RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
बल्ली ने फिर से बहुत सा रुपया इकट्ठा किया और फिर से अपनी शादी कर लाया. इस बार की दुल्हन पहले से कम सुंदर थी. इस बार बल्ली का खर्चा भी कम हुआ था लेकिन इस बार उसने कसम खा ली थी कि अब कभी भी अपनी बीबी के पेट पर लात नही मरेगा. न ही छोटी छोटी बात पर उससे लड़ेगा. बल्ली की नई बीबी का नाम काली था.
काली जैसे ही व्याह कर बल्ली के घर आई वैसे ही उसे बल्ली से प्यार हो गया. बल्ली की छोटी से छोटी बात का खयाल उसको रहता था. सुबह के नहाने के पानी से लेकर पीठ को पत्थर से रगड़ना और शाम को सीधा मांगकर थके मांदे आए बल्ली के पैर दबाने तक हर काम काली बड़े सलीके से करती थी. बल्ली तो उसकी बलंईया लेते न थकता था. उसको अपनी प्रेमिका समझ प्यार करता. रोज कुछ न कुछ उसके लिए लेकर आता था. कभी टिक्की तो कभी पकौड़ी.
बल्ली की जिन्दगी फिर से हरी भरी होती जा रही थी. वो अपनी पुरानी बीबी को भूलता जा रहा था. उसका दुःख तो पहले भी ज्यादा नहीं था लेकिन जितना भी था काली से सब धो डाला. काली घर के काम में भी बहुत होशियार थी.
बल्ली ने घर के दूध का प्रबंध करने के लिए एक गाय भी ले ली थी. काली ने गाय को अपनी सहेली बना लिया था. उसका दूध अब काली ही निकालती थी. बल्ली का घर गाँव का सबसे सुखी घर बनता जा रहा था. काली ने बल्ली के घर में आ उसकी किस्मत ही बदल दी थी.
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