RE: Hindi Porn Story खेल खेल में गंदी बात
मैं हाय करती हुई गीले बिस्तर पर लुढ़क गई। मेरे चेहरे पर सीधी बारिश की तेज बूंदे आ रही थी। गीला बिस्तर छप छप की आवाज करने लगा था।
"रीता भाभी ... आप का जिस्म कितना गरम है ... " उसकी सांसे तेज हो गई थी।
"दीपू ... आह , तू कितना अच्छा है रे ... " उसके हाथ मुझे गजब की गर्मी दे रहे थे।
"भाभी ... मुझे कुछ करने दो ... " उसका अनुनय विनय भरा स्वर सुनाई दिया।
" कर ले, सब कर ले मेरे दीपू ... कुछ क्यों ... आजा मेरे ऊपर आ जा ... हाय, मेरी जान निकाल दे ... "
मेरी बुदबुदाहट उसके कानो में जैसे अमृत बन कर कर उतर गई। वो जैसे आसमान बन कर मेरे ऊपर छा गया ... नीचे से धरती का बिस्तर मिल गया ... मेरा बदन उसके भार से दब गया ... मैं सिसकियाँ भरने लगी। कैसा मधुर अनुभव था यह ... तेज वर्षा की फ़ुहारों में मेरा यह पहला अनुभव ... मेरी चूत फ़ड़क उठी, चूत के दोनों लब पानी से भीगे हुये थे ... तिस पर चूत का गरम पानी ... बदन जैसे आग में पिघलता हुआ, तभी ... एक मूसलनुमा लौड़ा मेरी चूत में उतरता सा लगा। वो दीपू का मस्त लण्ड था जो मेरे चूत के लबों को चूमता हुआ ... अन्दर घुस गया था।
मेरी टांगे स्वतः ही फ़ैल गई ... चौड़ा गई ... लण्ड देवता का गीली चूत ने भव्य स्वागत किया, अपनी चूत के चिकने पानी से उसे नहला दिया। दीपू लाईन क्लीअर मान कर मेरे से लिपट पड़ा और चुम्मा चाटी करने लगा ... मैं अपनी आंखें बंद करके और अपना मुख खोल कर जोर जोर से सांस ले रही थी ... जैसे हांफ़ रही थी।
मेरी चूंचियां दब उठी और लण्ड मेरी चूत की अंधेरी गहराईयों में अंधों की तरह घुसता चला गया। लगा कि जैसे मेरी चूत फ़ाड़ देगा। अन्दर शायद मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। मुझे हल्का सा दर्द जैसा हुआ। दूसरे ही क्षण जैसे दूसरा मूसल घुस पड़ा ... मेरी तो जैसे हाय जान निकली जा रही थी ... सीत्कार पर सीत्कार निकली जा रही थी। मैं धमाधम चुदी जा रही थी ... दीपू को शायद बहुत दिनों के बाद कोई चूत मिली थी, सो वो पूरी तन्मयता से मन लगा कर मुझे चोद रहा था। बारिश की तेज बूंदें जैसे मेरी तन को और जहरीला बना रही थी।
दीपू मेरे तन पर फ़िसला जा रहा था। मेरा गीला बदन ... और उसका भीगा काम देवता सा मोहक रूप ... गीली चूत ... गीला लण्ड ... मैं मस्तानी हो कर लण्ड ले रही थी। मेरे
शरीर से अब जैसे शोले निकलने लगे थे ... मैंने उसके चूतड़ों को कस लिया और उसे कहा,"दीपू ... नीचे आ जाओ ... अब मुझे भी चोदने दो !"
"पर रीता भाभी, चुदोगी तो आप ही ना ... " दीपू वर्षा का आनन्द लेता हुआ बोला।
"अरे, चल ना, नीचे आ जा ... " मैं थोड़ा सा मचली तो वो धीरे से मुझे लिपटा कर पलट गया। अब मेरी बारी थी, मैंने चूत को लण्ड पर जोर दे कर दबाया। उसका मूसल नुमा लण्ड इस बार मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ मारता हुआ सीधा जड़ तक आ गया।
मेरे लटकते हुये स्तन उसके हाथ में मसले जा रहे थे। दीपू की एक अंगुली मेरे चूतड़ों की दरार में घुस पड़ी और छेद को बींधती हुई गाण्ड में उतर गई।
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