाई..
---‘हाई.. पिक्स मिला तुम्हारा.. अभी अभी नहाई हो?? वाओ... सो सुपर्ब स्वीटी.. बट इट्स नॉट इनफ़ यू नो.. आई मेंट सेंड मी समथिंग हॉट.. | यू नो न; व्हाट आई मीन..??’
लंबी साँस छोड़ते हुए एक ठंडी आह भरी आशा ने | जिस बात का अंदाजा था बिल्कुल वही हुआ ... रणधीर ऐसे में ही ख़ुश होने वालों में नहीं था | उसे आशा के ‘न्यूड्स’ चाहिए !! .. आशा को पहले ही अंदाज़ा हो गया था कि रणधीर कैसी पिक्स भेजने की बात कर रहा है .. वह तो बस एक असफ़ल प्रयास कर रही थी बात को टालने के लिए | पर ये ‘भवितव्य:’ था... होना ही था ...
थोड़ा रुक कर वह फ़िर ड्रेसिंग टेबल के सामने गई.. सिर पर टॉवल को रहने दी.. बदन पर लिपटे टॉवल को धीरे से अलग किया ख़ुद से... ख़ुद तिरछी खड़ी हुई दर्पण के सामने | अपने पिछवाड़े को थोड़ा और बाहर निकाली, स्तनों का ज़रा सा अपने एक हाथ से ढकी और होंठों को इस तरह गोल की कि जैसे वह किस कर रही हो..
फ़िर दूसरा पिक वो ज़रा सामने से ली... सीधा हो कर ... अपनी हथेली और कलाई को सामने से अपने दोनों चूची पर ऐसे रखी जिससे की चूचियाँ, निप्पल सहित हल्का सा ढके पर आधे से ज़्यादा उभर कर ऊपर उठ जाए और एक लम्बा गहरा क्लीवेज सामने बन जाए.. |
फ़िर तीसरा पिक ली.. ये वाला लगभग दूसरे वाले पिक जैसा ही था पर इसमें वह थोड़ा पीछे हो कर मोबाइल को थोड़ा झुका कर ली.. इससे इस पिक में उसका पेट, गोल गहरी नाभि और कमर पर ठीकठाक परिमाण में जमी चर्बी भी नज़र आ गई |
तीनों ही पिक बड़े ज़बरदस्त सेक्सी और हॉट लग रहे थे.. एक बार को तो आशा भी गर्व से फूली ना समाई और होंठों के किनारों पर एक गर्वीली मुस्कान बिखर जाने से रोक भी न पाई | आशा गौर से थोड़ी देर अपनी पिक्स को देखती और इतराती रही .. फ़िर बड़े मन मसोस कर रणधीर को सेंड कर दी.. | पिक मिलने के मुश्किल से दो से तीन सेकंड हुए होंगे की रणधीर का मैसेज आ गया.. एक के बाद एक ... कुल तीन मैसेजेज़ ..
पहला दो मैसेज तो स्माइलीज़ और दिल से भरे थे .. तीसरा मैसेज यूँ था..
---‘ऊम्माह्ह्ह... वाओ... डार्लिंग आशा... यू आर जीनियस ... सो सो सो सो ब्यूटीफुल... अमेजिंग बॉडी यू हैव गोट.. आई लव यू... ऊम्माह्ह्ह्ह.... टेक केयर आशा बेबी.. सी यू टुमॉरो.. |’
मैसेज पढ़ कर भावहीन बुत सा खड़ी रही आशा.. मैसेज पढ़ कर रणधीर, उसका चेहरा, उसकी उम्र, नाम सब उसके आँखों के आगे जैसे तैरने से लगे.. मन घृणा से भर गया आशा का.. सिर को झटकते हुए मोबाइल को बिस्तर पर पटकी और चली गई चेंज करने.......|
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