RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
माला की इस बात से राणाजी थोड़े मुस्कुराये और बोले, “और मैं कैसा लगता हूँ तुम्हें? अच्छा या बुरा?" __
माला तनिक भी न सकुचाई. बोली, “आप भी बहुत अच्छे हैं. मेरे पापा से भी बहत अच्छे."
राणाजी माला की तुलना से थोडा सिटपिटा गये लेकिन वो उसकी नादानी को जानते थे. सम्हलते हुए बोले, “अच्छा तुम जब मुझे पानी देने आयीं थी तब तुमने मेरे बारे मैं क्या सोचा था? क्या तुम्हें पता था कि तुम्हारी शादी मुझसे हो जाएगी?" ___
माला ने थोडा सोचा फिर बोली, “तब हम आपको ऐसा नही समझ रहे थे और शादी का तो हमें पता ही नही था. हमारे यहाँ ऐसा ही होता है लडकी को तब पता चलता है जब उसकी शादी तय हो चुकी होती है."
राणाजी को थोडा थोडा समझ आ गया था कि माला की बस्ती में लडकियों की शादी किस तरह होती होगी. जहाँ खाने को ठीक से खाना नही होता वहां इस तरह की शादी होना कोई अचरज की बात नही होती. राणाजी इस बात को अलग करते हुए खुश हो बोले, “अच्छा तुमको पता है ये शादी क्यों होती है? मतलब इसके बाद क्या होता है? लडकी को क्या करना पड़ता है? क्या किसी ने ये सब तुमको बताया या नही?"
माला सहज भाव से बोली, “बो सब तो हमें पता है. शादी करके अपनी ससुराल जाते हैं फिर जिन्दगी भर वही रह जाते हैं. और क्या? फिर बच्चे हो जाते हैं.”
राणाजी माला की उम्र को देखते हुए उसके मन की बात समझ गये.
वो जानते थे इस उम्र में लडकी को ये सब पता नही होता. बोले, "माला शादी का मतलब इससे आगे भी कुछ होता है. तुम घर में अपनी माँ को रहते देखती थी न? कैसे वो तुम्हारे पापा से बात करतीं थी? कैसे हर बात को समझती थीं? हर काम को अपनी समझ से करती थीं. है न? ऐसे ही तुमको भी करना पड़ेगा. तुम अभी धीरे धीरे सब सीख जाओगी."
माला राणाजी को बातों को बड़े गौर से सुन रही थी. माला में काम को समझ कर ठीक से करने की गजब की क्षमता थी. राणाजी की बातों को भी उसने बड़ी गहराई से समझा. उसे ध्यान आ गया कि उसकी माँ किस तरह से हर काम को बड़ी जिम्मेदारी से करती थी.
बोली, “आप बहुत प्यार से समझाते हैं. आज से जो भी आप कहेंगे हम वही करेंगे लेकिन आप हमको बताते रहियेगा क्योंकि हमें यहाँ के बारे में कुछ भी पता नही है. हम बहुत जल्दी सीखने की कोशिश करेंगे. फिर आपको हमसे कोई भी परेशानी नही होगी."
राणाजी ने मुस्कुराकर हाँ में सर हिला दिया और उठकर बाहर चले गये. दिन भर सब ऐसे ही चलता रहा. माला अकेली कमरे में बैठी बैठी अपने घरवालों की भी याद करती रही लेकिन उसे बार बार माँ की कही बात भी ध्यान आ जाती थी. जिसमें माँ ने कहा था कि दोबारा लौट आने की जिद न करना. अब चाहे माँ की याद आये या न आये इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. लडकी अपनी मर्यदा को बहुत अच्छी तरह से ध्यान रखती है.
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