RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
ये उसके मिजाज के खिलाफ था। अगर वाकई उनमें कोई महत्वपूर्ण बात दर्ज थी, तो वो कातिल उन्हें वहीं क्यों छोड़ गया? उसके पास अच्छा-खासा समय था, और वो ऐसा बंदा भी मालूम नहीं देता जो किसी भी चीज को इतेफाक पर छोड़ता हो।
और अगर वास्तव में वो अभी जिंदा थी, सब कुछ के बावजूद, तो क्या वो उसकी निजी जिंदगी के पाकीजा दायरे में घुसपैठ नहीं करेगा? उसके सबसे ज्यादा पवित्र धरातल को रौद नहीं देगा? उन्हें खोलने से पहले, उसे इस बात का तनिक भी इल्म नहीं हो सकता था कि उसने इन नोटबुकों में क्या राज लिखे हैं। वो उसके पढ़ने के लिए नहीं थीं, ये तो निश्चित था।
अगर वो अभी भी जिंदा थी, तो क्या ये रुकावटें तब भी लागू होतीं?
हां, बेशक। शायद तब और ज़्यादा ।
उसने आंखें बंद कर ली और बारिश की टपर-टपर सुनने लगा। बेरहम आसमान से, धुआधार और लगातार बारिश होते हुए करीब चौबीस घंटे से ज़्यादा बीत चुके थे। मूसलाधार और अभेद्य। क्या इस मनहूस जगह पर मौसम कभी बदलता नहीं है? उसने सोचा।
जो भी हो; वो जिसके खिलाफ थे उसे पेश करने का ये बुरा तरीका नहीं था। एक ही पॉइंट पर बिना रुके चोट करते रहना। समय को चिहित करना और कभी आगे न बढ़ना। मृत सागर में लहरें...
सेंट एना चर्च के घड़ियाल ने बारह बजाए। उसने गहरी सांस ली, आंखें खोलीं, फिर चौथी बार आरलाक की रिपोर्ट पर ध्यान केंद्रित कर दिया।
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"ठीक है, आखिर मुझे करना क्या था?" लेआउट को ध्यान से देखते हुए विल्मॉटसेन ने कहा।
"हां," संपादक ने कहा। "अगर हमें डबल तादाद में छापना है तो हम सब कुछ ही डबल कर सकते हैं।"
इंस्पेक्टर मोएर्क के गायब होने की खबर और उन परिस्थितियों ने जिनमें ये हुआ था, साफतौर पर डे जरनल के हैडलाइन सैटर विल्मॉटसेन के पुरुषत्व को ही कटघरे में ला खड़ा किया था। विरोधी के भीतर समाना मुमकिन नहीं था, और अखबार के अस्सी साल के इतिहास में पहली बार उन्हें दो अलग-अलग प्लेकार्ड लगाने पर मजबूर होना पड़ा था।
पूरी जानकारी प्रदान करने के फर्ज को न छोड़ने की खातिर। इस रोंगटे खड़े कर देने वाले नाटक की गरिमा को कम न आंकने की खातिर जो अब उनके शांतिपूर्ण गृहनगर कालब्रिंजेन में अपने चौथे (या ये पांचवां था?) अंक में प्रवेश कर रहा था।
अगली शिकार?
पहले प्लेकार्ड पर मुस्कुराती हुई बियाटे मोएर्क की थोड़ी सी धुंधली तस्वीर पर लिखा था।
क्या आपने लाल माज़्दा देखी है?
दूसरे पर पब्लिक से पूछा गया, जिसमें ये भी कहा गया था। कि हतप्रभ पुलिस ने सहायता की गुहार की।
अखबार के अंदर आधी से ज़्यादा जगह फरसामार मामले के नवीनतम विकास को समर्पित थी। देरों तस्वीरें थीं: स्मोकहाउस की पार्किंग के हवाई चित्र (उस जगह पर सफेद क्रॉस लगाकर जहां मोएर्क ने अपनी कार छोड़ी थी; रविवार शाम से उसे पुलिस स्टेशन के बेसमेंट में, सैल्स्टाट के फॉरेंसिक अफसरों द्वारा आठ घंटे जांच किए जाने के बाद सुरक्षित ढंग से खड़ा कर दिया गया था) और एक दूसरा समुद्र तट और जंगल का, और मोएर्क के दूसरे फोटो, साथ में प्रेस कॉन्फ़्रेंस में लिए गए बॉजेन और वान वीटरेन के फोटो। वान वीटरेन आंखें बंद किए टेक लगाए बैठा था, एक ऐसी मुद्रा जो आमतौर पर गहन शांति की स्थिति की याद दिलाती थी--पहली चीज जो दिमाग में आती थी वो ये कि वो कोई ममी या कोई आत्मलीन योगी था। जिंदगी की आपाधापियों और पागलपन से बहुत दूर, और शायद आप खुद से पूछ बैठते कि क्या ये लोग वाकई करने के लिए पूरी तरह से उपयुक्त हैं जिसे वो इस केस में तलाश रहे हैं।
यकीनन, क्या पहले कभी ऐसा कुछ हुआ था? एक पुलिस इंस्पेक्टर को अगवा, शायद कत्ल कर दिया गया था! एक जारी तफ़्तीश के बीच! सवाल न्यायसंगत था।
आलेख का मिजाज भी बहुत विभिन्नता भरा था, प्रमुख लेख के ठहराव भरे विश्लेषण कि स्थानीय काउंसिल के लिए मौजूदा हालात में अपनी साख बचाने का इकलौता रास्ता यही था कि फरसामार कांड की जिम्मेदारी ले और नए चुनावों की घोषणा करे, से लेकर विक्षिप्त, पागल (बेरहम मनोरोगी) या आतंकवादी (किसी अनसुने हत्यारे गुट से बुलाया भाड़े का हत्यारा) तक के भावपूर्ण, विभिन्न आकलनों--और, हां, उस बहुत लोकप्रिय थ्योरी तक जिसमें एक बिल्कुल सामान्य, ईमानदार नागरिक, परिवार का इज़्जतदार मुखिया, संदेहास्पद अतीत का उसी अपार्टमेंट में रहने वाला व्यक्ति था।
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