अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
07-03-2020, 01:22 PM,
#39
RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
भाग -5
सुन्दरी कौशल्या देवी के घर बैठी हुई चाय पी रही थी. कौशल्या देवी ने अचानक ही उससे पूछ लिया, “अरे सुन्दरी तुम कभी अपने गाँव नही जातीं. मैंने कभी सुना नही कि तुम कभी अपने गाँव गयी हो?" सु

न्दरी का चाय पीना रुक गया. आंगें डबडबा गयीं. गला दुःख से दर्द कर उठा. मुंह से बात बड़ी मुश्किल से निकली, "जीजी मन तो करता है लेकिन घरवालों ने मना कर दिया था. कहते थे जहाँ तक संभव हो वापस लौटकर न आना. यहाँ का पता भी ले लिया था लेकिन आज तक एक चिट्ठी भी न लिखी. मैं भी सोचती हूँ कि क्या करूंगी जाकर. वहां एक समय भूखा सोना पड़ता था और कभी कभी महीनों चावल खाकर ही गुजर जाते थे. चावल में सिर्फ नमक था डालने के लिए. मसालेदार चावल खाने के लिए महीनों तरसना पड़ता था. रोटी सब्जी तो मैने ठीक से यहीं आकर खायी है. अब तुम ही बताओ जब उन लोगों पर खुद ही खाने को नही तो मैं वहां जाकर क्या खाऊँगी?"

वाबली सी दिखने वाली सुन्दरी के दिल में दर्द का भंडार था. आँखों से आंसुओं की धार वह रही थी. शायद फिर से उसे अपने घर का भुखमरी का मंजर याद आ गया था. कौशल्यादेवी की आँखें भी उसकी गरीबी का किस्सा सुन रो पड़ी थीं. उन्हें सुन्दरी के बारे में और ज्यादा जानने की जिज्ञासा हो उठी. बोली, "अच्छा सुन्दरी ये संतराम से तुम्हारी शादी कैसे हुई? क्या कोई जान पहचान थी तुम्हारे घरवालों से संतराम की?"

सुन्दरी ने अपनी आँखों से आंसू पोंछे और बोली, “न जीजी. हमारे घर का कोई तो इस गाँव का नाम तक पहले नही जानता था. मेरे बाबूजी एक दिल्ली की फैक्ट्री में नौकरी करते थे. वहां उन्हें कोई बीमारी लग गयी. नौकरी छोड़ घर पर आ गये. इलाज के पैसे ही नही थे. बस जिसने भी कोई देसी रुखड़ी बताई वही लाकर खिला दी और एकदिन मेरे बाबूजी हम सब को छोड़कर चल बसे. अब हमारे घर में हम तीन बहनें और दो छोटे भाई रह गये थे. जिन्हें हमारी माँ जैसे तैसे पाल रही थी. मेरी बहनें एक मुझसे बड़ी और एक मुझसे छोटी थी. माँ को हमारी शादी और छोटे भाइयों की जिन्दगी की बहुत चिंता थी. हमारी बस्तियों में लडकियों की शादी एक अलग ही तरीके से होती है. बाहर के लोग आकर बस्ती की सारी लडकियों को देखते हैं और जो अच्छी लगती है उसे उसकी कीमत दे अपने साथ ले जाते हैं.

मेरी माँ से भी बस्ती के लोगों ने हम तीनों बहनों के साथ यही सब करने के लिए कहा. माँ का मन तो नही करता था लेकिन हमारी बढती उम्र और अपने घर की आर्थिक हालत को सोच उन्होंने हमें इसी तरह बेच देने का सोच ली.

मैं पहली बार इस तरह के हालात से गुजर रही थी. मेरी शक्ल देख कोई मुझे खरीदने को तैयार नहीं होता था लेकिन तभी ये संतराम ने मेरी और देख मेरी कीमत पूंछ ली. जो लोग लडकियों का सौदा करते हैं वही लोग लडकियों के माँ बाप को पूंछ कर उनकी कीमत रख देते हैं. मेरी कीमत पांच हजार रखी गयी थी लेकिन कोई भी इस कीमत पर मुझे खरीदने को राजी नही हुआ था. संतराम ने मुझे चार हजार में तय कर लिया.

मेरी माँ भी इस कीमत पर मान गयी लेकिन उसकी आँखें मुझे छोड़ने को तैयार दिखाई नही देती थीं. मेरी बहनों की कीमत मुझसे ज्यादा लगाई गयी थी. वो दोनों मुझसे सुंदर दिखती थीं. छोटी बहन हम तीनों से ज्यादा कीमत में तय हुई थी. उसकी छह हजार कीमत लगी और बड़ी बहन की पांच हजार. एक ही दिन में तीनों बहनों का सौदा हो गया था.

वहीं का पंडित एक साथ बिठा सबकी शादी करा देता है. ऐसा ही हमारे साथ भी हुआ था. जब हम तीनों बहने उन आदमियों के साथ जा रहीं थीं जिन्होंने हमारे रूपये दिए थे तो हम तीनों बहनें माँ से लिपट कर बहुत रोयीं थी. माँ भी खूब फूट फूट कर रोई थी. मेरे भाई तो हम तीनों बहनों के साथ भागने को रोते थे. कहते थे कि हम तो अपनी जीजी के साथ ही जायेंगे लेकिन माँ ने उनकी पिटाई कर घर में बंद कर दिया और हम लोगों को विदा करते वक्त माँ ने हमें समझा समझा कर कहा कि हम फिर से उसके पास न आयें, शायद वो हमें फिर से भूखा और नंगा रहते नही देखना चाहती थी. मुझे आज तक अपनी माँ की याद आती है. मैं अपने भाइयों को देखने के लिए तो मरी जाती हूँ,

माँ को जो पैसे मिले थे उसमें से कुछ तो बीच के लोग खा गये होंगे लेकिन जो पैसा उन्हें मिला होगा उससे वो ठीक से अपना जीवन काट पायी होंगी. मैं चलते समय माँ से कहकर आई थी कि इन पैसों से छोटे भाइयों की पढाई जरुर करवाए. जिससे पढ़ लिख कर वो सरकारी बाबू बनें. फिर घर में किसी बात की कमी न होगी. ___मैं अपनी माँ से ये भी कहकर आई थी कि जब ये दोनों भाई पढ़ लिखकर बड़े हो जाएँ तो मुझे वुलवा लेना. पता नही आज मेरे दोनों भाई क्या करते होंगे, माँ कैसे रहती होगी. शायद वो भी मेरी याद कर कर के रोते होंगे. मेरी बहनें भी मुझे याद करती होंगी." इतना कहते सुन्दरी हिल्की भर भर के रो पड़ी.

पूरा गाँव इस अभागन को पागल समझता था लेकिन इसके सीने में जो दर्द था उसे शायद ही कोई जानता था. पागल औरत अपने आप पागल नही हुई थी. उसके साथ बीती दर्दनाक घटना और उसकी गुरवत ने उसे पागल कर दिया था. शादी हुए कितना समय हुआ लेकिन माँ की तरफ से कोई खबर खोज नहीं थी. यहाँ भी कोई ऐसा नहीं था जिसे सुन्दरी से माँ कहने का मौका मिलता.
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RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत - by desiaks - 07-03-2020, 01:22 PM

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