अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
07-03-2020, 01:26 PM,
#56
RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
राणाजी को देखते ही मानिक को लगा कि उसकी पेंट गीली हो जाएगी लेकिन राणाजी ने बड़े प्यार से मानिक से कहा, “आओ भाई मानिक अंदर आओ. तुमसे कुछ बात करनी है.”

मानिक के पैर तो बाहर खिंच रहे थे लेकिन राणाजी की बात को डर के मारे टाल न सका. डरते डरते उनके पीछे पीछे चल दिया. माला मानिक के पीछे पीछे चली आई.

राणाजी ने कमरे में पहुंच मानिक को कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और खुद पलंग पर बैठ गये. माला दरवाजे से टिक कर खड़ी हो गयी लेकिन राणाजी ने उसे अपने सामने पलंग पर बैठने के लिए इशारा कर दिया. मानिक की टाँगे काँप रहीं थीं. उसने राणाजी के गुस्से के किस्से लोगों से सुन रखे थे. राणाजी ने भी मानिक की पतली हालत को परख लिया और बोले, "मानिक आराम से बिना डरे बैठ जाओ. मैने कुछ खास बात करने के लिए तुम्हें बुलाया है."

मानिक को दिल में थोड़ी तसल्ली हुई लेकिन डर अब भी बरकरार था.

राणाजी ने सीधा सवाल मानिक से किया, “मानिक एक बात सच सच बताना क्या तुम माला को सच में चाहते हो या ये सब लडकपन के कारण कर रहे हो? तुम्हें मेरी बात का सच्चा उत्तर देना है. तुम्हारे इस उत्तर से तुम्हारी और माला के जीवन की दिशा और दशा तय होनी है. इसलिए मुझे सिर्फ सच ही बताना?"

मानिक को समझ न आया क्या कहे. वो कभी माला की तरफ देखता कभी राणाजी की तरफ. माला भी भौचक्की हो राणाजी का मुंह देखे जा रही थी. मानिक को लगता था कि अगर उसने कह दिया कि सचमुच में वो माला से प्यार करता है तो राणाजी आज ही उसमें गोली मार देंगे और अगर न करता है तो माला हाथ से जाती रहेगी. मानिक का दिल प्रेमी का दिल था और प्रेमी के दिल में डर एक सीमित समय तक ही रह सकता है. मानिक अपने कलेजे को मजबूत कर बोला, "हाँ...वो..."

राणाजी तो शांत बैठे थे लेकिन माला का हाल मानिक के हाँ वाले जबाब से पतला हो गया. उसे इस बात की उम्मीद ही नही थी कि मानिक हाँ बोल देगा.

राणाजी गम्भीर हो बोले, “तुम मुझे इस बात का भरोसा दे सकते हो कि अगर मैं माला को तुम्हारे साथ रख दूं तो तुम जिन्दगी भर उसे खुश रखोगे? कभी उसे दुःख नही दोगे. कभी उसे छोड़कर नही जाओगे?"

मानिक को राणाजी की बात पर अपार भरोसा हो उठा. उसे राणाजी की गम्भीरता में सच्चाई नजर आती थी. बोला, "मैं अपनी कसम खाकर कहता हूँ कि मैं माला को कभी दुखी नही होने दूंगा लेकिन चाचा आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? ये तो आपकी..."

राणाजी ने बीच में ही उसकी बात को काट दिया. बोले, "मैं जो पूंछ रहा हूँ सिर्फ उसका उत्तर दो. बाकी की कोई बात हमारे बीच नही होगी. अब ये बताओ तुम माला को ले गाँव से बाहर रह सकते हो लेकिन ये सब तुम्हें कल सुबह से पहले करना होगा. अगर तुम इस बात पर राजी हो तो मुझे बताओ फिर मैं तुम्हें आगे की बात बताउं?"

मानिक राणाजी की बात को बड़े आश्चर्य से सुन रहा था. उसकी समझ में ये न आया कि राणाजी ये सब क्यों कर रहे हैं. भला कोई अपनी बीबी को किसी और को क्यों देने लगा. लेकिन मानिक ने हाँ में सर हिला दिया. उसे सच में माला चाहिए थी जिसके लिए वो कहीं भी रह सकता था.

राणाजी सोचते हुए बोले, "लेकिन तुम माला को लेकर जाओगे कहाँ? क्या कोई तुम्हारा जानने वाला ऐसा है जो तुम्हें अपने पास रख सके?"

माला मानिक के बोलने से पहले ही बोल पड़ी, “ये सब आप क्या कह रहे हैं मेरी समझ में कुछ नही आ रहा?"

राणाजी ने माला को शांत रहने का इशारा किया और मानिक की तरफ जबाब सुनने के लिए देखने लगे. मानिक गंभीर था. बोला, “मैं माला को नानी के घर में लेकर रह सकता हूँ."

राणाजी ने थोडा सोचा फिर बोले, "नही तुम्हारा वहां जाना ठीक नही रहेगा. तुम्हारे पिता तुम्हें वहां से पता कर सकते हैं. तुम ऐसा करो कि मेरी बताई जगह पर चले जाओ. मैं अपने एक मिलने वाले के पास तुम्हें भेजे देता हूँ और साथ में एक चिट्ठी भी लिख दूंगा. वो तुम्हें आराम से रख लेगा. ये जगह मथुरा शहर में है. तुम बस से वहां पहुंच जाओगे. मैं पूरा पता ठिकाना लिख तुम्हें दे दूंगा. तुम मुझे ये बताओ कि कब निकलना चाहते हो यहाँ से?"

मानिक क्या बताता, अभी तो उसमें लडकपन वाला ही दिमाग था. आसपास के गाँव तक घूमा मानिक इतनी दूर दूसरे जिले में जाने की कैसे सोच लेता. बोला, "आप जैसा ठीक समझो वैसा ही बता दो. मैं आप के कहे अनुसार ही चला जाऊँगा."

राणाजी जानते थे कि उनके पास सिर्फ यही रात है कुछ भी करने के लिए. बोले, "तुम आज शाम को ही निकल लो. जैसे ही अँधेरा हो वैसे ही इस गाँव को पार कर जाओ. दिन भर तुम अपने घर रहो और शाम होते ही यहाँ आ माला को ले चल देना. मैं खुद तुम लोगों को गाँव से बाहर तक छोड़ आऊंगा.”

मानिक ने हाँ में सर हिला दिया. राणाजी बोले, “अच्छा अब तुम अपने घर पहुँचो और सावधानी से शाम को आ जाना. ठीक है?"

मानिक ने हाँ में सर हिलाया और उठकर बाहर चला गया. माला अब भी भौचक्की थी. उसे यकीन नही हो रहा था कि राणाजी ये सब करने जा रहे हैं और वो खुद मानिक के साथ हमेशा के लिए जा रही है. उसे मन में अपार ख़ुशी भी थी और राणाजी को छोड़ने का दुःख भी था. राणाजी की सहृदयता उसे अंदर से कचोट रही थी.

राणाजी ने सामने बैठी माला से कहा, “माला तुम कुछ कह रही थी. अब बताओ क्या कहना चाहती हो?"
Reply


Messages In This Thread
RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत - by desiaks - 07-03-2020, 01:26 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,500,808 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,309 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,231,516 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 931,429 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,653,414 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,080,438 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,950,591 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,053,678 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,031,365 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,799 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)