RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
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बॉजेन ने अपने ब्रीफकेस से दो बीयर निकालीं, और उन्हें खोला । "हमें दूसरों द्वारा देखे जाने को भूलना नहीं चाहिए," उसने कहा। "सात या आठ दूसरे लोग और हैं जिन्हें यकीन है कि उन्होंने विभिन्न जगहों पर उसे देखा था। उसके पास कुछ और करने का समय भी रहा होगा। जिस गवाह ने उसे यहां स्टेशन पर देखा था, उसने कहा था कि ये साढ़े छह या पौने सात के बीच की बात थी, सही है ना?"
वान वीटरेन ने जवाब नहीं दिया। उसने एक सिगरेट सुलगाई और मोहरों को ठीक किया।
"क्रोप्के अपने घर जाने तक सौ से ज़्यादा ड्रॉइंग पिन लगा चुका था," बॉजेन ने कहा। "उसकी लाल वाली तो लगभग खत्म ही हो गई थीं। वास्तव में, इससे उसे थोड़ा सिरदर्द भी होने लगा था। खैर, आप क्या सोचते हैं?"
वान वीटरेन ने कंधे उचकाए।
"मान लेते हैं कि वो वास्तव में यहां आई थीं," उसने कहा। "और कुछ नहीं तो सादगी की खातिर। ठीक है, जनाब पुलिस चीफ, शुरू करने की आपकी बारी। सिसिलियन, मेरा अंदाजा है?"
"बिल्कुल," बॉजेन ने मुस्कुराते हुए अपने ई लाइन के प्यादे को चलते हुए कहा। "ठीक है, वो यहां आई थी। लेकिन आखिर उसने किया कया था?"
"मुझे नहीं पता," वान वीटरेन ने कहा, लेकिन मैं पता लगा लूंगा।"
"वाकई?" बॉजेन ने कहा। "कैसे? उसके दफ्तर से तो सुराग के नाम पर कुछ हाथ नहीं आया।"
वान वीटरेन ने कंधे उचकाए।
"मैं आपको ये अधिकार दूँगा," उसने कहा। "आपकी चाल। अगर मैं जीता तो मैं नेतृत्व करूंगा। उम्मीद है आपको ये बात पता है।"
"बिल्कुल," बॉजेन ने कहा। "क्या आपने सिसिलियन के खिलाफ भी कोई घरेलू सुरक्षा ईजाद कर ली है? ये जानना उपयोगी हो सकता है।"
"जल्दी ही जान जाएंगे," वान वीटरेन ने कहा, और अपने चेहरे पर मुस्कुराहट जैसा कुछ आने दिया, लेकिन उसे देखकर बॉजेन सोच में पड़ गया कि कहीं उसके दांत में दर्द तो नहीं है।
आह, सही है, जिदगी वैसे भी शतरंज की बिसात नहीं है। शतरंज के खेल में बहुत, बहुत सारी संभावनाएं निहित होती हैं।
चौक में अंधेरा और वीराना पसरा हुआ था। ग्यारह बजकर कुछ मिनट हुए थे; वो साठ मिनट की बाजी खेलने के लिए तैयार हुए थे, लेकिन कुछ पता नहीं... शतरंज की घड़ी घर पर बुककेस में थी, और अगर वो किसी रोमांचक स्थिति में पहुंच गए, तो दोनों में से कोई भी समय के दबाव में आकर उसे बर्बाद करने को तैयार नहीं होगा। इसका उलट ही था। कुछ स्थितियां ऐसी होती थीं जिन्हें कभी भी आगे नहीं ले जाना चाहिए। वो पहले ही इस पर बात कर चुके थे और इस विषय में उनमें रजामंदी भी थी। पैंतीसवी या पचासवी चाल के बाद बाजी जड़ हो जाती हैं और कभी पूरी नहीं होती। (जैसे कि लिंकोव्स्की बनाम क्वैलर, पेरिस, 1907 । बयालीसवीं के बाद। या मिकोयान बनाम एंडरसन, 1980--ब्रेस्ट में, अगर उसे ठीक याद था तो? पैंतीसवीं या सैंतीसवी, जो भी हो।) ऐसे गेम जिनमें स्थिति की खूबसूरती इतनी जबरदस्त होती थी कि और कोई चाल यकीनन उसे बर्बाद कर देती ।
ये जिंदगी की तरह ही था, जब आप चाहते हों कि समय थम जाए, कम से कम कुछ देर के लिए, वो सोच रहा था। हालांकि ऐसा कोई संकेत नहीं था कि ये गेम भी उन खास गेमों जैसा साबित होगा। कोई भी नहीं।
तीन दिन? तीन दिन में वो ये दफ्तर छोड़ देगा और फिर कभी उसमें कदम नहीं रखेगा...
कम से कम भी कहा जाए तो, ये अजीब सा महसूस हुआ, और वो सोचने लगा कि ये तीन दिन कैसे जाएंगे। जब उसने अपनी डेस्क के दूसरी ओर बैठे, एक हाथ बिसात के ऊपर घुमाते वान वीटरेन को देखा तो उसके अंदर आवाजें उठीं जो उससे कह रही थीं कि ये डिटेक्टिव चीफ इंस्पेक्टर वाकई अपना वादा पूरा करेगा और शुक्रवार से पहले फरसामार को सीखचों के पीछे डाल देगा। वो इसे किस तरह लेगा, ये तय कर पाना आसान नहीं था, लेकिन उसका सहकर्मी ऐसे संकेत दर्शा रहा था जिन्हें देखने में वो नाकाम नहीं रहा थाः लगातार बढ़ती आत्मलीनता, चिड़चिड़ेपन की प्रवृति जो पहले मौजूद नहीं थी, एक खास गोपनीयता--या आप इसे जो कहना चाहें--ये सब निश्चय ही दर्शाते थे कि वो किसी निष्कर्ष पर पहुंच रहा है। इस बारे में उससे कुछ कहलवा पाना असंभव सा ही मालूम होता था; मुंस्टर भी संकेतों को समझने लगा था और उसने बताया था कि वो असामान्य नहीं थे। जाने-पहचाने संकेत, बल्कि, ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए जो पहले भी उन्हें देख चुका था--स्पष्ट सूचक कि कुछ पक रहा है और कि डीसीआई वान वीटरेन मानसिक रूप से शीर्ष स्तर पर है। कि, दूसरे शब्दों में, स्थिति ठीक वैसी ही थी जैसा कि बॉजेन को संदेह था। ऐसा बहुत मुमकिन था कि पिघलाव बस निकट ही हो, और ये गंभीर पुलिस अफसर इस जटिल जिग्सों पजल के सभी टुकड़ों को जोड़ने के बहुत करीब हो ।
आह, ठीक है, बॉजेन ने सोचा। लेकिन तीन दिन? क्या ये वाकई काफी होंगे?
जब बात कमी की आती है तो, बेशक, मामला बस इन तीन दिनों का नहीं था; वो ऐसा मोहरा था जिसे शुक्रवार तक बिसात से हटा दिया जाएगा। वैसे भी, इस पिछले हफ्ते में, उसके मन में लगातार यही विचार पुख़्ता हुआ था कि ये सारा मसला समय के खिलाफ दौड़ का था। कातिल को एक दिसंबर से पहले पकड़ा जाना है। उन्होंने यही कहा था, और पहली तारीख शुक्रवार को है।
शुक्रवार को वो रिटायर होगा। बॉजेन बाहर। एक आजाद आदमी जिसे अपने समय को ऐसी किसी भी चीज से भरने का हक होगा जो वो चाहेगा। जो इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं करना चाहेगा कि फरसामार कौन है, और वो करना चाहेगा जो वो चाहता हो।
या शायद वो उस आजादी को लेकर बहुत ज़्यादा खुश ना हो? क्या ये केस उसके मेहनत से अर्जित भविष्य पर कलंक लगा देगा? ये नामुमकिन तो नहीं था। उसने अपने मयखाने और उसके कीमती सामान के बारे में सोचा |
तीन दिन?
उसने अपनी मेज के दूसरी ओर बैठे वान वीटरेन के भारी-भरकम शरीर को देखा, और निर्णय निकाला कि उसे कुछ पता नहीं है कि अगर जरूरी होता तो वो अपना दांव कहां लगाता ।
"आपकी चाल," वान वीटरेन ने बोतल को अपने होंठों से लगाते हुए कहा।
"आपका क्या नाम है?" क्रोप्के ने टेपरिकॉर्डर चालू करते हुए कहा। सामने बैठे मजबूत कद-काठी के आदमी ने गहरी सांस ली।
"तुम बहुत अच्छी तरह जानते हो साला मेरा नाम क्या है। आखिर,स्कूल में आठ साल हम एक ही क्लास में थे।"
"ये अधिकारिक पूछताछ है." क्रोप्के ने कहा। "हम औपचारिकताओं के अनुसार चलेंगे। तो?"
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