RE: Hindi Porn Story खेल खेल में गंदी बात
मेरा दिल अब भाभी को चोदने को करने लगा था, पर भाभी समझदार थी, सो मेरे लण्ड को अब वो जरा दबा कर मल रही थी। शरीर में आग का शोला जैसे जल रहा था। मेरे सोचने की शक्ति समाप्त हो गई थी। बस भाभी और लण्ड ही नजर आ रहा था। अचानक जैसे शोला भभका और बुझ गया। मैंने तड़प कर अपना गाढ़ा वीर्य जोर से बाहर निकाल दिया। भाभी ने अपना अनुभव दिखाते हुये पूरे वीर्य को सफ़ाई के साथ निगल लिया। मैं अपना वीर्य पिचकारियों के रूप में निकालता रहा।
"अब कमल जी, आराम करो, बहुत हो गया..."
"पर भाभी, मेरा लण्ड बस एक बार अपनी चूत में घुसवा लो, बहुत दिनों से मैं तुम्हें चोदने के लिये तड़प रहा हूँ..."
"श्...श्... धीरे बोलो ... अभी तीन चार दिनों तक इन्तज़ार करो... वर्ना ये चोट खराब ना हो जाये, दिन में कई बार इसे साफ़ करना...!"
वो मुझे हिदायतें देकर चली गई।
अब रोज रात को हम दोनों का यही खेल चलने लगा। तीन चार दिन बाद मेरा लण्ड ठीक हो गया और मैंने आज तो सोच ही लिया था कि भाभी की गाण्ड और चूत दोनों बजाना है... पर मेरा सोचना जैसा उसका सोचना भी था। उसने भी यही सोचा था कि आज की रात सुहागरात की तरह मनाना है।
रात होते ही भाभी अपना मेकअप करके आई थी। बेहद कंटीली लग रही थी। कमरे में आते ही उन्होंने अपना पेटीकोट उतार फ़ेंका। उनके देखा देखी मैंने भी अपना पजामा उतार दिया और मेरे तने हुये लण्ड को उनकी ओर उभार दिया। हम दोनों ही वासना में चूर एक दूसरे से लिपट गये। भाभी के रंगे हुये लिपस्टिक से लाल होंठ मेरे अधरों से चिपक गये। उनके काजल से काले नयन नशे में गुलाबी हो उठे थे। भाभी के बाल को मैंने कस के पकड़ लिया और अपने जवान लण्ड की ठोकरें चूत पर मारने लगा।
"बहुत करारा है रे आज तो तेरा लण्ड ... लगता है आज तो फ़ाड़ ही डालेगा मेरी...!"
"भाभी, खोल दे पूरी आज, अन्दर घुसा ले मेरा ये किंग लिंग... मेरी जान निकाल दे ... आह्ह्ह ... ले ले मेरा लण्ड !"
" बहुत जोर मार रहा है, कितना करारा है ... तो घुसा दे मेरी पिच्छू में ... देख कितनी सारी क्रीम गाण्ड में घुसा कर आई हूँ ... यह देख !"
भाभी ने अपनी गोरी गोरी गाण्ड मेरी तरफ़ उभार दी ... मुझसे अब सहन नहीं हो रहा था। मैंने अपना कड़कता हुआ लण्ड उनकी क्रीम भरी गाण्ड के छेद के ऊपर जमा दिया। मेरा सुपारा जोर लगाते ही आप से खुल पड़ा और छेद में समाता चला गया। मुझे तेज मिठास भरी गुदगुदी हुई। भाभी झुकी हुई थी पर उनके पास कोई हाथ टिकाने की कोई वस्तु नहीं थी। मैंने लण्ड को गाण्ड में फ़ंसाये हुये भाभी को कहा,"पलंग तक चल कर बताओ इस फ़ंसे हुये लण्ड के साथ तो मजा आ जाये !"
"कोशिश करूँ क्या ..."
भाभी धीरे से खड़ी हो गई पर गाण्ड को लण्ड की तरफ़ उभार रखा था। मेरा लम्बा लण्ड आराम से उसमें फ़ंसा हुआ था। भाभी के चलते ही मेरे लण्ड में गाण्ड का घर्षण होने लगा, मेरा लण्ड दोनों गोलों के बीच दब गया। वो और मैं कदम से कदम मिला कर आगे बढ़े ... और अंततः पलंग तक पहुँच ही गये। इस बीच गाण्ड में लण्ड फ़ंसे होने से मुझे लगा कि मेरा तो माल निकला... पर नहीं निकला... पलंग तक पहुंच कर भाभी हंसते हुये बोली,"मेरी गाण्ड में लण्ड फ़ंसा कर जाने क्या क्या करोगे ... फिर चूत में घुसा कर मुझे ना चलाना !"
"नहीं भाभी मुझे लगा कि अब तुम झुकोगी कैसे, सो कहा था कि पलंग तक चलो।"
"चल शरीर कहीं के ..." भाभी ने हंसते हुये कहा और अपनी टांगें फ़ैलाने लगी और आराम जैसी पोजीशन में आ गई। आधा बाहर निकला हुआ लण्ड मैंने धीरे से दबा कर पूरा अन्दर तक उतार दिया। इस बार मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द आ रहा था। कसी हुई गाण्ड का मजा ही कुछ और ही होता है। भाभी पीछे मुड़ कर मुझे देखने लगी। मैं तो धक्के मारने में लगा हुआ था। अचानक भाभी हंस दी।
"सूरत तो देखो... जैसे कोई खजाना मिल गया हो ... चोदते समय तुम कितने प्यारे लगते हो !"
"भाभी, उधर देखो ना, मुझे शरम आती है..."
"अच्छा जरा अब जम कर चोद दे..." भाभी ने मुझे और उकसाया।
मेरे धक्के तेज हो गये थे। भाभी भी अपनी गाण्ड हिला कर आनन्द ले रही थी।
"अरे मर गई मां ... ये क्या ... मेरी चूत चोदने लगे..."
पता नहीं कब जोर जोर से चोदने के चक्कर में लण्ड पूरा बाहर निकल रहा था और पूरा अन्दर जा रहा था। इस बार ना जाने कैसे फ़िसल कर उनकी रस भरी चूत में चला गया।
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