RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
संतराम को अब पूरा भरोसा हो गया कि बल्ली किसी से नही कहेगा. बोला, “एक आदमी है. उसने मेरे बड़े भाई को इस सब के बारे में बताया था. बिहार के एक गाँव में बहुत सी लडकियाँ होती हैं और सब की सब एक से एक जवान और सुंदर. तुम्हारे पास जितना रुपया हो उतनी ही सुंदर लडकी को छांट कर ले आओ. कोई भी लडकी पैसों के आगे न नही कहती. खुद उनके माँ बाप उन्हें तुम्हारे हवाले कर देते हैं. और फिर निश्चिन्त हो उन्हें अपने घर ले आओ. ये समझ लो ये सारा काम कुछ घंटों में ही हो जाता है. सुबह जाओ और शाम तक दुल्हन ले घर आ जाओ."
बल्ली को उसकी बात पर यकीन नही हुआ. सोचता था भला ऐसे भी कोई अपनी लडकी को किसी के हवाले कर देता है लेकिन उसने ये बातें पहले भी एक दो जगहें सुन रखी थीं. राजगढ़ी के राणाजी की चर्चा भी बल्ली ने सुन रखी थी.
बल्ली संतराम को भरोसे में लेते हुए बोला, “यार तुम उस आदमी से मुझे भी मिलवा दो. सोचता हूँ मैं भी अब शादी कर ही डालूं तुम जितनी जल्दी हो मुझे उस आदमी से मिलवा दो. पैसों का इंतजाम मैं कर ही लूँगा." __
संतराम को पता था कि बल्ली ने अपनी उम्र में शुरू से माँगा ही है. पैसा तो खूब जुड़ ही गया होगा. हर हफ्तें सात गाँव से आटा इकट्ठा कर सारा बेचकर पैसा ही तो कमाता था बल्ली. अब उस सीधे के आटे वाले पैसे से दुल्हन लेकर आने की सोच ली. लोगों के पुन्य का आटा दुल्हन के लिए खर्च होने वाला था. लेकिन पता किसे चलेगा? ये गैरकानूनी काम तो चुपचाप कानूनी तरीके से होना था.
संतराम बल्ली से बोला, "ठीक है कल तुम आ जाओ मेरे पास. मैं तुम्हें उस आदमी के पास ले चलूँगा लेकिन आना पूरी तैयारी से. हो सकता है वो तुम्हें कल ही ले कर जाए और कल ही तुम दुल्हे बन जाओ."
बल्ली का मन दूल्हा बनने के नाम से धुकधुका रहा था. बोला, “अच्छा खर्चा कितना हो जाएगा बता दो तो उसी हिसाब से इंतजाम कर लाऊं."
संतराम इस काम का अनुभवी हो चुका था. बोला, "देखो भाई पैसा का खर्चा तुम्हारे ऊपर है. जैसा माल लोगे वैसी कीमत देनी पड़ेगी. वहां एक लड़की की कीमत दो हजार से लेकर बीस हजार तक की है. अब तुम ठहरे सीधा मांगने वाले. तो तुम तो दो चार हजार की दुल्हन ही ला पाओगे. पैसा अपने हिसाब से ले जाना. अगर ज्यादा बढिया दुल्हन लानी है तो किसी से कर्जा ले लो फिर घरों से आटा मांग मांग कर चुका देना. कौन सा तुम्हारी जेब से जायेगा?"
बल्ली को संतराम की बात ठीक लगी. बोला, “कहते तो ठीक हो भाई. ऐसा ही करता हूँ. अच्छा कल सुबह ही तुम्हारे पास आता हूँ.” इतना कह बल्ली वहां से चला गया. अब उसे किसी भी तरह अपने लिए दुल्हन लाने की पड़ी थी. पैसा तो उसने बहुत जोड़ रखा था. दस साल की उम्र से सीधा मांग रहा था और आज चालीस की उम्र हो चली थी. एक रूपये का फ़ालतू खर्चा नही करता था. तम्बाकू भी दुकानों से सीधे के तौर पर मांग खा लेता था.
फिर दूसरे दिन बल्ली आया और संतराम को साथ ले उस आदमी के पास जा पहुंचा. उस आदमी के साथ जा बल्ली अपनी लिए दुल्हन ले आया. बल्ली को संतराम की बात सही लगी क्योंकि उसके कहने की हिसाब से ही दुल्हन बड़ी आसानी से मिल गयी. जिसकी कीमत बल्ली को पांच हजार रूपये अदा करनी पड़ी और साथ ले गये आदमी को एक हजार अलग से देने पड़े.
लोग कहते थे बल्ली की दुल्हन बहुत सुंदर है. बल्ली की अब तक की घर घर से मागी गयी सारी कमाई उस दुल्हन में चली गयी थी लेकिन इस वक्त वो खुश बहुत दिखाई पड़ता था. देह में फुर्ती भी बहुत रहती थी. लगता था बल्ली फिर से जवान हो उठा है.
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