RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
वो फिर से मेज के चारों ओर बैठ गए। क्रोप्के अभी भी अपने आपसे खुश नजर आ रहा था, मगर थोड़ा सा हैरान भी था, मानो उन निहितार्थों को न समझा पा रहा हो जो उसकी कोशिशों से उपजे थे। एक बार फिर मुंस्टर को अपनी कनपटियों में तितलियों की सी थरथराहट महसूस हुई--वो जो अक्सर संकेत देती थी कि कुछ होने वाला है, कि एक अहम बिंदु की ओर पहुंचा जा रहा है। कि कामयाबी किसी भी पल हासिल हो सकती है। उसने बेतरतीब कमरे पर नजर डाली। बैंग उसके ठीक सामने बैठा था, पसीने में नहाया। वान वीटरेन अधसोया सा दिख रहा था। बॉजेन अभी भी नक्शे और ड्राइंग पिनों को देख रहा था, अपने गाल सिकोड़े हुए और ऐसे दिखते हुए मानो सपना देख रहा हो।
अंततः कॉन्स्टेबल मूजर ने उस आम हैरानी को शब्द दिए जो कमरे में भरी मालूम दे रही थी।
"यहां?" उसने कहा। "वो भला यहां क्यों आई थीं?"
तीन सैकंड गुजरे। फिर क्रोप्के और मूजर दोनों ने आह भरी और लगभग एक साथ कहाः
"अपने दफ़्तर!"
"धत्तेरे की!" बॉजेन के मुंह से निकला और उसने अपनी अभी तक अनजली सिगरेट को फर्श पर गिरा दिया। "किसी ने उसके दफ़्तर की भी जांच की?"
मूजर और क्रोप्के पहले ही चल चुके थे। मुंस्टर खड़ा हो गया था, और बॉजेन ऐसा दिख रहा था मानो पुलिस के बुनियादी कामों का टैस्ट लेने वाली पहली ही परीक्षा में वो फेल हो गया हो। केवल वान वीटरेन ही अविचलित दिख रहा था और अपनी ऊपर की जेब में कुछ तलाश रहा था।
"बेशक," वो बड़बड़ाया। "वहां कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन एक नजर तो जरूर ही देख लेना चाहिए; छह आंखें दो से ज़्यादा देखेंगी, या ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।"
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"मैं समझता हूं कि तुम जानती हो कि तुम कहां हो?" उसने कहा, उसकी आवाज बहुत ज़्यादा थकी हुई सुनाई दे रही थी।
"मुझे ऐसा लगता तो है," उसने अंधेरे में कहा।
वो खांसा।
"तुम समझती हो न कि बिना मदद पाए तुम्हारे लिए यहां से निकलने का कोई मौका नहीं है?"
"हां।"
"तुम मेरे कब्जे में हो। क्या हम इस बात पर सहमत हो सकते हैं?"
उसने जवाब नहीं दिया। वो अचानक सोच में पड़ गई कि इतना दृढ़ निश्च्य किस तरह उस गहरे दुख से भरा हो सकता है जो उसकी आवाज में साफ झलक रहा था। वो हैरान थी मगर साथ ही साथ ये भी समझ रही थी कि यही उस सारे मसले की कुंजी थी।
दुख और दृढ़संकल्प।
"क्या हम इस पर सहमत हो सकते हैं?"
"हां।"
वो रुका और उसने अपनी कुर्सी ठीक की। शायद अपनी टांगें एक के ऊपर एक रखी थीं, मगर वो केवल अंदाजा लगा रही थी। अंधकार बहुत गहरा था।
"मैं..." उसने कहना शुरू किया।
"नहीं," वो सपाट लहजे में बोला। "मैं नहीं चाहता कि तुम बेजरूरत बोलो। अगर मैं चाहूंगा कि तुम कुछ कहो, तो मैं तुमसे कह दूंगा। ये कोई बातचीत नहीं होने जा रही है; मेरा इरादा महज तुम्हें एक कहानी सुनाना है। मैं बस ये कह रहा हूं कि तुम सुनो।"
"एक कहानी," उसने दोहराया ।
उसने एक सिगरेट जलाई, और पल भर के लिए धुंधली लाल रोशनी से उसका चेहरा जगमगा गया था।
"मैं तुम्हें एक कहानी सुनाने वाला हूं," उसने तीसरी बार कहा। "इसलिए नहीं कि मैं तुमसे सहमति या माफी चाहता हूं--मैं इन चीजों से परे जा चुका हूं--बल्कि केवल इसलिए कि मैं एक बार और खुद को इसकी याद दिलाना चाहता हूं, इसके खत्म होने से पहले।"
"तुम मेरे साथ क्या करने वाले हो?" उसने पूछा।
"बीच में मत टोको मुझे." उसने कहा। मेरी तुमसे गुजारिश है कि इसे बर्बाद मत करना। शायद अभी तक मैंने इरादा नहीं किया है..."
घोर खामोशी और अंधेरे को चीरती उसकी सांसों की आवाज को वो सुन सकती थी। उससे बस नौ या दस फुट दूर, इससे ज़्यादा नहीं। उसने आखें बंद कर लीं, मगर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।
अंधकार वहां मौजूद था। गंध-बासी मिट्टी, तंबाकू के ताजा धुएं की। और कातिल ।
चार
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