Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
07-09-2020, 10:33 AM,
#11
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
9
बियाटे मोएर्क बाथटब में घुसी और उसने लाइट बंद कर दी। उसने खुद को गर्म पानी में समा जाने दिया और कल्पना करने लगी कि वो एक कोख के अंदर है। ये विचार उसे बार-बार आता था, और इसकी निश्चित रूप से कुछ अहमियत थी।
उसने अपनी कमर और कूल्हों को स्पर्श किया, और उसने महसूस किया कि उसका वजन नहीं बढ़ा है। एक सौ बीस पाउंड । वो पांच मील दौड़ी थी, आखरी मील काफी तेजी से। बेशक कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि कैलोरी जलाने के लिए सबसे अच्छी गति अधिकतम गति की साठ प्रतिशत होती है, पर क्या हुआ! अगर आप ज़्यादा मेहनत करें तो कुछ आउंस अतिरिक्त ही तो कम होंगे।
अभी के लिए इतना गुमान ही काफी है। उसने अपना सिर टब के किनारे टिकाया और अपनी थकान को बढ़ने और सारे शरीर में फैल जाने दिया। मैं इकत्तीस साल की हूं, उसने सोचा। मैं एक इकत्तीस वर्षीय महिला पुलिसकर्मी हूं। ना पति। ना बच्चे। ना परिवार, घर, नाव...
ये विचार भी बार-बार आता था। वो घर या नाव को लेकर बहुत परेशान नहीं थी। वो बिना पति के भी काम चला सकती थी, कम से कम अभी तो। लेकिन बच्चों का मामला भिन्न था। बिल्कुल भिन्न।
वास्तव में, वो एक अलग ही दुनिया में जी रही थी। शायद उसी भावना से बचने के लिए वो एक कोख में लेटने की कल्पना करती थी। कौन जाने? उसकी किशोरावस्था से अभी तक रही उसकी सात या आठ बेहतरीन दोस्तों में से कम से कम पांच या छह के ढेर सारे बच्चे हो चुके थे; वो ये अच्छी तरह जानती थी। बल्कि, पति और नावें भी थीं। फिर भी, शुक्र है कि वो अभी तक फ़्राइसेन में नहीं रही है; ये एक जरूरी शर्त थी। अगर उसे वहां रहने के दौरान हर मोड़ पर होने वाली चीजों को सहन करना पड़ता तो वो जी नहीं सकती थी। अगर उसे हर किसी को और हर चीज को हर समय अपने ऊपर सवार रहने देना पड़ता, तो उसकी आजाद और मुक्त जिंदगी मुरझा जाती एक... एक इस्तेमालशुदा कंडोम की तरह। जबकि उसके मां-बाप और बचपन की शरारतें और जवानी की गलतियां उसके माथे पर जातिचिह्न की तरह मौजूद होतीं। बड़े-बड़े अक्षरों में लिखी एक विषय-सूची की तरह जिसे वो खुद से कभी अलग नहीं कर सकती थी! उफ, नहीं, उसने सोचा |
लेकिन वहां भी उसे देर-सवेर उस बच्चे को जन्म देना ही होता, देर-सवेर उसे स्वीकृत जीवनशैली के हिसाब से चलना पड़ता। वो कई साल से ये बात जानती थी, लेकिन हर साल, जनवरी के शुरू में अपना जन्मदिन मनाते समय वो खुद को बस एक साल और दे देती थी। बारह महीने का स्थगन। एक राउंड और। ये जन्मदिन का बुरा तोहफा नहीं था, और ये एक साल और उसकी इच्छा सूची पर रहेगा, कम से कम...
उसने साबुन टटोला और वो उसे मिल गया, फिर उसने विषय बदल दिया। अभी पति और बच्चों के बारे में सोचने का समय नहीं था। और फिर, हकीकत शायद ये थी कि सिर्फ एक पुलिसवाला ही एक पुलिसवाली से शादी करने का सोच सकता था, इसलिए विकल्प सीमित ही थे। बैंग, मूजर, क्रोप्के... निकालो इस विचार को! उसने अपनी छातियों पर साबुन मलना शुरू किया... अभी भी कसी और उछालदार; बार-बार आने वाला एक ख़्याल ये भी था कि जल्दी ही उसे अपनी छातियां बुरी लगने लगेंगी – बल्कि पूरा शरीर ही। लेकिन जाहिर है ये एक ऐसा आघात था जो सभी औरतों को झेलना होता था। शायद जिंदगी का एक तथ्य, जिसे स्वीकार किया ही जाना था... बहरहल, क्रोप्के और मूजर दोनों पहले ही शादीशुदा थे। शुक्र खुदा का।
लेकिन आज रात वो इनमें से किसी के बारे में नहीं सोचना चाहती थी। क्यों सोचे? अगले कुछ घंटे उसे अपना ध्यान जिस शख़्स पर लगाना था वो कोई पुलिसवाला नहीं था। बल्कि इसके उलट। ये वो दूसरा आदमी था...
फरसामार। सिर्फ और सिर्फ वही।
मुझे बस वही चाहिए।
वो इस विचार पर मुस्कुराई। मुस्कुराई और उसने जल्दी में लाइट ऑन कर दी, जो उसे थोड़ा ज़्यादा अचानक सा लगा।
अभी वो अपनी डेस्क पर बैठी ही थी कि टेलीफोन की घंटी बजने लगी। उसके पास रश्यन चाय का एक कप रखा था, और कमरे में जल रही एकमात्र लाइट ने एक छोटा सा अंडे का आकार बनाया हुआ था, जिसमें उसकी नोटबुक्स चमक रही थीं।
यकीनन, उसकी मां थीं। आह, ठीक है, बाद में परेशान करें, उससे तो ये कॉल अभी लेना बेहतर होगा।
क्या बियाटे इस इतवार को घर आएगी? वो ये जानना चाहती थीं। डैड को बहुत खुशी होगी। वो पूरे हफ़्ते उदास रहे थे और डॉक्टरों ने कहा था कि... लेकिन इस पर वो बाद में बात कर सकते हैं। वो क्या कर रही थी? काम! निश्चय ही उसे उस भयानक कत्ल के मामले में पड़ने की जरूरत नहीं है; वो तो मर्दों का काम है, है ना? क्या कालब्रिंजेन पुलिसबल में कोई मर्द नहीं है? कैसी जगह है ये?
दस मिनट बाद कॉल खत्म हुई और उसका जमीर उसे दांत के दर्द की तरह कचोट रहा था। वो खिड़की के बाहर सूर्यास्त की आखरी अवस्थाओं को देख रही थी जबकि सूरज अपना प्रतीकात्मक प्रकाश सारे आसमान में फैला रहा था और उसने सोच लिया कि वो इतवार की शाम को कुछ घंटों के लिए घर चली ही जाएगी। शायद रात भी वहीं बिता ले और सोमवार की सुबह पहली ट्रेन से वापस आ जाएगी... हां, और कोई चारा नहीं था।
उसने टेलीफोन का प्लग निकाल दिया। बस ऐहतियातन। क्योंकि ये नामुमकिन नहीं था कि जानोस का फोन आ जाए, और वो एक पूरी शाम जमीर की उस टीस के नाम नहीं करना चाहती थी... कम से कम अभी कुछ समय तक तो नहीं।
फरसामार |
उसने दो नोटपैड खोले और उन्हें पास-पास रख दिया। फिर वो बाएं वाले को ध्यान से पढ़ने लगी।
हेन्ज एगर्स, ऊपर लिखा था, जिसे दो लाइनों द्वारा रेखांकित किया गया था।
जन्म अप्रैल 23, 1961, सैल्स्टाट में ।
मृत्यु जून 28, 1993 कालब्रिंजेन में।
जाहिर है। इसमें तो शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। नीचे नोट्स की एक लंबी श्रृंखला थी। माता-पिता और भाई-बहन। स्कूली शिक्षा। विभिन्न पते। औरतों के नाम की एक सूची। ये इंगित करने वाली कई तारीखें कि एगर्स कब विभिन्न दंड संस्थाओं, खासकर जेलों में गया, दोषसिद्धि और सजा सुनाए जाने की तारीखें...
अलग-अलग औरतों से दो बच्चे। पहली, एक लड़की, 2 अगस्त, 1985 को वोड्ज में पैदा हुई। मां, कोई क्रिस्टीन लॉजर। दूसरा, एक लड़का, जो 23 दिसंबर को पैदा हुआ था, यानी, जैसा कि उसने पहले भी ध्यान दिया था, क्रिसमस की पूर्व संध्या से एक दिन पहले, 1991 में - जिसका मतलब था कि वो अभी दो साल का भी नहीं हुआ था। मां का नाम मैटिल्ड फक्स, पता और आवास अनजान। वो कुछ देर इस औरत के बारे में सोचती रही कि किस तरह उसने वो हासिल कर लिया था जिसे पाने के लिए बियाटे अभी संघर्ष ही कर रही थी। बिना बाप का बच्चा - तो क्या वो वाकई इसी के लिए संघर्ष कर रही थी? और फिर, कौन जाने कि फक्स एक नशेड़ी और वेश्या रही हो, जिसने अनचाहे बेटे को ज़्यादा उपयुक्त अभिभावकों को दे दिया हो। हां, ये बात ज्यादा संभव थी।
तो? कल रात वो अपने विचारों में कहां तक पहुंची थी? बेशक ये एक अहम सवाल था... उसने कुछ पन्ने पलटे। ये रहा!
हेन्ज एगर्स उस आहाते में क्या कर रहा था? ये सबसे अहम बात थी! या बल्कि, ये समाज का निर्वासित 28 जून, 1993 को रात एक बजे (या इसके बाद) 24 बर्जिस्लान के अहाते में क्यों था?
वो जानती थी कि ये एक अच्छा सवाल था और हालांकि इसका अभी कोई निश्चित जवाब दे पाना संभव नहीं था, मगर वो तर्क की सीमाओं से परे जाए बिना और अंदाजों की दलदल में धंसे बिना कुछ निष्कर्ष तो निकाल ही सकती थी। कोई भी ऐसा कर सकता था |
पहला, अगर एगर्स पक्का नशेड़ी था, तो भी इतना तो माना ही जा सकता था कि वो कुछ हद तक तो सही सोच सकता था – उस रात उसकी नसों में बहुत ज़्यादा जहर नहीं था; मरते समय वो कमोबेश शांत और सुध में था (जो उम्मीद की जा सकती थी, कि एक अच्छे ईसाई के रूप में दूसरी ओर उसकी सांसारिक जिंदगी के आंके जाने के समय उसके काम आएगा)। जो भी हो, एगर्स यूंही तो बर्जिस्लान में नहीं रहा होगा। वो वहां किसी न किसी कारण से ही गया होगा। आधी रात को। 28 जून को। अकेला।
उसने चाय का एक घूंट लिया।
दूसरा, जिन आपराधिक लोगों के साथ एगर्स रहता था-और उसने उन सभी से बड़ी सावधानी से पूछताछ की थी-उनमें से किसी को जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि ये चक्कर क्या था, यहां तक कि उसकी तथाकथित गर्लफ्रेंड को भी नहीं, जोकि पिछले दिन या पिछले कई दिन से ढेर सारी वाइन पीने के बाद उस रात बेसुध पड़ी सो रही थी। जब उसने और क्रोप्के ने कोई अंदाजा लगाने के लिए उन पर ज़्यादा दबाव डाला, तो वो बस इतना ही सोच सके कि हेन्ज को कोई खबर मिली होगी। कोई संकेत । कोई जानकारी कि कोई कुछ बेचने वाला है... कुछ सामान। किसी किस्म के ड्रग्स... हेरोइन या एंफिटामीन या फिर शायद हशीश। कुछ भी हो सकता था। वो सारी चीजें लेता था। और जो वो अपने अंदर नहीं ठूंस पाता था, उसे वो छोटे बच्चों को बेच देता था।
इसलिए, तीसरा, निष्कर्षः फरसामार ने ही उससे मिलना तय किया था। एगर्स ही शिकार था, कोई और नहीं। इस काम की योजना और तैयारी सावधानी के साथ की गई थी। पागल, दीवाने या ऐसे किसी शब्द की गुंजाइश नहीं थी जैसा कि कुछ लोग बोल रहे थे। अपराध की एकमात्र संभव श्रेणी पहले दर्जे की हत्या है! जो अचानक नहीं की गई, किसी फालतू वजह से नहीं हुई, ना ये किसी नशेड़ी द्वारा दूसरे नशेड़ी के सिर पर किया गया वार था।
पहले दर्जे की। इसमें कोई शक नहीं था, या इसमें कि फरसामार किस किस्म का आदमी था – एक कुशल, बेहद आत्मविश्वासी अपराधी जो अच्छी तरह जानता था कि वो क्या कर रहा है। जो कुछ भी चांस पर नहीं छोड़ना चाहता था, और जो...
चौथा, जिसके पास एक उद्देश्य था!
उसने अपनी पीठ कुर्सी पर टिकाई और चाय का एक बड़ा सा घूंट लिया।
एक बहुत ही एकचित्त हत्यारा। वो दूसरी नोटबुक की ओर मुड़ गई।
अन्सर्ट लियोपोल्ड सिमेल ।
यहां बहुत ज़्यादा डाटा नहीं था। बस कुछ पेज। उसमें इतनी ताकत नहीं थी कि वो उस ढेर सारी जानकारी को लिख सके जो क्रोप्के ने स्थानीय परीषद रिकार्डों, नेशनल रजिस्ट्ररों, कंपनी पंजीकरणों, दिवालियापनों, शैल कंपनियों के सौदों, कमिशनों, टैक्स रिट्रर्न, बिजनेस दौरों जैसे स्रोतों और न जाने कहां-कहां से खोदकर निकाली थी। उसने जल्दी से एक नजर उस पर डाली जो उसने लिखा था और फिर उसने अपना ध्यान अंत में लिखे सवालों पर केंद्रित कर दिया, जो उसने कल रात सोने से पहले लिखे थे। अहम चीज थी सही सवाल पूछना, जैसा कि जेनशेन के पुलिस कॉलेज में उसके पसंदीदा, वृद्ध वंडरमास, हमेशा जोर देकर कहा करते थे। उन्हें नए-नए ढंग से पूछते रहो! वो बड़ी बेसब्री से गुर्राते हुए, अपनी तीखी नजरों से देखते हुए कहते थे। जवाब निकालना भूसे के ढेर में से सूई निकालने से ज्यादा मुश्किल हो सकता है! इसलिए कम से कम इतना पक्का करो कि तुम सही भूसे के ढेरों में तलाश कर रहे हो!
तो, सिमेल के बारे में क्या सवाल पूछे जा सकते थे? सही सवाल? उसने चाय का एक और घूंट लिया और सोचने लगी।
जब वो पिछले मंगलवार की शाम को बाहर गया था तो वो क्या कर रहा था? वो ये जानती थी।
वो फिशरमैन्स स्क्वेयर होते हुए क्यों गया? वो इस बारे में काफी यकीन से बता सकते थे।
उसने नगरपालिका के जंगल वाला रास्ता क्यों लिया? स्पष्ट था ।
फरसामार ने उसका पीछा करना कब शुरू किया? शायद ये शुरुआत के लिए अच्छा था? लेकिन जवाब?
ब्लू शिप के पास से? पूरी संभावना है कि हां। फिर उसने तकरीबन पूरे शहर में उसका पीछा किया होगा। हां, वो और क्या कर सकता था?
इसका क्या मतलब हुआ?
उसने अपना सिर उठाया और खिड़की के पार देखा। शहर उसके आगे पसरा हुआ था। उसने अपनी डेस्क का लैंप बुझाया और अचानक कालब्रिंजेन जगमगा उठा, ढेर सारे रंग-बिरंगे लैंपों से जो रात ढलने पर अपने आप जल जाते हैं। प्रमुख रास्ते और आकृतियां स्पष्ट दिखने लगीं - बंजेसकर्क, हॉयस्ट्राट, ग्रांड प्लेस, टाउन हॉल, डूनिंजेन में टॉवर ब्लॉक्स... फिशरमैन्स फ़्रेंड। हां, वो चोटी के किनारे लटका हुआ सा यही रेस्तरां होगा; उसने इसके बारे में पहले सोचा ही नहीं था। वो इस सबके पास से गुजरा था; कातिल ब्लू शिप से इस सारे रास्ते पर चला था, जबकि मकतूल उससे सिर्फ कुछ गज आगे था, और जरूर...
गवाह भी रहे होंगे ।
ये उतना ही स्पष्ट था जितना कि हो सकता था। लोगों ने फरसामार को जरूर देखा होगा जब वो लांगवेज और हॉयस्ट्राट के पास दीवारों की छायाओं में छिपा हुआ होगा, जब वो तेजी से सीढ़ियों से उतरा होगा, जब वो चोरी-छिपे फिशरमैन्स स्क्वेयर से गुजरा होगा. .. और कोई संभावना है ही नहीं। वो जो कोई भी है, अदृश्य नहीं है। इससे क्या पता चलता है?
उतना ही स्पष्ट ये था कि कल वो अपने दरवाजे खोलेंगे और वो मशहूर जासूस आम जनता बड़ी तादाद में पुलिस स्टेशन आएगी; और देर-सवेर कोई न कोई-शायद कई लोग-आएगा और साबित करेगा कि उन्होंने उसे देखा है। जाहिर है वो ये नहीं जानते थे कि वो वही था, लेकिन फिर भी उन्होंने उसे देखा जरूर था और अब वो इस बारे में बता रहे हैं। उन्होंने उसे आमने-सामने देखा था, बल्कि उन्होंने उसे हैलो भी कहा था!
जरूर ऐसा ही रहा होगा। उसने लाइट फिर से जला दी। कुछ दिनों में फरसामार का नाम उनके सामने पूरी तरह अप्रासंगिक जानकारी के ढेर के बीच छिपा होगा; और कोई नहीं जान सकेगा कि वो क्या है, और गेहूं को भूसे से अलग करने का कोई तरीका नहीं होगा। या ये सब छान-फटक करने लायक है? क्या कोई इसे इतना कष्ट उठाने लायक मानेगा? शायद क्रोप्के ।
धत्! उसने सोचा। क्रोप्के के लिए सही काम है। अगर ऐसा ही होने वाला है, तो हमें पहले ही हार मान लेनी चाहिए।
लेकिन कोई शॉर्टकट तो जरूर होगा? कोई सहारा? अप्रासंगिक आंकड़ों को छांटने का कोई तरीका? जरूर होगा। तो अगले पन्ने पर चार लाइनों से रेखांकित करके वो कौन सा सवाल लिख सकती है?
वो वहां पहले ही मौजूद था।
"संबंध???" वहां लिखा था। वो कुछ देर उसे घूरकर देखती रही। फिर उसने एक त्रिकोण बनाया। दो कोनों पर उसने एगर्स और सिमेल के नाम लिखे। और कुछ देर हिचकिचाने के बाद उसने तीसरे कोने पर फरसामार लिख दिया। फिर उसने अपनी कारीगरी को ध्यान से देखा।
मैं ये कर क्या रही हूं? उसने सोचा। ये क्या बकवास है? बचकाना शौक!
जो भी हो, ये ड्रॉइंग संभाव्य तो लगती थी। काश मेरे पास एक कंप्यूटर होता, वो सोचने लगी, तो मैं एक छोर पर सिमेल फीड करती और दूसरे पर एगर्स। स्क्रीन पर आने वाले पैटर्न देर-सवेर एक बिंदु दिखाते, या लाइनों का एक बंडल दिखाते जिनसे कुछ स्पष्ट हो रहा होता। उस ढेर या गणितीय समीकरण से एक अकेला नाम उभरकर आता और ये फरसामार का नाम होता। ये इतना ही आसान होता!
ओह, बस भी करो, बियाटे मोएर्क ने सोचा। मेरा दिमाग खराब हो रहा है! दुनिया में अगर एक चीज है जो मेरी समझ में नहीं आती है, तो वो कंप्यूटर है।
उसने अपनी नोटबुकें बंद की और घड़ी में देखा कि अब टीवी पर आने वाली उस इटैलियन फिल्म के लिए बहुत देर हो चुकी है जिसे देखने का वैसे भी उसका कोई इरादा नहीं था। नहीं, वो परिमाणात्मक दृष्टिकोण वाली नहीं थी। वो एक के बाद एक भूसे के ढेरों में तलाश नहीं कर सकती थी; ये काम, मूजर और बैंग की मदद से क्रोप्के कर सकता था। खुद उसे इससे बेहतर काम करने थे।
उसने फिर से सिर उठाया और ठीक उसी समय चांद तैरता हुआ उसकी खिड़की के चौखटे में आ गया। पूरा और गोल... जूनो! ये एक संकेत था, इसमें कोई शक नहीं था। इस केस में और भी मापदंड लागू किए जाने थे। विभिन्न मान्यताएं। सहजबोध! औरत! इनमें से कोई भी मस्तिष्क के बाएं भाग को भौचक्का नहीं करता था। यिन, न कि यैंग! वो बैठी हुई मुस्कुराकर चांद को देखने लगी। मैं मूर्ख हूं उसने सोचा। पक्की मूर्ख! अब सोने का समय है। हां, बेशक। अच्छा हुआ कि कोई और नहीं जानता कि मैं अपने दिमाग का उपयोग किस तरह कर रही हूं। या बल्कि दुरुपयोग कर रही हूं!
वो खड़ी हुई और हॉल में चली गई। उसने अपना ड्रेसिंग गाउन उतारा और खुद को आईने में निहारा। हम्म, बहुत बुरा नहीं है, उसने सोचा | आसानी से पच्चीस, छब्बीस के आसपास का है। अफसोस कि कोई मर्द मेरे बेड में मेरा इंतजार नहीं कर रहा है।
पर वो ये कतई नहीं चाहती थी कि वो कल सुबह भी वहां उसके साथ हो!
और जब पंद्रह मिनट बाद उसे ऊंघ आनी शुरू हुई, तो अंधेरे में उसके अवचेतन में सिर्फ हत्यारे की काल्पनिक छवियां आ रही थीं। यानी, अगर कोई काल्पनिक छवियां होती हैं...
फरसामार?
क्या वो विश्वास से इतना भी कह सकते हैं कि वो एक मर्द है?
अपनी आखरी पकड़ छोड़ते और नींद के असीम आलिंगन में समाते हुए ये सवाल उसके मस्तिष्क में दर्ज हो गया था। ये सोचने का समय नहीं था कि वंडरमास उसे किसी संभावित फलदायक भूसे के ढेर में लगा सकते थे या नहीं।
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RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत - by desiaks - 07-09-2020, 10:33 AM

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