RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
उसने घर जाते हुए लंबा रास्ता लिया। उसे टांगें फैलाने की और अपने और केस के बीच कुछ दूरी बनाने की जरूरत महसूस हो रही थी। शायद पलायन की भी... शायद ये इतना हैरतअंगेज भी नहीं था। उत्तेजित होने जैसा कुछ नहीं। उसने कुछेक सड़कों का जायजा लिया जिन पर वो पहले कभी नहीं गया था - बेशक, यहां इतना मुश्किल भी नहीं था, उसने खुद को अनजान और शहर से दूर खूबसूरत जगहों पर पाया और अंततः एक पहाड़ी पर पहुंचा जहां से नीचे स्थित सारा शहर दिखता था।
ये देहात था, शहरी वातावरण नहीं। वो जंगल के किनारे-किनारे पूर्व दिशा में उस रेस्तरां की ओर बढ़ा जिसका बॉजेन ने जिक्र किया था। तन्हा बादल की तरह यहां अकेले भटकते, पीठ के पीछे बंधे हाथ और चेहरे से टकराती हवा। सूखी गर्मियों की बदौलत कुछ पेड़ों ने पत्ते गिराने शुरू भी कर दिए थे और अचानक उसे लगा जैसे हवा में किसी किस्म का कोई वादा है, या शायद कोई चेतावनी । बेशक कोरी कल्पना है, लेकिन पूर्वानुमान ऐसे ही होते हैं। जब वो मठ के खंडहर पर पहुंचा तो एक सिगरेट सुलगाकर कुछ अस्पष्ट से सवालों के साथ वहां बैठ गया और फिर जब दूर कहीं उसने किसी कुत्ते के भौंकने की आवाज सुनी तब जाकर वो उठा और पहाड़ी की सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा - जिन्हें सीधे चूना पत्थर पर बनाया गया था, जो फिसलनी और चलने के लिए आसान नहीं थीं।
कोई हादसा होने के लिए ये एकदम सटीक जगह रहेगी, वान वीटरेन ने सोचा ।
जब वो नीचे पहुंचा तो उसने खुद को कब्रिस्तान के पास पाया-सेंट पीटर्स चर्च, अगर उसे ठीक याद था तो-कब्रिस्तान जिसका रुख समुद्र की ओर था। विगत में कभी जब लोगों ने इसे इस्तेमाल करना शुरू किया होगा तो इसे समतल और सीढ़ीदार बनाया गया होगा, उसने सोचा और कुछ देर सोचता रहा कि उन सारे ताबूतों और गढ्डों के बीच इस ढीली, कृत्रिम मिट्टी के नीचे कैसा लगता होगा। उसका ध्यान कब्रों के दूसरी ओर नजर आ रहे सी वार्फ की रूपरेखा पर गया, और उसने सबसे सीधा रास्ता पकड़ने का निश्चय किया।
कब्रिस्तान से होते हुए, बजरी की ढलवां पगडंडियों पर टेढ़े-मेढ़े चलते हुए वो आगे बढ़ गया। कब्र के पत्थरों के पास से निकलते हुए कहीं वो साल पढ़ता, तो कहीं कोई नाम; लेकिन जब वो उन सबके बीच से गुजर चुकने के बाद गेट खोलकर कब्रिस्तान के दूसरी ओर निकलने वाला था, तब जाकर उसकी नजर उस पर पड़ीः एक स्मृति पत्थर के पास सिर झुकाए खड़ी चीफ इंस्पेक्टर बॉजेन की हट्टी-कट्टी आकृति।
उन्होंने क्या कहा था? दो साल पहले?
उसे निश्चित नहीं था कि पुलिस चीफ प्रार्थना कर रहे हैं या नहीं। उसे ये विश्वास करना मुश्किल लगा, मगर जो भी हो, उनके हावभाव में कुछ इतना गंभीर और आध्यात्मिक-शांत सा-था कि पल भर के लिए उसके अंदर ईर्ष्या की टीस सी महसूस हुई। तुरंत ही उसने तय कर लिया कि वो अपनी मौजूदगी जाहिर नहीं करेगा। अपनी पत्नी की कब्र के पास चीफ इंस्पेक्टर को शांति से छोड़ देगा।
मैं ऐसे आदमी से ईर्ष्या कैसे कर सकता हूं जो अपनी पत्नी की मृत्यु का शोक कर रहा है? गेट से बाहर निकलते हुए वो सोच रहा था। कभी-कभी मैं खुद भी अपने को समझ नहीं पाता हूं।
अपने होटल के कमरे में वापस पहुंचकर वो पैरों को पलंग के पायदान पर टिकाकर लेट गया। दिमाग में सिगरेट पीने के अलावा और कुछ लिए बिना और अपने ख़्यालों को बेलगाम छोड़कर वहीं लेटा रहा और छत को तकता रहा।
उसकी आदत फिर लौट आई थीः सिगरेट पीने की, हमेशा की तरह, जब काम उस पर सवार हो जाता है। जब कोई तहकीकात उस राह पर नहीं बढ़ती जो उसने बनाई थी, या जो उसने चाही थी। जब सब कुछ एक ठोस दीवार पर आकर ठहर जाता है, जब सफलता नहीं मिलती।
मगर, वास्तव में ऐसा महसूस नहीं हो रहा था।
उसने बॉजेन के दो हफ़्ते के नियम के बारे में सोचा। अगर ये सही था, तो उनके पास पांच दिन बचे थे। अब तक वो कालब्रिंजेन में पांच दिन बिता चुका था और जब उसने अब तक की तफ़्तीश के निचोड़ पर पहुंचने की कोशिश की, तो एक बड़े शून्य के अलावा कुछ नजर नहीं आया।
शून्य, सिफर।
मैं और पांच दिन यहां पड़ा नहीं रह सकता, उसने सोचा। मैं तो इतवार को घर जा रहा हूं ! हिलर को किसी और को भेजना होगा - रूथ को या डीब्रीस या साले और किसी को जिसे वो चाहे। मेरे यहां और देर तक पड़े रहने से किसी को कुछ फायदा नहीं होने वाला!
होटल में खानाबदोशों की तरह रहना। पुलिस चीफ की शराब पीना और शतरंज में मात खाना! मशहूर चीफ इंस्पेक्टर वान वीटरेन!
एक चीज जो हालात को बदल सकती थी, उसने खुद से कहा, वो थी वो संभावना जो कुछ दिन पहले बॉजेन ने जताई थी।
अगर वो फिर हमला करता है। फरसामार।
उन विशेषज्ञों के अनुसार जिनसे उन्होंने बात की थी, इसकी बहुत संभावना नहीं थी। अगर वो फिर हमला करता है, तो हम उसे पकड़ लेंगे!
मगर फिर... इसी के साथ, उसके अंदर ये अजीब सा अहसास था कि उन्हें अगर कुछ करना है तो बस इंतजार। यहीं रहना है कि ये विलक्षण केस हल कर लिया जाएगा, या खुद ही हल हो जाएगा किसी ऐसे तरीके से कि सारे नियम ताक पर रखे रह जाएंगे, और जिसे न वो और न कोई और ही रोक या प्रभावित कर पाएगा...
इन बिखरे हुए विचारों पर सोचने और चार (या पांच थीं?) सिगरेटें पीने के बाद वान वीटरेन बाथटब में आराम पाने चला गया। वो करीब घंटे भर सोचता रहा कि किसी रूसी या निम्जो-इंडियन शुरुआत को किस तरह विकसित किया जाए। बेशक, ये कहीं ज़्यादा वास्तविक था, मगर इस पर भी वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया।
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