RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
कौशल्या देवी का दिल भी उसकी बातों को सुन बैठ गया था. सोचती थी कितनी अभागिन है ये स्त्री जो किसी सामान की तरफ कीमतों से तुलकर आई है. कितना दुःख इस लडकी को मिला है. बोली, “अच्छा सुन्दरी तुम्हारी बहन कौन से गाँव में रहती हैं? क्या उनसे तुम्हारा मिलना हो पाया?"
सुन्दरी फिर आँखें भर लायी और भर्राए हुए गले से बोली, "नही जीजी. मुझे तो ये तक नहीं पता कि वो किस गाँव में गयी हैं. शायद माँ को उनका कोई पता मालूम हो और जब में कभी उनसे मिलने न जा पाई तो वो कैसे मुझसे मिलने आ पातीं. हमारे यहाँ की सारी लडकियों की यही हालत होती है. जो एकबार गयी वो दोबारा लौटकर नही आती. खरीदने वाले समझते हैं कि वे वापस गयी तो लौटकर नही आएँगी और लडकियों के माँ बाप सोचते हैं कि लडकी वापस आई तो कैसे उसका खर्चा उठाएंगे? बस यही सब होता है जिससे कोई लडकी कभी वापस नही आ पाती. पता नही जाने कौन सा ऐसा दिन आएगा जिस दिन ये सब होना बंद हो जाएगा. पता नही कब वहां की गरीबी दूर होगी. मैं तो आज तक इसी इन्तजार में बैठी हूँ.” *
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बल्ली के घर कोहराम मचा हुआ था. लोगों का हुजूम उसके घर में घुस गया. अंदर जाकर देखा तो बल्ली अपना सर पकड़ कर रोये जा रहा था. थोड़े आगे उसकी औरत जमीन पर मुंह फाड़े पड़ी हुई थी. मुंह से खून सा वह रहा था. पेट को देखकर लगता था कि वो गर्भवती है लेकिन पैरों की तरह बहुत सारा खून और पानी सा निकला पड़ा था. मोहल्ले की औरतों ने आकर बल्ली से पूछा कि ये सब क्या हुआ है.
बल्ली जोर जोर से रोते हुए बोला, "कुछ नही भाभी. मैं तो लुट गया. मैं जब घर आया तो इससे छोटी सी बात पर मेरी कहा सुनी हो गयी. मैंने इसको बहुत समझाया लेकिन ये मानी नही और बात बात में इससे मेरी धक्का मुक्की हो गयी. इसी बीच ये जमीन पर पेट के बल गिर पड़ी और मर गयी. मैं तो लुट गया भाई लोगो. इसे सात हजार में लाया था. मेरा पूरा पैसा डूब गया. अब मैं क्या करूँगा. मेरे हाथ से तो औरत भी गयी और पैसा भी गया."
बल्ली गाँव के लोगों से झूठ बोल रहा था. दरअसल उसने अपनी बीबी को गुस्से में आ पेट पर लात मर दी थी. चूँकि वो स्त्री गर्भवती थी तो पेट पर लात पड़ते ही उसके प्राणों पर बन आई. गर्भाशय पर लात लगने से उसमें से श्राव होने लगा और दर्द के अतिरेक से उस अभागन के प्राण चले ही गये. लेकिन बल्ली को उससे ज्यादा अपने पैसों की फिकर थी. जो उसने भीख मांग मांग कर जोड़े थे और उनसे इस औरत को खरीद कर लाया था,
आसपास खड़े लोगों में से एक आदमी ने बल्ली को डपट दिया, “चुप रह रे बल्ली. वो औरत मर गयी और तुझे अपने पैसों की पड़ी है. तेरे अंदर दिल है कि नही? कम से कम इस वक्त तो ये बातें मत कर. चल अब जल्दी से इसके माँ बाप को खबर कर दे. वो लोग आयेंगे तो इसका क्रिया कर्म हो पायेगा." बल्ली उसके माँ बाप को कहाँ से खबर करता. बल्ली तो उस औरत को पैसे देकर लाया था. फिर अब उनसे उस का क्या मतलब.
बल्ली उस आदमी से बोला, "दद्दा मैं तो इसको पैसे दे कर लाया था. इसके माँ बाप का तो मुझे खबर ही नही कौन हैं. मुझे तो दलाल ने ये औरत दी थी." गाँव के हर आदमी औरत के मुंह पर आश्चर्य था. मरी पड़ी औरत का इस दुनियां में कोई नही था. उसकी सुध लेने के लिए कोई आ ही नही सकता था. लोगों ने पुलिस तक को कोई खबर न दी. सोचते थे गाँव का बल्ली बेकार में फंस जाएगा इसलिए चुपचाप इस औरत का क्रिया कर्म कर देते हैं.
सब लोगों ने मिलकर उस औरत को चिता के हवाले कर दिया. बिहार में बैठे उसके माँ बाप और भाई बहनों को पता तक नही था कि उनके घर की लडकी का क्या हश्र हुआ है. बल्ली ने तो झूट बोल दिया था कि इसका कोई नही है. हकीकत में तो उसका पूरा परिवार था. शायद ही जिन्दगी भर उन्हें पता पड़ पाए कि उनकी लडकी अब इस दुनियां में नहीं है. ऐसा ही होता है इन लड़कियों के साथ. हजारों लडकियाँ ऐसे ही बेच दी गयीं लेकिन कितनी उसमे से जिन्दा हैं और कितनी मर गयीं ये बात कोई नही जानता. अपनी पत्नी की चिता में आग देकर लौटा बल्ली आज फिर सोच रहा था कि अब फिर से मन लगाकर सीधा(भीख) मांगेगा और दोबारा एक दुल्हन लायेगा. फिर कभी उसके पेट पर लात नही मारेगा जिससे वो मर जाए और उसके खुद के पैसों का नुकसान हो जाय. बल्ली ने यह सोच दूसरे दिन से फिर मन लगा कर सीधा मांगने की सोच डाली.
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