RE: Free Sex kahani आशा...(एक ड्रीमलेडी )
एक दिन की बात है,
आशा समय से बीस मिनट पहले स्कूल पहुँच गई थी ---- नीर को उसके क्लास में बैठा आई --- बहुत ही कम स्टाफ्स और स्टूडेंट्स को आए देख वह आराम करने का सोची --- पर तभी ध्यान आया कि उसे थोड़ा और सलीके से ठीक होना है --- रणधीर बाबू के लिए --- |
एक श्वास छोड़ी,
एक से दस तक गिनी और फ़िर चल दी वाशरूम की ओर --- ;
लेडीज़ वाशरूम की अपनी ही एक अलग ख़ासियत है इस स्कूल में ---- और जब बनवाने वाला ख़ुद रणधीर बाबू हो, तब तो खास होना ही है |
टाइल्स, मार्बल्स, फैंसी वॉशबेसिंस , लाइटिंग, ... आहा... एक अलग ही बात है ऐसे वाशरूम में...
आशा अब तक एक बात छुपाती आ रही थी रणधीर बाबू से ----
और वो बात यह थी कि ---- ;
आशा ब्रा पहन कर स्कूल आती थी !
घर से निकलते समय तो उसने ब्लाउज के नीचे ब्रा पहनी होती पर जैसे ही वो स्कूल पहुँचती, जल्दी से नीर को उसके क्लास में पहुँचा कर वह लगभग भागती हुई सी वाशरूम पहुँचती और ब्रा उतार कर अपने बैग में रख लेती !
आज भी वह वाशरूम में घुस कर यही कर रही थी कि तभी शालिनी आ गई --- !
आशा चौंकी; उस वक़्त किसी के आने की कल्पना की ही नहीं थी आशा ने ---- पर अच्छी बात यह रही कि शालिनी के भीतर कदम रखने के दस सेकंड पहले ही उसने अपनी ब्रा बैग में रख चुकी थी और फिलहाल साड़ी पल्लू को सीने पर रख पल्लू के नीचे से हाथ घुसा कर हुक्स लगा रही थी ---
शालिनी भी इक पल को ठिठकी .. उसने भी किसी के वहाँ होने की कल्पना नहीं की थी ---
और अभी अपने सामने आशा को देख वह भी दो पल के लिए भौचक सी रह गई --- |
और कुछ ही सेकंड्स में उसके होंठों के कोनों पर एक कुटिल मुस्कान खेल गई ---
उसकी अनचाही प्रतिद्वंदी; आशा जो खड़ी है सामने --- आज शायद कुछ अच्छी बातें हो जाए इसके साथ ---
हौले से मुस्कराकर ‘गुड मोर्निंग’ विश की आशा को और दीवार पर लगे लार्ज फ्रेम आईने के सामने खड़ी हो कर अपना दुपट्टा और बाल ठीक करने लगी ---
आशा भी मुस्करा कर रिटर्न विश की दोबारा अपने काम में लग गई --- ब्लाउज हुक्स लगाने के काम में ---
इधर शालिनी भी मन ही मन अपने सवालों को अच्छे से सजाने में लगी रही --- और जल्द ही तैयार भी हुई ---
आईने में देखते हुए अपने बालों के जुड़े को ठीक करते हुए बोली,
‘दीदी, आज जल्दी आ गई आप?’
‘हाँ शालिनी, वो गाड़ी आज जल्दी आ गई थी तो ---- ’
आशा ने अपने वाक्य को अधूरा ही छोड़ा |
‘ओह्ह अच्छा---’ शालिनी ने बात को ज़ारी रखने की कोशिश में बोली |
आशा ने हुक्स लगा लिए --- अब पल्लू को सलीके से प्लेट्स बना कर कंधे पर रखना रह गया जिसे बखूबी, बड़े आहिस्ते से कर रही थी आशा ---
शालिनी को कुछ सूझा,
समथिंग हॉट --- वैरी नॉटी !!
कुछ ऐसा जिसे सोचने मात्र से ही वह शर्मा कर अंदर तक हिल गई ---
आशा की ओर देख चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान लिए बोली,
‘वाह दीदी ! आज तो बड़ी सुंदर लग रही हो इस साड़ी में....’
सुनकर आशा भी मुस्कुराये बिना रह न सकी |
वो खुद भी अब तक तीन - चार बार आईने में गौर से देख देख कर ख़ुद ही पर मोहित सी हो गई है --- और हो भी क्यूँ न ?
गोरे तन पे नारंगी साड़ी और मैचिंग ब्लाउज में वह वाकई अद्भुत सुन्दर लग रही है आज ---
पुरुष तो क्या ; औरत भी आज उसकी अनुपम सुंदरता पर मुग्ध हुए बिना न रह पाए --- |
और हॉट तो वह हमेशा से ही लगती है |
अभी वो पल्लू के एक हिस्से को लेकर सीने पर रखी ही थी कि तभी उसे यह अहसास हुआ कि जैसे शालिनी उसके पास आ कर खड़ी हो गई है --- और तुरंत ही पीछे खड़ी हो गई ---
आशा भौंचक सी हो, सिर उठा कर सामने आईने की ओर देखी --- और पाया की वाकई शालिनी उसके पीछे खड़ी हो कर; पीछे से सामने आईने में आशा को ही अपलक देखे जा रही है --- होंठों पर प्यारी सी मुस्कान --- आँखों में चमक --- ऐसे जैसे किसी छोटी बच्ची को उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो --- |
पीछे इस तरह से खड़ी हुई थी शालिनी, कि उसका वक्षस्थल आशा की पीठ से सटे जा रहा था --- आशा को इसका अहसास तो हो रहा था पर एकदम से उससे कुछ कहते नहीं बना --- क्या बोले, ये सोचने, शालिनी को देखने और उसके अगले कदम के धैर्यहीन प्रतीक्षा में ही उसके बोल होंठों से बाहर आज़ादी नहीं पा रहे थे |
दोनों एक दूसरे को आईने में देख रही हैं --- एक, चेहरे पर एक बड़ी सी शर्मीली – शरारती मुस्कान लिए और दूजी, चेहरे पर जिज्ञासा का भाव लिए --- |
अचानक से शालिनी आईने में ही देखते हुए आशा से आँखें मिलाई --- दोनों की आँखें मिलते ही शालिनी के गाल लाज से लाल हो गए --- आशा को अब थोड़ा अजीब लगने लगा --- और कोई बात बेवजह अजीब लगना आशा को बिल्कुल सहन नही होता --- इसलिए और देर न करते हुए भौंहें सिकुड़ते हुए फीकी सी मुस्कान लिए, बहुत धीमे स्वर में पूछी,
‘क्या हुआ----?’
प्रत्युत्तर में शालिनी सिर को हल्के से दाएँ बाएँ घूमा कर ‘ना या कुछ नहीं’ बोलना चाही --- |
फ़िर से दो – चार पलों की चुप्पी ---
और,
तभी एक हरकत हुई;
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