RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
"बहुत, बहुत शुक्रिया," उसने उठते हुए कहा। "ये बहुत ज़्यादा दिलचस्प बातचीत रही। बहुत दिलचस्प। अगर मैं ड्यूटी पर नहीं होती, तो शायद आपके इस नकली कालीन पर उल्टी ही कर देती।"
कम से कम इसने किसी हद तक तो संतुलन को वापस बनाया होगा, उसने खुद से कहा।
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मंगलवार को वो देर तक सोया ।
वो इसका हकदार था। जंगल में अनर्स्ट सिमेल को मौत के घाट उतारने के बाद से एक हफ़्ता बीत चुका था और ऐसा कोई संकेत नहीं था कि पुलिस उसके पीछे पड़ी थी। कोई भी संकेत नहीं।
उसने कभी सोचा भी नहीं था कि पुलिस उसके पीछे पड़ेगी। वो शुरू से ही जानता था कि पहले दो कत्लों में उसे तुलनात्मक रूप से बहुत कम परेशानियां आएंगी। मगर नंबर तीन एक बिल्कुल ही अलग मामला था। लोग जान गए थे कि क्या हो रहा है। ये महज एक गाया वाली बात नहीं थी, जैसा उन्होंने तब सोचा था जब एगर्स की लाश मिली थी। ये कोई ऐसा आवेगी कातिल नहीं था जो बस एक बदकिस्मत शिकार के पीछे गया था, बल्कि इसकी फेहरिस्त में तो कई नाम थे।
कइयों को अपने सिर कटवाने होंगे तब जाकर इंसाफ होगा।
उसके सपनों में अभी भी छवियां दिखती थीं, और जैसी कि उसे उम्मीद थी, वो नंबर तीन था जो अब अलग से दिखता था। — वो आदमी जो अभी भी जिंदा था और जिसकी अगली बारी थी। मगर ये बहुत स्पष्ट छवि नहीं थी: उसकी ऐसी प्रबल यादें नहीं थीं, ना कोई मौके का फोटो था। शायद सोफे का वो कोना, जहां जब वो अपने बेपरवाह, कुछ-कुछ घमंड भरे अंदाज में बैठा था - नौजवान, सुवेशित, उच्चवर्गीय पिल्ला जो हमेशा अपनी नस्ल और सामाजिक स्तर की मेहरबानी से बच निकलता था। जो तैरकर सतह पर आ जाता था जबकि दूसरों को नीचे खींच लिया जाता था। सूखे जूते और सफाई से संवरे बाल लिए।
जो अपने पैरों पर खड़ा हो गया था जबकि दूसरे गिरकर मारे गए थे। उफ, इस आत्मसेवी उच्चवर्ग से उसे कितनी नफरत है! उन सबमें सबसे बुरा... जब वो इसकी तुलना दूसरों से करता था, तो वो इसे आग से लिखे अक्षरों में देखता था। उकसाने वाला तो वही था। सबसे ज़्यादा दोष तो उसी का था; उसे सबसे भयंकर सजा मिलेगी। ये एक और वजह थी कि इस बार उसे और अधिक सावधान रहना होगा। उसे कुछ ऐसा करना होगा कि उसकी अहमियत बिना किसी शको-शुबहे के सामने आ जाए – कुछ अतिरिक्त, जो शुरू से ही उसकी योजना का हिस्सा रहा था। लोगों को समझाने की खातिर नहीं-वो तो वैसे भी नहीं समझेंगे-वो डर जाएंगे, शायद, मगर समझेंगे नहीं। नहीं, ये तो उसके अपने लिए था।
और उसके लिए।
सुबह उसने व्यावहारिक होने में बिताई थी। काटने वाले फल को इतना चमकाया जब तक कि वो अविश्वसनीय रूप से धारदार नहीं हो गया। फिर उसे मलमल के कपड़े में लपेटा और उसकी जगह पर छिपा दिया। खुली आग में कोट और हैट जला दिया; अब भिन्न वेष धरने का वक़्त था। देर तक किचन की मेज पर बैठा रहा, सिगेरट फूंकते और सोचते हुए कि इसे कैसे अंजाम दिया जाए और आखिरकार इस बार को कुछ खास बनाने के लिए उसने कलात्मक पुट देने को फैसला किया। इसमें कुछ हद तक खतरा तो था, लेकिन बहुत कम, उसने खुद से कहा। बहुत कम, और समाचार-मूल्य के नजरिए से ये सबसे ज़्यादा आकर्षक था। उसे पल भर को भी संदेह नहीं था कि इस बार वो टेलीविजन और अखबारों पर छाया नहीं रहेगा- एक दिन के लिए कम से कम । शायद कई दिन तक ।
हैरतअंगेज ख़्यालात हैं, ये। ये कतई उसका मकसद नहीं था, बल्कि शायद ये वो था जैसा किसी ने कहा है: आदमी घर पर बिस्तर में मरने की अपेक्षा रणभूमि में मरना पसंद करता है! तो बहुत कुछ खुद लड़ाई पर निर्भर करता है। एक्शन और ड्रामा।
या कुछ ऐसा था जो अंतिम फैसला लेते हुए वो गलत समझ बैठा था? चाहे जो हो, इससे इंकार नहीं किया जा सकता था कि इस सारे मामले ने एक ऐसा आयाम ले लिया था जिसे वो शुरू में नहीं देख पाया था... जिस पर ध्यान ही नहीं दिया था। एक स्वैच्छिक उत्तेजना और प्रलोभन का मीठा स्वाद जिनका स्वाभाविक रूप से बुनियादी समस्याओं से कतई कोई लेना-देना नहीं था।
जिंदगी से । मौत से।
जरूरत से।
शाम को वो टहलने निकला। कुछ हद तक उस इलाके की टोह लेने जो उसके दिमाग में था और कुछ हद तक शहर में घूमने की अस्पष्ट सी जरूरत को शांत करने और उसके साथ तालमेल बिठाने के लिए। उसका अपना शहर।
कालब्रिंजेन। समुदाय सपाट मैदानी इलाके से तिरछे जाते हुए और पूर्व में ऊंचे तटवर्ती इलाके तक सीमित था। घुमावदार खाड़ी, खुले समुद्र को उंगली दिखाता भूमि का छोटा सा टुकड़ा, घाटों और बांधों के साथ बंदरगाह का व्यस्त प्रवेशद्वार, जेटी और लंगर चौकियों से टकराते बेसब्र विलासितापूर्ण याटों और केबिन क्रूजर से भरा घाट... उसने सेंट हैन्स मठ के खंडहर में काफी समय बिताया, हवाएं और सीगल उसके चारों ओर चिल्ला रही थीं, नृत्य कर रही थीं, उसने नीचे सड़कों, चौकों और मकानों के जमघट को देखा। चर्चः सेंट बंज, सेंट एना और सेंट पीटर कॉपर, कॉपर और लाल ईंट।
भूमि की ओर पीठ किए और समुद्र की ओर सीना ताने दो होटलः सी वार्फ और ओल्ड बैंडिक्स; किसी तीखी धार वाली तलवार की तरह इमारतों के बीच से कटते नगरपालिका के जंगल; रिकेन और वर्डिंगेन के निजी मकान। दूसरी ओर, दोपहर की धुंध में मुश्किल से नजर आते पैम्पस, व्रेज़्स्बाक के अपार्टमेंट ब्लॉक और नदी के दूसरी ओर मिनिएचर मॉडल जैसे दिखते औद्योगिक क्षेत्र।
उसका कालब्रिंजेन। अचानक कौंधी अंतर्दृष्टि में उसे अहसास हुआ कि बहुत समय से उसने इस शहर से इतना करीबी जुड़ाव महसूस नहीं किया है जितना वो अब कर रहा है। इन परिस्थितियों में। शायद इसमें कुछ निहितार्थ और सुकून छिपा था... वो फरसामार था। नीचे मौजूद शहर उसकी मजबूत गिरफ़्त में था। नीचे मौजूद लोग अब शाम को समूहों में बाहर निकल रहे थे, या घरों में बंद हो रहे थे। उसकी छाया भारी और स्याह महसूस हो रही थी। अगर शहर का नाम सारे देश के लोगों की जबान पर था, तो ये बेशक उसकी मेहरबानी से था ।
और ये अप्रत्याशित आयाम था। इस सबके पीछे मौजूद वास्तविक बल से बहुत दूर। मकसद।
क्या उसके मन में इसके खिलाफ कुछ हो सकता था? उसे ऐसा नहीं लगता था। शायद वो खुश ही था, किसी रहस्यमय तरीके से।
ब्रिग्रिट। बिटी ।
जब नीचे की रोशनियां जल गईं तब जाकर उसका ध्यान धुंधलके के छाने की ओर गया। उसने हाथ अपनी जेबों में डाले और धीरे-धीरे वापस शहर की ओर बढ़ने लगा। उसने कुछ पल के लिए अपने टाइम शेड्युल के बारे में सोचा... खुद को दो दिन दिए, इससे ज़्यादा नहीं। कल शाम, या परसों; लय महत्वहीन नहीं थी।
अपने अंदर की आवाज को सुनना भी अहम था।
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