RE: Free Sex kahani आशा...(एक ड्रीमलेडी )
निःसंदेह नीर के पापा का भी हथियार का दर्शन की है वह ---- पर --- इतने सालों में तो वह उसका चेहरा भी लगभग भूल सी चुकी है --- हथियार को याद रखना बाद की बात है --- और अगर हथियार तक याद नहीं है, तो इसका मतलब हथियार कुछ खास नहीं रहा होगा ! (ऐसा कभी कभी आशा सोचती थी ---!!) |
इधर लंड फुंफकार रहा था और उधर रणधीर बाबू दिल ही में ज़ोरों से आहें भर रहे थे ---- खड़े रणधीर बाबू ने जब नज़रें नीची कर कुर्सी पर बैठी आशा को उनका लंड हिलाते हुए देखने कोशिश की तो पहली ही कोशिश में उनकी आँखें चौड़ी होती चली गई --- ऊपर से देखने पर आशा की पल्लू विहीन दूधिया चूचियों के बीच की घाटी अधिक लंबी और गहरी लग रही है और आकर्षक तो इतना अधिक की एकबार के लिए तो रणधीर बाबू का दिल ही धड़कना बंद हो गया !! ---- और तो और ----- उसकी ब्लाउज भी पीछे से ---- पीठ पर --- डीप ‘U’ कट लिए है जिससे कि आधे से अधिक गोरी, चिकनी, बेदाग़ पीठ सामने दृश्यमान हो रही है --- ब्लाउज भी कुछ ऐसी टाइट पहनी है की जिससे उसके पीठ की भी करीब तीन इंच की क्लीवेज बन गई है --- |
रणधीर बाबू हाथ बढ़ा कर आशा की दाईं चूची को थाम लिया और प्रेम से दबा कर उसकी नरमी का आंकलन करने लगे --- आह: ! सचमुच---- जितना सोचा था --- उससे भी कहीं अधिक नर्म है इसकी चूचियाँ ---- हह्म्म्म --- साली पूरा ध्यान रखती है अपना----- ! ऐसा सोचा रणधीर बाबू ने |
अचानक हुई इस क्रिया से आशा हतप्रभ हो कर हडबडा गई ---- पर ख़ुद ही जल्दी संभल भी गई --- पहले दिन के पहले ही प्रोजेक्ट में रणधीर बाबू को निराश या नाराज़ नहीं करना चाहती ---
अतः चुपचाप मुठ मारने के कार्य में केन्द्रित रही ---
इधर चूचियों की नरमी मन का लालच और अधिक से अधिक बढ़ाने लगी ---- ब्लाउज के ऊपर से करीब ५ मिनट तक दबाने के बाद रणधीर बाबू उन दोनों चूची को ब्लाउज और ब्रा के नापाक कैद से आज़ाद कर --- उन्हें नंगा कर अपने हाथों में ले उनके छूअन का आनंद ले पूर्ण तृप्त होना चाहते थे --- पर पहले ही दिन एकसाथ इतने सारे काण्ड करने का कोई इरादा नहीं है उनका--- पुराने खिलाड़ी हैं ---
जानते हैं नारी हृदय की आकुलता को ---
उनकी व्यग्रता और मनोभावों को ---
उनके छटपटाहट के सही समय को ---
इसलिए बिना किसी तरह की कोई जल्दबाज़ी किए वह उन नर्म, पुष्ट, गदराई चूचियों को अपनी सख्त मुट्ठी में भींचने में ही लगे रहे ---
उनकी पारखी उँगलियाँ , जल्द ही आशा को बिना कोई खास तकलीफ़ दिए --- यहाँ तक की उसे पता लगने दिए बिना ही ---- उसके ब्लाउज के अगले दो हुक्स को खोल दिए --- अभी भी दो और हुक्स शेष थे , पर उन्हें रहने दिया --- ब्लाउज के खुले दोनों सिरों/ पल्लों को थोड़ा और फैलाया --- अब करीब सत्तर प्रतिशत चूची अनावृत हो गई --- बाकि के अभी अंदर मौजूद एक सफ़ेद-क्रीम कलर के ब्रा में कैद हैं ---
कसे ब्रा कप के कारण ऊपर उठ कर पहले से फूले चूचियाँ और अधिक फूले हुए हैं --- ये देख कर रणधीर बाबू के होश ही मैराथन के लिए भाग गई --- दूधिया चूचियों को क्रीम कलर के ब्रा में देख मन ही मन हद से अधिक प्रफुल्लित होते रणधीर बाबू ये सपने देखने लगे कि गोरी आशा की ये गोरी चूचियाँ काले, लाल और गुलाबी ब्रा में कैसे लगेंगें ??!
ब्लाउज के ऊपर से ही एक एक कर दोनों चूचियों के नीचे हाथ रख कर बारी बारी से तीन चार बार इस तरह उठा उठा कर देखा मानो दोनों चूचियों का वज़न माप (तौल) रहा हो ---
पहले तो आशा बहुत बुरी तरह से शरमाई; पर जब रणधीर बाबू को उसके चूचियों के वज़न देखते हुए एक कामाग्नि भरी ‘ऊफ्फ्फ़...ओह्ह्ह..... लवली ...’ कहते सुनी तो गर्व से भर वह दुगुनी हो गई ..
और वाकई रणधीर बाबू उसके दोनों चूची के भार को देख जितना आश्चर्यचकित हुए --- उससे कहीं ज़्यादा ख़ुशी से बल्लियों उछलने लगे अंदर ही अंदर ---- ये सोच सोच कर कि आने वाले दिनों में इन्हीं चूचियों पर आरामदायक ; सुकून भरे पल बीतने वाले हैं --!
इधर आशा --- ;
पता नहीं क्यूँ, अपने से पच्चीस - तीस साल बड़े --- एक बुज़ुर्ग आदमी के लंड को हिलाने तो क्या; छूने तक घृणा कर रही थी --- वही अब उसी आदमी के द्वारा उसके बूब्स मसले जाने पर वह एक अलग ही ख़ुशी, आनंद मिलने लगी --- एक एडवेंचर सा फ़ील होने लगा उसे |
हिलाते हिलाते बहुत देर हो गई --- लंड अब और भी ज़्यादा अकड़ गया --- लंड हिलाते हुए आशा की हाथों की चूड़ियों से आती ‘छन छन’ की आवाज़ माहौल और मूड को और भी गरमा रही थी --- वीर्य की धार कभी भी फूट सकती है --- और रणधीर बाबू अपना कीमती वीर्य बूंदों को यूँ ही वेस्ट नहीं जाने देना चाहते – इसलिए उन्होंने एक हल्के थप्पड़ से अपने लंड पर से आशा का हाथ हटाया और आगे हो कर उसके होंठों से अपने लंड का छूअन कराया --- आशा भीषण रूप से हिचकी --- कसमसाई --- कातर दृष्टि से रणधीर बाबू की ओर देखी --- पर रणधीर बाबू अपना सारा होश बहुत पहले ही अपने लंड के सुपाड़े में डाल चुके थे --- सोचने समझने का काम फिलहाल उन्होंने अपने लंड पर छोड़ रखा था और लंड आशा के मुँह में घुसने को बुरी तरह से तत्पर था --- |
आशा नर्वस हो ज़रा सा मुस्कुराई और ऐसा दिखाने की कोशिश की कि;
उसे भी अब थोड़ा थोड़ा इस खेल में मज़ा आ रहा है –
और पूरे मन से रणधीर बाबू का मुठ मारने में खुद को व्यस्त दिखाने का भी भरपूर प्रयास की ----
पर रणधीर बाबू इतने में खुश होने वालों में से नहीं ---
आशा के हाथ में एक और थप्पड़ मारते हुए थोड़ी कड़क आवाज़ में कहा,
‘एनफ विथ द हैंड्स, स्लट..! --- ’
और इतना कहते हुए एक झटके में जोर का प्रेशर देते हुए आशा के मुँह में लंड का प्रवेश कर दिया ---
‘आह..अह्हह्म्मप्प्फ्ह....’
इतनी ही आवाज़ निकली आशा की ---
कुछ सेकंड्स लंड को वैसे ही रहने दिया मुँह में ;
थोड़ा सा निकाला,
फ़िर एक और तगड़ा झटका देते हुए लंड को आधे से ज़्यादा उतार दिया आशा के गले में ---
मारे दर्द के आशा तड़प उठी --- साँस लेना तो दूर ; उतने मोटे तगड़े लंड को मुँह में रखने के लिए मुँह / होंठों को ज़्यादा फ़ैला भी नहीं पा रही बेचारी --- और इधर रणधीर हवस में अँधा होकर थोड़ा पर तेज़ और ताकतवर झटके देने लगा आशा के मुँह में घुसे अपने लंड को --- वह आज कम से कम आशा के हल्के गुलाबी गोरे मुखरे को चोद लेना चाहता था ---
‘आःह्हह्ह्ह्ह.... ऊम्म्म्हह आप्फ्ह्हह्हह्म्म्म.....’ आशा बस इतना ही कह पा रही थी --
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