RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
भाग-4
संतराम के गाँव बलरामपुर में एक सीधा(घर से आटा दाल मांगने वाला) मांगने वाला आदमी आता था. जो आसपास के गाँव से सीधा मांगता था. लोगों में मान्यता थी कि ये सब चीजें दान करने से घरों के संकट दूर हो जाते हैं. ग्रहों की शांति होती है. गाँव पर आने वाली समस्यायों में भी कमी आती है.
इस सीधा मांगने वाले को आजकल भिखारी भी कह देते हैं लेकिन आज के भिखारी और तब के सीधा मांगने वाले में थोडा अंतर होता था. भिखारी सडकों पर रोज भीख मांगता है और वो सीधा मांगने वाला घरों से हफ्ते में एकबार. इस सीधा मांगने वाले का नाम बल्ली था. आधे दांत उखड़े हुए थे और बाकी बचे दांतों का रंग हल्दी से भी अधिक पीला हुआ करता था. बाल अधपके से और बिखरे हुए. लम्बाई पांच फुट सी. शरीर हल्का फुल्का सा था लेकिन आटे की दो झोलियाँ भरी हुई दोनों कंधों पर रख दो तीन गाँव का चक्कर लगा देता था. देख कर नहीं लगता था कि इसमें इतनी ताकत भी होगी लेकिन बल्ली तो बल्ली ठहरा. जो काम किसी से न हो उसे बल्ली करने में माहिर था.
हालांकि घरों में भूत आने से लेकर नजर लगने तक का हिसाब किताब उसके पास रहता था. मियादी बुखार की दवाई गुड में रखकर देनी हो या किसी का नन्हा रहने वाला बुखार ठीक करना हो. या किसी को तावीज बनाकर देना हो. नजरगडा(नजर लगने से रोकने का तावीज) बनाकर देना हो. रात में बच्चे डर कर रोते हों उसका समाधान. सब कुछ बल्ली के पास मौजूद था. हाँ उसके रूपये भी लेता था. सीधा मागने से अलग. लेकिन बल्ली हर काम में माहिर था ये बात भी पूरी तरह से ठीक न थी. बल्ली चालीस साल के ऊपर का हो गया था लेकिन उसकी शादी का कोई अता पता नही था. जब वो बलरामपुर गाँव में सीधा मागने आया तो उसे पता चला कि संतराम की शादी हो गयी है.
ये वो संतराम था जिसके बारे में ज्योतिषियों ने कहा था कि इस जीवन में इसकी शादी नही हो सकती. पंडित जी की पत्रा में भी संतराम की शादी का उल्लेख नही था. बल्ली ने भी दो पर्चियों वाले खेल से संतराम की शादी का गुणा भाग लगाया था लेकिन तब भी संतराम कुंवारा ही रहना था.
बल्ली को सबसे बड़ा आश्चर्य ही इस बात का था कि संतराम की शादी हुई तो हुई कैसे? आखिर ज्योतिषियों के वचन, पंडित जी की पत्रा, बल्ली का पर्ची वाला भाग्यफल फेल कैसे हो गया? बल्ली घर घर सीधा मांगता हुआ सीधा संतराम के घर जा पहुंचा.
-
आजतक उसने संतराम के घर का सीधा नही लिया था. क्योंकि संतराम जन्मजात कुंवारा था और कुंवारे के घर से कुछ भी लेना बल्ली के लिए श्राप जैसा था. क्योंकि वो खुद भी कुंवारा था और उसने सुन रखा था कि कुंवारे के घर से सीधा मांगने से शादी नही होती है.
संतराम दरवाजे पर बैठा हुआ बीडी पी रहा था. संतराम बल्ली का खास तो नही लेकिन कुछ दिन पहले तक मुंहबोला यार हुआ करता था. क्योंकि बल्ली ने महीनों संतराम को तन्त्र मन्त्र के जरिये उसकी शादी होने की पूजा करवाई थी. संतराम की शादी तो हो गयी लेकिन बल्ली खुद ज्यों का त्यों रह गया. शायद संतराम का ग्रह उससे उतर बल्ली पर चढ़ गया था.
बल्ली के पहुंचते ही संतराम ने उसको आदर से अपने पास बिठा लिया. बल्ली और संतराम में शादी को ले बहुत सारी बातें होती रही लेकिन जो बात बल्ली को जाननी थी वो न जान पाया. बल्ली ने घुमा फिराकर संतराम से पूंछा, "संतराम भाई ये बताओ अपनी शादी कहाँ से करके लाये? तुम्हारी बीबी है कहाँ की?"
संतराम की छाती गर्व से फूल गयी. बातों के साथ साथ शरीर में भी अकडन भर गयी. मानो वो कोई राजा महाराजा हो. बोला, “तुम्हें बता दूँ तो तुम किसी से कह दोगे. अगर न कहो तो बता भी दूँ?"
बल्ली ने संतराम के सर पर हाथ रख दिया और बोला, "संतराम तुम मेरे सगे भाई के बराबर हो. मैं तुम्हारे सर की कसम खाकर कहता हूँ किसी से एक शब्द भी नही कहूँगा. अगर गलती से भी कह दूं तो मेरी जीभ मोथरे दरांत से काट देना. मेरे मुंह पर थूक देना.”
|