RE: Free Sex kahani आशा...(एक ड्रीमलेडी )
कुछ मिनटों तक घूरते रहने के बाद रणधीर बाबू ने अपना आईफ़ोन निकाला और आशा को सिर एक तरफ़ झुका कर आँखें ज़रा सा बंद करने को कहा ---- जैसे कि वो नशे में हो --- नशीली आँखें --- जैसा रणधीर बाबू चाहते थे बिल्कुल वैसा करते ही रणधीर बाबू ने फटाफट तीन-चार पिक्स खिंच लिए --- |
फ़िर आँखों को नार्मल रखने को बोल कर फ़िर से तीन- चार पिक्स लिए --- यह सोच कर कि अगर किसी दिन थोड़ी ऊँच-नीच हो जाए तो वह प्रमाण के तौर पर यह दिखा सके कि उन्होंने वो पिक्स आशा के पूरे होशो हवास और उसकी सहमती से ही लिए थे |
उन पिक्स में कमाल की कामुक औरत लग रही थी आशा --- हरेक अंग-प्रत्यंग से --- रोम रोम से कामुकता टपक रही हो --- बिल्कुल किसी काम देवी की भांति --- और स्वर्ग क्या या उसका अर्थ क्या होता है यह तो उसके सामने की ओर अधिक तने हुए बूब्स और डीप क्लीवेज बता ही रहे हैं रणधीर बाबू को |
रणधीर बाबू के शैतान खोपड़ी में अब एक और बात खेल गई --- कि स्वर्ग तो सामने देख लिया पर यदि स्वर्गलाभ नहीं लिया तो फ़िर क्या किया --- इतना खेल खेलने का परिश्रम तो व्यर्थ ही जाएगा |
एक दीर्घ श्वास लेकर रणधीर बाबू ने एक निर्णय और लिया --- कुछ और बोल्ड करने का --- इस तरह के खेल वो बाद में भी खेल सकता है --- फ़िलहाल वक़्त है इस खेल का लेवल बढ़ाने का --- |
खड़े लंड को वैसे ही पैंट की ज़िप से बाहर निकला रख, रणधीर बाबू अपने उस आरामदायक विशेष रेवोल्विंग चेयर से उठे और कुछ ही कदमों में आशा के निकट पहुँच गए ---- |
आशा अपने धौंकनी की तरह बढ़ी हुई दिल की धड़कन पर नियंत्रण का बेहद असफ़ल प्रयास करते हुए तिरछी निगाहों से अपने दाईं ओर बिल्कुल पास आ कर उसकी कुर्सी से सट कर खड़े हुए रणधीर बाबू की ओर देखी --- उनकी बढ़ी हुई पेट से ऊपर का हिस्सा तो नहीं देख सकी पर नज़र एकदम से उनके पैंट की ज़िप से बाहर बिल्कुल काले रंग के लंड की ओर गई; जो किसी स्टार्ट की हुई खटारे इंजन वाले किसी खटारे टेम्पो की छत पर रखे बांस की तरह हिल रहा था --- |
लंड के अग्र भाग के चमड़ी के मध्य से हल्का सा दिख रहा हल्की गुलाबी रंग का लंडमुंड धीरे धीरे बिल से बाहर आता किसी खतरनाक सांप की भाँति सामने आ रहा था --- आशा ने देखा, --- अग्र भाग की कुछ चमड़ी धीरे धीरे पीछे की ओर जा रही है और अब तक हल्की गुलाबी रंग का प्रतीत होता मशरूम-नुमा लंडमुंड अत्यधिक रक्त प्रवाह के कारण लाल रंग अख्तियार करता जा रहा है --- मशरूम नुमा भाग के टॉप पर बना चीरा बिल्कुल आशा के चेहरे के समीप ही है और पसीने और मूत्र की एक अजीब सी मिली-जुली गंध आशा के नाक में समा रही है --- |
एक पुरुष के यौननांग को अपने इतने समीप पाकर आशा तो एकदम से सकपका गई ---- बेचारी बिल्कुल किंकर्तव्यविमूढ़ सी हो कर रह गई --- और जब यह बात ध्यान आई कि जिसका यौननांग उसके इतने पास खड़ा है; वह उससे कहीं, कहीं अधिक उम्र के व्यक्ति का है तो शर्म से दुहरा कर लाल हो गई ---- तुरंत ही अपने चेहरे को दूसरी तरफ़ घूमा कर बोली,
‘स... सर... यह क्या....?’
‘ओह कम ऑन आशा--- डोंट बिहेव लाइक अ सिली गर्ल ---- यू आर अ मैरिड वुमन --- तुम्हें तो अच्छे से पता है न, कि यह क्या है ??’
चेहरे पर ऐसे भाव लिए और ऐसी टोन में बोले रणधीर बाबू मानो, परीक्षा केंद्र में किसी छात्रा ने एक जाना हुआ क्वेश्चन का मतलब पूछ ली हो और इससे इन्विजिलेटर को बहुत अफ़सोस हुआ |
‘न..न.. नो सर... म.. मेरा मतलब... आप ये क्या...क्या क...कर रहे ....हैं...?’
घबराहट के अति के कारण सूखते अपने होंठों पर जीभ फ़िरा कर भिगाने की कोशिश करती आशा ने किसी तरह अपना सवाल पूरा किया ---
‘ओह... यू मीन दिस?!!’ अपने तने लंड को देखते हुए आशा की ओर देख कर रणधीर बाबू अपने हल्के पीले-सफ़ेद दांतों की चमक बिखेरते हुए आगे बोले,
‘म्मम्म.... आशा.... अब ऐसे सवाल करने और इस तरह से दूसरी ओर मुँह घुमा लेने तो काम नहीं चलेगा----??--- अब इस बेचारे का ध्यान तो तुम्हें ही रखना है --- कम ऑन --- टर्न हियर --- लुक एट इट ---- इट्स डाईंग फॉर योर लव फिल्ड डिवाइन अटेंशन --- |’
आशा फ़िर भी नहीं मुड़ी --- रणधीर बाबू ने दो तीन बार अच्छे से, नर्म लहजे में आशा को मानाने की कोशिश की --- पर फ़िर भी जब आशा अपेक्षाकृत उत्तर नहीं दी तो रणधीर बाबू का स्वर एकाएक ही बहुत हार्श हो गया ----
‘आशा !! --- आई ऍम नॉट आस्किंग यू टू डू दिस --- ऍम टेलिंग यू --- ऍम ऑर्डरिंग यू टू डू दिस --- !! |’
रणधीर बाबू की आवाज़ में इस बार एक अलग ही धमक थी ---
आशा सहम कर तुरंत ही अपना चेहरा दाईं ओर की --- और ऐसा करते ही उसकी नजर सीधे रणधीर बाबू के फनफनाते लंड पर पड़ी ---
रणधीर बाबू बोले,
‘गिव सम लव --- आशा ---’
आशा आँखें उठा कर रणधीर बाबू की ओर देखी --- सुनहरे फ्रेम के ब्राउन ग्लास के अंदर से झाँकते रणधीर बाबू की आँखें एक खास तरह से सिकुड़ कर एक ख़ास ही मतलब बयाँ कर रही थी --- |
आशा के अंदर की बची खुची प्रतिरोधक क्षमता भी हवा में फुर्रर हो गई --- किस्मत का खेल समझ कर अब मन ही मन खुद को तन-मन से पूरी तरह रणधीर बाबू को समर्पित कर उनका मिस्ट्रेस बनने का दृढ़ निश्चय कर आशा ने अपना दाहिना हाथ उठाया और काले, सख्त तने हुए लंड को अपने नर्म हाथों की नर्म उँगलियों की गिरफ़्त में ली और बहुत ही हिचकिचाहट से; बहुत धीरे धीरे अपना हाथ आगे पीछे करने लगी ----
और ऐसा करते ही, रणधीर बाबू सुख और आनंद के चरम सीमा पर पहुँच गए --- आखिर उनकी ड्रीमगर्ल --- (यहाँ शायद ड्रीमलेडी कहना उचित होगा) --- ने उनके हथियार को अपने नर्म हाथों के गिरफ़्त में जो ले लिया है --- लंड के चमड़े पर हथेली के नर्म स्पर्श का अहसास ही उन्हें वो सुख दे रहा है जो शायद किसी कॉल गर्ल की अनुभवी चूत ने भी नहीं दी होगी --- |
इधर आशा भी धीरे धीरे आश्चर्य के सागर में गोते लगाने लगी --- क्योंकि आशा के हाथ के नर्म छूअन के बाद से ही रणधीर बाबू का लंड पल-प्रतिपल फूलता ही जा रहा है और मोटाई और चौड़ाई भी ऐसी बना रखी है जैसा की आज तक आशा ने केवल पोर्न मूवी क्लिप्स में ही देखा है --- रोज़ रातों को मम्मी, पापा और नीर के सो जाने के बाद आशा अकेली तन्हा हो कर बिस्तर पर पड़े पड़े ही मोबाइल पर पोर्न मूवी देखते हुए साड़ी को जाँघों तक उठा कर अपनी बीच वाली लंबी ऊँगली से चूत खुजाती और कलाकार ऊँगली की कलाकारी की मदद से ही पानी छोड़ते हुए सो जाती --- कुछेक बार ऐसा भी हुआ है की पानी छोड़ने के बाद मन में भारी पश्चाताप का बोध की है आशा ने --- पर; ---- एक मशहूर अभिनेता का डायलॉग --- ‘अपने को क्या है; अपने को तो बस; पानी निकालना है ---’ याद आते ही शर्म से लाल हो जाती और दोगुने उत्तेजना से भर वो फ़िर से पानी निकालने के काम में लग जाती ----
पर यहाँ बात यह है कि आजतक आशा ने जिस तरह के आकार वाले लंड देखी थी ; सब के सब मोबाइल के पोर्न मूवीज़ में --- उसने कभी यह कल्पना नहीं की होगी की वास्तविक जीवन में भी ऐसा औज़ार का होना सम्भव है !!
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