RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
जिज्जी अपनी सबसे बड़ी बहन थी न. उसको उसके ससुराल वाले फिर से यही छोड़ गये थे. उसके एक बच्चा भी था लेकिन फिर वो बच्चा यहाँ आकर मर गया. माँ ने उसे फिर से एक जगह भेज दिया. उन लोगों से हमको पैसे भी मिले थे. जिज्जी अपनी बड़ी जिज्जी बहुत रोती थी. मेरा मन तो करता था कि वो फिर से कहीं न जाय लेकिन माँ की वजह से कुछ भी न कह सका और फिर यहाँ उसके खाने का भी तो कोई जुगाड़ नही था.
वो जाते समय तेरे बारे में पूंछ रही थी. कहती थी कि सुन्दरी आये तो मुझे खबर करना और जिज्जी मैं अपनी पढाई कर रहा हूँ. इसबार मैंने आठवीं का इम्तिहान पास किया है. वैसे मेरी पढाई रुक गयी थी लेकिन बड़ी जिज्जी के दोबारा किसी के साथ शादी करने से आये पैसों से माँ ने मुझे फिर से पढ़ने को बिठा दिया.
जिज्जी मैं पढाई करने के बाद पुलिस में भर्ती हो जाऊंगा. फिर घर मैं बहुत सारे पैसे आया करेंगे. और जिज्जा से कह देना कि अब तुझे मारें पीटें नही क्योंकि मैं अब बड़ा हो रहा हूँ. और फिर में पुलिस वाला भी तो बनूगा. तुझे पता है जिज्जी यहाँ पर पुलिस वाला बस्ती में आ किसी को भी पीट डालता है. उसका बहुत रौब होता है लेकिन में किसी भी बस्ती वाले को नही मारूंगा क्योंकि यहाँ सब गरीब लोग रहते हैं.
अच्छा जिज्जी तू ठीक से रहना. माँ कहती है कि तू यहाँ की तरह वहां किसी से गुस्सा मत होना और न ही अपने पति से लड़ाई करना. तू वहां पेट भर के खाना खाया कर. पता नही कब वहां भी यहाँ की तरह सब लोग गरीब हो जांय? कब वहां पर भी खाने की किल्लत हो जाय? चल अब फिर कभी तुझे चिट्ठी लिखूगा, तुम्हारा भाई संजू कुमार बेरा."
छोटू के साथ कौशल्यादेवी और सुन्दरी की आँखों में इस चिट्ठी को सुन आंसू आ गये थे. सुन्दरी तो कुछ ज्यादा ही रोये जा रही थी. उसे अपने भाई पर गर्व भी था और अपने घर की यादें फिर से ताज़ा भी हो गयीं थीं. सुन्दरी ने छोटू से वो लिफाफा ले उसे फिर से अपने कलेजे से लगा लिया. मानो ये लिफाफा उसका सगा भाई हो या फिर ये लिफाफा उसका पूरा परिवार हो. सुन्दरी तो इस चिट्ठी को पा तृप्त हो उठी थी लेकिन उन लाखों हजारों लडकियों का क्या जिनका कोई चिट्ठी लिखने का पता ही नही होता. वो जिंदगीभर एक चिट्ठी के इन्तजार में बैठी रहती हैं. उनके हिसाब से सुन्दरी बहुत भाग्य वाली थी जिसे उसके भाई ने एक चिट्ठी लिख भेजी.*
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